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हम धरती के लाल - शील
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हम धरती के लाल कविता का अर्थ व्याख्या
देश हमारा, धरती अपनी, हम धरती के लाल
नया संसार बसाएँगे, नया इंसान बनाएँगे।
सुख-स्वप्नों के स्वर गूँजेंगे, मानव की मेहनत पूजेंगे,
नयी कल्पना, नयी चेतना की हम लिए मशाल
समय को राह दिखाएँगे।
व्याख्या - पंक्तियों में कवि ने बताया है कि नयी पीढ़ी के बच्चे उर्जा से भरे हुए हैं। वे भारत देश को अपना मानते हुए कहते हैं कि देश हमारा है। यह धरती भी अपनी है। इस धरती की हम संतान अर्थात धरती पुत्र है। हम इस संसार को परिवर्तित करने के लिए वचनबद्ध है और यहाँ बसने वाले मनुष्यों को नया रूप दिया जाएगा। नयी धरती पर हर तरफ सुख ही सुख होगा। हर मनुष्य को उसके श्रम के अनुसार पारिश्रमिक प्राप्त होगा। इस प्रकार हर तरफ नयी कल्पनाएँ पल्लवित होगी। मनुष्य को नयी चेतना देते हुए हम आने वाले समय में लोगों का मार्गदर्शन करेंगे।
हम धरती के लाल कविता
एक करेंगे हम जनता को, सीचेंगे समता ममता को,
नयी पौध के लिए पहन कर जीवन की जयमाल
रोज त्योहार मनाएँग़े।
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि का मानना है कि बच्चों को कहना है कि सारी जनता के बीच जो भेदभाव है ,उन मतभेदों को भुलाकर उन्हें एक करना है। समस्त मतभेदों को समानता के आधार पर ममत्व से बराबर करना है। आने वाली पीढ़ियों के जीवन को खुशहाल करने के लिए हम जीवन को आदर्श बनाकर चलेंगे ,जिससे हमारा जीवन खुशियों से भर जाए और हम आनंद मनाते हुए रोज त्यौहार मनाएं।
सौ-सौ स्वर्ग उतर आएँगे, सूरज सोना बरसाएँगे
दूध पूत के लिए बदल देंगे तारों की चाल
नया भूगोल बनाएँगे, नया संसार बनाएँगे।
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि का मानना है कि बच्चे मान रहे हैं कि वे अपने परिश्रम से धरती पर स्वर्ग जैसा वातावरण पैदा कर देंगे। धरती इस प्रकार परिवर्तित हो जायेगी जैसे धरती पर उगने वाला सूरज की किरने सोना बरसायेगी। आने वाली पीढ़ियों के लिए हम ग्रहों - नक्षत्रों की चालों को बदल देंगे। इस प्रकार हम संसार का भूगोल ही परिवर्तित कर देंगे और वह संसार नया होगा।
हम धरती के लाल कविता के प्रश्न उत्तर
कविता से
नीचे लिखी पंक्तियाँ पढ़कर उत्तर दो
(क) “नया संसार बसाएँगे, नया इंसान बनाएँगे।“
तुम्हारे विचार से नया संसार बसाने और नया इंसान बनाने की जरूरत है या नहीं? कारण भी बताओ।
क. कविता में नया संसार बसाने व नया इंसान बनाने की बात कही गयी है। आज दुनिया को बदलने की बड़ी ही आवश्यकता है। लोग स्वार्थ वश एक दूसरे के पीछे आत्म सिद्धि में लगे हुए हैं। कोई दूसरे के बारे में सोचना नहीं चाहता है। नए संसार में सबसे आपस में भाई - चारा होगा। लोग आपस में हिंसा करने को तत्पर नहीं होंगे।
(ख) “रोज त्योहार मनाएँगे।“
तुम्हारे विचार से क्या रोज त्योहार मनाना उचित है? क्यों?
ख. रोज त्यौहार मनाना उचित नहीं है। त्यौहार मनाने में खर्च आते हैं। मंहगाई के कारण खर्च करना सुलभ नहीं है। अतः त्यौहार कभी कभी ही मनाना चाहिए। कविता में त्यौहार की बातें अलग संगर्भ में की गयी है। उनके अनुसार जीवन इतना परिवर्तित रहेगा कि वहां हर्ष उल्लास का वातावरण रहेगा।
(ग) “सौ सौ स्वर्ग उतर आएँगे, सूरज सोना बरसाएँगे।
दूध पूत के लिए बदल देंगे तारों की चाल।“
क्या ऊपर लिखिए बातें संभव हो सकती हैं? कारण भी पता करो?
ग. कविता में लिखी गयी बातें संभव हो सकती हैं। आज तकनीक का जमाना है। मनुष्य मंगल ग्रह और चंद्रमा तक अपनी पहुँच बना चुका है। इस प्रकार सूरज से हम उर्जा लेते हैं। आम जनता की भलाई के लिए तकनीक का सहारा ले रहे हैं। लोग पहले से ज्यादा खुशहाल है। अतः आज आर्थिक तरक्की होने के कारण लोग खुश है।
(घ) कवि ‘हम धरती के लाल’ ही क्यों कहना चाहते हैं?
घ. कवि के अनुसार हम धरती के लाल है। हम धरती पर ही जन्म लेते हैं और मृत्यु को ही वरण करते हैं। धरती हमारी माता है। सारे जीवधारियों का निवासस्थान यह धरती ही है। हम मनुष्य भी इस धरती पर जन्म लेते हैं। इस प्रकार हम धरती पुत्र हैं।
३. शब्द सज्जा
(क) ‘हम नया भूगोल बनाएँगे।’ ऊपर लिखी पंक्ति में ‘भूगोल’ शब्द की जगह और कौन-कौन से शब्द आ सकते हैं? नीचे दिए गए बॉक्स में से छाँटो और कुछ शब्द स्वयं सोचकर लिखो।
क.उत्तर निम्नलिखित है -
संसार ,इंसान ,दुनिया ,इतिहास ,विश्व ,राष्ट्र।
ख. नीचे लिखे शब्दों को तुम्हारे घर की भाषा में क्या कहते हैं ?
ख. उत्तर निम्नलिखित है -
क. देश - राष्ट्र।
ख. धरती - जमीन
ग. दूध - दूध।
घ. जनता - लोगबाग।
ङ त्यौहार - उत्सव
च. इंसान - आदमी
हम धरती के लाल कविता का शब्दार्थ
लाल - पुत्रसंसार - दुनिया
स्वर - ध्वनि
राह - मार्ग
स्वप्न - सपना
समता - बराबरी का भाव
पूत - पुत्र ,बेटा
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