आठवां आम चुनाव 1984 : दिवंगत इंदिरा के लिए जनता का प्यार, कांग्रेस को रेकॉर्डतोड़ सीट
आठवां आम चुनाव 1984 : दिवंगत इंदिरा के लिए जनता का प्यार, कांग्रेस को रेकॉर्डतोड़ सीट
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में देश का आठवां लोकसभा चुनाव हुआ । इस चुनाव से पहले देश और खासकर सिखों ने बहुत कुछ झेला । इंदिरा गांधी की हत्या, राजीव गांधी का प्रधानमंत्री बनना और फिर हिंसा का दौर शुरू होना । कहा जाता है कि हिंसा रोकने की राजीव सरकार ने कोशिश भी नहीं की, जिसका उन्हें 8वें आम चुनाव में खूब फायदा मिला । चुनाव के बाद शाह बानो केस और फिर राम मंदिर के मामले ने देश की सियासत और राजीव गांधी की इमेज को भी बदला ।
सिखों पर अत्याचार और राजीव का वह पेड़ वाला बयान
इंदिरा की हत्या के दिन ही राजीव गांधी को प्रधानमंत्री की शपथ दिला दी गई । इसके साथ ही वह भारत के सबसे कम उम्र के पी.एम. भी बन गए थे । तब राजीव 40 साल के थे । इंदिरा की मौत की खबर आते ही राजधानी दिल्ली समेत देशभर में हिंसा की घटनाएं हुईं । अगले 72 घंटों तक देश दंगों की आग में जलता रहा । दंगाइयों की भीड़ ने जगह-जगह सिखों का कत्लेआम किया । राष्ट्रपती ज्ञानी जैल सिंह के पास सिखों द्वारा कुछ करने के लिए लगातार फोन आते रहे । उनकी तरफ से राजीव को वक्त-वक्त पर कुछ करने को कहा गया, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात वैसे ही रहे । इसी बीच राजीव का बयान 'भारी पेड़ गिरता है तो आसपास की धरती हिलती है' खूब चर्चाओं में रहा । लोगों ने इसके अपने-अपने मायने निकाले ।
कांग्रेस को रेकॉर्डतोड़ सीटें, टी.डी.पी. का कमाल
इंदिरा की हत्या के बाद नवंबर 1984 में लोकसभा चुनाव हुए । भावनाओं में बहकर लोगों ने राजीव को जमकर वोट दिया । 514 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को 404 सीट मिलीं । वहीं 27 सीटों पर बाद में चुनाव हुआ था, जिसमें से 10 में कांग्रेस को जीत मिली थी । इस चुनाव में आंध्र प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी तेलगु देशम पार्टी (टी.डी.पी.) ने भी अपनी पहचान बनाई । एन. टी. रामा राव की इस पार्टी को 30 सीटें मिली थीं, जिससे वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई । वह पहली क्षेत्रीय पार्टी थी जो राष्ट्रीय स्तर का विपक्षी दल बना था । 1984 के लोकसभा चुनाव में 25,62,94,963 लोगों ने मतदान किया था । चुनाव में कुल 37 पार्टियां उतरी थीं । जिसमें से कांग्रेस का वोट शेयर 48.1 प्रतिशत था ।
भारतीय जनता पार्टी ने दर्ज करवाई उपस्थिति
6 अप्रैल 1980 को स्थापित हुई भारतीय जनता पार्टी ने 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई । अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता वाली इस पार्टी के लिए यह पहला चुनाव था । इसमें उसे सिर्फ 2 सीटों से संतोष करना पड़ा था ।
शाह बानो केस और राजीव गांधी का विवादित बिल
राजीव गांधी यंग लीडर के तौर पर अपनी इमेज बना ही रहे थे कि शाह बानो तलाक केस सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया । गुजारा भत्ते का यह केस निचली अदालतों से ऊपर पहुंचा था । कोर्ट ने शाह बानो के हक में फैसला सुनाते हुए मेहर के अलावा हर महीने 500 रुपये गुजारा भत्ता देने को कहा । सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया । उन्होंने इसे धर्म और शरियत में दखल माना । शुरुआत में राजीव सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन में थे । लेकिन मुस्लिम समर्थन जाता देख 1986 में वह एक बिल लाए । जिसके मुताबिक, मस्लिम पुरुषों को मेहर और गुजारा भत्ता सिर्फ तीन महीने तक ही देना था । इस बिल का दोनों सदनों में विरोध हुआ, लेकिन आखिरकार यह पास हो गया । बिल आने के बाद से राजीव सरकार पर मुस्लिमों को 'खुश' करने के आरोप लगते रहे । इसी बीच अचानक अयोध्या के राम मंदिर का ताला खोल दिया गया । इतना ही नहीं उसका सीधा प्रसारण तक दूरदर्शन पर दिखाया गया । माना जाता है कि हिंदुओं को खुश रखने के लिए उठाया गया यह कदम राजीव की बड़ी गलतियों में से एक था । कुछ यह भी मानते हैं कि विश्व हिंदू परिषद उन दिनों राम मंदिर का ताला खुलवाने के लिए प्रदर्शन करनेवाला था, उस प्रदर्शन को फ्लॉप करने के लिए राजीव सरकार ने यह फैसला लिया था । हालांकि, ताला खुलने के बाद हिंदू संगठन और सक्रिय हो गए और फिर मंदिर निर्माण की बात होने लगी ।
आठवां आम चुनाव 1984 चुनाव की मुख्य बातें
*आठवीं लोकसभा के लिए जब चुनाव हुए तब साल था १९८४ का । ये चुनाव ०३ दिन तक अर्थात २४ दिसंबर से २८ दिसंबर तक चले ।आठवीं लोकसभा के लिए उस समय २५ राज्यों और ०६ केंद्रशासित प्रदेशों में ५४१ सीटों के लिए चुनाव हुए ।
*देश की आठवीं लोकसभा ३१ दिसंबर १९८४ को अस्तित्व में आई ।
राजीव गांधी |
*उस समय मतदाताओं की कुल संख्या ४०.०३ करोड़ थी ।
*उस समय ६४.०१ % मतदान हुए थे ।
*आठवीं लोकसभा के लिए ५४१ सीटों के लिए हुए चुनाव में कुल ५६७२ उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे जिन में से ४३८२ उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी।
*इस चुनाव में कुल १७१ महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही थी जिन में से ४३ महिला उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुई ।
*५४१ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में ७९ सीटे अनुसूचित जाती के लिए और ४१ सीटे अनुसूचित जनजाती के लिए आरक्षित रखी गई थी ।
*आठवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में ३३ राजनीतिक दलों ने भाग लिया था जिन में से राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की संख्या ०७ और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की संख्या १७ थी जबकि ०९ पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दल भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आज़मा रहे थे ।
*राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने कुल १३०७ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे, जिन में से ३८७ उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के ४६२ उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुए थे । इस चुनाव में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को कुल वोटों में से ७९.८० % वोट मिले थे ।
*इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों ने कुल १६५ उम्मीदवार खड़े किए थे। रिकॉर्ड के अनुसार इन १६५ प्रत्याशीयों में से ४५ प्रत्याशीयों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी और ६६ प्रत्याशी लोकसभा में पहुंचे थे। इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों को कुल वोटो में से ११.५६ % वोट मिले थे।
*इस चुनाव में पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों ने १२६ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे। इन १२६ उम्मीदवारों में से १२० उम्मीदवार अपनी ज़मानत बचाने में भी विफल रहे जबकि कोई भी उम्मीदवार लोकसभा तक पहुँचने में सफल नहीं हुआ। इस चुनाव में पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों को कुल वोटो में से ०.७२ % वोट मिले थे।
*इस चुनाव में कुल ३८९४ निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। इन ३८९४ निर्दलीय उम्मीदवारों में से १३ उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुए थे। कुल वोटो में से ७.९२ % वोट निर्दलीय उम्मीदवारों ने प्राप्त किए थे जबकि ३८३० निर्दलीय उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त होने का रिकॉर्ड मौजूद है।
*इस चुनाव में कांग्रेस सब से बड़े दल के रूप में सामने आया। ५४१ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में कांग्रेस के ५१७ उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। इन में से ४१४ उम्मीदवार जीत दर्ज करा कर लोकसभा पहुँचने में सफल हुए तो वही ०५ उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त होने का उल्लेख भी रिकॉर्ड में मौजूद है। इस चुनाव में कांग्रेस को कुल वोटो में से ४९.१० % वोट मिले थे।
*मार्क्सवादी कम्युनिस्ट दल (सी.पी.एम.) दूसरा सब से बड़ा दल बन कर उभरा था। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट दल (सी.पी.एम.) ने कुल ६४ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे। इन ६४ उम्मीदवारों में से ०९ उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हुई थी जबकि २२ उम्मीदवार लोकसभा पहुँचने में सफल हुए थे। जनता दल (धर्मनिरपेक्ष) को कुल वोटों में से ५.८७ % वोट मिले थे।
*उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी उस समय आठवीं लोकसभा के लिए हुए इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के अमेठी चुनाव क्षेत्र से चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे थे।
*सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि आठवीं लोकसभा के लिए हुए इस चुनाव में ८१,५१,३४,००० (८१ करोड़, ५१ लाख, ३४ हज़ार रुपये) रुपये की राशि खर्च हुई थी ।
*उस समय श्री आर. के. त्रिवेदी भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त हुआ करते थे, जिन्होंने ये चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
*आठवीं लोकसभा २७ नवंबर १९८९ को भंग की गई।
*इस चुनाव के बाद आठवीं लोकसभा के लिए १५ से १७ जनवरी तक शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था।
*आठवीं लोकसभा के सभापती पद हेतु १६ जनवरी १९८५ को चुनाव हुए और श्री बलराम को सभापती और एम. थंबादुराई को उपसभापती के रूप में चुना गया।
*आठवीं लोकसभा के कुल १४ अधिवेशन और ४८५ बैठके हुई। इस लोकसभा में कुल ३५५ बिल पास किए गए थे जिस का रिकॉर्ड मौजूद है।
*आठवीं लोकसभा की पहली बैठक १५ जनवरी १९८५ को हुई थी।
*आठवीं लोकसभा की ५४१ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में ४६२ सीटों पर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने, ६६ सीटों पर राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों ने जबकि १३ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
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