एक स्वप्न साकार हुआ अमर ज्योति साक्षात्कार ICSE Class 8 ek Sapna sakar hua Amar Jyoti Gunjan Hindi Paathmala डॉ. उमा तुली विकलांग बच्चों की संस्था
एक स्वप्न साकार हुआ अमर ज्योति (साक्षात्कार)
Ek Sapna sakar hua class 8 नूतन गुंजन एक स्वप्न साकार हुआ अमर ज्योति (साक्षात्कार) ek Sapna sakar hua Amar Jyoti class 8 ICSE Class 8 ek Sapna sakar hua ICSE Class 8 ek Sapna sakar hua Amar Jyoti डॉ. उमा तुली विकलांग बच्चों की संस्था Gunjan Hindi Paathmala Interview Dr. Uma Tuli अमर ज्योति संस्था साक्षात्कार Ek Swapn Sakar Hua Amar Jyoti Sanstha एक स्वप्न साकार हुआ : अमर ज्योति Amar Jyoti class 8
एक स्वप्न साकार हुआ अमर ज्योति पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ एक स्वप्न साकार हुआ : अमर ज्योति से लिया गया है। यह एक साक्षात्कार है, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता अमर ज्योति सेवा संस्थान के संस्थापक डॉ. उमा तुली जी से कुछ सवालों के साथ सामने बैठकर बात किया गया है | इस साक्षात्कार के दौरान हमें डॉ तुली जी के बारे में और अमर ज्योति सेवा संस्थान के बारे में बहुत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है | यह साक्षात्कार डॉ . तुली जी से उनके जीवन और उनके जीवन से जुड़े कुछ कड़ियों के बारे में स्प्ष्ट जानकारी का एक छोटा सा स्वरूप है जिसमें उनके सामाजिक कार्यों के बारे में जानने को मिलता है। डॉ. उमा तुली जी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित हैं । डॉ. तुली जी निष्ठावान, सजग, स्वालम्बी, एवं कुशल प्रशासक का एक समन्वय रूप हैं जो बहुत कम देखने को मिलता है। साक्षात्कार के दौरान उनसे किए गए कुछ सवाल जिनका उन्होंने बहुत ही सुन्दर, सरल और गहराई से जवाब दिया।डॉ. उमा तुली |
ऐसे कई सवाल और पूछे गए जिनका जवाब उन्होनें दिया | उन्होंने बताया की हमारी संस्था में सामान्य बच्चे भी पढ़ते हैं । उनके साथ रहकर विशेष बच्चे भी यह सीख जाते हैं कि समाज में खुद को कैसे स्थापित करना है। आत्मनिर्भता सीख चुके ये बच्चे किसी पर बोझ नहीं बनते। यहाँ उन बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा जैसे कम्यूटर ट्रेनिग, ई-लर्निंग, स्पोकन-इंग्लिश, फैशन डिजाइनिंग, गहने बनाना, जैसे कार्य सिखाए जाते हैं ताकि ये आत्मनिर्भर बन सकें। इन बच्चों को उनके रुझान के अनुसार शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाता है।
डॉ. तुली जी ने बताया कि शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा के अलावा हमारे बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। शहर के कई कार्यक्रमों में ये बच्चे भाग लेते हैं, पहिए वाली कुर्सी पर बैठकर की गई इन बच्चों के नृत्य को तो विदेशों में भी सराहा गया है। उन्होंने बताया की हम इन बच्चों से बहुत कुछ सीख सकते हैं | इन बच्चों की मुस्कुराहट और आत्मसंतोष की भवना हमें विषम परिस्थिति में भी हँसते रहना सिखाती है। इनके प्रयास हमें बाधाओं का सामना करने की प्रेरणा देती है। समाज को भी इनके प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए इनके ऊपर दया ना दिखाकर इनको उनका हक देना चाहिए। इनको इनकी जरूरत की हर चीज़ों औऱ आवश्यकता की बातों को समझ कर इनको पूरा अधिकार मिलना चाहिए। सभी को ऐसे प्रयास करना चाहिए जिससे बौद्धिक रूप से विकलांग बच्चों का जीवन सामान्य हो सके |
ICSE Class 8 Ek Sapna Sakar Hua Amar Jyoti और इन बच्चों के बारे में कुछ विशेष बातें बताई गई है | उमा जी के द्वारा उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1995 के परेड में इन बच्चों ने एक ट्रेलर पर भांगड़ा नृत्य प्रस्तुत करते हुए अपनी साहस का प्रदर्शन दिया। इन बच्चों ने प्रॉग और इंडिया के क्रमशः 2000 और 2003 के एबिलंपिक्स में भी आयोजन किया । अभी तक हुए सात एबिलंपिक्स से हमारे देश में आयोजित प्रतियोगिता को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। अक्टूबर 2010 में राष्ट्रीयमण्डल खेलों के समापन समारोह में हमारे छात्रों ने भाग लिया। अमर ज्योति के 150 छात्र और कार्यकर्ताओं ने भांगड़ा और व्हीलचेयर नृत्य प्रस्तुत की। इन बच्चों ने साबित कर दिया कि वे किसी से कम नहीं और समान अवसर तथा पूर्ण भागीदारी मिलने से उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं। इस तरह से उमा जी ने अपने संस्थान और विशेष बच्चों के बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी और समाज के लिए जागरूकता का संदेश दिया ताकि इन मासूम बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित न किया जाए अपितु उनका हाथ थाम कर उनको आगे बढ़ाए समाज में उनको जीने के लिए आत्मनिर्भर बनाए |अंत में साक्षात्कार की समाप्ति करते हुए डॉ. उमा तुली जी को धन्यवाद देते हुए यह पाठ हमें अपने कर्तव्यों से अवगत कराती है...||
Question Answer of Ek Swapna Sakar Hua
प्रश्न-1 किस घटना ने डॉ. उमा तुली को 'अमर ज्योति' आरंभ करने की प्रेरणा दी ?
उत्तर- भारत-चीन युद्ध के दौरान बहुत से लोग और सैनिक घायल हुए। उनके उपचार और पुनर्वास की सुविधाओं का अभाव था। उस वक्त डॉ. तुली ने कई शहरों में पुनर्वास केंद्र देखे और विकलांगो के प्रति लोगों के अजीब दृष्टिकोण को समझा। उसी समय उनके मन में विकलांगों के लिए कोई संस्था खोलने का विचार आया जो उनके परिस्थितियों के अनुकूल हो |
प्रश्न-2 'अमर ज्योति' के कार्यकर्ता क्या कार्य करते हैं ?
उत्तर - 'अमर ज्योति' के कार्यकर्ता समाज के निचले वर्ग के लोगों से सम्पर्क करते हैं, उन्हें अपनी संस्था के बारे में बताते हैं, प्रेरित करते हैं कि वे बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने यहाँ भेजें |
प्रश्न-3 इस संस्था में छात्रों को आत्मनिर्भर होने के लिए कौन-कौन से कार्य सिखाए जाते हैं ?
उत्तर- इस संस्था में छात्रों को आत्मनिर्भर होने के लिए शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक कार्य सिखाए जाते हैं जैसे- कम्यूटर ट्रेनिग, ई-लर्निंग, स्पोकन-इंग्लिश, फैशन डिजाइनिंग, गहने बनाना, बेकरी, बिजली का काम आदि।
प्रश्न-4 समाज का इन बच्चों के प्रति क्या कर्तव्य है ?
उत्तर- समाज का इन बच्चों के प्रति अनेक कर्तव्य हैं | समाज को भी इनके प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, इनके ऊपर दया ना दिखाकर इनको उनका हक देना चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर इन्हें आवश्यक सुविधाएं देनी चाहिए। इनके लिए सुविधाजनक बसों का प्रबंध करना चाहिए जिससे ये अपना काम स्वयं कर सकें दूसरों पर निर्भर न हो । सभी को ऐसे प्रयास करना चाहिए, जिससे बौद्धिक रूप से विकलांग बच्चों का जीवन सामान्य हो सके |
प्रश्न-5 'अमर ज्योति' आरंभ करने से पहले उमा जी ने क्या जानकारी जुटाई ?
उत्तर- 'अमर ज्योति' आरंभ करने से पहले उमा जी ने यह जानकारी जुटाई कि समाज में विकलागों की स्थिती दयनीय है, उनको समाज में अजीब दृष्टिकोण से देखा जाता है, उनके लिए सरकार के पास कोई सुविधा नहीं है |
प्रश्न-6 डॉ. तुली ने कब और किस रूप में कार्य आरंभ किया ?
उत्तर- डॉ. तुली ने 1981 में एक पेड़ के नीचे 30 बच्चों के साथ कार्य का आरंभ किया, जिसमें अक्षम और सक्षम दोनों प्रकार के बच्चें थे | यह संस्था अस्थि विकलांगता वाले बच्चों से आरम्भ किया गया था, लेकिन आज इसमें दृष्टि-बाधित, सीमित बुद्धि वाले, श्रवण-बाधित, सीखने की समस्या वाले, बोली और संचार समस्याओं वाले, स्वास्थ समस्याओं वाले सभी तरह के बच्चे हैं। धीरे-धीरे यह संस्था बढ़ती गई और लोग जुड़ते गए और उन्होंने हमारे काम में सहायता देने शुरू कर दी |
प्रश्न-7 'अमर ज्योति' के बच्चों को मुख्य धारा से जुड़ने में कठिनाई क्यों नहीं होती ?
उत्तर- 'अमर ज्योति' में सामान्य बच्चे और विशेष बच्चे दोनों साथ-साथ पढ़ते हैं, इसलिए विशेष बच्चे भी साथ में रहकर समाज में अपने आपको स्थापित करना सीख जाते हैं और बच्चों को मुख्यधारा से जुड़ने में कठिनाई नहीं होती |
प्रश्न-8 'शिक्षकों को इस तरह के बच्चों को पढ़ाने में कोई कठिनाई नहीं होती ? इस प्रश्न का डॉ. तुली ने क्या उत्तर दिया ?
उत्तर- डॉ. तुली ने कहा कि हम शिक्षकों को प्रशिक्षण देते हैं और वो छात्रों की योग्यता और रूझान देखकर ही उन्हें पढ़ाते हैं। छात्रों के माता-पिता से भी बच्चों के साथ उचित व्यवहार करने को कहते हैं, इसलिए शिक्षकों को कोई कठिनाई नहीं होती |
प्रश्न-9 हाँ/नहीं में उत्तर दीजिए ---
उ. निम्नलिखित उत्तर हैं -
i. इस संस्था में पढ़ाई-लिखाई के साथ व्यावसायिक शिक्षा दी जाती है --- हाँ
ii. 'अमर ज्योति' की एक शाखा भोपाल में है --- नहीं
iii. विकलांगों पर दया ना करके , इन्हें इनका हक दिया जाना चाहिए --- हाँ
iv.15 अगस्त के परेड में उन्होंने कार्यक्रम प्रस्तुत किया --- नहीं
v. 2003 में भारत में एबिलंपिक्स का आयोजन किया गया है --- हाँ
प्रश्न-10 इन शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ---
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
• विदेश - स्वदेश
• अनुकूल - प्रतिकुल
• सराहना - उलाहना
• निष्ठावान - निष्ठाहीन
• स्थापित - विस्थापित
• विशेष - साधारण
प्रश्न-11 उपसर्ग और मूलशब्द अलग करके लिखिए ---
उत्तर - निम्नलिखित उत्तर हैं -
• विदेश - वि + देश
• संभव - सम् + भव
• प्रशिक्षण - प्र + शिक्षण
• साकार - 'स' + "आकार"
• प्रयत्न - प्र + यत्न
• परिस्थिति - परि + स्थिती
प्रश्न-12 पाठ में आए इक और इत प्रत्यय वाले शब्द छाँटकर लिखिए ---
उत्तर - निम्नलिखित उत्तर हैं -
• इक -- शारिरीक, सार्वजनिक, सामाजिक, व्यावसायिक, सांस्कृतिक
• इत -- समर्पित, प्रेरित, आधारित, स्थापित
प्रश्न-13 पाठ से छाँटकर नीचे दिए गए 'र' के दोनों रूपों के शब्द लिखिए ---
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
• र् --- कर्तव्य , कार्य, निर्भर, सर्व, वर्ष, संपर्क,सार्वजनिक
• स्वररहित व्यंजन + र् + अ --- प्रयत्न , प्रेरित,प्रतिष्ठित, प्रयास,प्रत्येक, प्राप्त
प्रश्न-14 दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए ---
(क)- मन में यह विचार उठा कि इस युद्ध में बहुत से लोग घायल हुए हैं ।
(ख)- इन लोगों की कुछ विशेष आवश्यकताएँ होती है।
(ग)- आपने यह संस्था कब शुरू की ?
• पहले वाक्य में 'कि' दो शब्दों को जोड़ रहा है। इसका प्रयोग योजक के रूप में हुआ है। दूसरे वाक्य में 'की' 'लोगों' का 'सम्बंध' 'आवश्यकताओं' से बता रहा है। यह सम्बन्धकारक। तीसरे वाक्य में 'की' 'करना' क्रिया के भूतकाल के रूप में प्रयुक्त हुआ है।
• आप भी 'कि' (योजक), 'की' (सम्बन्धकारक) और 'की' ( क्रिया-भूतकाल) का प्रयोग करके तीन वाक्य बनाइए ---
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
• कि (योजक) --- कल्पना कीजिये कि आप देख नहीं पाते हैं।
• की (सम्बन्धकारक) --- वे छात्रों की योग्यता देखकर उन्हें पढ़ाते हैं।
• की (क्रिया-भुतकाल) --- आपने इसकी शुरुआत कैसे की ?
प्रश्न -15 निर्देशानुसार पाठ से वाक्य चुनकर लिखिए ---
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
• प्रश्नवाचक वाक्य -- क्या उन्हें व्यावसायिक शिक्षा भी दी जाती है ?
• निषेधात्मक वाक्य -- वे बच्चे किसी पर बोझ नहीं बनते।
• इच्छावाचक वाक्य -- ये बच्चे समाज की मुख्यधारा से जुड़े और इस कार्य को समाज अपना कर्तव्य समझे।
Ek Sapna Sakar Hua Amar Jyoti पाठ के शब्दार्थ
• आत्मविश्वास - अपनी शक्ति
• मूर्तिमान - साकार
• समर्पित - समर्पण किया हुआ
• निष्ठावान - निष्ठा रखने वाला
• समन्वय - संयोग, मेल
• आतिथ्य - अतिथि-सत्कार
• सजग - सावधान
• दृष्टिकोण - सोचने-विचारने का पहलू
• विचारमंथन - किसी विषय पर चर्चा
• जानिबे - तरफ, दिशा
• प्रतिष्ठित - सम्मानित, इज्जतदार
• अभिभावकों - संरक्षक
• रुझान - झुकाव
• सराहा - प्रशंसा
• विषम - प्रतिकूल |
© मनव्वर अशरफ़ी
oh baby!!!!!!!!!
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