Nishthur Anukampa Gunjan Hindi Book निष्ठुर अनुकंपा कहानी शब्दार्थ कहानी का सारांश question and answer निष्ठुर अनुकंपा कहानी के प्रश्न उत्तर class 7
निष्ठुर अनुकंपा - काका कालेलकर
Nishthur Anukampa Explanation काका कालेलकर Gunjan Hindi Book निष्ठुर अनुकंपा कहानी के शब्दार्थ निष्ठुर अनुकंपा कहानी का सारांश Kaka Kalelkar Story nishthur anukampa kahani nishthur anukampa class 7 nishthur anukampa question and answer निष्ठुर अनुकंपा कहानी के प्रश्न उत्तर नूतन गुंजन
निष्ठुर अनुकंपा कहानी का सारांश
प्रस्तुत पाठ या कहानी निष्ठुर अनुकंपा , लेखक काका कालेलकर जी के द्वारा लिखित है ⃒ लेखक ने प्रस्तुत कहानी के माध्यम से यह दिखाने का प्रयास किया है कि खानदान की इज्ज़त बचाने के नाम पर चार भाई कोई काम-काज नहीं करते ⃒ उनके घर आया अतिथि (मेहमान) उक्त स्थिति देखकर उन्हें सबक सिखाता है ⃒ वह अथिति उनके मामूली सी आमदनी का स्रोत ही नष्ट कर देता है ⃒ अथिति कि यह निष्ठुरता उन भाइयों का जीवन ही बदल देती है ⃒
इस कहानी में लेखक के अनुसार, किसी शहर में एक कुलीन परिवार रहता था, जिस परिवार में चार भाई रहते थे ⃒ परिवार का धन-दौलत लगभग बरबाद हो चुका था ⃒ घर की ग़रीबी दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी ⃒ चारों भाई पढ़े-लिखे और हुनरमंद थे, फिर भी वे अपनी खानदानी इज्ज़त के कारण कहीं कोई नौकरी-चाकरी नहीं कर पाते थे ⃒ घर की स्त्रियों के आभूषण भी वे लुके-छिपे कम दामों में बेच चुके थे ⃒ अंततः घर में खाने-पीने के लाले पड़ गए ⃒ घर के पास बगीचे में सहिजन का एक पेड़ था ⃒ लंबी-लंबी और हरी-हरी सहिजन की फलियाँ डालियों पर लटक रही थीं, जब शाम हो जाती और आस-पास सन्नाटा छा जाता तो उन चारों भाइयों में से कोई एक उस पेड़ पर चढ़ता और फलियों को तोड़कर नीचे गिरा देता ⃒ एक कुंजड़ीन आती और सहिजन की फलियाँ खरीदकर ले जाती ⃒ इस वजह से थोड़े पैसे जब मिलते तो उस परिवार की रोजी-रोटी की व्यवस्था होती ⃒
एक दिन उनका एक रिश्तेदार उनके घर आया ⃒ उसे इन लोगों की बुरी दशा की जानकारी न थी ⃒ लेकिन धीरे-धीरे वह रिश्तेदार यह जान गया था कि ये लोग गरीबी के शिकार हो रहे हैं ⃒ फ़ाकाकशी के मारे घर की हालत बहुत खराब है, खाने-पीने की तकलीफ बढ़ गई है, फिर भी इन्हें कोई फ़िक्र नहीं है ⃒ उस रात का खाना खाकर वह मेहमान बरामदे में सोने का ढोंग करते हुए सो गया ⃒
तकरीबन रात दस बजे को वह कुंजड़ीन आई ⃒ बड़े भाई ने बड़ी सावधानी से बिल्ली की तरह दबे पैरों से पेड़ पर चढ़कर सहिजन की फलियाँ तोड़ीं और टोकरी में सहिजन की फलियाँ लेकर उस महिला के पास आया तो उसने दाम कम दिया और कहा – आजकल सहिजन की माँग नहीं है, मुझे भी बाज़ार में लाभ नहीं मिलता ⃒ अब मैं तुमको पहले की तरह ज्यादा कीमत नहीं दे सकती ⃒ तुम्हारी गरज हो तो दाम लो, नहीं तो मैं चली ⃒ बड़े भाई ने घर में आए मेहमान का हवाला देकर कहा कि तुम्हें जितना देना है दो, मगर हल्ला मत करो, वे जाग जाएँगे ⃒ कुंजड़ीन ने इस मौका का फायदा उठाकर उन फलियों के दाम और भी घटा दिया, लाचार होकर बड़े भाई को उतने ही पैसे लेने पड़े जितने वह महिला ने दिए।
निष्ठुर अनुकंपा |
जब सुबह उई, तो बड़े भाई ने उठकर देखा कि मेहमान बरामदे से गायब है और बगीचे में सहिजन का पेड़ कटा पड़ा है ⃒ घर में सहारा देने वाले किसी बुजुर्ग के मरने से जो मातम पसर जाता है, वैसा ही उस परिवार पर छा गया ⃒ चारों भाइयों की माँ अफ़सोस जताते हुए कहने लगी – यह दुष्ट मेहमान कौन था जो हमारे परिवार के एकमात्र सहारे सहिजन के पेड़ को काटकर गायब हो गया ⃒ तभी बड़े भाई ने अपनी माँ से कहा – अम्मा, जबतक हमारा बस चला घर की पुश्तैनी इज्ज़त बचाई, न किसी की नौकरी की और न ही किसी के आगे हाथ फैलाया ⃒ मगर अब कहीं-न-कहीं काम देखना ही पड़ेगा ⃒
वास्तव में, उस बस्ती में चारों भाइयों की अच्छी इज्ज़त थी ⃒ अपने खानदान और अपनी ईमानदारी के लिए वे काफी प्रसिद्ध थे ⃒ लोग उनके साथ अच्छा बर्ताव करते थे ⃒ बड़े भाई को एक धनी सेठ ने अपने यहाँ नौकरी पर रख लिया और इसी तरह अन्य भाई भी कहीं-न-कहीं काम पर लग गए ⃒ एक साल के गुजर जाने के बाद अब चारों भाइयों की हालत अच्छी हो गई, घर का काम-काज भी ठीक चलने लगा, घर में दूध-घी की कमी नहीं रही ⃒ जब दूसरी दिवाली आई तो वह मेहमान फिर से उनके घर आया और उसने कबूल किया कि आँगन का वह सहिजन का पेड़ उसी ने कुल्हाड़ी से काट गिराया था, किन्तु इसमें उसकी नेकनीयती थी ⃒ हालांकि उस मेहमान की यह बात घर वाले भी समझ गए थे ⃒ इसलिए घर में उस मेहमान का बहुत ही आदर-सत्कार हुआ ⃒ मेहमान को विदा करते समय चारों भाइयों ने उससे कहा कि – उस दिन आपने हमारा सहिजन का पेड़ नहीं काटा, मानो हमारी काहिली और बदकिस्मती को काटकर फेंक दिया था ⃒ आपने ऐसा करके हमारी गिरी हुई किस्मत को ही ऊँचा उठा दिया ⃒ दुनिया में भाई-बंधु हों तो ऐसे ही हों…||
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निष्ठुर अनुकंपा कहानी के प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 – परिवार के निर्वाह का क्या साधन था ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, परिवार के निर्वाह का साधन सहिजन का पेड़ था, जिसकी फलियों को बेचकर घर का खर्चा किसी प्रकार से चल रहा था ⃒
प्रश्न-2 – भाइयों के लिए नौकरी करना क्यों आवश्यक हो गया था ?
उत्तर- भाइयों के लिए नौकरी करना इसलिए आवश्यक हो गया था, क्यूंकि उनकी आमदनी का एकमात्र स्रोत सहिजन का पेड़ था, जिसे घर आए मेहमान के द्वारा काटकर गिरा दिया गया था ⃒
प्रश्न-3 – एक वर्ष में कुलीन परिवार की दशा अच्छी कैसे हो गई ?
उत्तर- जब सहिजन का पेड़ कट गया तो परिवार की आमदनी का एकमात्र सहारा भी ख़त्म हो गया, जिसके कारण चारों भाइयों ने अलग-अलग जगह नौकरी करना शुरू कर दिया ⃒ परिणाम स्वरुप, एक वर्ष में कुलीन परिवार की दशा अच्छी हो गई ⃒
प्रश्न-4 – कुलीन परिवार के सदस्यों द्वारा नौकरी न करने का क्या परिणाम हो रहा था ?
उत्तर- कुलीन परिवार के सदस्यों द्वारा नौकरी न करने का यह परिणाम होने लगा था कि घर में दरिद्रता और भी ज्यादा बढ़ने लगी थी और घर में खाने-पीने के लाले पड़ने लगे थे ⃒
प्रश्न-5 – मेहमान ने सहिजन के पेड़ को क्या सोचकर काटा ?
