कवि एवं उपन्यासकार अनंत जोशी का समकालीन उपन्यास,जिसका मराठी से अंग्रेजी में अनुवाद श्रीमती जयश्री नायडू द्वारा किया गया है, दामोदर के तट पर स्थित झारख
ऑन द बैंक्स ऑफ़ दामोदर - अनंत जोशी
कवि एवं उपन्यासकार अनंत जोशी का समकालीन उपन्यास,जिसका मराठी से अंग्रेजी में अनुवाद श्रीमती जयश्री नायडू द्वारा किया गया है, दामोदर के तट पर स्थित झारखंड राज्य में बसे ग़रीब,पीड़ित लोगोंका का कोल माफिया द्वारा होने वाला शोषण उजागर करता है। झारखण्ड की कोयला-खदानों में नौकरी पर लगे सरकारी कर्मचारी इन ग़रीब पीड़ितों को किराए के टट्टू बनाकर उनसे कम-से-कम पैसों में अपने नाम से, या प्रतिरूपण कर के खूब काम करवाते हैं, इसी प्रथा पर मूल कथानक आधारित है I सरकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी पर हाज़िर न रहकर खुद की खेती बाड़ी या अन्य काम करते हैं और अपने नाम से किसी ग़रीब को काम पर भेजकर हाजिरी लगवाते हैंI यह उपन्यास कोल माफीया और कोयले बेचनेके के अवैध व्यापार- धंदो पर उनकी जकड़ को उजागर करता है, साथ ही भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए किये जानेवाले भुगतान की विस्तृत व्यवस्था का चित्रण करता है ।
हिंदी और बंगला भाषा के बाद ,भारत में सबसे जादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा मराठी है और वह महाराष्ट्र और गोवा में और आसपास बोली जाती है । मराठी एक इंडो-आर्यन भाषा है और इसके व्याकरण में तीन लिंग भेद हैं -पुल्लिंग ,स्त्रीलिंग और नपुंसक लिंग है । प्राथमिक शब्दक्रम कर्ता ,कर्म और क्रिया ऐसा है और इसमें संस्कृत भाषा से आए हुए असंख्य शब्द है । मराठी शब्द ‘बनिहारी’ जिसका अर्थ है तोतया,या नकली आदमी, अंग्रेजी के ‘इम्पर्सोनेटर’ शब्द के समान है परन्तु इसका कोई अंग्रेजी अनुवाद नहीं है। इसकी वजह यह हो सकती है कि यह प्रांतीय बोली भाषा का शब्द होगा या अपने काम की जगह उप-कर्मचारी को किराए पर भेजने की प्रथा मान्यता प्राप्त नही है।
यह कहानी बिना आडंबर के काफी औपचारिकता से लिखी हुई है I मुख्य कहानी विस्तृत है, रेखागत नहीं, और एक-एक कर के नगरपालिका या सरकार में प्रचलित भ्रष्टाचार की कड़ी अनुक्रमित करने के साथ ही सामाजिक संरचना के क्रिया कलापों पर प्रकाश डालती है । इस उपन्यास में दो सशक्त स्त्री पात्र है , एक रेणुका जो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी है और दुसरी किर्ती , जो कल्याण अधिकारी है, और एक उप-कथा भी है जिसका केंद्र भाव है यह तय करना कि क्या एक स्त्री का एक पुरुष को सँभालना मान्यताप्राप्त है I मर्दों की आक्रमकता , यौन उत्पीडन और दोनो नायिकाओं का सामाजिक स्थान, इन विषयोंका उपन्यास में बहुत अच्छा चित्रण किया गया है I अनुवादित आवृत्ति में औपचारिक संवाद है ,जो यदा-कदा अधीक खिंचा सा लगता है,, जिस में कुछ बंगाली और अनानुवादित मराठी शब्द है । जिन सामाजिक रिश्तों को परखा जा रहा है उनको समझने के लिए जिन प्रमुख शब्दोंका ज्ञान और उनको समझनेका जरिया आवश्यक है, उसके लिए मुझे बहु भाषीय शैली अधिक जँचती , जिससे वह सामाजिक रिश्ते अधीक स्पष्ट होने में सहायता होती I
सरकारी भ्रष्टाचार एवं अच्छाई बनाम बुराई और पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओंकी स्थिती और बढ़ती हुई प्रतिवेदित बलात्कारोंकी संख्या यह दोहरा कथानक, पढनें मे काफ़ी दिलचस्प हैI
पारंपारिक अंग्रेजी उपन्यास की शैली भारतीय उपन्यास का लेखन और रचना से बहुत ही भिन्न हैIमुझे ख़ुशी है कि मैंने यह उपन्यास पढने में अपना समय बिताया I
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डेविड कॅडी
समीक्षक– मि.डेव्हिड कॅडी, मुख्य संपादक,टियर्स इन द फेन्स – आतंरराष्ट्रीय साहित्यिक पत्रिका – डरवेस्टन, ब्लँड़फोर्ड फ़ोरम,यू.के.
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