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हिन्दी ने जिनकी जिंदगी बदल दी मारिया नेज्यैशी
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हिन्दी ने जिनकी जिंदगी बदल दी पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ हिंदी ने जिनकी ज़िंदगी बदल दी-मारिया नेज्यैसी लेखक जय प्रकाश पांडेय जी के द्वारा लिखित है। इस पाठ में मारिया नेज्यैसी की जीवन की सच्चाई को बताया गया है। मारिया हिंदुस्तानी नहीं थी उसके बावजूद भी हिंदी में लगाव होने के कारण मारिया ने हिन्दी सिख कर उसे आपने जीवन में उतारा और वह हिंदी की वजह से पूरी दुनिया मे जानी गई। जय प्रकाश पाण्डेय जी ने उनके बारे में बताते हुए कहा कि यह बात दिल्ली की है, जब वहाँ जाड़े का मौसम था। सुबह जनपथ स्थित हंगेरियन सूचना एवं संस्कृति केंद्र की जनसंपर्क अधिकारी हरलीन अहलूवालिया का फोन आया। वह किसी हंगरी की अंग्रेजी महिला हिंदी की विद्वान से मिलवाना चाहती थी। उस महिला को हिंदी में किए गए काम के लिए पूरी दुनिया में एक अलग पहचान मिली थी। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी.जे. अब्दुल कलाम जी ने भी उन्हें हिंदी में किए गए काम के लिए सम्मनित किया था।वह महिला भारत में कुछ दिन के लिए ही आयी थी और उसी दिन उन्हें शाम 6 बजे दिल्ली से बाहर भी जाना था। उनसे मिलने के लिए सुबह 10 बजे का समय तय हो गया। अब उनसे बात करने के लिए सूची भी तैयार हो गई। वो अंग्रेज थी इसलिए थोड़ा-बहुत अंग्रेजी का भी ख्याल रखा गया कि बीच में कहीं जरूरत पड़ जाएगी। हम सुबह 10 बजे उनसे मिलने पहुँचे वह कुछ काम में व्यस्त थी तो हमें स्वागत कक्ष में बैठने को कहा गया। हम कॉफी पी ही रहे थे कि वो आ गई। उन्होंने हाथ जोड़कर अभिवादन किया। हमने कुछ मिनट बाद उनसे बात चीत करना शुरू कर दिया। उनका नाम डॉ मारिया नेज्यैसी है। उनका जन्म हंगरी के बुडापेस्ट में 1953 में हुआ था। मारिया ने संस्कृत, लेटिन, प्राचीन यूनानी और भारत विज्ञान जैसे विषयों में एम. ए. किया था एवं हिंदी तथा संस्कृत में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी।
मारिया यूरोप हिंदी समिति की उपाध्यक्ष और लारेन्ड यूनिवर्सिटी में हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में जुड़ी उसने तीन दर्जन से भी ज्यादा किताबों का हिंदी से हंगेरियन और हंगेरियन से हिंदी में अनुवाद किया। मारिया से बात चीत के दौरान उनसे कई सवाल के बारे में पूछा गया। सवाल बहुत स्वाभाविक थे, जैसे भारत की भाषा, यहाँ के लोग, यहाँ की फिल्में, यहाँ का साहित्य, यहाँ के गाने, यहाँ के शहर और यहाँ की राजनीति कैसी लगती है। उनका स्वयं का बचपन कैसा था। हिंदी से लगाव कैसे हुआ। इस तरह के सवाल पूछे गए, जिनका उन्होंने बिंदास होकर बेधड़क जवाब दिया। इन्होंने यहाँ की संस्कृति और परम्परा को बहुत अच्छा कहा लेकिन उन्होंने यहाँ फ़िल्म वालों की शिकायत करते हुए बताया कि वे बहुत झूठ बोलते हैं | हम दिल दे चुके सनम की पूरी शूटिंग बुडापेस्ट में हुई