अन्याय के विरुद्ध कहानी का सारांश प्रश्न उत्तर Russian Story by Anton Chekhov Anyay Ke Virudha hindi kids stories with moral Russian story in hindi
अन्याय के विरुद्ध अंतोन चेखव
अन्याय के विरुद्ध कहानी का सारांश
प्रस्तुत पाठ या कहानी (रूसी भाषा में लिखित कहानी) अन्याय के विरुद्ध , लेखक अन्तोन चेखव के द्वारा मूल रूप से लिखा गया है, जिसका हिन्दी में अनुवाद प्रभाकर द्विवेदी जी ने किया है ⃒ इस कहानी में इस बात पर बल दिया गया है कि जरूरत से अधिक सीधापन भी मूर्खता का प्रतीक बन जाता है ⃒ लेखक का कहना है कि अपनी बात कह पाने की क्षमता भी जीवन में बेहद आवश्यक है ⃒ अन्याय को चुपचाप सहन करते रहना, अन्याय करने से भी बड़ा पाप माना जाता है ⃒
लेखक एक रोज अपने बच्चों की मास्टरनी जूलिया को अपने पढ़ने के कमरे में बुलाया और उससे बैठने को कहा ⃒ दरअसल, लेखक मास्टरनी के तनख्वाह का हिसाब करना चाहता था ⃒ जब लेखक ने मास्टरनी से कुल तीस रुपये तनख्वाह तय होने की बात कही तो इस पर मास्टरनी ने दबे स्वर में चालीस रूबल की बात स्वीकारी ⃒ लेकिन ने अपनी बात पर अड़ते हुए लेखक ने कहा – नहीं भाई, तीस रूबल में ही बात हुई थी ⃒ इसके बाद पुनः जब लेखक ने कुल दिनों का हिसाब करते हुए दो महीने की बात कही तो इस पर भी मास्टरनी ने विरोध तो नहीं किया, पर दबे स्वर में दो महीने पाँच दिन की बात स्वीकारी ⃒ लेखक ने पुनः अपनी प्रतिक्रिया दिया – क्या कह रही हो ! ठीक दो महीने हुए हैं ⃒ भाई, मैंने डायरी में सब लिख रखे हैं ⃒ तो महीने के बनते हैं साठ रूबल ⃒ लेकिन साठ रूबल तभी बनेंगे जब महीने में एक भी नागा न हुआ हो ⃒ तुमने रविवार की छुट्टी मनाई है ⃒ उस दिन तुमने काम नहीं किया है ⃒ इसके अलावा तुमने तीन छुट्टियाँ और ली हैं... ⃒
लेखक की बात सुनकर जूलिया का चेहरा पीला पड़ गया ⃒ वह चुपचाप सुनती रही ⃒ अपने पक्ष में या जवाब में एक शब्द भी नहीं बोली ⃒ लेखक पुनः बोलने लगे – नौ इतवार और तीन छुट्टियाँ मिलकर कुल तुम्हारे बारह रूबल कट गए ⃒ कोल्या भी चार दिन बीमार रहा और तुमने सिर्फ वान्या को ही पढ़ाया ⃒ पिछले सप्ताह मेरे दांतों में दर्द होने की वजह से मेरी बीवी ने तुम्हें दोपहर के बाद छुट्टी दे दी थी ⃒ इस परकार बारह और सात उन्नीस हो गए ⃒ अतः साठ में से उन्नीस घटाने के बाद इकतालीस रूबल तुम्हारे बचते हैं... ⃒ लेखक की बात और फिजूल का हिसाब देख-सुनकर जूलिया की आँखों में आँसू छलक आए ⃒ फिर भी उसने लेखक के प्रति एक शब्द भी अपने हलक से नहीं निकाला ⃒
लेखक हिसाब करते-करते अंत में कुल ग्यारह रूबल बचने की बात करते हैं और उसे जूलिया को देते हुए कहते हैं – ये रही तुम्हारी तनख्वाह, ये ग्यारह रूबल, देख लो ठीक है न ? जूलिया कांपते हाथों से ग्यारह रूबल लिए और अपनी जेब टटोलकर किसी तरह उन्हें उसमें ठूंस लिया और धीमे विनीत स्वर में बोली – जी धन्यवाद !
इतने में लेखक जूलिया की बात सुनते ही गुस्से से भर उठे ⃒ उन्होंने ऊँचे स्वर में बोला – धन्यवाद किस बात का ? जूलिया जवाब में बोलती है – आपने मुझे पैसे दिए, इसके लिए धन्यवाद ⃒ इतने में लेखक को फिर से गुस्सा आ गई – मैंने तुम्हें ठगा है, धोका दिया है तुमको, तुम्हारे पैसे हड़प लिए हैं, फिर भी मुझे धन्यवाद दे रही हो ⃒ लेखक की बातों का भावुकतापूर्ण जवाब देते हुए जूलिया कहती हैं कि आपने तो कुछ दिया भी है, बाकी लोग तो मुझे एक पैसा भी नहीं दिए ⃒
अंत में लेखक जूलिया को उसके पूरे अस्सी रूबल देते हुए संबोधित करते हुए कहते हैं कि – मुझे माफ़ कर देना कि मैंने तुम्हारे साथ एक छोटा सा क्रूर मजाक किया है ⃒ पर मैं तुम्हें सबक सिखाना चाहता था ⃒ जूलिया ! क्या जरूरी है कि इंसान भला कहलाने के लिए इतना दब्बू, भीरु और बोदा बन जाए कि उसके साथ जो अन्याय हो रहा है, उसका विरोध तक न करे ? चुपचाप रहकर साड़ी ज्यादतियां सहता जाए ⃒ देखो जूलिया, अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए तुम्हें इस कठोर, निर्मम और ह्रदयहीन संसार से लड़ना होगा ⃒ ये कभी मत भूलना तुम कि इस संसार में दब्बू, भीरु और बोदे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है ... ⃒ ⃒
अन्याय के विरुद्ध कहानी के प्रश्न उत्तर
बहुवैकल्पिक प्रश्न
प्रश्न-1 – अधिक सीधापन किसका पर्याय माना जाता है ?
उत्तर- मूर्खता
प्रश्न-2 – इस कहानी के लेखक किस देश के रहने वाले थे ?
उत्तर- रूस
प्रश्न-3 – रूबल किस देश की मुद्रा है ?
उत्तर- रूस
प्रश्न-4 – लेखक जूलिया की तनख्वाह कितने रूबल तय करता है ?
उत्तर- चालीस
प्रश्न-5 – उन्नीस नागे काटने के बाद जूलिया के कितने रूबल बचते थे ?
उत्तर- इकतालीस
प्रश्नोत्तर
प्रश्न-1 – इस कहानी में लेखक ने क्या समझाना चाहा है ?
उत्तर- इस कहानी में लेखक ने यह समझाना चाहा है कि हमें अपने अधिकार के प्रति आवाज़ बुलंद करना चाहिए ⃒ वरना ये निर्मम, कठोर और ह्रदयहीन संसार हमें जीने नहीं देगा ⃒
प्रश्न-2 – जूलिया कौन है ? वह क्या काम करती है ?
उत्तर- जूलिया लेखक के बच्चों की मास्टरनी है ⃒ वह लेखक के बच्चों को पढ़ाने तथा देखभाल करने का काम करती है ⃒
प्रश्न-3 – जूलिया की कितने तनख्वाह तय हुई थी, पर लेखक ने कितनी बताई ?
उत्तर- जूलिया की चालीस रूबल तनख्वाह तय हुई थी, पर लेखक ने उसे तीस रूबल ही बताया ⃒
प्रश्न-4 – जूलिया को किस-किस लापरवाही के लिए दण्डित करने की बात कही गई ?
उत्तर- जूलिया को चाय के प्लेट और प्याली तोड़ने, लेखक के जैकेट फटने, नौकरानी के द्वारा वान्या के जूते चुरा लेने इत्यादि लापरवाही के लिए दण्डित करने की बात कही गई ⃒
प्रश्न-5 – जूलिया द्वारा धन्यवाद दिए जाने पर लेखक ने चिल्लाते हुए क्या कहा ?
उत्तर- जूलिया द्वारा धन्यवाद दिए जाने पर लेखक ने चिल्लाते हुए कहा कि – “तुम मुझे धन्यवाद दे रही हो, जबकि तुम अच्छी तरह जानती हो कि मैंने तुम्हें ठग लिया है ⃒ तुम्हें धोखा दिया है ⃒ तुम्हारे पैसे हड़प लिए हैं ⃒ इसके बावजूद तुम मुझे धन्यवाद दे रही हो ⃒”
प्रश्न-6 – रिक्त स्थान भरो –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
तुम्हारी तनख्वाह ...तीस... महीना तय हुई थी ⃒
जूलिया का ...चेहरा... पीला पड़ गया ⃒
पहली जनवरी को तुमने चाय की ...प्लेट... और ...प्याली... तोड़ी थी ⃒
मैं इसे भी ...डायरी... में नोट कर लेता हूँ ⃒
इस तरह ...ख़ामोश... रहने से काम नहीं चलेगा ⃒
भाषा संरचना
प्रश्न-8 – लिंग बदलो –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
अध्यापक – अध्यापिका
लेखक – लेखिका
बच्चा – बच्ची
मालिक – मालकिन
प्याला – प्याली
कवि – कवयित्री
प्रश्न-9 – वाक्य बनाओ –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -
क्रुद्ध स्वर – राम ने क्रुद्ध स्वर में श्याम को फटकार लगाई ⃒
दब्बू होना – राधा अपने मालिक के सामने बिलकुल दब्बू हो जाती है ⃒
सबक सिखाना – अपराधी को जेल भेजकर सबक सिखाया गया ⃒
ह्रदयहीन – वह बहुत क्रूर और ह्रदयहीन है ⃒
आँसू छलक आना – बोर्ड की परीक्षा में सर्वाधिक अंक पाने की ख़ुशी में मेरी आँखों से आँसू छलक आए ⃒
अन्याय के विरुद्ध कहानी से संबंधित शब्दार्थ
अस्तित्व – किसी के होने का भाव
यकीन – विश्वास
क्रोध – गुस्सा , आक्रोश
दब्बू – दबने वाला
विनीत – नम्र और शिष्ट
क्रूर – निर्दय
भीरु – डरपोक
अन्याय – जुल्म ⃒
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