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गुलाबी चूड़ियाँ कविता - नागार्जुन
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गुलाबी चूड़ियाँ कविता की व्याख्या अर्थ
प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ,
सात साल की बच्ची का पिता तो है!
सामने गियर से उपर
हुक से लटका रक्खी हैं
काँच की चार चूड़ियाँ गुलाबी
बस की रफ़्तार के मुताबिक
हिलती रहती हैं…
झुककर मैंने पूछ लिया
खा गया मानो झटका
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि नागार्जुन जी ने बस ड्राईवर के वात्सल्य का चित्रण करते हुए लिखे हैं कि वह किस निजी बस का चालक है। परन्तु यह न समझो की वह सामान्य बस चालकों के समान क्रूर और कठोर है। वह सात साल बेटी का पिता है। उसने बस के गियर के उपर लगे हुक पर कांच की चार गुलाबी चूड़ियाँ लटका रखी हैं। वे चूड़ियाँ बस की गति के साथ साथ हिलती रहती हैं। अचानक कवि ने चालक से पूछ लिया कि ये चूड़ियाँ क्यों लटका रखी हैं ? यह प्रश्न सुनकर चालक अचकचा गया। उसे ऐसा प्रश्न पूछे जाने की कोई आशा नहीं थी।भाव यह है कि बसों के चालक केवल क्रूर और कठोर ही नहीं होते हैं। उनमें भी अपने बच्चों के प्रति ममता होती है। वे बच्चों की ख़ुशी को सदा अपनी नज़रों के सामने रखना चाहते हैं।
अधेड़ उम्र का मुच्छड़ रोबीला चेहरा
आहिस्ते से बोला: हाँ सा’ब
लाख कहता हूँ नहीं मानती मुनिया
टाँगे हुए है कई दिनों से
अपनी अमानत यहाँ अब्बा की नज़रों के सामने
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि नागार्जुन जी ने गुलाबी चूड़ियों के माध्यम से एक ऐसे रोबीले ड्राईवर की ममता का चित्रण किया है जोकी लम्बी लम्बी डरावनी मूंछों और रौबदार चेहरे वाला प्रौढ़ व्यक्ति था। उसने कवि से अत्यंत विनम्र और धीमे स्वर में बोला - "हाँ ,साहब ! मैं अपनी मुनिया को बहुत समझाता हूँ कि इन चूड़ियों को बस के गियर से हटा लो ,किन्तु वह जिद्दी बालिका नहीं मानती है। उसी ने अपनी यह पूँजी ये गुलाबी चूड़ियाँ कई दिनों से अपने पिता की आँखों के सामने लटका रखी हैं। कहने का अर्थ यह है कि बस चालक जो दिखने में मुच्छड़ रोबीला और भयानक है ,वह वास्तव में अति कोमल ,ममतामय और भावुक है। वह अपनी प्यारी बिटिया के जरा से आग्रह को भी नहीं टाल सकता।
मैं भी सोचता हूँ
क्या बिगाड़ती हैं चूड़ियाँ
किस ज़ुर्म पे हटा दूँ इनको यहाँ से?
और ड्राइवर ने एक नज़र मुझे देखा
और मैंने एक नज़र उसे देखा
छलक रहा था दूधिया वात्सल्य बड़ी-बड़ी आँखों में
तरलता हावी थी सीधे-साधे प्रश्न पर
और अब वे निगाहें फिर से हो गईं सड़क की ओर
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में ड्राईवर कवि को बताता है कि साहब ये चूड़ियाँ मेरी नन्ही मुनिया ने लटकाई हैं मैं सोचता हूँ कि ये चूड़ियाँ मेरा क्या बिगाड़ रही हैं। किस अपराध में मैं इनको यहाँ से हटा दूँ ? यह कहकर उस चालक ने कवि की ओर एक बार देखा। कवि ने भी उसकी आँखों में झाँका और यह अनुभव किया कि चालक की बड़ी बड़ी आँखों में पवित्र कोमल स्नेह टपक रहा है। उसकी आँखों में पुत्री के स्नेह के कारण वात्सल्य उमड़ आया था। इस नन्हे से प्रश्न पर वह चालक इतना कोमल हो उठा था। इसके बाद वह चालक अपनी नज़रें सड़क पर गड़ाकर पुनः बस चलाने में व्यस्त हो जाता है। बस चालक का ह्रदय अपनी कन्या के प्रति अपार ममता से भरा हुआ था। उसी पवित्र वात्सल्य के कारण वह अपनी बिटिया का हर कहना मानने को तैयार था।
और मैंने झुककर कहा -
हाँ भाई, मैं भी पिता हूँ
वो तो बस यूँ ही पूछ लिया आपसे
वरना किसे नहीं भाँएगी?
नन्हीं कलाइयों की गुलाबी चूड़ियाँ!