लेकिन उन्होंने इटली का नाम बताया, यह बहुत नाइंसाफी है। उनके शिकायत का कोई जवाब नहीं था। उनसे हिंदी के बारे में सवाल किया गया फिर वो अपने बचपन की बातों को याद करने लगी उन्होंने बोला कि भारत में सयुंक्त परिवार रहते हैं लेकिन हंगरी में ऐसा नहीं है | 20 साल तक माता-पिता के पास रह सकते हैं। मेरे माता-पिता का तलाक हो गया था उन्होंने दूसरी शादी कर ली। काम के वजह से मैंने भी शादी नहीं की वरना आज मैं जिस मुकाम पर हूँ वहाँ तक नहीं पहुँच पाती। मैंने हिंदी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
मेरा जीवन एक छोटी सा स्थान में बीता है। मुझे बचपन से ही जीवन के बारे में जानने की इच्छा थी, इसलिए मैंने संस्कृत, लैटिन, ग्रिग और यूनानी भाषाएँ पढ़ीं। एम.ए. करने के बाद एक प्रकाशन संस्था से जुड़ गई। उस समय हंगरी में केवल एक-दो लोग ही हिंदी जानते थे। मेरे प्रोफेसर ने मुझे हिंदी पढ़ने के लिए प्रेरित किया। 1985 में मैं पढ़ाई के लिए पहली बार भारत आई | 10 महीने यहाँ रही। हिंदी के बदौलत मैंने पूरी दुनिया को देख लिया। आज मैं विएना विश्वविद्यालय में पढ़ाती हूँ। मैंने हंगरी में हिंदी का पुस्तकालय भी खोला है। मैं हंगरी में भारतीय कपड़े पहनती हूँ, जिसका असर मेरे छात्रों में भी पड़ा है।
उनको भारत के बारे में पूछा गया कि आपको क्या अच्छा लगता है। यहाँ के फ़िल्मों, यहाँ के शहरों के बारे में भी पूछा गया। उनका जवाब था कि यहाँ के रिश्ते बहुत अच्छे लगते हैं | मेरे खुद के बहुत रिश्ते दार जिसका बन्धन मन से जुड़ा है। यहाँ के वीर योद्धा, लेखकों ने मुझे प्रभावित किया है। भारतीय खाने में मुझे पनीर-पूरी पसंद है। दिल्ली, उदयपुर, मैसूर, पंडुचेरी ये शहर अच्छे लगते हैं। यहाँ की हरियाली बड़ी अच्छी है। हवा अच्छा लगता है। फ़िल्म उमराव जान मुझे बहुत पसन्द है | फ़िल्म के कलाकार बहुत महान है। राजनीति की मुझे कुछ ज्यादा समझ नहीं है | भारत की राजनीति को समझने में पूरी जिंदगी भी कम पड़ जाएगी । उनसे आधुनिकता को लेकर बात भी पूछा गया उनका कहना है कि आधुनिकता से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की प्रभाव बढ़ गया है। समान की खासियत और विविधता खत्म गई है। हर जगह, फास्ट फूड, एक जैसे साबुन, एक जैसे शैम्पू क्या है ये ? भले ही पूरी धरती हमारी है हम इससे जुड़े हैं, कुछ भी कर सकते हैं लेकिन अगर इसको हम खराब करेंगें तो हमें ही भुगतना पड़ेगा। सुनामी, कैटरीना, विल्मा, भूकंप और न जाने क्या-क्या सबसे जूझना पड़ेगा। आज तो स्थिती ऐसी है कि समुद्र में प्लास्टिक द्वीप तक बनने वाला है | क्या हम सबने ऐसी ही विश्व की कल्पना की थी ? क्या हमें ऐसे संसार में रहना पड़ेगा, जहाँ चारों तरफ प्रदूषण और शोर-शराबा है ? इस तरह से मारिया ने सारे सवालों के जवाब हिंदी में अच्छे से दिए। आखिर उन्हें छठे हिंदी विश्व हिंदी सम्मेलन, व जार्ज ग्रियर्सन सम्मान से सम्मानित किया गया। हिंदी ही मारिया को एक पहचान दिया, सम्मान दिया और कभी न भूलने वाली एक ऐसे व्यक्तित्व दिया जो आज भी दुनिया भर में जानी जाती है...||
मारिया यूरोप हिंदी समिति की उपाध्यक्ष और लारेन्ड यूनिवर्सिटी में हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में जुड़ी उसने तीन दर्जन से भी ज्यादा किताबों का हिंदी से हंगेरियन और हंगेरियन से हिंदी में अनुवाद किया। मारिया से बात चीत के दौरान उनसे कई सवाल के बारे में पूछा गया। सवाल बहुत स्वाभाविक थे, जैसे भारत की भाषा, यहाँ के लोग, यहाँ की फिल्में, यहाँ का साहित्य, यहाँ के गाने, यहाँ के शहर और यहाँ की राजनीति कैसी लगती है। उनका स्वयं का बचपन कैसा था। हिंदी से लगाव कैसे हुआ। इस तरह के सवाल पूछे गए, जिनका उन्होंने बिंदास होकर बेधड़क जवाब दिया। इन्होंने यहाँ की संस्कृति और परम्परा को बहुत अच्छा कहा लेकिन उन्होंने यहाँ फ़िल्म वालों की शिकायत करते हुए बताया कि वे बहुत झूठ बोलते हैं | हम दिल दे चुके सनम की पूरी शूटिंग बुडापेस्ट में हुई लेकिन उन्होंने इटली का नाम बताया, यह बहुत नाइंसाफी है। उनके शिकायत का कोई जवाब नहीं था। उनसे हिंदी के बारे में सवाल किया गया फिर वो अपने बचपन की बातों को याद करने लगी उन्होंने बोला कि भारत में सयुंक्त परिवार रहते हैं लेकिन हंगरी में ऐसा नहीं है | 20 साल तक माता-पिता के पास रह सकते हैं। मेरे माता-पिता का तलाक हो गया था उन्होंने दूसरी शादी कर ली। काम के वजह से मैंने भी शादी नहीं की वरना आज मैं जिस मुकाम पर हूँ वहाँ तक नहीं पहुँच पाती। मैंने हिंदी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
मेरा जीवन एक छोटी सा स्थान में बीता है। मुझे बचपन से ही जीवन के बारे में जानने की इच्छा थी, इसलिए मैंने संस्कृत, लैटिन, ग्रिग और यूनानी भाषाएँ पढ़ीं। एम.ए. करने के बाद एक प्रकाशन संस्था से जुड़ गई। उस समय हंगरी में केवल एक-दो लोग ही हिंदी जानते थे। मेरे प्रोफेसर ने मुझे हिंदी पढ़ने के लिए प्रेरित किया। 1985 में मैं पढ़ाई के लिए पहली बार भारत आई | 10 महीने यहाँ रही। हिंदी के बदौलत मैंने पूरी दुनिया को देख लिया। आज मैं विएना विश्वविद्यालय में पढ़ाती हूँ। मैंने हंगरी में हिंदी का पुस्तकालय भी खोला है। मैं हंगरी में भारतीय कपड़े पहनती हूँ, जिसका असर मेरे छात्रों में भी पड़ा है।
हिंदी ने जिनकी जिंदगी बदल दी |
उनको भारत के बारे में पूछा गया कि आपको क्या अच्छा लगता है। यहाँ के फ़िल्मों, यहाँ के शहरों के बारे में भी पूछा गया। उनका जवाब था कि यहाँ के रिश्ते बहुत अच्छे लगते हैं | मेरे खुद के बहुत रिश्ते दार जिसका बन्धन मन से जुड़ा है। यहाँ के वीर योद्धा, लेखकों ने मुझे प्रभावित किया है। भारतीय खाने में मुझे पनीर-पूरी पसंद है। दिल्ली, उदयपुर, मैसूर, पंडुचेरी ये शहर अच्छे लगते हैं। यहाँ की हरियाली बड़ी अच्छी है। हवा अच्छा लगता है। फ़िल्म उमराव जान मुझे बहुत पसन्द है | फ़िल्म के कलाकार बहुत महान है। राजनीति की मुझे कुछ ज्यादा समझ नहीं है | भारत की राजनीति को समझने में पूरी जिंदगी भी कम पड़ जाएगी । उनसे आधुनिकता को लेकर बात भी पूछा गया उनका कहना है कि आधुनिकता से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की प्रभाव बढ़ गया है। समान की खासियत और विविधता खत्म गई है। हर जगह, फास्ट फूड, एक जैसे साबुन, एक जैसे शैम्पू क्या है ये ? भले ही पूरी धरती हमारी है हम इससे जुड़े हैं, कुछ भी कर सकते हैं लेकिन अगर इसको हम खराब करेंगें तो हमें ही भुगतना पड़ेगा। सुनामी, कैटरीना, विल्मा, भूकंप और न जाने क्या-क्या सबसे जूझना पड़ेगा। आज तो स्थिती ऐसी है कि समुद्र में प्लास्टिक द्वीप तक बनने वाला है | क्या हम सबने ऐसी ही विश्व की कल्पना की थी ? क्या हमें ऐसे संसार में रहना पड़ेगा, जहाँ चारों तरफ प्रदूषण और शोर-शराबा है ? इस तरह से मारिया ने सारे सवालों के जवाब हिंदी में अच्छे से दिए। आखिर उन्हें छठे हिंदी विश्व हिंदी सम्मेलन, व जार्ज ग्रियर्सन सम्मान से सम्मानित किया गया। हिंदी ही मारिया को एक पहचान दिया, सम्मान दिया और कभी न भूलने वाली एक ऐसे व्यक्तित्व दिया जो आज भी दुनिया भर में जानी जाती है...||
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Hindi Ne Jinki Zindagi Badal Di Question Answers
प्रश्न-1 मारिया को किस कार्य के लिए सम्मानित किया गया ?
उत्तर- मारिया को हिन्दी में किए गए उनके कार्य के लिए सम्मानित किया गया |
प्रश्न-2 मारिया ने अनेक भाषाओं का अध्ययन क्यों किया ?
उत्तर- मारिया को इंसानी जीवन के शुरूआती दौर को जानने की इच्छा थी, इसलिए उसने अनेक भाषाओं जैसे- संस्कृत, ग्रिग, लैटिन, युनानी भाषा का अध्ययन किया |
प्रश्न-3 मारिया बुडापेस्ट में कौन-सी भारतीय पोशाक पहनना पसंद करती हैं और क्यों ?
उत्तर- मारिया बुडापेस्ट में भारतीय पोशाक पहनती हैं। वे सलवार सूट ठंड की वजह से पहनती हैं। ठंड में सलवार उन्हें अच्छी लगती है | यह भारत के प्रति उनकी आस्था भी हो सकती है |
प्रश्न-4 इस भेंटवार्ता की शुरुआत में ही मारिया ने क्षमायाचना क्यों की ?
उत्तर- इस भेंटवार्ता की शुरूआत में मारिया ने क्षमा याचना की, क्योंकि वह दिल्ली के व्यस्त यातायात के चलते समय से नहीं पहुँच पायी थी।
प्रश्न-5 उसने भेंटवार्ता की शुरूआत किस तरह की शिकायतों से की ?
उत्तर- उन्होंने शिकायत की कि भारत बड़ा देश है व परम्परा में समृद्ध देश है, परन्तु यहाँ की फिल्मों में छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलते हैं और झूठ दिखाते हैं। फ़िल्म हम दिल दे चुके सनम में पूरा सीन हमारे बुडापेस्ट में फिल्माया गया था लेकिन इटली का नाम बताया गया, जो बहुत अन्याय है।
प्रश्न-6 तुम मारिया के इस बात से कहाँ तक और क्यों सहमत हो कि --- “यहाँ के फ़िल्म वाले इतनी छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलते ही नहीं बल्कि झूठ दिखाते भी हैं।”
उत्तर- हम मारिया के इस बात से सहमत हैं, क्योंकि फिल्मों में छोटी-छोटी बातों को भी बड़ा-चढ़ा कर बताया जाता है, जो सच्चाई में होती ही नहीं है।
प्रश्न-7 क्या सिनेमा में झूठ और सच की बातें दिखाना ज़रूरी होता है ? यदि हाँ तो क्यों ?
उत्तर- सिनेमा मनोरंजन के लिए या संदेश के लिए होते हैं। मनोरंजन स्वस्थ और संदेश पूर्ण भी होना आवश्यक है। इसमें झूठ नहीं दिखाना चाहिए, क्योंकि इससे समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है और सच्चाई अवश्य होनी चाहिए क्योंकि समाज को सही का ज्ञान होता है। सामाजिक जीवन पर फिल्मों का गहरा प्रभाव पड़ता है | युवाओं के मार्गदर्शन का सही उपाय होता है | इसलिए झूठ न दिखाकर सच्चाई को दिखाना चाहिए।
प्रश्न-8 नीचे एक शब्द के दो समान अर्थ दिए गए हैं। जैसे -धरती - पृथ्वी, धरा .अब तुम भी इन शब्दों के दो-दो समान अर्थ लिखो -
उ. उत्तर निम्नलिखित हैं -
(क)- दोस्त - मित्र, सखा
(ख)- माँ - माता, जननी
(ग)- पानी - जल, नीर
(घ)- नारी - महिला, स्त्री
प्रश्न-9 ‘काफ़ी’ शब्द का अर्थ है –पर्याप्त और ‘कॉफ़ी’ का अर्थ होता है एक पेय पदार्थ। दोनों शब्दों की वर्तनी में केवल थोड़ा-सा अंतर होने से अर्थ बदल गया है।
तुम दिए गए शब्दों को पढ़ो और वाक्य बनाओ।
(क)- बाल, बॉल
उत्तर- • बाल - तुम्हारे बाल बहुत सुन्दर हैं।
• बॉल - राम बॉल खेल रहा है।
(ख)- हाल, हॉल
उत्तर- • हाल - हाल ही में वह घर छोड़कर चला गया |
• हॉल - सोहन के घर में बहुत बड़ा हॉल है।
(ग)- चाक, चॉक
उत्तर-• चाक - कुम्हार अपनी चाक से अनेकों बर्तन बनाता है।
• चॉक - चॉक से ब्लैक बोर्ड पर लिखा जाता है |
(घ)- काफ़ी, कॉफ़ी
उत्तर- • काफी - काफी लोगों की भीड़ है |
• कॉफ़ी - अब आए हो तो कॉफ़ी पीकर जाना |
प्रश्न-10 नीचे दिए गए वाक्यों को सही शब्दो से पूरा करो
(क) रमा ने कमरे में फूल ……………. दिए (सज़ा/सजा)
(ख) माँ दही ……………… भूल गई। (ज़माना/जमाना)
(ग) घोड़ा …………… दौड़ता है। (तेज़/तेज)
(घ) शीला ने मुझे एक ………….. की बात बताई। (राज/राज़)
(ङ) उदित सितार बजाने के ……………. में माहिर है। (फ़न/फन)
(च) कप में …………… सी चाय बची थी। (जरा/ज़रा)
उत्तर- सही शब्दो से पूरा करो -
(क) रमा ने कमरे में फूल सजा दिए।
(ख) माँ दही जमाना भूल गई।
(ग) घोड़ा तेज़ दौड़ता है।
(घ) शीला ने मुझे एक राज़ की बात बताई।
(ङ) उदित सितार बजाने के फ़न में माहिर है।
(च) कप में जरा सी चाय बची थी।
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हिन्दी ने जिनकी जिंदगी बदल दी पाठ से संबंधित शब्दार्थ
• फेहरिस्त - सूची
• अभिवादन - शिष्टाचार का तरीका
• क्षमा-याचना - माफी माँगना
• नाइंसाफी - अन्याय
• ललक - इक्छा
• लालायित -ललचाया हुआ
• बदौलत - कृपा से , दया से, मेहरबानी से
• कड़ाके - जोरदार
• बरकरार - बनाये रखना
• मुँह मोड़ना - बेरूखी करना, ध्यान न देना
• तार्किक - तर्कपूर्ण
• मुताबिक - अनुसार
• अचरज - आश्चर्य
• खासियत - विशेषता
• विविधता - कई तरह का
• पेय - पीने वाले पदार्थ
• कैटरीना - तूफान का नाम
• सुनामी - समुद्री तूफान
• विल्मा - तूफान |
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