Chidiya Aur Churungun Class 7 Durva Harivansh rai Bachchan चिड़िया और चुरुंगुन कविता का अर्थ व्याख्या प्रश्न उत्तर कविता के शब्दार्थ चुरुंगुन, तू भरमा
चिड़िया और चुरुंगुन कविता
चिड़िया और चुरुंगुन Chidiya Aur Churungan Chidiya Aur Churungun Durva Class 7 Ch 1 Cbse हिंदी Class 7 Durva पार्ट 2 Lesson 1 कविता चिड़िया और चुरुंगुन की व्याख्या कवि हरिवंशराय बच्चन CBSE board class 7th Hindi Dhruva book chapter 1 Chidiya aur churungan
चिड़िया और चुरुंगुन कविता का अर्थ
देखी डालें, देखे पात
चिड़िया और चुरुंगुन |
करते हैं आपस में बात
माँ, क्या मुझको उड़ना आया?
‘नहीं, चुरुंगुन, तू भरमाया’
डाली से डाली पर पहुँचा,
देखी कलियाँ, देखे फूल,
ऊपर उठकर फुनगी जानी,
नीचे झुककर जाना मूल;
माँ, क्या मुझको उड़ना आया?
‘नहीं, चुरुंगुन, तू भरमाया’
खाए और गिराए काट
खाने-गाने के सब साथी
देख रहे हैं मेरी बाट;
माँ, क्या मुझको उड़ना आया?
‘नहीं, चुरुंगुन, तू भरमाया’
उस तरु से इस तरु पर आता,
जाता हूँ धरती की ओर,
दाना कोई कहीं पड़ा हो
चुन लाता हूँ ठोक-ठठोर;
माँ, क्या मुझको उड़ना आया?
‘नहीं, चुरुंगुन, तू भरमाया’
मैं नीले अज्ञात गगन की
सुनता हूँ अनिवार पुकार
कोई अंदर से कहता है
उड़ जा, उड़ता जा पर मार;
माँ, क्या मुझको उड़ना आया?
‘आज सुफल हैं तेरे डैने,
आज सुफल है तेरी काया’
चिड़िया और चुरुंगुन कविता Class 7 Durva के प्रश्न उत्तर
छोड़ घोंसला बाहर आया,
देखी डालें, देखे पात ।
चुरुंगुन घोंसला छोड़कर बाहर आया। उसने डालें और पत्ते देखे।
देखीं कलियाँ देखे फूल।
क. चुरुंगन फुदक फुदक कर एक डाली से दूसरी डाली पर जा पहुँचता है। उसने फूल और कलियाँ भी देखी है।
(ख) खाने-गाने के सब साथी,
देख रहे हैं मेरी बाट। ख. चुरुंगन अपनी माँ से कहता है कि उसके खाने - गाने के साथी उसकी लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं।
(ग) कच्चे-पक्के फल पहचाने,
खाए और गिराये काट।
ग. चुरुंगन ,अब कच्चे पक्के फल पहचानने लगा है। वह फलो को खाया और जो उसे पसंद नहीं आया ,उसे काट कर गिरा दिया।
जाता हूँ धरती की ओर।
घ. चुरुंगन ,अपनी माँ से कहता है कि मैं इस पेड़ से उस पेड़ पर जाता हूँ। साथ ही उड़कर धरती की तरफ भी जाता हूँ।
क. चुरुंगन अपनी माँ से बार बार उड़ने के लिए इसीलिए पूछता है कि उसके डैने अब बड़े हो गए है। उसके साथी अब दूर - दूर उड़ने जाते है। वह भी उनके साथ खेलना उड़ना चाहता है। इसीलिए अपनी माँ चिड़िया की आज्ञा लेकर वह उड़ना चाहता है।
ख. चुरुंगन को कच्चे पक्के फल खाना ,दोस्तों के साथ उड़ना ,डाली कलियाँ देखना पत्तियों के शोर को सुनना आदि अच्छा लगता है।
ग. चुरुंगन अभी अभी अपने घोंसले से निकला है। फिर भी वह पूरी दुनिया के बारे में जानना चाहता है। वह बहुत जिज्ञासु है। मैं भी चुरुंगन की तरह बहुत जिज्ञासु हूँ। जब भी घर से बाहर निकलता हूँ तो बसों ,बिल्डिंगओं और लोगों के पहनाओं को बड़े ध्यान से देखता हूँ। रास्तों के बारे में अपनी माँ से पूछता हूँ जिनका समाधान मेरी माताजी करती हैं।
नीचे कुछ चीज़ों के नाम लिखें हैं। चुरुंगुन ने पहले किसे देखा? क्रम से लगाओ।
फूल, पात, फुनगी, दाल, फल, कलियाँ,
धरती, साथी, तरु, दाना, गगन
उ. क्रम से निम्नलिखित है -
डाल ,पात ,कलियाँ ,फूल ,फुनगी ,फल ,साथी ,तरु ,धरती ,दाना ,गगन।
उड़ने के बाद चुरुंगुन कहाँ-कहाँ गया होगा? उसने क्या-क्या देखा होगा? अपने शब्दों में लिखो।
डाल - डालें
बात - बातें
कली - कलियाँ
फूल - फूलों
फल - फलों
साथी - साथियों
तरु - तरुओं
दाना - दानें
डैना - डैनें
डाल - ढाल
बात - भात
फूल - मूल
दाना - धान
फल - पल
डाल - डाल पर चिड़ियाँ बैठी है।
ढाल - सैनिक अपनी रक्षा ढाल से करते है।
बात - हमें अच्छी अच्छी बातें करनी चाहिए।
भात - मेरी माताजी ने मेरे लिए भात बनाया है।
फूल - मेरी बगिया में अच्छे अच्छे फूल खिले हैं।
मूल - हर समस्या के मूल में ईर्ष्या होती है।
दाना - चिड़ियाँ दाना चुगती है।
धान - धान के पौधे बड़े बड़े होते है।
फल - मेहनत का फल हमेशा अच्छा होता है।
पल - दुःख के पल जल्दी कट जाते हैं।
चिड़िया और चुरुंगुन कविता के शब्दार्थ
फुनगी - वृक्ष या शाखा का सिरा
भरमाया - भ्रम में पड़ गया।
बाट - राह ,रास्ता
तरु - वृक्ष ,पेड़
अनिवार - लगातार
अज्ञात - अनजान ,जिसके बारे में कुछ पता न हो।
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