कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए दुखभंजनी साहिब

SHARE:

कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए दुखभंजनी साहिब कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से सारी दुनिया आक्रांत है और कई देश हजारों क्या अब तो लाखों की संख्या में

कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए दुखभंजनी साहिब      


चपन में जहां तक मुझे याद है,जब भी मुझे कभी बुखार होता था , दवाएं देने के बाद मेरे सिरहाने बैठ कर मेरी मां एक पाठ किया करती थी। मुझे शुरुआती दिनों में तो ये पता नहीं था कि यह कौन सा पाठ है और उसका क्या महत्व है। जब मैं कुछ बड़ा हुआ तो मैंने एक बार मां से पूछ ही लिया था कि ये कौन सा पाठ है जो मुझे बुखार होने पर तुम करती हो। मां ने बताया था कि यह दुखभंजनी साहिब का पाठ है। जब भी कोई बुखार, बीमारी या मुसीबत आए तो जहां दवाओं की जरूरत हो वहां दवाओं के साथ यह पाठ भी करना चाहिए जिससे बीमारियां या मुसीबत बहुत जल्दी दूर हो जाती हैं। मैंने भी बात बस सुन ली थी और कभी-कभार इसका प्रयोग किया भी था कभी अपने लिए और कभी अपने बच्चों के लिए ।लेकिन कभी इसकी गहराई में जाने की बात मेरे जेहन में नहीं आई ।

कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए दुखभंजनी साहिब
अभी जब कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से सारी दुनिया आक्रांत है और कई देश हजारों क्या अब तो लाखों की संख्या में अपने नागरिक खो चुकी है और हमारे देश में भी इस वायरस ने लाखों लोगों को आक्रांत कर दिया है और हजारों जानें जा चुकी हैं ।चीन,अमेरिका समेत कई  अति उन्नत देश भी प्रकृति के इस कोप के सामने घुटने टेक चुके हैं तो फिर हमारा तो अभी उन्नतशील देश ही है लेकिन सच कहूं तो आध्यात्म की दृष्टि से वैसे हम अति उन्नत हैं। साल 2020 और अब 2021 भी कोरोना की पहली,दूसरी और शायद तीसरी लहर को भी झेलने के लिए अभिशप्त है। इस बीच कोरोना की वैक्सीन भी एक-एक कर विकसित हो रही हैं और लगाई भी जा रही हैं। संक्रमण कभी बढ़ रहा है और कभी कहीं घट रहा है और उसी को ध्यान में रखते हुए लाॅकडाउन लगाया जा रहा है या फिर ढील दी जा रही है। देश में उपलब्ध वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने और तमाम सावधानियां बरतने के बाद भी मेरे जेहन में  अचानक दुखभंजनी की बात कौंध- सी जाती है।मैं घर में  उस पाठ को कई बार पढ़ता/दुहराता हूं तो धीरे-धीरे मेरे सामने उसके अर्थ भी खुलने लगते हैं।

दुखभंजनी साहिब दरअसल गुरु ग्रंथ साहिब में से चुनिंदा 34 शब्दों का एक विशेष संग्रह है जिसमें दुख संताप का भंजन करने की यानि उससे मुक्त हो जाने की बातें कही गई हैं ।ये सारे शबद यानि पद ही सिख धर्म के पांचवें गुरु अर्जुन देव जी के रचे गए हैं, जिन्होने गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन और संपादन किया था। दुखभंजनी साहिब का  राग बिलावल में एक पद है जिसकी पंक्तियां हैं - 

आई बसहु  घर देस महि इह भले संजोग
 नानक प्रभु सुप्रसन्न भये,लहि गए बियोग 

यानि ये एक संयोग मिला है जीव को अपने ही घर में रहने का यानि एकाग्र चित्त होकर प्रभु सिमरन का अर्थात्  अच्छे कर्म करने का और इसका उसे भरपूर लाभ उठाने का । बांग्ला में एक कहावत है - सापे  बोर होलो यानि शाप ही वरदान साबित हुआ। हम जहां अपनी तेज रफ्तार जिंदगी में सब कुछ भूल चुके थे घर परिवार यहां तक कि अपने आपको भी। अब यह समय है आत्म साक्षात्कार करने का, किसी शायर ने कहा भी है - 