उत्तर- जब मेहमान ने देखा कि एक कुलीन परिवार अपनी झूठी और बनावटी इज्ज़त बचाने के लिए बेहद तकलीफ़ से गुजर रहा है और मात्र सहिजन के पेड़ के भरोसे जैसे-तैसे जी रहा है, तो मेहमान ने सहिजन के पेड़ को काट दिया और बिना बताए वहाँ से चला गया ⃒
प्रश्न-6 – पेड़ को कटा देखकर चारों भाइयों की माँ पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पेड़ को कटा देखकर चारों भाइयों की माँ पर यह प्रतिक्रिया हुई कि माँ अतिथि को दुश्मन के रूप में देखने लगी ⃒ वह कहने लगी कि अगर मेहमान को हमारी हालत पर तरस आ रहा था तो आठ-दस मन अनाज भेज देते, हमारे परिवार के एकमात्र सहारे सहिजन के पेड़ को आख़िर क्यों काट दिया ⃒
प्रश्न-7 – वाक्यों को कहानी के घटनाक्रम के अनुसार क्रम दीजिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
• घर की ग़रीबी दिनों-दिन बढ़ रही थी ⃒
• उनके घर के पास बगीचे में सहिजन का एक पेड़ था ⃒
• मेहमान ताड़ गया कि ये लोग गरीबी के शिकार हो रहे हैं ⃒
• करीब दस बजे रात गए कुंजड़िन आई ⃒
• बड़े भाई ने उठकर देखा कि मेहमान और पेड़ गायब हैं ⃒
• कहीं न कहीं काम ढूँढ़ना पड़ेगा ⃒
• पेड़ गिराकर आपने हमारी किस्मत को ऊँचा उठा दिया ⃒
प्रश्न-8 – हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए –
• कुलीन परिवार के लड़के अपनी खानदानी इज्ज़त के कारण कोई काम-धंधा नहीं कर पाते थे ⃒ (हाँ)
• कुंजड़िन ने सहिजन की फलियों के मुँहमाँगे दाम दिए ⃒ (नहीं)
• घर छोड़ने से पहले मेहमान ने पेड़ को जड़ के पास से काटकर गिरा दिया ⃒ (हाँ)
• चारों भाइयों को कहीं नौकरी न मिली ⃒ (नहीं)
• मेहमान ने नेकनीयती से पेड़ काटा था ⃒ (हाँ)
• मेहमान के दुबारा आने पर चारों भाइयों ने बड़े प्रेम से ख़ातिरदारी की ⃒ (हाँ)
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भाषा से
प्रश्न-9 – ये शब्द स्त्रीलिंग हैं या पुलिंग, खाली जगह में लिखिए –
उ. निम्नलिखित उत्तर है -
• परिवार – पुलिंग
• थाली – स्त्रीलिंग
• पेड़ – पुलिंग
• दोस्त – पुलिंग
• फलियाँ – स्त्रीलिंग
• इज्ज़त – स्त्रीलिंग
प्रश्न-10 – मैं-में, और-ओर, कि-की का प्रयोग उचित स्थान पर कीजिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
• किसी शहर ...में... एक कुलीन परिवार रहता था ⃒
• आज ..मैं... खाना न खाऊंगा ⃒
• उसने फलियों के दाम ...और... भी घटा दिए ⃒
• लंबी-लंबी ...और... हरी-हरी सहिजन की फलियाँ लगी हुई थीं ⃒
• मेरे पेट ...में... दर्द उठ रहा है ⃒
• यहाँ चारों ...ओर... हरियाली है ⃒
• परिवार ...की... जायदाद बरबाद हो चुकी थी ⃒
• मेहमान ताड़ गया ...कि... ये लोग गरीबी का शिकार हैं ⃒
प्रश्न-11 – अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
• जो ऊँचे कुल में पैदा हुआ हो – कुलीन
• जिसके आने की कोई तिथि न हो – अतिथि
• जो कई पीढ़ियों से चला आता हो – पुश्तैनी
• काम में लगा रहने वाला – कर्मठ
• पुराने समय का – प्राचीन
• जिस पर विश्वास किया जा सके – विश्वसनीय
• किए हुए उपकार को माननेवाला – कृतज्ञ
• जो कड़वा बोलता हो – कटुभाषी
प्रश्न-12 – दिए गए रिक्त स्थान में उचित विशेषण शब्द लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
• उसे इन लोगों की ...दयनीय... दशा की जानकारी नहीं थी ⃒
• यह ...दुष्ट... मेहमान कहाँ से आया ?
• एक ...धनी... सज्जन ने बड़े भाई को नौकरी पर रख लिया ⃒
•...दूसरी... दीवाली आई ⃒
•...दो... थालियाँ लगाई गई ⃒
प्रश्न-13 – ‘ज़’ और ‘फ़’ के पाँच-पाँच शब्द लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
• ज़ – ज़बरदस्ती, कागज़, परवाज़, आवाज़,चालबाज़
फ़ – फ़रमान, फ़ायदा, फ़साद, मुसाफ़िर, तरफ़
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निष्ठुर अनुकंपा कहानी के शब्दार्थ
• कुलीन – ऊँचे कुल में पैदा हुआ
• लाले पड़ने – तरसना
• कुंजड़िन – सब्जी बेचनेवाली
• निर्वाह – गुजारा
• शरीक – शामिल
• आग्रह – निवेदन
• ताड़ गया – समझ जाना
• फ़ाकाकशी – भूखों मरना
• गरज़ – जरुरत
• प्रतिष्ठित – सम्मानित
• मातम – दुःख, गम
• पुश्तैनी – कई पीढ़ियों से चला आता
• बरताव – व्यवहार
• कबूल – स्वीकार
• ख़ातिरदारी – आव-भगत, सेवा
• काहिली – सुस्ती, ढिलाई
• बदकिस्मती – बुरा भाग्य
• बुज़दिल – कमज़ोर, जिसमें हिम्मत न हो ⃒
© मनव्वर अशरफ़ी
बहुत सुन्दर
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