व्याख्या - कवि प्रस्तुत पक्तियों में बस चालक के वात्सल्य को देखकर कवि भी भावुक होकर कहता है कि " हाँ भाई चालक !मैं भी पिता हूँ। अतः तुम्हारे ह्रदय के वात्सल्य को भली भांति जानता हूँ। मैंने तो यूँ ही जिज्ञासावश तुमसे चूड़ियों के बारे में पूछ लिया था। वरना ये नन्ही सी कलाइयों पर शोभित होने वाली गुलाबी चूड़ियाँ किसे नहीं अच्छी लगती हैं। भाव यह है कि ड्राईवर की वात्सल्य भावना को देखकर स्वयं कवि भी भावुक हो जाता है। सभी पिता अपनी संतान के प्रति ऐसे ही वात्सल्य रखते हैं।
गुलाबी चूड़ियाँ कविता की मूल संवेदना सारांश
कवि नागार्जुन जी द्वारा लिखी गयी कविता गुलाबी चूड़ियाँ एक भावना प्रधान कविता है। इसमें कवि यह कहना चाहता है कि उपर से कठोर ह्रदय ,निर्मम और निर्दय लगने वाले प्राणियों के मन में भी भावना की तरलता होती है। वे भी आदमी पहले और कुछ बाद में होते हैं। एक बस चालक ने अपने गियर के ऊपर चार गुलाबी चूड़ियाँ टांग रखी थी। ये चार चूड़ियाँ ड्राईवर की नन्ही मुनिया ने बड़े जिद से टांग दी थी ताकि उसका पिता उसे सदा याद रखें। कवि ने ड्राईवर से उन चूड़ियों को टांगने का कारण पूछा तो मुच्छड़ रोबीला ड्राईवर भी एकाएक झटका खा गया। कवि के प्रश्न ने उसके मर्म को कुरेद दिया। उसे अपनी नन्ही बिटिया की याद आ गयी। उसकी आँखें वात्सल्य और करुणा से भर उठी। उसने विवशता में कहा कि वह कैसे अपनी बिटिया की बात न माने ? उसकी चूड़ियाँ कैसे वहां से हटा दे ? कवि ने उसके स्नेह भाव को समझकर कहा कि हाँ ,मैं तुम्हारी भावना को समझता हूँ। क्योंकि मैं भी तो पिता हूँ। इस प्रकार कवि ने कठोर लगने वाले प्राणी के मन में करुणा दिखाकर मानवता की भावना को उजागर किया है।
गुलाबी चूड़ियाँ कविता के प्रश्न उत्तर
प्र. गुलाबी चूड़ियाँ कविता से किस मानवीय स्वभाव का ज्ञान होता है ?
उ. गुलाबी चूड़ियाँ में कवि और ड्राईवर - दोनों का स्वभाव में कोमलता और पितृत्व की भावना समान रूप से दिखाई देती हैं। इससे मानव स्वभाव के बारे में यह ज्ञात होता है कि मनुष्य उपर से चाहे किस जाति,पेशे ,व्यवसाय या समुदाय से सम्बंधित क्यों न हो ,उसका व्यवसाय कितना ही कठोर और शुष्क क्यों न हो ,उसकी बाहरी छवि कैसी हो निर्मम और क्रूर क्यों न हो ,उसके ह्रदय में करुणा की धारा अवश्य विद्यमान रहती हैं। उसके मन में पुत्रवत्सल्यता,कोमलता ,तरलता आदि कोमल गुण अवश्य रहते हैं।
प्र. कवि का प्रश्न सुनकर ड्राईवर झटका क्यों खा गया ?
उ. कवि का प्रश्न सुनकर ड्राईवर को एकदम अपनी नन्ही मुन्नी प्यारी बिटिया और उसके भोले स्नेह का स्मरण हो आया। वह मानों एक लोक से दूसरे लोक में जा पहुंचा। प्रश्न अचानक पूछा गया था और मर्म को छूने वाला था। गुलाबी चूड़ियों के साथ उसकी बेटी की जिद जुडी हुई थी। इसीलिए वह प्रश्न सुनकर झटका खा गया।
प्र. ड्राईवर ने गुलाबी चूड़ियाँ लटकाने का क्या कारण बताया ?
उ.ड्राईवर ने कवि को बताया कि उसने अपनी नन्ही बिटियाँ की जिद के कारण गियर के ऊपर गुलाबी चूड़ियाँ लटका रखी हैं। वे गुलाबी चूड़ियाँ उसके वात्सल्य तथा बच्ची के निश्चल प्यार की प्रतिक हैं।
प्र. कवि ने ड्राईवर से क्या सवाल किया होगा ? उसके प्रश्न का क्या उद्देश्य था ?
उ. कवि ने ड्राईवर से यह सवाल पूछा होगा - क्यों भाई ड्राईवर साहब ! आपने जो गियर के ऊपर गुलाबी चूड़ियाँ लटका रखी हैं ,इनका रहस्य समझ नहीं आया। "
उसके इस प्रश्न पूछने का उद्देश्य था - ड्राईवर की भावनाओं का पता लगाना। वह जानना चाहता था कि ये रोबीले और कठोर से लगने वाले ड्राईवर सचमुच कठोर होते हैं या इनमें भी कोमल भावनाएं होती हैं।
प्र. कवि के प्रश्न का उत्तर देते हुए रोबीले ड्राईवर की आवाज पर तरलता क्यों हावी हो गयी ?
उ. कवि के प्रश्न का उत्तर देते हुए मुच्छड़ रोबीले ड्राईवर की आवाज इसीलिए तरल हो गयी ,क्योंकि उस प्रश्न के साथ उसकी नन्ही - मुन्नी बिटिया का स्नेह जुड़ा हुआ था। उसे अचानक अपनी मुनिया का स्मरण हो आया। मन में उसके प्रति प्यार उमड़ आया। इसीलिए उसकी आवाज में भी प्यार के कारण तरलता छा गयी।
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