कभी- कभी जिंदगी में यूं भी किया करो 
दुनिया जहान भूल कर खुद से मिला करो 


यही समय है आत्म परीक्षण का। दुनिया के बड़े-बड़े देश जो विज्ञान के चरम तक पहुंचने का दावा कर अपने अहं में फूले नहीं समाते थे उन सब को किसी बड़े परमाणु बम ने नहीं बल्कि प्रकृति द्वारा भेजे गए एक अति सूक्ष्म वायरस ने उस असीम शक्ति के आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है ।दुख भंजनी में संग्रहित एक अन्य पद इस प्रकार है- 

ताती वाओ ना लागई पारब्रह्म सरणाई
चउगिरद हमारे राम कार दुख लगे न भाई 
सतगुरु पूरा भेटिआ, जिनि बणत बनाई 
राम नाम अउखध दीआ,एका लिव लाई
राखि लीए तिनि राखनहार,सब बिआधि मिटाई
कहु नानक किरपा भई,प्रभु भए सहाई।

यानी कि जब कोई मनुष्य एकाग्र चित्त होकर राम नाम की ही दवा लेता है यानी उसी में लीन हो जाता है तो फिर उसके चारों ओर एक लक्ष्मण रेखा- सी खिंच जाती है और उस तक कोई भी गर्म हवा (अभी कोरोना) छू तक नहीं पाती और वह इस दुख से, व्याधि से,हर तरह के आतंक से मुक्त हो जाएगा ।यह समय है ध्यान का, गुरु नानक कहते हैं कि जब वह प्रभु कृपा करता है तो वही रक्षा करता है और सभी रोगों से मुक्त भी कर देता है।

यहां एक बात गौर करने लायक है कि गुरु ग्रंथ साहिब में रचनाएं चाहे जिस भी गुरु की हों, उन सभी ने पदों के अंत में सिर्फ नानक शब्द का ही इस्तेमाल किया है यानि सभी उसी नानक की परंपरा और ज्योति को आगे लेकर चल रहे हैं । यहां यह तथ्य भी उभरता है कि इसमें अपने अहं को त्यागने की भी बात स्पष्ट रूप से सामने आती है और यही शायद ईश्वर प्राप्ति का एक मूल कारक भी है । कहा भी गया है कि- 

जब मैं था तब हरि नहीं,अब हरि है मैं नाहिं 
प्रेम गली अति सांकरी, ता में दो न समाहिं। 

यानि जब मैं मेरा अहंकार था तब हरि नहीं ,अब जहां मेरा मैं मिट गया है वहीं हरि की प्राप्ति है।

इसी मैं ने तो सारा काम बिगाड़ा है,जबकि सारे जहां में उसी अल्ल्लाह,उसी रब के जलवे हैं।  किसी शायर की बात फिर मेरे ज़ेहन में आती है- 

गाफि़ल जरा निगाह से पर्दा हटा के देख 
आलम के ज़र्रे ज़र्रे में जलवे ख़ुदा के देख
जो अब जुदा है, आएगा तुझको ख़ुदा नज़र
नुक्ता जरा निगाह से अपनी हटा के देख

दुखभंजनी में कुछ शबद यानि पद ऐसे समय के हैं जब गुरु अर्जन देव जी के एकमात्र सुपुत्र हरगोबिंद साहिब बचपन में भयंकर रूप से बीमार पड़ गए थे और उनकी स्थिति अच्छी नहीं थी तब गुरु अर्जुन देव जी ने उस अकाल पुरख, उस प्रभु की साधना और आराधना की थी, अरदास की थी तब वे पूर्ण निरोग हो गए थे ।

उस समय के उच्चारित पदों में से एक गुरु ग्रंथ साहिब में पृष्ठ 620 पर अंकित है जो यहां दुखभंजनी साहिब में संकलित है- 

