सत्रहवा लोकसभा चुनाव : जब मोदी लहर में ढहे गए विपक्षी किले नरेंद्र मोदी को हराने और किसी को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में वैकल्पिक सरकार बनाने की जोड
सत्रहवा लोकसभा चुनाव : जब मोदी लहर में ढहे गए विपक्षी किले
भारत की 545 लोकसभा सीटों वाली संसद के गठन के लिए 543 लोकसभा सीटों पर चुनाव होते हैं l वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर नकदी मिलने की वजह से तमिलनाडु की वेल्लोर लोकसभा सीट पर मतदान को चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया l इसलिए इस बार 542 सीटों पर ही चुनाव हुए l चुनाव परिणामों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है l वर्ष 2014 के आम चुनावों में 282 सीटें जीतने वाली भाजपा को इस बार 303 सीटें मिली हैं l इस तरह 1971 के बाद नरेंद्र मोदी की सरकार पहली सरकार बन गयी, जिसे पूर्ण बहुमत के साथ दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया है l देश पर पांच दशक से अधिक शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले चुनावों के मुकाबले कुछ बेहतर रहा, लेकिन वह मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल करने के काबिल इस बार भी नहीं रही l 2014 में 44 सीटें जीतने वाली कांग्रेस राहुल गांधी की अगुवाई में महज 52 सीटें ही जीत पायी l प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहीं ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस इस बार औंधे मुंह गिरी l पश्चिम बंगाल में पिछले आम चुनावों में 34 सीटें जीतने वाली तृणमूल को इस बार सिर्फ 22 सीटों पर जीत मिली l वामपंथियों का गढ़ रहे पश्चिम बंगाल में इस बार लेफ्ट को एक भी सीट नहीं मिली l
नरेंद्र मोदी को हराने और किसी को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में वैकल्पिक सरकार बनाने की जोड़-तोड़ में जुटे आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी लोकसभा की तीन सीटों पर सिमट कर रह गयी l 2014 में नायडू की पार्टी को 16 सीटों पर जीत मिली थी l इसी तरह दक्षिण की एक और पार्टी अन्नाद्रमुक 37 सीटों से एक सीट पर सिमट गयी l हालांकि, इस राज्य में द्रमुक ने शानदार प्रदर्शन किया l 2014 में 0 पर सिमट चुकी पार्टी को इस बार 23 सीटें हासिल हुई और यह पार्टी लोकसभा में भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी l आंध्रप्रदेश में वाई.एस.आर. कांग्रेस पार्टी ने इस बार बेहतरीन प्रदर्शन किया l पार्टी के सांसदों की संख्या 9 से बढ़ कर 16 हो गयी l आंध्रप्रदेश से कट कर बने राज्य तेलंगाना में सत्तारूढ़ दल तेलंगाना राष्ट्र समिति (टी.आर.एस.) का प्रदर्शन पिछले चुनावों के मुकाबले अच्छा नहीं रहा l 2014 में 11 सीटें जीतने वाली टी.आर.एस. को इस बार 9 सीटों से ही संतोष करना पड़ा l वहीं, ओड़िशा में बीजू जनता दल (बी.ज.द.) के गढ़ में भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया l फलस्वरूप नवीन पटनायक की पार्टी की सीटें 20 से घट कर 12 रह गयीं l देश के सब से बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014 के चुनावों में शून्य (0) रही मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी (ब.स.पा.) ने इस बार अपनी धुर विरोधी समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन किया और किंग मेकर बनने का सपना देख रही थीं l वह किंग मेकर तो नहीं बन सकीं, लेकिन उनकी पार्टी 0 से 10 तक पहुंच गयी l दूसरी तरफ, एक बार फिर भाजपा के साथ जुड़े बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने बेहतरीन प्रदर्शन किया l 16वीं लोकसभा में उन के 2 सांसद थे, जो 17वीं लोकसभा में बढ़कर 16 हो गये l महाराष्ट्र में एन.डी.ए. की सहयोगी शिव सेना ने पिछली बार 18 सीटें जीती थीं, इस बार भी 18 सीटें जीतीं l इस तरह उसे न कोई फायदा हुआ, न नुकसान l
*सांसदों की औसत आयु 54 वर्ष :-
सत्रहवीं लोकसभा में सांसदों की औसत आयु 54 वर्ष है l महिला सांसदों की बात करें, तो वे पुरुष सांसदों के मुकाबले जवां हैं l उनकी औसत आयु पुरुष सांसदों से छह साल कम हैं l वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में जो जनप्रतिनिधि चुने गये हैं, उन में 12 फीसदी की उम्र 40 साल से कम है l 41 फीसदी की उम्र 41-55 वर्ष के बीच है, तो 42 फीसदी 56-70 साल के हैं l मात्र 6 फीसदी सांसदों की उम्र 70 साल से अधिक है l 16वीं लोकसभा में 40 साल तक की उम्र के मात्र 8 फीसदी सांसद थे l यहां बताना प्रासंगिक होगा कि जैसे-जैसे संसद की उम्र बढ़ रही है, अपने सांसदों की भी उम्र बढ़ रही है l पहली लोकसभा में 26 फीसदी सांसदों की उम्र 40 साल से कम थी l
*394 सांसद स्नातक :-
इस बार स्नातक तक पढ़े 394 लोग संसद पहुंचे हैं l 17वीं लोकसभा में 27 फीसदी सांसदों ने हायर सेकेंड्री तक की पढ़ाई की है, जबकि 43 फीसदी ग्रेजुएट (स्नातक) हैं l 25 फीसदी पोस्ट ग्रेजुएट और 4 फीसदी सांसदों के पास डॉक्टरेट की डिग्री है l 16वीं लोकसभा में 20 फीसदी सांसदों के पास उच्चतर माध्यमिक की डिग्री थी l ज्ञात हो कि 1996 से 75 फीसदी स्नातक की डिग्री लेने वाले लोग चुन कर संसद पहुंचे हैं l
*1977 में सब से कम, 2019 में सबसे ज्यादा महिला :-
पहली लोकसभा में 5 फीसदी महिलाएं थीं, जो अब बढ़कर 14 फीसदी हो गयी हैं l इस बार 78 महिलाएं चुन कर संसद पहुंची हैं l 16वीं संसद में 62 महिलाओं को लोगों ने अपना जनप्रतिनिधि चुना था l हालांकि, भारत में धीरे-धीरे महिलाओं की राजनीति और संसद में भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन यह अब भी विकसित और कई पिछड़े देशों की तुलना में कम है l अमेरिका में 24 फीसदी, ब्रिटेन में 32 फीसदी, दक्षिण अफ्रीका में 43 फीसदी, बांग्लादेश में 21 फीसदी और रवांडा में 61 फीसदी महिला प्रतिनिधि हैं l
*सब से ज्यादा समाजसेवी और किसान :-
सब से ज्यादा समाजसेवी और किसान इस बार लोकसभा पहुंचे हैं l 39 फीसदी सांसदों ने खुद को राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ता बताया है l वहीं, 38 फीसदी ने अपना पेशा कृषक बताया है l 542 सांसदों में 23 फीसदी व्यवसायी हैं, 4 फीसदी वकील, 4 फीसदी डॉक्टर, तीन फीसदी कलाकार और दो फीसदी शिक्षक हैं l कई सांसदों ने बताया है कि उनका पेशा एक से ज्यादा है l
*नहीं दिखेंगे दिग्गज नेता :-
17 वीं लोकसभा में कई दिग्गज नेता नहीं दिखेंगे l इस में वे नेता भी शुमार हैं, जिन की आवाज पिछले तीन दशक से भी अधिक समय तक संसद में गूंजती रही l बीजेपी के सब से वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज, सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, मल्लिकार्जुन खड़गे, ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार लोकसभा में नहीं दिखेंगे l ये सभी नेता या तो चुनाव मैदान में नहीं उतरे या फिर चुनाव हार गए l
*आजादी के बाद सबसे ज्यादा महिलाएं :-
इस बार कुल 78 महिलाएं सांसद बनीं हैं l आजादी के बाद से यह आंकड़ा सर्वाधिक है l कुल सदन संख्या का 14.8 प्रतिशत महिलाएं होंगी l 2014 में महिला सांसदों की संख्या 62 थी l इस लोकसभा चुनाव में कुल 719 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरी थीं l जिसमें 78 चुनाव जीतने में सफल रहीं l 2019 के लोकसभा चुनाव में 267 सांसद पहली बार चुनाव जीते हैं l
*युवा संसद :-
