Surdas ke pad Explanation Gunjan Hindi Book सूरदास के पद कविता का भावार्थ सूरदास के पद कविता के प्रश्नोत्तर सारांश सूरदास के पद कविता के शब्दार्थ
सूरदास के पद कविता
Surdas ke pad Explanation Gunjan Hindi Book सूरदास के पद कविता का भावार्थ सूरदास के पद कविता के प्रश्नोत्तर सूरदास के पद कविता का भावार्थ Surdas Ke Pad Poem Explanation class 7 नूतन गुंजन
सूरदास के पद कविता का भावार्थ
चरन कमल बंदौ हरि राई ⃒
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, अंधे कौ सब कछु दरसाई ⃒⃒
बहिरौ सुनै, गूँग पुनि बोलै, रंक चलै सिर छत्र धराई ⃒
सूरदास स्वामी करुनामय, बार-बार बंदौ तिहिं पाई ⃒⃒
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ सूरदास जी के द्वारा रचित पद से उद्धृत हैं ⃒ इन पंक्तियों के माध्यम से कवि सूरदास परमसत्ता ईश्वर की महिमा का गुणगान करते हुए कहना चाहते हैं कि ईश्वर की कृपा से हर असंभव या बिगड़े कार्य भी संभव हो जाते हैं ⃒ कवि कहते हैं कि जब श्रीहरि की कृपा हो जाती है तो एक अपाहिज (लंगड़ा) व्यक्ति भी गिरि अर्थात् पर्वत को भी लांघ जाता है ⃒ अंधे को सब कुछ दिखने लगता है ⃒ बहरे को सुनाई देने लगती ⃒ गूंगा बोलने की शक्ति प्राप्त कर लेता है ⃒ जो रंक (कंगाल) हैं, वे सर पर छत्र धारण करने में सफल हो जाते हैं अर्थात् राजा बन जाते हैं ⃒ कवि कहते हैं कि ऐसे करुणा के सागर रूपी ईश्वर के चरणों में बार-बार वंदना न्यौछावर करना हमारा परम धर्म है ⃒
किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत ⃒
मनिमय कनक नंद कैं आँगन बिंब पकरिबैं धावत ⃒⃒
कबहुँ निरखि हरि आपु छाँह कौं कर सौं पकरन चाहत ⃒
किलकि हँसत साजति द्वै दतियाँ, पुनि-पुनि तिहिं अवगाहत ⃒⃒
कनक भूमि पर कर पग छाया, यह उपमा इक राजति ⃒
प्रतिकर प्रतिपद प्रतिमान बसुधा, कमल बैठकी साजति ⃒⃒
बालदसा सुख निरखि जसोदा, पुनि-पुनि नंद बुलावति ⃒
अँचरा तर लै ढाँकि, सूर के प्रभु कौं दूध पियावति ⃒⃒
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ सूरदास जी के द्वारा रचित पद से उद्धृत हैं ⃒ इन पंक्तियों के माध्यम से कवि सूरदास ने कृष्ण की बाल-सुलभ चेष्टाओं, उनकी लीलाओं, यशोदा माँ के वात्सल्य और स्नेह को वर्णित किया है ⃒ कवि कहते हैं कि कान्हा अर्थात् बाल कृष्ण अपने घुटनों के सहारे किलकारी मारता हुआ चला आ रहा है ⃒ नंद जी के मणिमय आँगन में कान्हा अपने प्रतिबिंब के साथ खेल रहा है, तो कभी उस प्रतिबिंब को अपने हाथों से पकड़ना चाह रहा है ⃒ कान्हा अपने प्रतिबिंब के साथ खेलने में ख़ूब मगन हो गया है ⃒ वह बार-बार किलकारी मार कर हंस रहा है, हँसते समय उसकी दांते सजी हुई खुबसूरत दिख रही हैं ⃒ स्वर्ण रूपी भूमि पर जब बाल कृष्ण के हाथों और चरणों की छाया पड़ती है तो यह उसके लिए उपमा बन जाती है ⃒ मानों पृथ्वी कान्हा के लिए उसके प्रत्येक कर, पद और मान की जगह कमल रूपी आसन बैठने को सजाती है ⃒ जब बाल कृष्ण अपनी नटखट दुनिया में खोया हुआ था, तो माता यशोदा बार-बार कान्हा के आनंदमय अंदाज़ को देखने के लिए वहाँ नंद जी को बुलाती ⃒ तत्पश्चात् सूर अर्थात् सूरदास के स्वामी (श्रीकृष्ण) को यशोदा अपने आँचल से ढँक कर दूध पिलाती है ⃒
---------------------------------------------------------
सूरदास के पद Gunjan Hindi का सारांश
प्रस्तुत पाठ सूरदास के पद , कवि सूरदास जी के द्वारा रचित है ⃒ कवि सूरदास जी ने प्रथम पद में ईश्वर की महिमा का वर्णन किया है, जिसकी कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं तथा उन्होंने द्वितीय पद में कृष्ण की बाल-सुलभ चेष्टाओं, उनकी लीलाओं, यशोदा माँ के वात्सल्य और स्नेह को वर्णित किया है... ⃒
सूरदास के पद कविता के प्रश्नोत्तर
प्रश्न-1 – बाबा नंद के घर का आँगन कैसा है ?
उत्तर- प्रस्तुत पद के अनुसार, बाबा नंद के घर का आँगन स्वर्णों से जड़ित है, जिसमें मणियाँ भी हैं ⃒
उत्तर- श्रीकृष्ण को अपनी परछाई देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे उसके साथ और भी बच्चे खेल रहे हैं ⃒ इसलिए श्रीकृष्ण अपनी परछाई को पकड़ रहे हैं ⃒
प्रश्न-3 – माता यशोदा कृष्ण के किस रूप पर मोहित हैं ?
उत्तर- माता यशोदा कृष्ण की बाल-सुलभ क्रीड़ाओं (खेलों), लीलाओं और उनके सुंदर रूप पर मोहित हैं ⃒
प्रश्न-4 – कवि ने प्रभु के प्रताप का वर्णन क्या कहकर किया है ?
उत्तर- कवि कहते हैं कि जब श्रीहरि की कृपा हो जाती है तो एक अपाहिज (लंगड़ा) व्यक्ति भी गिरि अर्थात् पर्वत को भी लांघ जाता है ⃒ अंधे को सब कुछ दिखने लगता है ⃒ बहरे को सुनाई देने लगती ⃒ गूंगा बोलने की शक्ति प्राप्त कर लेता है ⃒ जो रंक (कंगाल) हैं, वे सर पर छत्र धारण करने में सफल हो जाते हैं अर्थात् राजा बन जाते हैं ⃒
प्रश्न-5 – सूरदास ने प्रभु को करुणामय क्यों कहा है ?
उत्तर- सूरदास ने प्रभु को करुणामय इसलिए कहा है, क्यूंकि वे हर व्यक्ति की तकलीफ़ या पीड़ा को दूर करते हैं ⃒
---------------------------------------------------------
भाषा से
प्रश्न-6 – दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
• चरण – पैर, पग
• कमल – पंकज, नीरज
• निर्धन – दरिद्र, ग़रीब
• छाया – परछाई, प्रतिबिंब
• बालक – शिशु, बच्चा
• दूध – दुग्ध, अमृत
प्रश्न-7 – ‘प्रतिकर’ में प्रति उपसर्ग है ; इसी प्रकार ‘प्रति’, ‘उप’ और ‘अति’ उपसर्ग लगाकर तीन-तीन शब्द बनाइए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
• प्रति – प्रतिपल , प्रतिदिन , प्रतिशत
• उप – उपस्थित , उपयोगी , उपग्रह
• अति – अतिरिक्त , अतिश्योक्ति , अत्यंत
प्रश्न-8 – निम्नलिखित शब्दों के समान तुक वाले शब्द लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
• दरसाई – धराई , पाई
• आवत – धावत , चाहत
• राजति – साजति , बुलावति
• कर – पर , सर
प्रश्न-9 – निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
• प्रह्लाद पक्के ईश्वर के भक्त थे ⃒
उत्तर- प्रह्लाद ईश्वर के पक्के भक्त थे ⃒
• माता जी वापस लौट आई हैं ⃒
उत्तर- माता जी लौट आई हैं ⃒
• उसके मुँह से फूल गिरते हैं ⃒
उत्तर- उसके मुँह से फूल से झरते हैं ⃒
• बच्चे को प्लेट में रखकर खाना दो ⃒
उत्तर- प्लेट में खाना रखकर बच्चे को दो ⃒
---------------------------------------------------------
सूरदास के पद कविता के शब्दार्थ
• बंदौ – वंदना करना
• पंगु – अपंग, लंगड़ा
• दरसाई – दिखाई देना
• तिहिं – उन्हें
• किलकत – किलकारी मारते हुए
• घुटुरुवनि – घुटने के बल
• मनिमय – मणिमय, मणियोंवाले
• कनक – सोना, स्वर्ण
• निरखि – देखकर
• प्रतिकर – प्रत्येक हाथ
• प्रतिपद – हर पग पर
• साजति – सुशोभित
© मनव्वर अशरफ़ी
ok
जवाब देंहटाएंGood 👍😊 very nice
जवाब देंहटाएंThank you 💕😊
Excellent! Brilliant answers....it really helped me a lot. Thank you 😊 so much
जवाब देंहटाएं