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काबुलीवाला की कहानी Kabuliwala Story in Hindi
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काबुलीवाला कहानी का सारांश
काबुलीवाला कहानी रवीन्द्रनाथ ठाकुर जी द्वारा लिखी गयी एक विश्व प्रसिद्ध कहानी है। प्रस्तुत कहानी में आपने एक काबुलीवाले के बारे में बताया है जो की काबुल से कलकत्ता आकर काजू बादाम ,किशमिश आदि बेचता है। लेखक की बेटी मिनी जो की पांच साल की है ,उसके पास खेलती रहती है। मिनी बहुत ही बातूनी व चंचल लड़की है। वह काबुलीवाले के झोली को देखकर डर जाती है ,उसे लगता है कि वह शायद छोटे छोटे बच्चों को छिपाए रहता है। लेखक ने काबुलीवाले जिसका नाम रहमत था को बुलाकर कुछ सामान ख़रीदा। कुछ दिनों बाद मिनी का डर रहमत से खत्म हो गया। वह अब मिनी के पास रोज ही आने लगा। मिनी को पिस्ता बादाम देकर उसके नन्हे दिल पर विश्वास पा लिया था। दोनों में कुछ बंधी हुई बातें और हँसी मज़ाक चलते रहते। रहमत मिनी से कहता कि तुम ससुराल जाओगी ,हालाँकि मिनी को सुसराल का मतलब नहीं पता था इसीलिए वह उलटे उससे ही पूँछती कि तुम ससुराल कब जाओगे तो वह कहा कि मैं अपने ससुराल में ससुर को मारूंगा।
काबुलीवाला |
कुछ दिनों बाद लेखक भी रहमत से खूब घुलमिल गया था लेकिन उसकी पत्नी काबुलीवाले के प्रति संशकित ही रहा करती। इस प्रकार दोनों में बहस होती ,लेकिन तब भी वह उसे भले मानुष समझकर घर में आने की इजाजत मिली रहती। कुछ दिनों बाद लेखक को अपने घर के सामने खूब शोर सुनाई देता है। वह बाहर आकर देखता है कि कुछ पुलिसवाले रहमत को पकडे चले आ रहे हैं। उसने किसी का उधार दिए पैसों के कारण हत्या कर दी थी। अचानक मिनी वहाँ आ गयी और रहमत से बोली कि ससुराल जाओगे तो वह बोला कि वहीँ जा रहा हूँ।
हत्या के अपराध में रहमत को कई वर्षों की जेल हो गयी। लेखक भी कुछ समय बाद रहमत को भूल गया और उसकी बेटी मिनी भी भूल गयी। धीरे - धीरे उसके नए मित्र बनने लगे। उम्र बढ़ने के साथ एक एक करके उसकी सखियाँ जुटने लगी। कुछ वर्षों बाद मिनी का विवाहोत्सव आया। लेखक मिनी बेटी की विदाई के अवसर पर बड़ा ही ग़मगीन था। तभी वहाँ काबुलीवाला रहमत आ गया। पहले तो लेखक उसे पहचान नहीं पाया ,बाद में पहचानने पर उसने बताया कि वह मिनी से मिलना चाहता है। उसके लिए वह कहीं से एक डिब्बा अंगूर ,किशमिश बादाम लेकर आया हुआ है। लेखक तो पहले रहमत को भागने की कोशिश करता है ,लेकिन रहमत बताता है कि उसकी भी मिनी की तरह एक छोटी बेटी है ,जिसे वह अपने मुल्क में छोड़कर आया हुआ है। इस बात पर लेखक भी द्रवित होकर अंदर से वधु के रूप में सजी मिनी को बुलाता है। काबुलीवाला ,वधु के भेष में मिनी को देखकर सकपका जाता है। वह मिनी को अब छोटी बच्ची ही मान रहा था। अब उसे समझ में आया कि उसकी बेटी भी इसी तरह बड़ी हो गयी होगी। जेल में रहने के दौरान रहमत पर क्या बीती होगी ,यह तो वही जान सकता है। उसका चेहरा दुःख और चिंता से भर उठा। लेखक ने रहमत को पैसे देते हुए कहा कि तुम अपने देश बेटी के पास लौट जाओ। तुम्हारा मिलन सुख मिनी का कल्याण करे।
काबुलीवाला कहानी का संदेश
काबुलीवाला कहानी में लेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर ने काबुलीवाले रहमत के माध्यम से विभिन्न धर्मों के लोगों में भी आपसी सौहार्द्र व मानवीय प्रेम का वर्णन किया है। काबुलीवाले एक दयालु व सहृदय व्यक्ति है,जो लेखक से प्रेमपूर्ण व्यवहार रखता है। वह लेखक की बेटी में अपनी बेटी का प्रतिबिम्ब देखता है। वह मिनी से बिना पैसे लिए पिश्ता - बादाम खिलाता रहता है और मिनी भी उसकी अच्छी दोस्त बन जाती है। जेल से छूटकर आने के बाद रहमत सीधे मिनी से मिलने आता है और वधु भेष में उसको देखकर सकपका जाता है। उसकी समझ में आता है कि उसकी बेटी भी मिनी की तरह बड़ी हो गयी होगी जो उसकी राह देख रही होगी। इस प्रकार लेखक ने रहमत और मिनी के माध्यम से पिता - पुत्री के मर्मस्पर्शी संबंधों पर प्रकाश डाला है।
काबुलीवाला कहानी के प्रश्न उत्तर
प्र.१. मिनी और काबुलीवाले की मुलाकात कैसे हुई ?
उ. मिनी और काबुलीवाले रहमत की जब पहली मुलाकात हुई तो मिनी डर से अपने पिता के घुटने से चिपक गयी। काबुलीवाले ने उसे किशमिश और बादाम देना चाहा पर उसने कुछ नहीं लिया। वह उसकी झोली देखकर डरती थी कि कहीं वह उसे झोली में भर कर चला न जाए।
प्र.२. मिनी काबुलीवाले से क्यों डरती थी ?
उ. मिनी काबुलीवाले से डरती थी क्योंकि उसके हाथ में एक बड़ी झोली थी। झोली के बारे में मिनी सोचती थी कि कहीं काबुलीवाला उसे पकड़ कर उसे झोली में न भर लें। साथ ही उसके झोली में उसके जैसे ही अनेक बच्चे होंगे।
प्र.३. मिनी और काबुलीवाले क्या बाते करते थे ?
उ. मिनी और काबुलीवालें दोनों बहुत देर तक बातें करते और हँसते रहते थे। वह बोलती कि उसकी झोली में क्या है। वह हँसता हुआ कहता कि उसकी झोली में हाथी है ,फिर वह मिनी से कहता कि वह ससुराल कब जायेगी। इस पर वह रहमत से कहती कि वह कब ससुराल जाएगा। वह उसको घूसा तानकर कहता कि वह ससुर को मारेगा। इस बात मिनी खूब हँसती।
प्र.४. रहमत को जेल की सजा क्यों हो गयी थी ?
उ. रहमत को जेल की सजा हो गयी क्योंकि उसने पडोश में रहने वाला एक आदमी ने उससे चादर ख़रीदा था। उसके कुछ रुपये बाकी थे ,जिन्हें वह देने से इनकार कर रहा था। इस पर बात बढ़ गयी और काबुलीवाले ने उसे छूरा मार दिया।
प्र.५. जेल से लौटने के बाद मिनी के मिलने पर रहमत ने क्या सोचा ?
उ. जेल से लौटने के बाद मिनी से मिलने पर रहमत ने सोचा कि इस तरह उसकी भी बेटी बड़ी हो गयी होगी। अब उसे उसके पास जाकर मिनी की तरह प्यार दुलार करना चाहिए। वह भी मिनी की तरह विवाह योग्य हो गयी होगी। इस तरह पिता का प्रेम अपनी बेटी के प्रति उमड़ता है और वह काम काज छोड़कर अपने देश चला जाता है,अपने जिम्मेदारी निभाने। अब काबुलीवाले को समझ में आ गया कि उसकी बेटी भी विवाह के योग्य हो गयी होगी। अब उसकी शादी करनी चाहिए।
बहुत सुंदर
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