आपसी सहयोग के मुख्य घटक खेल के मैदान में खेल की सी भावना रहनी चाहिए, अमूमन देखने में यह आया है कि जीतने की खातिर लोग एक दूसरे को भड़काते हैं ,प्रवोक
आपसी सहयोग के मुख्य घटक
अभी हाल में फिल्म छिछोरे आई थी, शायद आपने भी देखी हो l फिल्म के टाइटिल में छिछोरे को छोड़कर, फिल्म में कहीं भी छिछोरापन अथवा द्वि- अर्थी संवाद नहीं मिलते l
फिल्म में एक विशेष संदेश है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में यदि आप सफल हो गए , तो वल्ले वल्ले , नहीं तो , तो उन निराशाजनक क्षणों से निकलने के लिए लिए आपके पास ठोस उपाय पहले से ही सोचे हुए रखने चाहिए l
खेल के मैदान में खेल की सी भावना रहनी चाहिए, अमूमन देखने में यह आया है कि जीतने की खातिर लोग एक दूसरे को भड़काते हैं ,प्रवोक करते हैं और कभी- कभी गालियां भी दे देते lप्रसंग में, मैं आपको सच्ची घटना का भी हवाला दे देता हूं कि खेल के मैदान में जब एक खिलाड़ी ने दूसरे को गाली दे दी तब सामान्य व्यवहार बिल्कुल उलट हो गया और करीब करीब वह जीतने वाला खिलाड़ी जीती हुई बाजी हार गया l
कभी-कभी बात का बतंगड़ भी बनाने से चीजें बिगड़ जाती है l मुझे याद है कि B.Ed की कक्षा के दौरान दो युवतियों में कहा सुनी हुई होगी हस्तक्षेप करते हुए एक युवा अध्यापक से समझाने बतौर कहा कि उनमें से एक बच्चे को समझा दिया जाए कि प्यार, प्रेम से रहा जाए, यह समय पासिंग रेफरेंस है, कुछ समय बाद कौन कहाँ होगा, कौन जानेl ऐसा अप्रिय और कटु वचन न बोल, लेकिन जो हुआ वह बिल्कुल विपरीत हुआ lचाइनीस चक्कर की तरह बातें इधर-उधर करके उल्टी पहुंची और अंततः व हुआ जो नहीं होना चाहिए था l उस छात्रा के खिलाफ पूरी कक्षा खड़ी हुई , बजाए सहयोग करने केl बिल्कुल एकदम असहयोग और खिल्ली उड़ाने का कार्यक्रम शुरू और अंत में उस बच्चे को कक्षा को छोड़ना ही पड़ा l
थोड़ा संजीदगी से काम लें , चीजों को ध्यान से समझे और जल्दबाजी न करें l किशोर वय के आसपास की उम्र सच में तो थोड़ी- लापरवाह, थोडी़- अपरिपक्व, थोड़ी -मनचली और अल्हड़ होती है, बड़ा पद मिल जाने पर आपके संव्यवहार के लिए जो प्रमुख बातें हैं, उनको क्रमानुसार इस प्रकार जान सकते हैं
बुजुर्गों का आदर करें, बच्चे, महिलाओं और अनपढ़ व्यक्तियों की बातें भी गौर से सुनें, किसी भी आए हुए फोन को बात समाप्ति तक सु नें अपनी तरफ से वेज हर समय सामान्य रूप से आप साफ सुधरे. फरमान ड्रेस मे ही पब्लिक में जाएं और भाषा नम्र और संयत हो lआप से पद में छोटे हो अथवा बड़े हो किसी भी कारण से उन को नीचा दिखाने, वापदा दी में की कोशिश न करें शांत और रिजर्व नेचर रखें ,हो सके तो तनाव के क्षणों में भी बर्ताव मधुर रखें , इतने ही व्यक्तियों से घुलें मिलें कोई नजायज और अनुचित काम आपसे न करा सके व्यक्तिगत प्रश्न आदि कार्यस्थल पर न पूछें, दूरी बना कर रहें और आपके स्वभाव में चीअरफुलनेस रहनी ही चाहिए l
आपसी सहयोग के वह मुख्य घटक हो सकते हैं ,वह इस प्रकार है -
- यदि आप शारीरिक कोई कमी साथी में पाते हैं, जिसको आपका सहपाठी सुधार सकता है तो वह उनको अकेले में बता दें जैसे दांत से बदबू आना या अन्य कोई चीज .
- अगर कोई असाइनमेंट जो आप कर चुके हैं बाकी है तो केवल बताने भर से आपके मार्च कम नहीं हो जाएंगे एनालिटिकल स्टडी के आधार पर ही मिलते हैं और जितनी होराइजन ज्यादा होगा मार्क लाने में सुविधा होगी।
- प्रथम दृष्टि में यदि कोई कठिनाई आ रहा है और आप सहूलियत के साथ ना किसी ज्यादा उलझन के से मदद कर सकते हैं तो करें।
- यदि वह कुछ दिन अनुपस्थित रहा है और इस बीच कुछ अध्यापक ने पढ़ाई है अथवा कुछ मुख्य अतिथियों टेस्ट वगैरह या परीक्षा वगैरह के हैं सूचित करने में देरी न करें।
- अति की दोस्ती न बढ़ाएं ताकी मनमुटाव होने पर दूसरों के मखोल का पात्र बनना पड़े।
- आपसी विश्वास जो एक दूसरे की मदद करके हम आगे बढ़ सकते हैं यह हमारे अंदर गुण होना ही चाहिए एक आशा अच्छी होती है कि असंभव को भी संभव बना देती है l
- यदि कोई आपका किसी शंका का समाधान पूछ रहा है अध्यापक से पूछना नहीं चाहता और यदि आप जानते हैं ,तो उसे बिना संकोच किए बता दें।
संपर्क - क्षेत्रपाल शर्मा
म.सं 19/17 शांतिपुरम, सासनी गेट ,आगरा रोड अलीगढ 202001
मो 9411858774 ( kpsharma05@gmail.com )
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