शिक्षा का उद्देश्य पर निबंध शिक्षा ही जीवन का आधार शिक्षा और समाज के बीच संबंध शिक्षित देश ही उन्नत देश स्त्री शिक्षा नारी मुक्ति आंदोलन मे शिक्षा
शिक्षा का उद्देश्य पर निबंध
शिक्षा का उद्देश्य पर निबंध What is the purpose of education essay? essay on importance of education in hindi essay on importance of education essay on importance of education - शिक्षा विहीन व्यक्ति सींग और पूंछ रहित पशु के समान होता है । शिक्षा मनुष्य को देवत्व की ओर ले जाती है । मनुष्य के भीतर विकास की जो संभावनाएं रहती है उन्हे विसकित करना ही शिक्षा का मुख्य कार्य है । शिक्षा के अभाव मे मनुष्य विकास ,शिक्षा का विकास भी है । प्राचीन काल मे शिक्षा मे गुरु तथा ग्रंथ का अधिक महत्व रहता था । गुरुजनों ने जो सत्य उपलब्ध किया उसे वह शिष्यों तक पहुंचाना अपना कर्तव्य समझते थे । पुस्तकीय ज्ञान को विद्यार्थियों के मस्तिष्क मे ठूंस देना ही शिक्षा का मुख्य लक्ष्य स्वीकार नहीं किया जा सकता है । आधुनिक शिक्षा पद्धति व्यक्ति केन्द्रित है , विद्यार्थी केन्द्रित है । शिक्षा की आधुनिकतम पद्धतियाँ मनोविज्ञान पर आधारित है ।
शिक्षा ही जीवन का आधार
शिक्षा का लक्ष्य है संस्कार देना । मनुष्य के शारीरिक ,मानसिक तथा भावनात्मक विकास मे योगदान देना शिक्षा का मुख्य कार्य है । शिक्षित व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहता है । स्वस्च्छ्ता को जीवन मे महत्व देता है और उन सब बुराइयों से दूर रहता है जिनसे स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है । रुग्ण शरीर के कारण शिक्षा मे बाधा पड़ती है । शिक्षा हमारे ज्ञान का विस्तार करती है । ज्ञान का प्रकाश जिन खिड़कियों से प्रवेश करता है उन्ही से अज्ञान और रूढ़िवादिता का अंधकार निकाल भागता है । शिक्षा के द्वारा मनुष्य अपने परिवेश को पहचानने और समझने मे सक्षम होता है । विश्व मे ज्ञान का जो विशाल भंडार है उसे शिक्षा के माध्यम से ही हम प्राप्त कर सकते हैं । सृष्टि के रहस्यों को खोलने की कुंजी शिक्षा ही है । अशिक्षित व्यक्ति रूढ़ियों ,अंधविश्वासों एवं कुरीतियों का शिकार हो सकता है । शिक्षा हमारी भावनाओं का संस्कार भी करती है । साहित्य और कलाओं से हमारी संवेदनशीलता तीव्र होती है । शिक्षा हमारे दृष्टिकोण को उदार बनाती है । इस प्रकार हम कह कहते हैं कि शिक्षा का उद्देश्य मानव का सर्वगीन विकास करना है ।
शिक्षा और समाज के बीच संबंध
समाज मानवीय सम्बन्धों का ताना - बाना है । व्यक्ति और समाज का संबंध अत्यंत गहरा है । व्यक्ति के अभाव मे समाज का अस्तित्व ही संभव नहीं और समाज के अभाव मे सभ्य मनुष्य की कल्पना करना भी असंभव है । जो संबंध रेत के कड़ों और रेत के ढ़ेर मे होता है । वहीं संबंध व्यक्ति और समाज मे होता है । रेत के कण अपना अलग - अलग अस्तित्व रखते हुए भी रेत के ढ़ेर का निर्माण करते हैं ।
समाज का स्वास्थ्य ,व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है । यदि समाज मे रहने वाले व्यक्ति स्वस्थ्य ,सुशिक्षित ,संवेदनशील एवं परोपकारी होंगे तो समाज अवश्य उन्नति करेंगा। प्रत्येक सभ्य समाज की प्रमुख चिंता यही होती है कि वह किसी प्रकार अपने नागरिकों की उत्पादन क्षमता को बढ़ा सके । समाज का हर व्यक्ति समाज से जितना लेता है , उससे अधिक देने मे सक्षम हो सके तभी समाज का विकास संभव है । शिक्षित व्यक्ति मे ही यह क्षमता विकसित हो सकती है । शिक्षित व्यक्ति ही एक अच्छा व्यापारी ,कर्मचारी , डॉक्टर ,अध्यापक ,इंजीनियर अथवा नेता हो सकता है । शिक्षित व्यक्ति समाज को रहने के लिए बेहतर स्थान बना सकता है ।
शिक्षा के प्रचार द्वारा ही समाज मे समता ,सहयोग एवं शोषण रहित व्यवस्था का निर्माण संभव है । आज भारत मे साक्षरता अभियान पर बल दिया जा रहा है क्योंकि साक्षर और शिक्षित नागरिक ही सामाजिक कुरीतियों से लड़ सकते हैं । अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकता है । शिक्षित व्यक्ति आसानी से शोषण का शिकार नहीं हो सकता है क्योंकि प्रायः अज्ञानता ही मनुष्य को असहाय बनाती है । पुराने जमाने मे महाजन अपने आसामियों से कोरे कागजों पर अंगूठे लगवा लेते थे ,व्याज जोड़ते हुए उनका शोषण करते थे ,उनकी ज़मीनों को हड़प लेते थे ।
शिक्षित देश ही उन्नत देश
शिक्षित नागरिक ही प्रजातन्त्र की सफलता मे सहयोग दे सकते हैं । प्रजातन्त्र का आधार प्रबुद्ध जनमत है । शिक्षित व्यक्ति सोच -समझ कर ,उंच - नीच देखकर ,मतदान करता है । राष्ट्रिय समस्याओं को ठीक प्रकार समझ सकता है । इस प्रकार शिक्षा , प्रजातन्त्र की सफलता के लिए अत्यधिक आवश्यक है।
स्त्री शिक्षा
नारी मुक्ति आंदोलन मे शिक्षा का अत्यधिक महत्व है । शिक्षित नारी अपने परिवार तथा समाज के लिए उपयोगी भूमिका निभा सकती है । बच्चों को अच्छे संस्कार दे सकती है और घर को सजा संवार सकती है । शिक्षित नारी आत्म निर्भर हो सकती है और आवश्यकता पड़ने पर नौकरी करके घर की आर्थिक दशा को सुधार सकती है । शिक्षित नारी अपने अधिकारों के लिए लड़ सकती है और शोषण का विरोध कर सकती है । सामाजिक परिवर्तन मे शिक्षित नारियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है ।
शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य का सर्वगीन विकास है । व्यक्ति के विकास मे ही समाज का विकास है ।
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