सुशांत सुप्रिय की कहानियों पर टिप्पणियाँ सुशांत की कहानियाँ आकार में लम्बी नहीं , अपेक्षाकृत छोटी हैं तथापि सार्वभौमिक सत्य को सामने लाने में सक्षम है
सुशांत सुप्रिय की कहानियों पर टिप्पणियाँ
सुशांत सुप्रिय हिंदी कथा-जगत के एक ऐसे अनूठे कथाकार हैं जिन्होंने कहानी कहने की एक सर्वथा भिन्न शैली विकसित की है जिसे पाठकों ने खूब पसंद किया है । उनकी कहानियों का रेंज बहुत व्यापक है जो कई बार हमें चकित करता है और सोचने के लिए विवश भी । ‘ सम्पूर्ण कहानियाँ ” ( 1996-2021 ) संग्रह की कहानियाँ न केवल बार-बार पढ़ी जाएँगी बल्कि बहुत समय तक पाठकों के मन में बनी रहेंगी । शुभकामनाएँ ।
शंभु बादल :
सुशांत सुप्रिय की सृजनशील चेतना काव्यात्मक कथा-संवेदना से समृद्ध है । कहानीकार की दृष्टि पूरी जागरूकता के साथ परिवेश , जीवन , संबंध , अंत:करण , रंग , रूप , राग , द्वेष , सुख-दुख , पीड़ा , द्वंद्व, असंगति , त्रासदी , प्रकृति आदि को बारीकी से परखती है । इनकी कहानियाँ दिल को छू लेती हैं । यहाँ प्रभावी संदर्भों को संकेतों , बिंबों में अंकित करने की अद्भुत कला देखी जा सकती है ।
भालचंद्र जोशी :
आज भूमण्डलीकरण के द्वंद्वात्मक समय में बाज़ार , पूँजी , तकनीक , और राजनीति आदि विभिन्न शक्ति-केंद्र जीवन के भरोसे की पहचान ख़त्म कर देने पर आमादा हैं । ऐसे में सुशांत सुप्रिय की कहानियाँ उस पहचान को लौटाने और बचाए रखने की सार्थक कोशिशों का भरोसा हैं ।
अरुण देव :
सुशांत सुप्रिय की अधिकतर कहानियाँ सामाजिक मूल्यों के विघटन के दौर में उनकी ज़रूरत की ओर इशारा करती हैं । सुशांत की कथा का यथार्थ समकालीन विद्रूपताओं और विपदाओं की शिनाख्त करता है । उनकी कई कहानियों में परिवार , बच्चे , गाँव और पुरानी स्मृतियाँ आती हैं । किस्सागोई का उनके पास अपना निराला अंदाज़ है ।
अरुण शीतांश :
सुशांत सुप्रिय की कहानियाँ हमारे जीवन के क़रीब हैं । इनमें कहानी की खूबी और कथ्य को नापने की क्षमता । ये अपनी कहानियों में द्वंद्वात्मकता के बीच कहानी के शिल्प को कलात्मक पाठ के अनुसार ले आते हैं । एकरेखीय कहानियाँ इनके यहाँ नहीं मिलतीं । इतने सारे कथाकारों की भीड़ में सुशांत ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है ।
संतोष श्रीवास्तव:
सुशांत सुप्रिय की कहानियाँ समाज की विसंगतियों पर कड़ी नज़र रखते हुए बहुत ही सुंदर शिल्प के गठन सहित ज़मीनी सच्चाइयों से जुड़ी हुई कहानियाँ हैं ।
रंजना मोरवाल :
सुशांत सुप्रिय जी ने लगभग हर विषय पर कहानियाँ लिखी हैं । इनके वृहद् रचना-संसार में कठिन तपस्या के साथ-साथ अथाह शोध भी शामिल है । इनकी कहानियाँ हिंदी कथा-साहित्य को समृद्ध करती हैं ।
सुधांशु गुप्त :
सुशांत सुप्रिय की कहानियों में एक बेहतर दुनिया का स्वप्न है । स्वप्न , स्मृतियों और फ़ैंटेसी आदि के ज़रिए वे एक बेहतर दुनिया बनाना चाहते हैं । यह कोशिश उनकी कहानियों को महत्वपूर्ण बना देती है ।
हरि भटनागर :
सुशांत सुप्रिय अच्छे कथाकार के रूप में समादृत हैं । जीवन के तल में छिपे सत्य को वे बिना किसी लाग-लपेट के सामने ला देते हैं । सुप्रिय में भाषा की ताज़गी और सादगी है और आधुनिक भाव-बोध का पुट है जो उन्हें अपने समकालीनों से अलग ला खड़ा करता है ।
शहंशाह आलम :
सुशांत सुप्रिय युग-बोध के कथाकार हैं । इनकी कहानियाँ पढ़ते हुए हम खुद को अपने परिवेश , अपनी संवेदना और अपने जीवन-संघर्ष से सीधे जुड़ा हुआ महसूस करते हैं । इनका कथा-संसार इतना विविध और व्यापक है कि वहाँ यह संसार और उसके लोग-बाग जीवंत दिखाई देते हैं । कथाकार मानवीय संबंधों को इतना प्रगाढ़ महत्त्व देता है कि हम खुद कहानी का हिस्सा बने हुए दिखाई देते हैं ।
सुषमा मुनींद्र :
सुशांत की कहानियाँ आकार में लम्बी नहीं , अपेक्षाकृत छोटी हैं तथापि सार्वभौमिक सत्य को सामने लाने में सक्षम हैं। भाषा आकर्षक और बोधगम्य है। आह्लाद और विनोद का पुट कहानियों को रोचक बना देता है। पात्रों के अनुरूप छोटे-छोटे, अनुकूल संवाद हैं जो अत्यधिक उचित लगते हैं। कुल मिला कर कहा जा सकता है किस्सागोई का आनंद देती ये कहानियाँ दिमाग पर हथौड़े की तरह वार करती हैं , तथा दिल पर असर छोड़ते हुये सकारात्मक सोच अपनाने के लिये प्रेरित करती हैं ।
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