हवेली का सच आए दिन चोरी होने की घटनाओं से गांव वालों में भर व्याप्त हो गया था इसलिए उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक से गांव में एक पुलिस चौकी स्थापित करने
हवेली का सच
कहानी के विषय में दो शब्द - मेरी यह कहानी प्रेतात्मा को लेकर फैली अथवा फैलाई गई भ्रांति के सच को उजागर करने के साथ ही उन तथाकथित ढोंगियों के मर्म स्थल पर गहरी चोट पहुंचाती है जो इन भ्रांतियों की आड़ में अपना उल्लू सीधा करते हैं।
राजस्थान का एक छोटा सा गांव मुरली पुरा, जिसमें आबादी के नाम पर कुल डेढ़ सौ घरों की बस्ती थी। उस बस्ती में सभी जातियों के लोग रहते थे। उनमें से कुछ का अपना कृषि का पैतृक धंधा था, कोई छोटी-मोटी दुकान कर अपने परिवार को पाल रहा था।उसी गांव में गांव के सरपंच शैतान सिंह की एक बहुत बड़ी हवेली थी, जो सरपंच की संपन्नता की प्रतीक थी। शैतान सिंह इसी हवेली में अपने परिवार के साथ रहता था। दबंग किस्म का था शैतान सिंह, जब से गांव का सरपंच बना तब से गांव में चोरियां होने लगी थी। शैतान सिंह का जैसा नाम था वैसे ही उसमें गुण थे।
आए दिन चोरी होने की घटनाओं से गांव वालों में भय व्याप्त हो गया था इसलिए उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक से गांव में एक पुलिस चौकी स्थापित करने के लिए निवेदन किया। कुछ दिनों बाद मुरली पुरा गांव में ग्राम पंचायत के एक कमरे में पुलिस चौकी स्थापित कर दी गई और जिला हेडक्वार्टर से एक दिलेर किस्म के युवक शेर सिंह राणा को वहां का इंचार्ज बना कर भेज दिया गया। पुलिस चौकी स्थापित हो जाने से गांव में चोरी की घटनाओं पर अंकुश लग गया था।गांव से शहर की ओर जाने वाले मार्ग से दाहिने हाथ को करीब दो एकड़ भूमि पर बनी एक हवेली नज़र आती थी, जिसके बारे में किंवदंती बन गई थी कि इस हवेली के मालिक का प्रेत रात होते ही हवेली में घूमता रहता है। हवेली अब वीरान पड़ी थी, उसके चारों ओर जंगली घास और झाड़ियां उग आई थी जो हवेली के आसपास के वातावरण को और भी भयानक बना रही थी। शाम होते ही उस मार्ग पर कोई भी नहीं निकलता था। हवेली के सौन्दर्य को अभी समय की नज़र नहीं लगी थी क्योंकि उसके सुन्दर मेहराब, जालीदार झरोखे आदि अपनी पूर्वस्थिति में थे।
नये इंस्पेक्टर शेर सिंह ने भी गांव वालों से इस हवेली के बारे में सुन रखा था। लेकिन वह भूत प्रेत, आत्मा आदि बातों में विश्वास नहीं करता था। एक दिन उसने हवेली का सच जानने की ठानी और रात को जब गांव वाले गहरी नींद में सो रहे थे तो वह आत्मरक्षा की दृष्टि से अपनी पिस्टल साथ लेकर , ग्रामीण का वेश धारण कर हवेली की ओर जाने वाले मार्ग की ओर चल पड़ा।अभी वह हवेली से दस कदम की दूरी पर ही था कि उसने कुछ खाली गाड़ियां हवेली की ओर जाती हुई देखीं। वह चुप चाप दबे पांव उनके पीछे-पीछे चल पड़ा। उसने देखा कि हवेली के एक कमरे से हल्की सी रोशनी बाहर निकल रही है और वहां से पायल की झंकार की आवाज आरही है।
उसने अंधेरे स्थान पर छुप कर देखा कि उस कमरे में ढ़ेर सारा गोला बारूद बनाया जा रहा है। उसने अपने मोबाइल फोन से वहां चल रही गतिविधियों का वीडियो बनाली और चुपचाप वहां से लौट आया।
प्रातः काल होते ही उसने उस वीडियो को जिला हेडक्वार्टर भेज दिया। इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए वहां से हथियारों से लैस पुलिस के जवान गाड़ियों में भर कर भेज दिए। गांव वालों ने जब इतने सारे पुलिस जवानों को देखा तो आपस में बातें करने लगे।कुछ समय बाद देखा कि पुलिस के वे जवान गाड़ियों में भर कर हवेली की ओर जा रहे हैं। पुलिस के जवानों ने हवेली को चारों ओर से घेर लिया था और कुछ जवान हवेली के अंदर जा पहुंचे और वहां चल रही फैक्ट्री में काम करने वाले युवाओं को, जिनकी उम्र बीस से पच्चीस साल थी, पकड़ कर पुलिस की गाड़ी में बैठा लिया तथा गांव की पुलिस चौकी पर ले आए।
इन सबके चेहरों पर नक़ाब थी, इनके नक़ाब चेहरे से हटाये तो गांव वालों ने देखा कि ये सब गांव के आवारा युवक थे ,जिनका सरगना सरपंच का बेटा था। ये सब मिलकर अवैध रूप से गोला बारूद बनाने का काम कर रहे थे।यह गोला बारूद आतंकवादियों को पहुंचाते थे। इसके बाद इन सभी अपराधियों को पुलिस अपनी कस्टडी में शहर की जेल में बंद करने के लिए लेकर रवाना हो गई।
गांव वालों के सामने अब हवेली का सच प्रकट हो चुका था और अब हवेली की ओर जाने में भय भी नहीं लगता था।15 अगस्त को पुलिस अधीक्षक से गांव वालों ने झंडा रोहण करावाया और उस समारोह में इंस्पेक्टर शेर सिंह को माल्यार्पण कर और साफा पहनाकर सम्मानित किया। इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने इंस्पेक्टर शेर सिंह की इस बहादुरी के लिए पीठ थपथपाई और आश्वस्त किया कि राष्ट्रपति पदक के लिए उसका नाम अपनी अभिशंषा के साथ उच्च अधिकारियों को भेजेंगे।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरुवार (०८-०४-२०२१) को (चर्चा अंक-४०३०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
अफवाह का भंडा फोड़ती अच्छी कहानी
जवाब देंहटाएंअंधविश्वासों की आड़ में पनपते आतंक और अराजक तत्वों का निवारण करती सार्थक कथा।
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