बखसिआ पारब्रह्म परमेसर सगले रोग बिदारे 
गुरु पूरे की सरणी उबरे कारज सकल सवारे 
हरि जन सिमरिया नाम अधार
ताप उतारिआ सतगुरु पूरे अपनी किरपा धार
 सदा आनंद करह मेरे पियारे 
हरि गोविंद गुरु राखिया 
बडी बडिआई नानक करते की
साच सबद सति भाखिआ

यानी कि पारब्रह्म परमेश्वर ने जिस पर भी कृपा कर दी है, उसके सभी दुख रोग दूर कर दिए हैं। गुरु की शरण में जब हम चले जाते हैं तो वह हमारे सभी काम संवार देते हैं और अपनी कृपा से ताप यानि कैसा भी ज्वर हो उसे शांत कर देते हैं, उतार देते हैं। हे मेरे प्यारे, मेरे सुपुत्र हरगोविंद को भी उसी गुरु यानी ईश्वर ने ज्वर से मुक्त किया है इसलिए स्मरण रखो कि वही एकमात्र है जो अनंत शक्तियों का स्वामी है इसलिए हमें उसकी ही स्तुति करनी चाहिए।

उन्होंने इसी तरह के एक और पद में कहा है कि उन्हीं की कृपा से हमारे परिवार का दुख दर्द मिट गया है और वही सभी खुशियों का, रस और रूपों का एकमात्र स्वामी है उसी ने हमारी प्रतिष्ठा की रक्षा की है और वही सारे संसार की रक्षा करने वाला है - 

सरब निधान मंगल रस रूपा हरि का नाम आधारो
 नानक पति राखी परमेसर, उधरिया सब संसारो।

इसलिए हमें आज के इस कठिन समय में,प्रशासन के सभी निर्देशों का पालन करते हुए अपने अपने घरों में एकांत में रहना है और इस समय का पूर्ण रूप से सदुपयोग करते हुए अपने अन्दर छिपी प्रतिभा का विकास भी करना है तथा उस अकाल पुरख के आगे अपनी अरदास करनी है ताकि हम इस कोरोना जैसे खौफनाक वायरस से न सिर्फ अपने और परिवार तथा देश को बल्कि सारी दुनिया की मानवता को ही मुक्त करा सकें और इस अरदास को उसके अंजाम तक पहुंचा सकें- 

नानक नाम चढ़दी कला,तेरे भाणे सरबत दा भला ॰॰॰

विशेष: अगर आप पूरा दुखभंजनी साहिब पढ़ना या सुनना चाहें,तो इसे Play store से डाउनलोड कर सकते हैं।



 

- रावेल पुष्प
संपर्क: नेताजी टावर, 278/ए,एन एस सी बोस रोड कोलकाता- 700047.
मो॰ 9434198898
ईमेल:  rawelpushp@gmail.com

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1474,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,38,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,6,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,10,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,47,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,15,यशपाल,15,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,33,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,269,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,431,हिंदी लेख,531,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,182,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,423,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,679,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,65,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,7,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,4,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,51,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए दुखभंजनी साहिब
कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए दुखभंजनी साहिब
कोरोना वायरस से मुक्ति के लिए दुखभंजनी साहिब कोरोना जैसे जानलेवा वायरस से सारी दुनिया आक्रांत है और कई देश हजारों क्या अब तो लाखों की संख्या में
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-7ioCotcJKt6sqJKPAZPe7nh3-aWGZdCsM6uR7eM-rum9BRVgiTToVExtnZlooDbv1BWpsuXOo6rihfvVu6U7B0Lgnk7doFM41aSI7XvElaY5qnktadKt-OvWMjj_MZYmny7Qq8gjFFJD/s320/IMG-20200329-WA0049.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-7ioCotcJKt6sqJKPAZPe7nh3-aWGZdCsM6uR7eM-rum9BRVgiTToVExtnZlooDbv1BWpsuXOo6rihfvVu6U7B0Lgnk7doFM41aSI7XvElaY5qnktadKt-OvWMjj_MZYmny7Qq8gjFFJD/s72-c/IMG-20200329-WA0049.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/06/dukh-bhanjani-sahib-coronavirus.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/06/dukh-bhanjani-sahib-coronavirus.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका