फैसला - गर्ल्स हॉस्टल पर आधारित कहानी

SHARE:

फैसला - गर्ल्स हॉस्टल पर आधारित कहानी गाँव के स्कूल में ही पढ़ाओ. ये यहाँ चल नहीं पा रही है, अगले साल देखेंगे.

फैसला हिंदी कहानी


स गाँव में अधिकतर किशोर – किशोरियाँ गाय, भैंस और बकरियाँ चराते. खेती के समय खेत पर हो रहे काम में हाथ बँटाते. जब फसल पक जाती तब लड़कियाँ अपनी माँओं के साथ खेतों में लावणी करने जातीं और लड़के ढाँढे – ढोर चराते. 

गाँव का सरकारी स्कूल उन्हें अपनी और खींच नहीं पाया तो क्या ? बाकायदा उनके नाम, रजिस्टर में उनकी उपस्थिति बताते थे. मिड – डे मील का रजिस्टर भी उनके नाम का भोजन पिछले दो साल से खा रहा था. उनके लिए ये जादू नहीं था कि वे बिना स्कूल गए ही कागजों में, आगे की कक्षाओं में बढ़ते जा रहे थे.

मीना मैडम को यह सब कुछ बहुत अखरता उन्होंने खूब सुना था कि जल में रहकर मगर से बैर कौन ले ? लेकिन जब एक बार आदमी, बैर लेने की ठान लेता है तो फिर वह मगर से नहीं डरता. इसलिए साथी शिक्षक से बिना किसी बहसा – बहसी के वह एक दिन उन किशोर – किशोरियों के घर पहुँच गईं और उनके माँ – बाप की समझाइश करते हुए कहने लगीं कि “ये जो तुम्हारे बच्चे भैंस चरा रहे हैं न, वो जिंदगीभर भैंस ही चराएँगे. तुमको पता है कि अपने ब्लॉक में लड़कियों के लिए एक सरकारी हॉस्टल है. उसमें रहकर तुम्हारी बेटियाँ वहाँ पढ़ सकती हैं. उस हॉस्टल में ही उनकी रहने, खाने – पीने, खेलने और पढ़ने की सारी व्यवस्थाएँ होती हैं और तुम लड़कों को हमारे स्कूल में क्यों नहीं भेजते” ?

उस दिन कई माँओं के स्वर एक साथ मैडम के कान से टकराए “काईं होए भेजबा सूं, घणा ही फडया एयाँ ही घूम रह्या छे और फिर म्हांका ढोर डंगर काईं थे चराओगा ? 

अजी, म्हेंह तो कोंण चराऊँ, पर पाछे थांका छोरा – छोरी एयाँ ही रुडता डोलेंगा.

अजी, म्हांका तो रुडबा द्यो.

यह बात इनके समझ में नहीं आएगी कि पढ़ा – लिखा आदमी, ढोर डंगर भी चरा सकता है और बाबू भी बन सकता है. एक पढ़ा - लिखा आदमी, दुनिया जहान की बातें ज्यादा देख समझ तो पाता ही है न ! अब  कैसे बताऊँ इनको कि इनके बच्चों के नाम की रोटी, रजिस्टर पिछले दो साल से खा रहा है. यह बात उस समय मीना मैडम होठों में बुदबुदाकर रह गईं.

फैसला - गर्ल्स हॉस्टल पर आधारित कहानी
मैडम कभी भैंस चरते बच्चों को, तो कभी स्कूल के हैण्डपम्प पर नहाने आईं औरतों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए टोकतीं. बात करते समय तो बच्चे स्कूल आने की ऐसी हामी भरते जैसे कल पढ़ने आ ही जाएँगे लेकिन आते नहीं. कुछ दिनों बाद तो वो मैडम को देखकर दूर से ही भाग जाते. हैण्डपम्प पर आईं औरतें भी कहतीं अजी भेजेंगां – भेजेंगां. पर बच्चों को स्कूल में पढ़ने भेजती नहीं. बच्चों को ये भान था कि अगर वे स्कूल में आएँगे तो उनके तितली जैसे उन्मुक्त जीवन से वे पिंजरे में आ जाएँगे.

जहाँ स्कूल उनकी उपस्थिति बनाए रखते हुए अपना अस्तित्व बचा रहा था वहीं दूसरी ओर, उनके हिस्से की रोटी भी खा रहा था. बहुत रस्साकसी के बाद दो - तीन लड़के तो सप्ताह में एक दो दिन आने लगे लेकिन लड़कियाँ माँओं के साथ खेतों पर ही जाती रहीं. लड़कियों को स्कूल लाना बहुत मुश्किल काम था. कुछ दिनों तक माँ – बाप और बेटियों के बीच हाँ – हाँ, ना – ना चलती रही. मैडम ने भी सुबह – शाम चक्कर काट – काट कर स्कूल और बच्चों के घर एक कर डाले. अब कुछ लड़कियाँ हॉस्टल में जाने को तैयार हुईं तो माएँ अड़ गईं. 

छोरी जात नैं क्यां भेजां ? म्हाँकी छोरी तो कदे बारने गई ही कोने और अब जाणें कितरा दिन की छै बाप का घर में ? 

बड़ी जी – हुज्जत के बाद सुकन्या की माँ, बेटी को हॉस्टल में भेजने के लिए तैयार हो गई तो बाप अड़ गया. 

ओह ! छोरी काईं कलक्टरनी बणेगी ? म्हांके कोन फड़ायें छोरी नै. अब बरस, दो बरस पाछे तो परणाबा की सोचो. छोरी फड जाए तो छोरो भी फढो – लिखो ढूँढो ! 

मैडम का तो उनकी समझाइश करते – करते दम ही निकलने लगा. अब तो झुँझलाकर कभी – कभी वह कहने लगीं “भाड़ में जाएँ, ये तो ऐसे ही रहेंगे”. 

मैडम अब अपने स्कूल आतीं, बच्चों को पढ़ातीं और अपने घर चली जातीं. थोड़े दिनों के बाद कुछ लड़कियों और उनकी माँओं को मैडम की बात में अपना भला समझ आने लगा तो एक दिन गाँव की तीन औरतें और चार लड़कियाँ हॉस्टल के बारे में तहकीकात करने स्कूल में मैडम को ढूँढते - ढूँढते आईं. गाँवभर के घरों में अब बस लड़कियों को हॉस्टल में भेजने की बात होने लगी.

खूब ऊँच – नीच सोच लेने के बाद, गाँव से छह लड़कियाँ हॉस्टल में जाने के लिए तैयार हुईं. सुकन्या सबसे बड़ी थी. उसके साथ पाँच छोटी लड़कियाँ भी हॉस्टल में जाने के लिए तैयार गईं. किसी के माँ – बाप ने अपनी बेटी के लिए एक – एक जोड़ी कपड़े सिलवाए तो किसी ने जूते ला कर दिए. सोना ने जूते पहली बार पहने. हॉस्टल जाने वाले दिन लड़कियाँ बहुत उदास थीं लेकिन इस बात से ख़ुश भी थी कि अब वो भी अपने गाँव में स्कूल की मैडम की तरह पढ़ी – लिखी हो सकती हैं. 

रास्तेभर गाँव की छहों लड़कियों के संरक्षक बन कर गए जग्गू दादा और सोना की दादी. वे दोनों जुगाड़ में बैठे – बैठे उन बेटियों को अपनी इज्जत की ऊँच – नीच समझाते रहे. इस दौरान लड़कियाँ उनकी बातों को चुप रहकर अपनी गाँठ में बाँधती जा रही थीं. 

हॉस्टल आ गया तो जग्गू दादा जुगाड़ से उतर कर आगे – आगे चलने लगे और लड़कियाँ सोना की दादी के साथ पीछे – पीछे. हॉस्टल की वार्डन मैडम ने सबका एडमीशन फार्म भरा और दादा – दादी को आश्वस्त किया कि उनकी लड़कियाँ यहाँ सुरक्षित रह कर पढ़ेंगी. 

यह दिन उन छहों लड़कियों के जीवन में आए एक नए दिन की तरह था. 

हॉस्टल में शुरू – शुरू में तो लड़कियाँ डरी – डरी सी झुण्ड – सा बना कर रहतीं. उन्हें लगता कि और लड़कियाँ उनकी बोली और पहनावे को देखकर गँवार नहीं समझ लें. इसलिए चुप – चुप रहकर कोशिश करतीं कि और लड़कियों और मैडमों की भाषा और और उनके तौर – तरीके वो जल्दी से जल्दी सीख जाएँ. कुछ दिनों बाद तो उनका यहाँ मन भी लगने लग गया. धीरे – धीरे कुछ लड़कियाँ उनकी सहेली भी बन गईं. थोड़ा – थोड़ा पढ़ना – लिखना सीखने लगीं तो उनमें आत्मविश्वास भी आने लगा लेकिन उधर गाँव में मीना मैडम के स्कूल के रमेश मास्टर जी ने तूफ़ान मचा दिया. 

तुम्हारे बच्चों का तो हमने अपने स्कूल के रजिस्टर में नाम लिख रखा है और तुम अपनी लड़कियों को वहाँ हॉस्टल में पढ़ने भेज रहे हो, बुलाओ उनको वापस. वहाँ क्या सीखेंगी वो ? गाँव की गाँव में स्कूल होने पर भी तुम अपनी बेटियों को बाहर भेज रहे हो, पता भी है जमाना कितना ख़राब है ?

अब स्कूल और गाँव में बस एक ही चर्चा कि लड़कियों को हॉस्टल में क्यों भेज दिया ? लोग कहे में आ गए हैं मैडम के, पागल है मैडम तो ! वो क्या जानें गाँववालों की इज्जत ? हमको तो नहीं पढ़ाना हॉस्टल में. बस ! अब ये ही एक मुद्दा गाँ भर के मुँह पर घूमने लगा. अब क्या था ? पंद्रह दिन बाद जग्गू दादा और सुकन्या के पिता उन सभी लड़कियों को वापस लेने चल पड़े. 

हॉस्टल की वार्डन मैडम ने खूब समझाया. 

“देखो, लोग तो ऐसे ही कहते हैं आप तो समझो, आपकी लड़कियाँ पढ़ – लिख जाएँगी तो उनका जीवन बदल जाएगा. आपको मुझ जैसी पढ़ी – लिखी को देखकर अच्छा नहीं लग रहा क्या ? बात तो सही थी पर उधर पूरा गाँव लड़कियों को वापस बुलाने पर तुला था. 

सुकन्या अपनी सहेलियों के गले लगकर फूट – फूट कर रोने लगी.

“दादा, म्हने अंडे ही फडबा द्यो न ! म्हें तो अंडे ही फडूगी”

जग्गू दादा का दिल पसीज गया. छोटी लड़कियों को थोड़ी – थोड़ी घर की याद भी आ रही थी सो वे भागकर घर वापस आने को तैयार हो गईं. पाँचों लड़कियों को ले कर दादा और सुकन्या का बाप वापस गाँव आ गए. 

रमेश मास्टर जी के कलेजे में ठंडक पड़ी. हॉस्टल से लौटी पाँचों लड़कियाँ एक – दो दिन तो स्कूल गईं और फिर सबने अपने – अपने घर के ढाँढे - ढोर संभाल लिए. 

हॉस्टल में सुकन्या की खूब सारी सहेलियाँ बन गईं. वो आपस में खूब - घुल मिलकर रहतीं, एकदूसरे की चोटी गूँथती, एकदूसरे के कपड़े पहन लेतीं, रात को एकदूसरे के कमरों में घुस – घुस कर खूब सारी बातें करतीं. किसको कौन लड़का अच्छा लगता है ? इन दिनों कौन – कौन डाउन है ? किसको आज कौनसा दिन चल रहा है ? गाँव में किस – किस को माताजी आती है ? कौनसी मैडम सुन्दर है ? मैडमें साड़ी में कितनी सुन्दर लगती हैं. किस मैडम के सबसे लम्बे बाल हैं ? ये दुनिया जहान की बातें उनकी खत्म ही नहीं होतीं. वार्डन मैडम के चिल्लाते रहने के बाद भी ये लड़कियाँ, लाईट बंद कर के देर रात तक गुटुर – गुटुर करती रहतीं. 

ये भी बातें होतीं कि वो जो अफसर सर हैं ना, जो मैडम को लेने आते हैं पता है, उनसे उनका चक्कर है. वो उन्हीं मैडम से ज्यादा गप्प ठोकते हैं. लड़कियाँ उनके इशारे पकड़तीं और फिर एकदूसरे को खूब हँस – हँस कर बतातीं. 

कुछ दिनों के बाद मैडम का ट्रांसफर दूसरे जिले में हो गया पर अफसर सर का हॉस्टल में आना – जाना बदस्तूर जारी रहा. कुछ अक्खड़ किस्म के ये सर, अब कभी – कभी आ कर लड़कियों की क्लास भी लेने लगे.

लड़कियों को जब कुछ नहीं आता तो उन्हें समझाने के अंदाज़ में उनका हाथ लड़कियों की पीठ या कंधे पर जा कर ठहर जाता. उनकी पारखी नज़रें भाप जातीं कि इन सवालों के जवाब ये लड़कियाँ नहीं दे पाएँगीं. ऐसे में वे छुट्टी के बाद लड़कियों को कठिन सवाल समझाने के लिए अपने पास बुलाने लगे. सवाल समझने के लिए आज सुकन्या को बुलाया. सुकन्या सर के सामने जा कर खड़ी हो गई. सर ने स्टूल की तरफ इशारा करते हुए उसे बैठने के लिए कहा. स्टूल पर बैठी सुकन्या अपनी कॉपी में आँखें गड़ाए हुए थी लेकिन वह यह भाँप पा रही थी कि सर उसके चेहरे की ओर लगातार देख रहे हैं. सर ने कहा -

“देखो आज जो सवाल तुमने गलत किया वह मैं तुम्हें समझाता हूँ” सर, अपनी कुर्सी को पीछे धकेलते हुए सुकन्या के पास खड़े हो गए. उनका हाथ सुकन्या के कंधे से उतर कर उसके कुरते में फिसल गया. घबराकर सुकन्या बाहर भागी. सर पीछे – पीछे कमरे से बाहर कहते हुए निकले “क्या हुआ बेटा---, इधर आ”. 

सुकन्या भागकर अपने कमरे में घुस गई और फूट – फूट कर रोने लगी. क्या हुआ ? क्या हुआ ? सबकी आँखें बस यही सवाल कर रही थीं. सहेलियाँ लगातार कह रही थीं क्या हुआ, बता तो सही. इतने में वार्डन मैडम आ गईं. 

सर ने बाहर निकल कर चुपचाप गाड़ी अपने घर की ओर बढ़ा दी. 

बातों के पैर नहीं, पर होते हैं. खबर, विभाग के मुख्यालय में उड़ कर पहुँच गई. मुख्यालय से बड़ी मैडम, मामले की जाँच करने आईं. रेलवे स्टेशन पर ही सर, उनकी अगवानी करने पहुँच गए. मैडम को अपनी कार से गेस्ट हाउस पहुँचाया और फिर कार से ही हॉस्टल ले कर पहुँचे. रास्तेभर वे अपने शहर की खासियात बताते रहे. 

मैडम हमारे शहर का बंधेज बहुत प्रसिद्ध है शाम को आपको एक साड़ी दिलवाते हैं यहाँ की, और रसगुल्ले खाए हैं आपने हमारे यहाँ के ? ऐसी ही शहरभर की बातों में हॉस्टल तक का रास्ता पार हो गया. 

हॉस्टल में सामने कुर्सी पर सर बैठे थे. बड़ी मैडम ने सुकन्या को बुलाया. 

सुकन्या आ कर बड़ी मैडम और सर के सामने चुपचाप आ कर खड़ी हो गई.

मैडम ने कहा - 

शर्म नहीं आती तुमको, झूँठ बोलते हुए. क्या समझ रखा है तुमने अपने आप को ? ये एक पढ़े – लिखे  अधिकारी, तुम जैसी गँवार लड़की से छेड़खानी करेंगे ?

सुकन्या के होठ चिपक गए और आँसू गालों पर लुढ़क आए.

बाहर निकलकर मैडम ने फेंसला सुनाया.

अरे बाबा ! कोई बात ही नहीं है. ये गाँव की लड़कियाँ भी न, बहुत झूँठ बोलती हैं. 

अगले दिन सुकन्या के पिता को बुलाकर हॉस्टल की वार्डन मैडम ने कहा –

आपकी लड़की पढ़ाई में जरा कमजोर है, इसे अपने गाँव के स्कूल में ही पढ़ाओ. ये यहाँ चल नहीं पा रही है, अगले साल देखेंगे.



                   - अनुपमा तिवाड़ी, जयपुर  

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,87,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,436,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,428,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,58,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: फैसला - गर्ल्स हॉस्टल पर आधारित कहानी
फैसला - गर्ल्स हॉस्टल पर आधारित कहानी
फैसला - गर्ल्स हॉस्टल पर आधारित कहानी गाँव के स्कूल में ही पढ़ाओ. ये यहाँ चल नहीं पा रही है, अगले साल देखेंगे.
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvc-EDqhcKsRZpmZGSAsSYrKOoL3PgjM8bgyzOwX5mYXNYKNDCU-DiBaHUCHF1RpWapqsZUCIIBePSn_bwhACZQjr4f00UHR5NpThvV1QZMur890gyEGjvZhj86zMwEFT_EOPX6MvpA1Ab/s320/faisla-hindi-kahani.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvc-EDqhcKsRZpmZGSAsSYrKOoL3PgjM8bgyzOwX5mYXNYKNDCU-DiBaHUCHF1RpWapqsZUCIIBePSn_bwhACZQjr4f00UHR5NpThvV1QZMur890gyEGjvZhj86zMwEFT_EOPX6MvpA1Ab/s72-c/faisla-hindi-kahani.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/06/faisla-hindi-kahani.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/06/faisla-hindi-kahani.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका