आत्मविश्वास निबंध कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर आत्मविश्वास पाठ का सारांश आत्मविश्वास पाठ के प्रश्न उत्तर शब्दार्थ atmavishwas by kanhaiyalal prabhakar
आत्मविश्वास निबंध कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर
आत्मविश्वास पाठ का सारांश
लेखक के अनुसार, आत्मविश्वास का सबसे बड़ा दुश्मन है दुविधा, क्योंकि दुविधा एकाग्रता को नष्ट कर देती है। आदमी की शक्ति को बाँट देती है। इस तरह संबंधित आदमी खंडित हो जाता है। लेखक कहते हैं कि एक रोज मेरे मित्र अपनी पत्नी के साथ जंगल में बैठकर बातें कर रहे थे। तत्पश्चात उसकी पत्नी सो गई। उसे अचानक लगा कि सामने से कोई भेड़िया चला आ रहा है, तो वह घबराकर पत्नी को सोता छोड़कर वहां से भाग गए। जब कुछ दूरी पर उसे एक बंदूकधारी सज्जन मिला तो वह उससे पत्नी को बचाने की विनती करने लगा। तभी बंदूकधारी शिकारी उस जगह पर पहुँचा, जहाँ उसकी पत्नी अभी भी सो रही थी। जब शिकारी की नज़र उस जानवर पर पड़ी तो वह कुत्ता निकला, जिसे लेखक का दोस्त भेड़िया समझ रहा था। शिकारी ज़ोर से हंसने लगा। दरअसल, लेखक के दोस्त को भय ने आत्मविश्वासहीन कर दिया। कृष्ण ने महाभारत में सर्वोत्तम काम यही किया कि पांडवों को उन्होंने आत्मविश्वास से भर दिया। कृष्ण अपने कार्य के महत्त्व को समझते थे, इसलिए पूरे आत्मविश्वास से उन्होंने अर्जुन से कहा था – “परेशान मत हो, युद्ध कर, तू निश्चित रूप से युद्ध में अपने शत्रुओं पर विजय पाएगा”।
लेखक कहते हैं कि जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने आई.सी.एस. की प्रतियोगिता में बैठे तो अंग्रेज़ी परीक्षक ने पूरी तेजी से घूमते हुए बिजली के पंखे की ओर इशारा कर उनसे पूछा – क्या इसकी पंखुड़ियाँ गिनी जा सकती हैं ? जवाब में नेताजी ने पंखा बंद करके बोले – जी हाँ, सुगमता के साथ। परीक्षक बहुत खुश हो गया, लेकिन दुबारा अपनी अँगूठी नेताजी के सामने रखकर पूछा – क्या इसमें से सुभाषचंद्र बोस पास हो सकता है ? सुभाष बाबू ने भी अपने नाम का विजिटिंग कार्ड मोड़कर उसमें से पास करते हुए कहा, जी इस तरह ! सही मानो में यह आत्मविश्वास है। दूसरे हमारी क्षमता का विश्वास करें और हमारी सफलता को निश्चित मानें, इसके लिए आवश्यक शर्त यही है कि हमारा अपनी क्षमता और सफलता में अखंड विश्वास हो। लेखक का विद्यालय नगर से दूर जंगल में था।जहाँ एक चौदह वर्षीय बालक अपने घर से पैदल चलकर आता था। कुछ दिनों बाद दूसरा बालक भी उसके साथ आने-जाने लगा, जो बहुत डरपोक था। इस बालक के प्रभाव से पहला बालक भी डरपोक हो गया और वे दोनों मिलकर लेखक के साथ चलने की प्रतीक्षा करते रहते हैं। मनुष्य के जीवन के लिए इससे अच्छी और कोई बात नहीं है कि वह सदा मानता – अनुभव करता रहे कि मेरे लिए सब कुछ अच्छा ही होगा। जो भी कार्य मैं हाथ में लूँगा, उसमें मुझे सफलता अवश्य मिलेगी।
प्रस्तुत निबंध में लेखक प्रेरणात्मक कथन करते हुए कहते हैं कि युद्ध में वे विजय नहीं होते, जो खंदक-खाईयों को ताकते-झांकते हैं। विजयमाला पड़ती है उनके गले, जो अपनी संपूर्ण शक्ति को तौलकर छलांग लगाते हैं, खतरों से खेलते हैं। जीवन में उतार-चढ़ाव दोनों है। अपने मन को सफलता, विजय, सौभाग्य और श्रेष्ठता के विचारों और भावनाओं से सदा भरपूर रखिए और सफलता, विजय, सौभाग्य और श्रेष्ठता की ओर आगे बढ़ते रहिए...।
आत्मविश्वास पाठ के प्रश्न उत्तर
अभ्यास-प्रश्न
बहुवैकल्पिक प्रश्न
प्रश्न-1 – जीवन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य क्या है ?
उत्तर- आत्मविश्वास
प्रश्न-2 – बाली के भाई का नाम क्या था ?
उत्तर- सुग्रीव
प्रश्न-3 – सामने वाले की आधी शक्ति अपने में समाहित करने का किसको वरदान प्राप्त था ?
उत्तर- बाली
प्रश्न-4 – दुविधा किसका दुश्मन है ?
उत्तर- आत्मविश्वास
प्रश्न-5 – एकाग्रता किससे नष्ट होती है ?
उत्तर- दुविधा
मौखिक
प्रश्न-1 – बाली को क्या वरदान प्राप्त था ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, बाली को यह वरदान प्राप्त था कि जो भी उसके सामने आता था उसकी आधी ताक़त बाली में आ जाती थी।
प्रश्न-2 – दुविधा आत्मविश्वास का सबसे बड़ा शत्रु क्यों है ?
उत्तर- दुविधा आत्मविश्वास का सबसे बड़ा शत्रु है, क्योंकि दुविधा एकाग्रता को नष्ट कर देती है।आदमी की शक्ति को बाँट देती है।
प्रश्न-3 – लेखक का मित्र कुत्ते को भेड़िया क्यों मान बैठा ?
उत्तर- लेखक का मित्र कुत्ते को भेड़िया इसलिए मान बैठा, क्योंकि भय ने उन्हें आत्मविश्वासहीन कर दिया था।
प्रश्न-4 – परीक्षक द्वारा सुभाषचंद्र बोस के आगे अंगूठी रखने का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर- परीक्षक द्वारा सुभाषचंद्र बोस के आगे अँगूठी रखने का उद्देश्य यह था कि परीक्षक उनके आत्मविश्वास की परीक्षा लेना चाह रहे थे।
लिखित
प्रश्न-1 – जब कोई विरोधी हमारे सामने आता है तब हम क्या मान बैठते हैं ? इसका हम पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है ? कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर
उत्तर- जब कोई विरोधी हमारे सामने आता है, तब हम आत्मविश्वास की कमी के कारण उसे अपने से अधिक शक्तिशाली मान लेते हैं। इसका हम पर यह दुष्प्रभाव पड़ता है कि आत्मविश्वास की कमी के कारण हमारी शक्ति आधी हो जाती है और हम अपने विरोधी से कमज़ोर पड़ जाते हैं।
प्रश्न-2 – कृष्ण ने महाभारत में सर्वोत्तम काम क्या किया ?
उत्तर- कृष्ण ने महाभारत में सर्वोत्तम काम यही किया कि पांडवों को उन्होंने आत्मविश्वास से भर दिया।
प्रश्न-3 – लेखक हेलेन केलर का उदाहरण देकर क्या समझाना चाह रहा है ?
उत्तर- लेखक हेलेन केलर का उदाहरण देकर यह समझाना चाह रहा है कि जीवन में हार पर शोक मनाते रहने के बजाय पूर्ण आत्मविश्वास के साथ हमें दूसरे अवसर की तरफ कदम बढ़ाना चाहिए।
प्रश्न-4 – लेखक ने जीवन को युद्ध क्यों माना है और इसमें जीत किसके हाथ लगती है ?
उत्तर- लेखक ने जीवन को युद्ध इसलिए माना है, क्योंकि जीवन विभिन्न चुनौतियों से भरा पड़ा है और हमें उन चुनौतियों को पार करके अर्थात् लड़कर ही अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ना है। जो अपनी संपूर्ण शक्ति के साथ आगे बढ़ते हैं और जिनमें खतरों से खेलने का साहस होता है, जीत उसी के हाथ लगती है।
भाषा संरचना
प्रश्न-1 – विलोम शब्द लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
भाग्यवान – भाग्यहीन
शक्तिशाली – शक्तिहीन
सौभाग्य – दुर्भाग्य
संस्कार – कुसंस्कार
सफलता – असफलता
विजय – पराजय
प्रश्न-2 – शब्द-परिवार बनाइए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
फल – सफल, असफल, सफलता, विफल
भाग्य – भाग्यशाली, सौभाग्य, भाग्यहीन, दुर्भाग्य
उत्साह – निरुत्साह, उत्साहवर्धन,
परीक्षा – परीक्षाफल, परीक्षार्थी,
जय – विजय, पराजय, अजय,
प्रश्न-3 – उपसर्ग-प्रत्यय छाँटकर अलग लिखो –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
उपसर्ग प्रत्यय
आभागा – अ
कायरता – ता
शक्तिशाली – शाली
एकाग्रता – ता
दुर्भाग्य – दुर्
तल्लीन – तत्
खंडित – इत
सफलता – ता
प्रश्न-5 – वर्तनी शुद्ध करके लिखो –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
बालि – बाली
उन्नती – उन्नति
नीती – नीति
शक्ती – शक्ति
दुष्मन – दुश्मन
अनीवार्य – अनिवार्य
निशचित – निश्चित
विजयि – विजय
आत्मविश्वास पाठ के कठिन शब्द
शक्ति – ताक़त
आत्महीनता – अपने मन में हीनता की भावना रखना
कुसंस्कार – बुरे संस्कार
एकाग्रता – पूरी तरह एक ही बात पर ध्यान केन्द्रित करना
खूँखार – डरावना, भयंकर
भय – डर
प्रतियोगिता – मुकाबला
पास – निकलना, आर-पार होना
अखंड – जिसके टुकड़े न हो, संपूर्ण
हतोत्साह – निराश होना, उत्साह भंग होना
अभागा – भाग्यहीन
विजय – जीत
विश्वविख्यात – संसार भर में प्रसिद्ध
तल्लीनता – पूरी लगन के साथ
खंदक – खाई, गहरा गड्ढा ।
Yuddh mein kaun vijayi hote Hain
जवाब देंहटाएंKitne mein kaun vijayi hote Hain
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