2014 वीं लोकसभा, देश के संसदीय इतिहास में सबसे बूढ़े सांसदों वाली लोकसभा में से एक रही l तब 543 सांसदों में 253 की औसत उम्र 55 साल से अधिक थी l इस बार सांसदों की औसत उम्र 54 साल है l इस प्रकार देखें तो 2014 की तुलना में यह 'युवा संसद' है l ओडिशा की चंद्राणी मुर्मू सबसे युवा सांसद हैं l 25 साल 11 महीने की उम्र में वह सांसद बनीं l
*दागी सांसदों की संख्या बढ़ी :-
17 वीं लोकसभा में 88 प्रतिशत करोड़पति सांसद हैं l 542 में से 475 करोड़पति सांसद सदन में पहुंचे हैं l इस में बीजेपी के पास सर्वाधिक 265 करोड़पति हैं l वहीं कांग्रेस के 43 सांसद करोड़पति हैं l बीजेपी की सहयोगी शिवसेना के 18 और जदयू के 15 सांसद करोड़पति हैं l जबकि डी.एम.के. के 22, तृणमूल के 20 और जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाई.एस.आर. के 19 सांसद करोड़पति हैं l 2014 की तुलना में इस बार दागी सांसदों की संख्या बढ़ी है l इसी तरह कुल 233 दागी नेता भी सांसद बने हैं l 2014 में 34 प्रतिशत सांसदों पर केस थे l सब से ज्यादा बीजेपी के 116 सांसदों पर केस हैं, वहीं 29 दागियों के साथ कांग्रेस दूसरे स्थान पर है l
*महत्वपूर्ण बिल :-
16 वीं लोकसभा में पारित होने के अभाव में 46 बिल लैप्स हो गए थे l इस बार 17वीं लोकसभा में कई महत्वपूर्ण बिल पर सभी की निगाहें रहेंगी l इनमें तीन तलाक, मोटर व्हीकल बिल, आधार नंबर के पहचान पत्र के रूप में प्रयोग से जुड़ा बिल, चिकित्सा शिक्षा में पारदर्शिता से जुड़े मेडिकल काउंसिल बिल अहम हैं l
*चुनाव की मुख्य बातें :-
*17वीं लोकसभा के लिए जब चुनाव हुए तब साल था 2019 का । 17वीं लोकसभा के लिए voting 07 दिन तक अर्थात 11/04/2019 से 19/05/2019 तक चले । 17वीं लोकसभा के लिए उस समय 28 राज्यों के 543 चुनावक्षेत्रो में 543 सीटों के लिए चुनाव हुए ।
*17वीं लोकसभा के चुनाव हेतु 1036295 चुनाव केंद्र स्थापित किए गए थे ।
*उस समय मतदाताओं की कुल संख्या 91.05 करोड़ थी ।
*उस समय केवल 67.04 % मतदान हुए थे ।
*17वीं लोकसभा के लिए 543 सीटों के लिए हुए चुनाव में कुल 8026 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे जिन में से 6897 उम्मीदवारों की deposit राशि ज़ब्त हुई थी।
*543 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में 84 सीटे अनुसूचित जाती के लिए और 47 सीटे अनुसूचित जनजाती के लिए आरक्षित रखी गई थी ।
*राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने कुल 1454 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे, जिन में से 670 उम्मीदवारों की deposit राशि ज़ब्त हुई थी और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के 397 उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुए थे ।
*इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों ने कुल 345 उम्मीदवार खड़े किए थे। रिकॉर्ड के अनुसार इन 345 प्रत्याशीयों में से 50 प्रत्याशीयों की deposit राशि ज़ब्त हुई थी और 135 प्रत्याशी लोकसभा में पहुंचे थे।
*इस चुनाव में बीजेपी सब से बड़े दल के रूप में सामने आई। 543 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में बीजेपी के 436 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। इन में से 303 उम्मीदवार जीत दर्ज करा कर लोकसभा पहुँचने में सफल हुए तो वही 51 उम्मीदवारों की जमा राशि ज़ब्त होने का उल्लेख भी रिकॉर्ड में मौजूद है। इस चुनाव में बीजेपी को कुल वोटो में से 37.76 % वोट मिले थे।
*कांग्रेस दूसरी सब से बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी। कांग्रेस ने कुल 421 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे। इन 421 उम्मीदवारों में से 148 उम्मीदवारों की जमा राशि जब्त हुई थी जबकि 52 उम्मीदवार लोकसभा पहुँचने में सफल हुए थे। कांग्रेस को कुल वोटों में से 19.7 % वोट मिले थे।
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