Class 8 Sankshipt Budhcharit Chapter 5 Mahaparinirvan

SHARE:

Class 8 Sanchipt Budhcharit Chapter 5 Mahaaparinirvaan class 8 hindi ncert cbse bihar board Nirvan ki aur Lacchviyo par anugrah Sankshipt Budhcharit

महापरिनिर्वाण संक्षिप्त बुद्धचरित



हापरिनिर्वाण निर्वाण की ओर संक्षिप्त बुद्धचरित Class 8 Sanchipt Budhcharit Chapter 5 Mahaaparinirvaan class 8 hindi cbse ncert Class 8 Sanchipt Budhcharit Chapter 5 Mahaaparinirvaan Bihar Board Hindi Class 8 Sanchipt Budhcharit Chapter 5 Mahaparinirvan part 1 Bihar Board Hindi Class 8 Sanchipt Budhcharit Chapter 5 Mahaparinirvan part 2 class 8 sanchipt budhcharit chapter 5 mahaparinirvan part 2 Lacchviyo par anugrah 


Class 8 Sankshipt Budhcharit Chapter 5 Mahaparinirvan Summary

प्रस्तुत पाठ संक्षिप्त बुद्धचरित पुस्तक से लिया गया है | इस अध्याय में महात्मा बुद्ध के निर्वाण प्राप्ति का उल्लेख है, जिसे बौद्ध ग्रंथों में महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है | प्रस्तुत अध्याय के अनुसार गौतमबुद्ध ने जब निर्वाण की ओर जाने की बात कही और संसार से देह त्याग कर मृत्यु लोक की ओर अग्रसर होने के लिए संदेश दिया तब आम्रपाली बुद्ध के पास आयी और भगवानबुद्ध के उपदेश सुनकर और उन्हें भिक्षा के लिए निमंत्रण देकर उन्हें अपने घर आने का आग्रह किया | जब भगवान बुद्ध ने उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया तब आम्रपाली उनसे विदा लेकर वापस आ गई। तभी लिच्छवी सामन्तों को पता चला कि भगवान बुद्ध आम्रपाली के उद्यान में विराजमान हैं। फिर वे सभी भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए निकल गए |  अपनी-अपनी सवारी सजाकर और उनके पास जाकर उनको नमस्कर करके जमीन पर बैठ गए। बुद्ध ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा कि धर्म में आप लोगों की श्रद्धा आपके राज्य, बल और रूप से भी अधिक मूल्यवान है। मैं जनता को भाग्यशाली मानता हूँ कि उन्हें आप जैसा राजा मिला है। आप सभी अहंकार को भूल कर ज्ञान को प्राप्त कीजिए |  उन्होंने भगवान बुद्ध का उपदेश सुनकर उन्हें सर झुकाकर प्रणाम किया और उन्हें भिक्षा के लिए  निमंत्रण दिया, किन्तु उन्होंने बताया कि वे आम्रपाली का निमंत्रण पहले ही स्वीकार कर चुके हैं। यह सुनकर लिच्छवियों को बुरा तो लगा लेकिन महामुनि के उपदेशों के कारण वे शांत होकर घर चले गए | 

                  प्रातः काल आम्रपाली ने महामुनि का अतिथि सत्कार किया और भगवान बुद्ध आम्रपाली से भिक्षा लेकर चार मास के लिए वेणुमती नगर चले गए। वर्षा काल के बाद वैशाली वापस आकर वे मर्कट नामक सरोवर के तट पर निवास करने लगे। जब वे एक वृक्ष के नीचे बैठे थे तो मार ने आकर उन्हें कहा कि हे महामुनि अब आपके निर्वाण का समय आ गया है। आप बहुतों को मुक्त कर चुके हैं और कई तो मुक्ति के मार्ग पर हैं उन्हें भी मुक्ति मिल जाएगी। तब तथागत ने कहा कि तुम चिंता मत करो मैं आज से तीसरे माह निर्वाण प्राप्त करूँगा मैं प्रतिज्ञा पूरी कर चुका हूँ। यह सुनकर मार बहुत प्रसन्न हुए और चले गए। मार के जाने के बाद महामुनि अपने प्राण वायु को चित्त में ले गए और उसे चित्त से जोड़कर योग साधना द्वारा समाधि प्राप्त की।

           उनके समाधि से पृथ्वी कापने लगी, चारों ओर गरजन होने लगी, उल्का पात होने लगा, प्रलयकालीन हलचल मच गई , इस प्रकार मृत्यु लोक, दिव्यलोक और आकाश में हुई हलचल के कारण महामुनि ने समाधि से निकल कर कहा कि- आयु से मुक्त मेरा शरीर अब जर्जर हो गया यह उस रथ के समान है जिसकी धुरी नहीं होती। मैं इसे बस अपनी योगबल के सहारे ढो रहा हूँ | 

                  भगवान बुद्ध के शिष्य आनन्द ये सब हलचल देखकर बेहोश हो गए | कुछ देर बाद जब उनको होश आया तो उसने महामुनि से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि अब धरती में मेरा निवास का समय पूरा हो गया है | आज से तीन माह बाद में निर्वाण को प्राप्त कर लूँगा। ये सब सुनकर आनन्द को आघात हुआ वो दुखी हो गया और विलाप करने लगा। फिर भगवान बुद्ध ने उसे कहा कि तुम्हें मैंने सब सीखा दिया है | अब तुम्हें ही मेरे द्वारा चलाए गए इस धर्म को आगे बढ़ाना है। कोई भी प्राणी अमर नहीं है तुम्हें इसे समझना होगा। इसी बीच लच्छीवियों
Class 8 Sankshipt Budhcharit Chapter 5 Mahaparinirvan
महापरिनिर्वाण

को यह सूचना मिली और वे बुद्ध से मिलने आए, उन्हें प्रणाम किया और विलाप करने लगे उन्हें भी महामुनि ने उपदेश दिया कि यह प्रकृति का नियम है | शरीर तो क्षण भंगुर है इसे तो देह त्याग कर जाना ही होगा। और वे उत्तर दिशा की ओर चले गए। जैसे ही वे वैशाली को छोड़ कर गए वहाँ राहु से ग्रसित सूर्य की तरह प्रभा शून्य हो गया उस रात वैशाली में किसी के घर भोजन नहीं बना |  सभी दुखी थे और उनके पीछे गए लोग वापस आ गए। बुद्ध ने वैशाली को मुड़ कर देखा और कहा कि अब मैं यहाँ कभी वापस नहीं आऊँगा। और वे भोगवती नगरी की ओर चल पड़े यहाँ कुछ समय रहने के बाद अपने अनुयायियों को उपदेश देकर की आप सभी धर्म का अनुसरण करें मैने जो सिखाया है वे सब विनय है। और जिसमें विनय नहीं है उसका अनुसरण ना करे। इसके बाद वे पापा पुर की ओर प्रस्थान किए | वहाँ मल्लों ने उनका उत्सव के साथ स्वागत किया। उन्होंने वहाँ अपने शिष्य चन्दू के घर अंतिम भोजन किया। और चन्दू को उपदेश देकर कुशीनगर की ओर प्रस्थान कर चले गए। भगवान बुद्ध ने चन्दू के साथ इरावती नदी पार कर एक सुंदर उपवन में सरोवर के तट पर कुछ देर आराम किया। उसके बाद भगवान बुद्ध हिरण्यवती नदी में स्नान किया और आनंद को आदेश दिया कि हे आनन्द, इन दोनों साल वृक्ष के बीच मेरे लिए शयन तैयार करो, हे महाभाग ! आज रात्रि के उत्तर भाग में तथागत निर्वाण प्राप्त करेंगे। आनंद ने शयन तैयार के उन्हें अनुग्रह कर लेटने को कहा। हे भगवन शयन तैयार है महामुनि हाथ का तकिया लगाकर , एक पैर पे दूसरा पैर रखकर , शिष्यों के उन्मुख दायीं करवट लेकर लेट गए। उस वक्त सारा संसार निःशब्द था पशु-पक्षी मौन हो गए। शिष्यों को अंतिम लक्ष्य प्राप्त करने की शीघ्रता होने लगी। 


भगवान बुद्ध ने आंनद को कहा हे आनंद तुम मल्लों को मेरे प्रयाण की सुचना दे तो ताकि वो भी निर्वाण देख लें, बाद में उन्हें पश्चाताप न हो। सूचना सुनते ही मल्लों ने आँसू बहाते हुए भगवान चरणों में पहुँच गए । सब को दुखी देखकर भगवान ने कहा आनंद के समय दुखी होना ठीक नहीं है। यह तो मेरा सौभाग्य है, जो आज मुझे यह अवसर मिला है | भगवान बुद्ध सबको समझा कर धर्म के मार्ग पर चलने का उपदेश दिए। अब सभी मल्लों ने महामुनि का दर्शन किया उनको प्रणाम करते हुए उनके उपदेश का पालन करते हुए घर वापस जाने लगे | 

मल्लों के जाने के बाद सुभद्रा नाम का एक त्रिदंडी सन्यासी उनसे मिलने आया | आनंद ने उसे भगवान से मिलने को मना किया लेकिन भगवान बुद्ध ने उसे पास आने की अनुमति दे दी सुभद्रा सुगत के पास गया और उन्हें सविनय प्रणाम करते हुए बोला कि  हे भगवन, मैंने सुना है कि आपने जो मोक्ष का मार्ग अपनाया है वह सबसे अलग है |   कृपापुंज हव मार्ग कैसा है मुझे भी बताने की कृपा करें, मैं जिज्ञासु होकर यहाँ आया हूँ | विवाद के लिए नहीं | सुभद्रा के प्रार्थना करने पर तथागत ने उन्हें अष्टांग मार्ग के बारे में बताया यह सुनकर वह बहुत खुश हुआ | जैसे किसी राहगीर को भटका रास्ता मिल गया हो । सुभद्रा ने भगवान से कहा कि आपका दर्शन मात्र मेरे लिए नहीं होगा | अतः आप आज्ञा दीजिए की पहले मैं निर्वाण को प्राप्त कर लूँ और आदेश मिलते ही वह शैल की तरह बन गए भगवान ने शिष्यों को उनके अन्तिम संस्कार का आदेश दिया और कहा कि सुभद्रा मेरा अंतिम और उत्तम शिष्य था। 

अब आधी रात को भगवान ने सभी शिष्यों को बुलाया अंतिम उपदेश दिया-उन्होंने कहा मेरे निर्वाण के बाद आप सब को इस प्राति मोक्ष को ही अपना आचार्य प्रदीप मानना चाहिए। आपको उसी का स्वाध्याय करना चाहिए | आचरण करना चाहिए वही मोक्ष प्राप्त का साधन है। उन्होंने सारे नियम बताए और कहा कि मैंने गुरु का कर्त्तव्य निभाया है | अब आप लोग साधना करो विहार, वन पर्वत जहाँ भी रहो धर्म का आचरण करो | यदि मेरे बताए आर्यों में कोई शंका हो तो पूछ लो। सभी मौन बैठे रहे। अनिरुद्ध ने कहा कि हमें कोई भ्रम नहीं है। अनिरुद्ध से भगवान ने कहा कि सभी की मृत्यु निश्चित है | अब मेरे संसार में रहने से कोई काम नहीं | स्वर्ग और भू लोक में जो भी दीक्षित होने योग्य थे वे हो गए। अब इन्हीं के द्वारा मेरा धर्म जनता में प्रचलित होगा। और संसार में स्थायी शांति होगा | तुम लोग शोक त्याग कर जागरूक रहो मेरा यही अंतिम वचन है | 

यही कहकर भगवान बुद्ध ध्यान के माध्यम से सदा के लिए शांत हो गए। यह संदेश सुनकर सभी आकाश के देवतागणों ने उन्हें पुष्प श्रदांजलि अर्पित की और कहा कि यहाँ सभी नश्वर है। यह संदेश सुनकर सभी मल्लों ने रोते हुए भगवान के पास आ पहुँचे। मल्लों ने उनके शव को सुंदर स्वर्णिम शिविका में स्थापित किया । सुंदर फूलों से सजाया। उनके शव-शिविका को मध्य नगरी से लेकर हिरण्यवती नदी पार कर ले गए उनके मुकुट चैत्य के पास चंदन, अरुग तथा वल्कल आदि से चित्त बनाई और दिया जलाकर उनको अग्नि दिया गया | लेकिन उनका शव जल नहीं रहा था | जब उनके प्रिय शिष्य काश्यप पहुँचे भगवान को दण्डवत प्रणाम किया और अग्नि दी तो उनका शव जल गया।। अब भगवान बुद्ध के अस्थियों को धोकर उसे स्वर्णकलश में रखा दिया। भगवान बुद्ध के अस्थियों को मंगलमय और अमुल्य माना गया |  आस पास के राजाओं ने दूत भेजे | उनके अस्थियों को अपने राज्य ले जाने के लिए लेकिन मल्लों ने मना कर दिया। इस बात से 7 राज्य के राजा नाराज होकर युद्ध के लिए तैयार हो गए | इधर मल्लों ने भी युद्ध की तैयारी कर ली | सभी राजाओं ने चारों तरफ से मल्लों को घेर लिया। इसी बीच एक ब्राह्मण ने राजाओं को समझाया कि युद्ध उसका उचित उपाय नहीं है | शान्त होकर इसका मार्ग निकालना चाहिए नहीं तो अनर्थ हो जाएगा। राजाओं ने ब्राह्मण की बात मान ली फिर उस ब्राह्मण ने मल्लों  को भी समझाया और शान्ति से बात का हल निकल गया | उनके अस्थियों का विभाजन करके 8 भाग कर दिया गया 7 राजाओं ने अपने-अपने राज्यों में बुद्धस्तूप बनवाए और एक मल्लों ने स्तुप बनाया |  इस तरह से उनके अस्थियों के 8 स्तूप का निर्माण हुआ | उस ब्राह्मण ने जिस कलश में शव रखे थे उसे लेजाकर स्तूप का निर्माण किया 10 वां स्तूप उनके रखों से बना इस तरह से स्तूप बनाकर उनकी पूजा-अर्चना कर अंखड ज्योति जलाई। इसके बाद भगवान बुद्ध के उपदेशों का संग्रह करने का कार्य आनंद को सौंपा गया क्योंकि उन्होंने भगवान के सारे उपदेश सुने थे | उन्होंने आगे का कार्य सम्भाला और धर्म का प्रचार-प्रसार किया | 

कालांतर में देवनाम प्रियदर्शी का जन्म हुआ। उन्होंने जनहित के लिए धातू गर्भित स्तुपों से धातु लेकर बहुत सारे स्तुपों का निर्माण करवाया। इस कारण उन्हें चण्ड अशोक, धर्म राज अशोक कहा जाने लगा। उनका कहना था कि भगवान बुद्ध से ज्यादा पूज्य और कौन हो सकता है, जिसने जन्म, जरा, व्यधि, और मृत्य से स्वयं मुक्त होकर सारे संसार को मुक्ति का मार्ग दिखाया है। इस तरह से भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद उनके अस्थियों को जगह-जगह स्तूप के रूप में स्थापित करके उनकी पूजा की जाती है...| 

---------------------------------------------------------



Sankshipt Budhcharit Mahaparinirvan Question Answer


प्रश्न-1 मार ने बुद्ध को क्या याद दिलाया ? उत्तर में बुद्ध ने क्या कहा ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, मार ने बुद्ध को याद दिलाया कि वे बहुत से लोगों को मुक्त कर चुके हैं या उन्हें मुक्ति के मार्ग पर प्रशस्त कर चुके हैं, इसलिए उन्हें निर्वाण ले लेना चाहिए | उत्तर में बुद्ध ने कहा कि पीड़ित और पापियों का उद्धार कर लेने के पश्चात वे उस दिन से तीसरे महीने में निर्वाण प्राप्त कर लेंगे | 

प्रश्न-2 आनंद कौन था ? उसे क्या जानकर आघात लगा ? 

उत्तर- 
आनन्द भगवान बुद्ध का प्रिय शिष्य था | उसे बुद्ध के निर्वाण की बात जानकर आघात लगा | 

प्रश्न-3 तथागत ने परिनिर्वाण से पूर्व मल्लों को क्या समझाया ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, तथागत ने परिनिर्वाण से पूर्व मल्लों को समझाया कि जिस तरह किसी रोग को ठीक करने के लिए वैद्य का दर्शन काफी नहीं, बल्कि औषधि की भी आवश्यकता होती है। उसी तरह धर्म को प्राप्त करने के लिए भी बुद्ध के दर्शन और धर्म को अच्छी तरह से समझना पड़ेगा | 

प्रश्न-4 अपने अंतिम उपदेश में बुद्ध ने अपने शिष्यों से क्या कहा ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, अपने अंतिम उपदेश में बुद्ध ने अपने शिष्यों से कहा कि प्रतिमोक्ष के राह पर चलने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है |

प्रश्न-5 मल्लों और पड़ोसी राजाओं के बीच युद्ध की संभावना क्यों उत्पन्न हो गई ? यह संघर्ष कैसे टल गया ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, मल्लों और पड़ोसी राजाओं के बीच युद्ध की संभावना इसलिए उत्पन्न हो गई, क्योंकि बुद्ध की अस्थियों को मल्ल अपने पास रखना चाहते थे और 7 राज्य के पड़ोसी राजा भी उन अस्थियों को अपने साथ ले जाना चाहते थे | तत्पश्चात् एक ब्राह्मण ने दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की और बुद्ध की अस्थियों का विभाजन 8 भागों में कर दिया गया | अत: इस प्रकार यह संघर्ष टल गया | 

प्रश्न-6 भगवान बुद्ध के उपदेशों को संग्रह करने का भार किसे सौंपा गया और क्यों ? 

उत्तर- भगवान बुद्ध के उपदेशों को संग्रह करने का भार आनंद को सौंपा गया | क्योंकि उसने हर वक़्त बुद्ध के साथ रहकर उनके उपदेशों को सुना था |



COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1474,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,38,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,6,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,10,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,47,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,8,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,15,यशपाल,15,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,2,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,33,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,269,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,431,हिंदी लेख,531,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,182,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,423,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,679,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,67,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,7,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,4,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,51,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: Class 8 Sankshipt Budhcharit Chapter 5 Mahaparinirvan
Class 8 Sankshipt Budhcharit Chapter 5 Mahaparinirvan
Class 8 Sanchipt Budhcharit Chapter 5 Mahaaparinirvaan class 8 hindi ncert cbse bihar board Nirvan ki aur Lacchviyo par anugrah Sankshipt Budhcharit
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh2EsMiwwuBO7Hyl11aADFspxZPMss01RyjwI3BVE-iuMPvvtaJX0pyaBI4MRYunht85XqqYG5_vC6AgBhqcIA8qMUHGny1jZZhBqFcxTfkuHULPd2bBa7rl_QMkqyw4CTUnsYGGZbNqPqi/s16000/sankshipt-budhcharit-mahaparinirvan.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh2EsMiwwuBO7Hyl11aADFspxZPMss01RyjwI3BVE-iuMPvvtaJX0pyaBI4MRYunht85XqqYG5_vC6AgBhqcIA8qMUHGny1jZZhBqFcxTfkuHULPd2bBa7rl_QMkqyw4CTUnsYGGZbNqPqi/s72-c/sankshipt-budhcharit-mahaparinirvan.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/05/sankshipt-budhcharit-mahaparinirvan.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/05/sankshipt-budhcharit-mahaparinirvan.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका