भविष्य का भय कहानी का भविष्य का भय Bhavishya Ka Bhay सारांश प्रश्न उत्तर आशापूर्णा देवी बाल मजदूरी पर आधारित कहानी टुनी की माँ तुलतुल महरी पढ़ाई खेल
भविष्य का भय कहानी आशापूर्णा देवी
भविष्य का भय आशापूर्णा देवी भविष्य का भय कहानी का सारांश कहानी के प्रश्न उत्तर भविष्य का भय Bhavishya Ka Bhay
भविष्य का भय कहानी का सारांश
प्रस्तुत पाठ या कहानी भविष्य का भय , लेखिका आशापूर्णा देवी जी के द्वारा लिखित है । इस कहानी के माध्यम से लेखिका ने बाल-मजदूरी का सशक्त विरोध किया है । यह कहानी बड़े लोगों की कथनी और करनी के अंतर पर करारा व्यंग्य करती है । यह कहानी बचपन-बचाओ आन्दोलन को पुष्टता प्रदान करती है । शासन के अनेक प्रयासों के बावजूद अभी भी छोटे बच्चों को पढ़ाई और खेल-कूद की सुविधाओं से वंचित कर उनको कामों में लगा दिया जाता है । इस कहानी के अनुसार, आज तुलतुल स्कूल से लौटकर न तो खाना खाई और न ही पार्क में खेलने गई । मुँह फुलाकर, चुपचाप छत की सीढ़ियों वाले दरवाज़े के पास बैठ गई । तुलतुल अपने किताब का थैला रख ही रही थी कि उसकी दादी उसे संबोधित करते हुए बोली – लो आ गई बहादुर लड़की और बहादुरी का फल भी देख लो । खैर तुम्हारा क्या ? भुगतना तो हम लोगों को है । तभी तुलतुल की माँ यह कह पड़ी कि हम क्यों भुगते, आज से तुलतुल ही बर्तन धोएगी, झाड़ू-पोंछा करेगी, मसाला पीसेगी । तुलतुल की माँ का इल्जाम था कि तुलतुल की वजह से ही टुनी की माँ काम छोड़कर चली गई । बल्कि तुलतुल की भैया ने भी उसका साथ नहीं दिया । यहाँ तक कि घर में सबका मानना था कि टुनी की माँ का नौकरी छोड़कर चले जाने के पीछे तुलतुल का ही दोष है ।
तुलतुल सोचने पर मजबूर हो गई कि आखिर मैंने महरी को कहा क्या था, सिर्फ इतना ही तो कहा था – ओ टुनी की माँ, इतनी ठंड में टुनी को सिर्फ फटी फ्रॉक पहनाई है और उस पर उससे चाय के बर्तन धुलवा रही है ? तुम कैसी माँ हो ? यह भी नहीं जानती कि अंतर्राष्ट्रीय बालवर्ष है ! जब टुनी की माँ तुलतुल की बातें सुनकर और जानने की जिज्ञासा प्रकट की तो जवाब में तुलतुल बोली – हमारे स्कूल की मास्टर दीदी ने कहा है कि यह जो नया साल चल रहा है, यह साल छोटे-छोटे लड़के-लड़कियों का है । इस साल छोटे-छोटे लड़के-लड़कियों की ज्यादा देखभाल करनी होगी और उन्हें प्यार करना पड़ेगा । अच्छा-अच्छा खाना देना होगा, अच्छे-अच्छे कपड़े और जूते पहनने के लिए देने होंगे, उन्हें पढ़ाना-लिखाना होगा, बच्चे बीमार न पड़ें उसका भी ख्याल रखना होगा, बच्चों से कोई गन्दा-छोटा काम नहीं करवाया जाएगा ।
टुनी तो तुलतुल से भी छोटी है । दुबली-पतली हड्डियों का ढाँचा मात्र दिखती है । टुनी ठंडे पानी में बर्तन धोती है और तुलतुल गर्म पानी में हाथ-मुँह धोकर गर्म कपड़े पहनकर गर्म-गर्म पूरियाँ खाती है, जिससे अब तुलतुल बहुत ख़फ़ा है । अब तुलतुल यह तय कर चुकी है कि घर के बड़ों को ऐसी भूल नहीं करने देगी । तुलतुल समझती है कि अंतर्राष्ट्रीय बालवर्ष में टुनी जैसे बेचारे बच्चों की देखभाल होनी ही चाहिए । इसलिए तुलतुल चिल्लाकर बोली – माँ नाश्ता दो ... और फिर उसने टुनी से कहा, ऐ टुनी मेरे साथ चल, पूरियाँ खाएँगे । तुलतुल की बातें सुनकर माँ वहीं पर से बोली – ओह तुलतुल ! बेमतलब में देर क्यों कर रही है ? लेकिन तुलतुल अपनी बातों पर डटी रही । तत्पश्चात, जब टुनी को कोयला तोड़ने को कहा गया तो तुलतुल फ़ौरन टुनी के हाथ से हथोड़ा छिनकर फेंक दिया और बोली – माँ की बात कभी मत सुनना । यह बालवर्ष है, समझी ! बालवर्ष में बच्चों को गन्दा काम करना मना है ....., आज से तू डिपो से दूध लेने नहीं जाएगी । माँ के साथ सड़क से सड़ा हुआ गोबर नहीं उठाएगी । बात समझ में आ रही है न ! दिमाग में कुछ घुसा !
तुलतुल ने न सिर्फ अपनी माँ से टुनी के साथ अच्छे व्यवहार करने की विनती की, बल्कि अपने पापा से भी टुनी को स्कूल में दाखिला करवाने की बात कही । तुलतुल जब सुबह सोकर उठी तो उसके पापा घर पर नहीं थे और माँ ने उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया । तुलतुल जब अपने स्कूल जाने के लिए जूते-मोज़े पहन रही थी, उसके पापा बाज़ार से लौटे आए । तुलतुल अपने पापा से टुनी के बारे में बात कर ही रही थी कि उसकी बस आ गई और वह स्कूल चली गई । शाम को बस से उतारते ही उसे यह सुनना पड़ा कि टुनी की माँ ने तुलतुल की हरकतों से तंग आकर काम छोड़ दिया है । सुबह जो अधमँजे बर्तन को छोड़कर चली गई थी, फिर वापस नहीं लौटी । जब तुलतुल की माँ ने उससे वजह पुछवाई तो उसने कहलवा दिया कि वह अब काम पर नहीं आएगी ।
तुलतुल के भाई ने नीचे से आवाज़ लगाई और कहा – तुलतुल खाना खाने आ न, छत पर क्यों बैठी है ? बर्तन धोने के डर से नहीं उतर रही है क्या ? डरने की जरुरत नहीं है, तुम्हारी गलती माफ़ कर दी गई है । भाई के जवाब में तुलतुल बोलना चाही की कि उसने कोई गलती नहीं की है, पर वह कुछ बोल नहीं पाई और उसका गला रूँध गया । तभी उसकी दादी ने उसे प्यार से मनाया । जब तुलतुल से कहा गया कि अगर टुनी स्कूल जाने लगेगी तो उसकी माँ का कैसे गुजारा होगा ? टुनी कितना हाथ बँटाती है । जवाब में तुलतुल ने तुरंत कहा – यही तो खराब है । छोटे-छोटे बच्चों से काम कराना बहुत बड़ा पाप है, समझी । तुम सभी पापी हो । तुलतुल की माँ को अपनी बेटी की सोच पर बहुत गर्व होता है और वह कहती है – तू जब बड़ी होगी तो संसार की सोच को बदल देना तू और तेरे दोस्त सभी मिलकर । हम लोगों की तरह का पाप, तुम लोग करना । तभी अचानक तुलतुल भावुक होकर माँ से लिपट गई और बोली – लेकिन माँ अगर बड़ी होकर मैं भी तुम्हारी तरह उलट-पलट जाऊं तो ? अगर बेवक़ूफ़ बन जाऊं तो ? अगर यह भूल जाऊं कि सभी लोग एक समान हैं....।
भविष्य का भय कहानी के प्रश्न उत्तर
अभ्यास-प्रश्न
बहुवैकल्पिक प्रश्न
प्रश्न-1 – ‘भविष्य का भय’ किस मूल भाषा में लिखी गई है ?
उत्तर- बंगला
प्रश्न-2 – ‘भविष्य का भय’ किस आन्दोलन को पुष्टता प्रदान करती है ?
उत्तर- बाल मजदूरी
प्रश्न-3 – ‘तुलतुल’ इस कहानी की क्या है ?
उत्तर- चरित्र
प्रश्न-4 – बाई किसके कारण काम छोड़ गई ?
उत्तर- तुलतुल
प्रश्न-5 – तुलतुल ने जिस समय महरी को समझाया था, उस वर्ष कौन सा दिवस मनाया जा रह था ?
उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय बालवर्ष
प्रश्नोत्तर
प्रश्न-1 – इस कहानी में किस समस्या को उठाया गया है ?
उत्तर- इस कहानी में बाल मजदूरी की समस्या को उठाया गया है ।
प्रश्न-2 – कौन काम छोड़कर चली गई थी ?
उत्तर- महरी अथवा टुनी की माँ काम छोड़कर चली गई थी ।
प्रश्न-3 – तुलतुल क्या चाहती थी ?
उत्तर- तुलतुल चाहती थी कि टुनी भी उसकी तरह स्कूल जाए और किसी प्रकार का काम वो नहीं करे ।
प्रश्न-4 – तुलतुल मुँह फुलाकर कहाँ और कैसे बैठ गई थी ? उसके मुँह फुलाने का कारण क्या था ?
उत्तर- तुलतुल मुँह फुलाकर बिना खाए-पिए छत पर बैठ गई थी । उसके मुँह फुलाने का कारण यह था कि टुनी की माँ ने घर पर काम करना छोड़ दिया था और तुलतुल का टुनी को स्कूल भेजने का सपना टूट गया था ।
प्रश्न-5 – तुलतुल की माँ ने उसके लिए क्या सजा सुनाई थी ?
उत्तर- तुलतुल की माँ ने उसे सजा सुनाते हुए कहा था कि आज से तुलतुल बर्तन धोएगी, झाड़ू-पोंछा करेगी, मसाला पीसेगी ।
प्रश्न-6 – स्कूल की मिस ने बच्चों को क्या बात बताई थी ?
उत्तर- स्कूल की मिस ने बच्चों से यह बात बताई थी कि यह जो नया साल चल रहा है, यह साल छोटे-छोटे लड़के-लड़कियों का है । इस साल छोटे-छोटे लड़के-लड़कियों की ज्यादा देखभाल करनी होगी और उन्हें प्यार करना पड़ेगा । अच्छा-अच्छा खाना देना होगा, अच्छे-अच्छे कपड़े और जूते पहनने के लिए देने होंगे, उन्हें पढ़ाना-लिखाना होगा, बच्चे बीमार न पड़ें उसका भी ख्याल रखना होगा, बच्चों से कोई गन्दा-छोटा काम नहीं करवाया जाएगा ।
प्रश्न-7 – तुलतुल ने टुनी के हाथ से हथौड़ा छीनकर फेंकते हुए क्या कहा ?
उत्तर- तुलतुल ने टुनी के हाथ से हथौड़ा छीनकर फेंकते हुए कहा कि माँ की बात कभी मत सुनना । यह बालवर्ष है, समझी ! बालवर्ष में बच्चों को गन्दा काम करना मना है ....., आज से तू डिपो से दूध लेने नहीं जाएगी । माँ के साथ सड़क से सड़ा हुआ गोबर नहीं उठाएगी । बात समझ में आ रही है न ! दिमाग में कुछ घुसा !
भाषा संरचना
प्रश्न-8 – भाववाचक संज्ञा बनाना –
उत्तर-
ईमानदार – ईमानदारी
भव्य – भव्यता
लंबा – लंबाई
जवान – जवानी
बहादुर – बहादुरी
सुंदर – सुंदरता
ऊँचा – ऊँचाई
भविष्य का भय पाठ से संबंधित शब्दार्थ
आश्चर्य – हैरानी
आहत – दुःखी, चोट खाया
बेमतलब – बिना बात
अपमान – बेइज्जती
भूत सवार होना – सनक सवार होना
कोशिश – प्रयास ।
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