ओस कविता का भावार्थ ओस कविता के प्रश्न उत्तर ncert solutions for class 8 hindi chapter 4 ओस सोहनलाल द्विवेदी CBSE class 8 hindi kavita ka arth durva 3
सोहनलाल द्विवेदी की कविता ओस
ओस कविता का भावार्थ ओस कविता के प्रश्न उत्तर ओस कविता की व्याख्या ncert nlass 8 hindi durva solutions ncert class 8 hindi durva chapter 4 ncert class 8 hindi chapter 4 poem meaning ओस सोहनलाल द्विवेदी CBSE class 8 hindi ओस कविता का अर्थ ओस कविता का सारांश
ओस कविता की व्याख्या भावार्थ
हरी घास पर बिखेर दी हैं
ये किसने मोती की लड़ियाँ ?
ओस कविता |
ये उज्ज्वल हीरों की कड़ियाँ ?
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ सोहनलाल द्विवेदी जी के द्वारा रचित कविता ओस से उद्धृत हैं | ओस की बूँदों की नैसर्गिक सुंदरता से कवि बेहद अभिभूत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से ओस की बूँदों पर अपना भाव व्यक्त करते हुए कवि कहते हैं कि सुबह-सुबह जाड़े के मौसम में ओस की बूँदें मानो ऐसा प्रतीत हो रही हैं, जैसे किसी ने हरी-हरी घास पर मोती की लड़ियाँ बिखेर दी हो | तत्पश्चात् कवि को जिज्ञासावश ऐसा लग रहा है कि मानो रात के सन्नाटे में कोई उज्ज्वल हीरों की कड़ियाँ गूँथ गया हो |
जुगनू से जगमग जगमग ये
कौन चमकते हैं यों चमचम ?
नभ के नन्हे तारों से ये
कौन दमकते हैं यों दमदम ?
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ सोहनलाल द्विवेदी जी के द्वारा रचित कविता ओस से उद्धृत हैं | ओस की बूँदों की नैसर्गिक सुंदरता से कवि बेहद अभिभूत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से ओस की बूँदों पर अपना भाव व्यक्त करते हुए कवि कहते हैं कि जब सूर्य की किरणें ओस की बूँदों पर पड़ती हैं तो वे जुगनुओं की तरह जगमगा उठते हैं | आगे कवि कहते हैं कि ये ओस की बूँदे नभ (आसमान) के छोटे-छोटे तारों के समान दमक (चमक) रहे हैं |
लुटा गया है कौन जौहरी
अपने घर का भरा खज़ाना ?
पत्तों पर, फूलों पर, पगपग
बिखरे हुए रतन हैं नाना |
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ सोहनलाल द्विवेदी जी के द्वारा रचित कविता ओस से उद्धृत हैं | ओस की बूँदों की नैसर्गिक सुंदरता से कवि बेहद अभिभूत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से ओस की बूँदों पर अपना भाव व्यक्त करते हुए तथा पत्ते, फूल और कदम-कदम पर चमकते ओस की बूँदों को रतन की संज्ञा देते हुए कवि कहते हैं कि इस तरह के जो नाना प्रकार के रतन बिखरे हुए हैं, मानो किसी जौहरी ने अपना पूरा खजाना लुटा दिया हो |
बड़े सबेरे मना रहा है
कौन खुशी में ये दिवाली ?
वन उपवन में जला दी है
किसने दीपावली निराली ?
सोहनलाल द्विवेदी |
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ सोहनलाल द्विवेदी जी के द्वारा रचित कविता ओस से उद्धृत हैं | ओस की बूँदों की नैसर्गिक सुंदरता से कवि बेहद अभिभूत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से ओस की बूँदों पर अपना भाव व्यक्त करते हुए कवि कहते हैं कि सुबह-सुबह ये ओस की बूँदे ऐसे चमकते हुए दिखाई दे रहे हैं, जैसे कोई वन-उपवन में दीप जलाकर दीपावली की खुशियाँ मना रहा हो |
जी होता, इन ओस कणों को
अंजलि में भर, घर ले जाऊँ
इनकी शोभा निरख निरख कर
इन पर कविता एक बनाऊँ |
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ सोहनलाल द्विवेदी जी के द्वारा रचित कविता ओस से उद्धृत हैं | ओस की बूँदों की नैसर्गिक सुंदरता से कवि बेहद अभिभूत हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से अंत में कवि ओस की प्राकृतिक सुंदरता से इतना अभिभूत हुए कि उनके मन में ओस की बूँदो को अपने अंजलि (हथेलियों का गड्ढानुमा आकार) में भर कर घर ले जाने की इच्छा जाग गई | ताकि वे ओस की शोभा को अच्छे तरीके से परख-परख कर उस पर एक सुंदर सी कविता की रचना कर सके |
---------------------------------------------------------
ओस कविता का सारांश
ओस कविता के प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 कविता में रतन किसे कहा गया है और वे कहाँ-कहाँ बिखरे हुए हैं ?
उत्तर- प्रस्तुत कविता में ओस की बूँदों को रतन कहा गया है और वे हरी घास, पत्तों और फूलों पर बिखरे हुए हैं |
प्रश्न-2 ओस कणों को देखकर कवि का मन क्या करना चाहता है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, अंत में कवि ओस की प्राकृतिक सुंदरता से इतना अभिभूत हुए कि उनके मन में ओस की बूँदो को अपने अंजलि (हथेलियों का गड्ढानुमा आकार) में भर कर घर ले जाने की इच्छा जाग गई | ताकि वे ओस की शोभा को अच्छे तरीके से परख-परख कर उस पर एक सुंदर सी कविता की रचना कर सके |
प्रश्न-3 नीचे लिखी चीज़ों जैसी कुछ और चीज़ों के नाम सोचकर लिखो ---
(क) जुगनू जैसे चमकीले ..............................
(ख) तारों जैसे झिलमिल ..............................
(ग) हीरों जैसे दमकते ..............................
(घ) फूलों जैसे सुंदर ..............................
उत्तर- नाम सोचकर लिखो -
(क) जुगनू जैसे चमकीले बल्ब
(ख) तारों जैसे झिलमिल कपड़े
(ग) हीरों जैसे दमकते पुष्प
(घ) फूलों जैसे सुंदर चेहरे
प्रश्न-4 “जी होता, इन ओस कणों को
अंजलि में भर घर ले आऊँ”
‘घर' शब्द का प्रयोग हम कई तरह से कर सकते हैं। जैसे ---
(क) वह घर गया | …………………………
(ख) यह बात मेरे मन में घर कर गई | ……………
(ग) यह तो घर-घर की बात है | ………………………
(घ) आओ, घर-घर खेलें | ……………………
‘बस’ शब्द का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है | तुम ‘बस’ शब्द का प्रयोग करते हुए अपने मन से कुछ वाक्य बनाओ |
(संकेत–बस, बस-बस, बस इतना सा)
उत्तर- वाक्य बनाओ -
(क) अब बस भी करो, क्यों उसे मारे जा रहे हो ?
(ख) बस आने ही वाली है |
(ग) बस इतना सा मेरा काम कर दो, जाकर दूध ले आ |
प्रश्न-5 चमक-चमकना-चमकाना-चमकवाना . 'चमक' शब्द के कुछ रूप ऊपर लिखे हैं | इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों का रूप बदलकर सही जगह पर भरो ---
दमक, सरक, बिखर, बन
(क) ज़रा सा रगड़ते ही हीरे ........ शुरू कर दिया |
(ख) तुम यह कमीज़ किस दर्ज़ी से ...... चाहते हो?
(ग) साँप ने धीरे-धीरे ................ शुरू कर दिया |
(घ) लकी को मूर्ख ............. तो बहुत आसान है |
(ङ) तुमने अब खिलौने ............... बंद कर दिए ?
उत्तर- शब्दों का रूप बदलकर सही जगह -
(क) ज़रा सा रगड़ते ही हीरे ने दमकना शुरू कर दिया |
(ख) तुम यह कमीज़ किस दर्ज़ी से बनवाना चाहते हो ?
(ग) साँप ने धीरे-धीरे सरकना शुरू कर दिया |
(घ) लकी को मूर्ख बनाना तो बहुत आसान है |
(ङ) तुमने अब खिलौने बिखेरने बंद कर दिए हैं |
---------------------------------------------------------
ओस कविता से संबंधित शब्दार्थ
• गूँथना - पिरोना
• बहुमूल्य - कीमती, मूल्यवान
• निरख-निरख - देख-देखकर
• शोभा - सौंदर्य
• जी - मन
• उज्ज्वल - चमकता हुआ, उजला
• जुगनू - एक प्रकार का कीड़ा (रात में उड़ने पर इसकी दुम से रौशनी निकलती है)
• नभ - आकाश, आसमान
• जौहरी - रत्नों की जाँच-परख करने वाला
• खज़ाना - रुपया, सोना-चाँदी रखने का स्थान,कोश
• रतन - रत्न
• नाना - अनेक
• निराली - सुंदर, मनोहर
• अंजलि - दोनों हथेलियों को मिलाने से बनने वाली मुद्रा |
COMMENTS