भोलाराम का जीव कहानी का सारांश उद्देश्य प्रश्न उत्तर

SHARE:

भोलाराम का जीव Bholaram Ka Jeev bholaram ka jeev harishankar parsai भोलाराम का जीव कहानी सारांश उद्देश्य प्रश्न उत्तर समीक्षा सामाजिक समस्या व्यंग्य

भोलाराम का जीव हरिशंकर परसाई

भोलाराम का जीव Bholaram Ka Jeev bholaram ka jeev harishankar parsai भोलाराम का जीव का सारांश भोलाराम का जीव के पात्र हरिशंकर परसाई का साहित्य भोलाराम का जीव प्रश्न उत्तर भोलाराम का जीव कहानी का उद्देश्य भोलाराम का जीव का प्रकाशन वर्ष भोलाराम का जीव में व्यंग्य भोलाराम का जीव का भावार्थ भोलाराम का जीव कहानी में निहित सामाजिक समस्या पर अपने विचार व्यक्त कीजिए भोलाराम का जीव का सार भोलाराम का जीव का परिचय नेट हिंदी ugc भोलाराम का जीव की समीक्षा 


भोलाराम का जीव कहानी का सारांश


प्रस्तुत पाठ या व्यंग्य लेख  भोलाराम का जीव , लेखक हरिशंकर परसाई जी के द्वारा लिखित है ।वास्तव में देखा जाए तो ज्यादातर सरकारी अधिकारी रिश्वत लेने की फेहरिस्त में शामिल होते हैं । कभी-कभी लोग सरकारी दफ्तर का चक्कर लगाते-लगाते मृत्यु को प्राप्त भी हो जाते हैं, मगर उनका काम नहीं बनता । इन्हीं भ्रष्टाचार पर व्यंग्यात्मक बाण चलाते हुए लेखक ने यह कहानी लिखी है । यदि इस कहानी के दूसरे पक्ष की बात करें तो इसमें भोलाराम नामक व्यक्ति के लगातार पांच वर्षों तक पेंशन हेतु संघर्ष करने का मार्मिक चित्रण है । प्रत्येक क्षेत्र में भ्रष्टाचार किस प्रकार पनप रहा है, इसका व्यंग्य शैली में वर्णन किया गया है ।


प्रस्तुत व्यंग्य लेख के अनुसार, धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य लोगों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग या

भोलाराम का जीव कहानी का सारांश उद्देश्य प्रश्न उत्तर
नरक भेजते आ रहे थे । पर सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर देख रहे थे । परन्तु, कोई गलती नजर नहीं आ रही थी । तभी वे धर्मराज को संबोधित करते हुए बोले – महाराज ! रिकॉर्ड सब ठीक है, भोलाराम के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्यागी और यमदूत के साथ इस लोक के लिए रवाना भी हुआ, पर यहाँ अभी तक नहीं पहुँचा । इतने में धर्मराज ने कहा – और यह दूत कहाँ है ?  जवाब में चित्रगुप्त बोलते हैं – महाराज, वह भी लापता है । दोनों की बातें चल ही रही थी कि यमदूत अन्दर प्रवेश करता है, जिसे देखते ही चित्रगुप्त बोल उठे – अरे, तू कहाँ रहा इतने दिन ? भोलाराम का जीव कहाँ है ?  तभी जवाब में यमदूत हाथ जोड़ते हुए बोलता है – दयानिधान, आज तक मैंने धोखा नहीं खाया था, पर भोलाराम का जीव मुझे चकमा दे गया । भोलाराम की देह को त्यागते ही मैंने जीव को पकड़ा और इस लोक की यात्रा आरंभ की । किन्तु वह जीव मेरे चंगुल से छूटकर न जाने कहाँ गायब हो गया । इन पाँच दिनों में मैंने सारा ब्रह्माण्ड छान डाला, पर उस जीव का कहीं पता नहीं चला ।  यमदूत की बात सुनकर धर्मराज बहुत गुसा हुए और बोले – मूर्ख ! जीवों को लाते-लाते बूढ़ा हो गया, फिर भी एक मामूली बूढ़े आदमी के जीव ने तुझे चकमा दे दिया । यमदूत अपनी गलती पर बहुत शर्मिंदा हुआ । तभी चित्रगुप्त ने कहा – महाराज, आजकल पृथ्वी पर इस प्रकार का कारोबार बहुत चल रहा है । लोग दोस्तों को कुछ भेजते हैं और उसे रास्ते में ही रेलवे वाले उड़ा लेते हैं । राजनीतिक दलों के नेता विरोधी नेता को उड़ाकर बंद कर देते हैं । कहीं भोलाराम के जीव को भी किसी विरोधी ने मरने के बाद दुर्गति करने के लिए तो नहीं उड़ा दिया ?  इतने में धर्मराज ने चित्रगुप्त की ओर देखते हुए व्यंग्यात्मक ढंग से कहा – तुम्हारी भी रिटायर होने की उम्र आ गई, भला भोलाराम जैसे नगण्य, दीन आदमी से किसी को क्या लेना-देना ? 


इतने में नारद मुनि भी वहाँ पर आ गए और धर्मराज को चिंतित देखकर उनसे कारण पूछे तो धर्मराज ने उत्तर दिया – भोलाराम नाम के एक आदमी की पाँच दिन पहले मृत्यु हुई, जब यह दूत उसके जीव को ला रहा था तो वह इसे रास्ते में चकमा देकर भाग निकला ।  नारद ने पूछा – उस पर इनकम टैक्स बकाया तो नहीं था ? हो सकता है, उन लोगों ने रोक लिया हो । इस पर चित्रगुप्त ने कहा कि इनकम होती तो न टैक्स होता, भूखमरा था ⃒  तभी नारद बोले कि मुझे उसका नाम, पता बताइए, मैं पृथ्वी पर जाता हूँ । तत्पश्चात, चित्रगुप्त ने रजिस्टर देखकर बताया – उसका नाम भोलाराम था, जबलपुर शहर में घमापुर मोहल्ले में नाले के किनारे एक डेढ़ कमरे के टूटे-फूटे मकान में वह परिवार साथ रहता था, उसकी एक स्त्री थी, दो लड़के और एक लड़की । लगभग साठ साल की उम्र थी उसकी। सरकारी नौकरी में था, जो पाँच साल पहले रिटायर हो गया था। जब मकान का किराया वर्ष भर से नहीं चुका पाया तो मकान मालिक उसे निकालना चाहता था। जबतक भोलाराम ही संसार को छोड़कर चल बसा। 


तलाश के सिलसिले में नारद बाबू के पास गए। उसने तीसरे के पास भेजा, तीसरे ने चौथे के पास, चौथे ने पाँचवें के पास। जब नारद पचीस-तीस बाबुओं और अफ़सरों के पास घूम आए तब एक चपरासी ने कहा – महाराज, आप क्यों इस झंझट में पड़ गए। आप साल भर भी यहाँ का चक्कर लगाते रहें तो भी काम नहीं होगा। आप सीधे बड़े साहब से मिलिए, उन्हें खुश कर दिया दो अभी तुरंत आपका काम हो जाएगा।  जब नारद ने बड़े साहब के कमरे में पहुँचा तो साहब बहुत नाराज़ होकर कहने लगे – इसे कोई मंदिर-वंदिर समझ लिया है क्या ? धड़धड़ाते चले आए ! चिट क्यों नहीं भेजी ?  जवाब में नारद ने बोला – आपका चपरासी सो रहा है।  तभी साहब ने रौब से पूछा – क्या काम है ?  इतने में नारद ने भोलाराम का पेंशन-केस के बारे में बतलाया।  तभी साहब बोले – आप हैं वैरागी, दफ्तरों के रीति-रिवाज़ नहीं जानते। यहाँ पर दान-पुण्य भी करना पड़ता है। साहब का इशारा सीधे-सीधे रिश्वत की गड्डियों से था। बल्कि बदले में जब साहब ने नारद की वीणा का मांग किया तो उन्हें अपना वीणा देते हुए बोले – यह लीजिए, अब जरा जल्दी भोलानाथ की पेंशन का आर्डर निकाल दीजिए। नारद की बात सुनकर साहब ख़ुश हो गए, नारद को कुर्सी दी और चपरासी को बुलवाया। चपरासी को फाइल लाने को कहा। कुछ ही देर में चपरासी भोलाराम की सौ-डेढ़ सौ दरख्वास्तों से भरी फाइल लेकर आया। उसमें पेंशन के कागज़ात भी थे। साहब ने फाइल का नाम देखा और निश्चित करने के लिए पूछा – क्या नाम बताया साधुजी आपने ? नारद ने जवाब में बोला – भोलाराम।  तभी अचानक फाइल में से आवाज़ आई – कौन पुकार रहा है मुझे ? पोस्टमैन है ? क्या पेंशन का आर्डर आ गया ?  आवाज़ सुनते ही नारद चौंके, लेकिन तुरंत वे मामले को समझ गए और बोले – भोलाराम ! तुम क्या भोलाराम के जीव हो ?  तभी आवाज़ आई – हाँ। 


नारद ने भोलाराम को समझाते हुए कहा – मैं नारद हूँ, तुम्हें लेने आया हूँ, चलो तुम्हारा स्वर्ग में इंतज़ार हो रहा है ⃒  तभी आवाज़ आई – मुझे नहीं जाना, मैं तो पेंशन की दरख्वास्तों में अटका हूँ। यहीं मेरा मन लगा है। मैं इसे छोड़कर कहीं नहीं जा सकता। 



भोलाराम का जीव कहानी का उद्देश्य


भोलाराम का जीव हरिशंकर परसाई जी की व्यंग कहानी है जो सरकारी दफ्तरों के कामकाज और उनकी व्यवस्था को दर्शाती है।

भोलाराम एक साधारण सा व्यक्ति था। अवकाश प्राप्त करने के बाद पेंशन लेने के लिए उसे दफ्तर के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं परन्तु वह पेंशन नहीं ले पाता है। लेखक ने एक आम आदमी की दुर्गति का वर्णन किया है जो सीधे तरीके से चलने के कारण अपना काम कराने में असमर्थ रहते हैं। वे रिश्वत रूपी वजन अपने आवेदन पत्रों पर नहीं रख पाते इसीलिए उनके आवेदन पत्र उड़ जाते हैं। सरकारी दफ्तरों में इस तरह का भष्ट्राचार व्याप्त है। अधिकारी को खुश करने तथा अपना काम निकलवाने के लिए उसे भेंट ,चंदा ,उपहार या रिश्वत देना आवश्यक हो जाता है। भोलाराम इस बात को नहीं समझ पाता ,वह बीमारी और भुखमरी के कारण मर जाता है। भोलाराम की व्यथा एक आम आदमी की व्यथा है।

लेखक सरकारी कार्यालयों में फैली इस अव्यवस्था ,अत्याचार और रिश्वतखोरी के कारणों के प्रति पाठकों का ध्यान खीचने में समर्थ हुआ है। सरकारी कार्यालयों में छोटे - छोटे काम भी लम्बे समय तक लटकते रहते हैं। यह कर्मचारियों के ढीलेपन का सबूत है। सरकारी दफ्तरों में यदि कोई पहुँच जाते तो चपरासी से लेकर बाबू,फिर बड़े बाबू ,फिर अफसर ,फिर साहब के चक्रव्यूह में फँस जाता है। छोटे से लेकर बड़ा साहब तक जानता है कि बिना रिश्वत के किसी का काम नहीं होता है। सरकारी व्यवस्था एक यंत्र की तरह है उसका हर पुर्जा बिना तेल रिश्वत लिए नहीं चलता है। हर व्यक्ति अवसर का लाभ उठाना चाहता है।

भोलाराम का जीव कहानी को लेखक ने पौराणिक कथा का रूप दिया है ताकि अपनी बात को हास्य और व्यंग के द्वारा समाज तक रख सके। रेलवे की अव्यवस्था ,राजनैतिक दलों की तिकड़म ,ठेकेदारों द्वारा बेईमानी ,सभी का पर्दाफाश किया है। भोलाराम की आत्मा को पेंशन न मिलने की वजह से शान्ति नहीं मिली थी इसीलिए उसका जीव अपनी फ़ाइल में अटका था।


भोलाराम का जीव कहानी की शीर्षक की सार्थकता


भोलाराम एक गरीब व साधारण व्यक्ति का नाम है। जीव का अर्थ उसकी आत्मा से है। मरने के बाद जीव और शरीर अलग हो जाते हैं ,जीव को उसके कर्मों का फल स्वर्ग या नरक में मिलता है। पर इस कहानी में जीव मरने के बाद गायब हो जाता है क्योंकि वह रिटायर होने के बाद पेंशन प्राप्त करने की पूरी कोशिश करता है पर रिश्वत न दिए जाने के कारण उसे पेंशन नहीं मिलती है और उसका जीव अपनी पेंशन की दरख्वास्त से चिपका रहता है। मरने वाले की आत्मा को यदि शान्ति नहीं मिलती तो वह अपनी इच्छित वस्तुओं या व्यक्तियों के आगे पीछे मंडराती है। लेखक ने व्यंग के माध्यम से जहाँ सरकारी दफ्तरों के रीति रिवाजों की खिल्ली उड़ाई जाती है ,वहीँ यह समस्या पाठकों को सोचने के लिए मजबूर भी कर देती है। कहानी में सबकी चिंता भोलाराम के जीव का गायब हो जाना था। अंत में वह अपनी दरख्वास्त से चिपका पाया गाया। इस प्रकार यह शीर्षक स्पष्ट और सार्थक है।


भोलाराम का चरित्र चित्रण


भोलाराम का जीव कहानी के लेखक श्री हरिशंकर परसाई हिंदी के सर्वश्रेष्ठ व्यंगकार माने जाते हैं। उन्होंने अपनी व्यंगात्मक रचनाओं द्वारा समाज की कुरीतियों एवं कुव्यवस्था पर करारी चोट की है। उनका व्यंग बहुत पैना और प्रभावशाली है जो पाठकों के ह्रदय पर सीधा प्रभाव डालता है। प्रस्तुत कहानी का प्रमुख पात्र भोलाराम भी उनका इसी प्रकार का पात्र है जो सरकारी अव्यवस्था व भ्रष्टाचार से पीडित व्यक्ति का जीता जागता उदाहरण है।

भोलाराम ने जब अवकाश प्राप्त किया तो पेंशन मिलना स्वाभाविक था। परन्तु अपने इस अधिकार को पाने के लिए भी उसने दफ्तरों के कई चक्कर काटे ,प्रार्थना पत्र डाले पर पेंशन नहीं मिली। लेखक ने सरकारी दफ्तरों की कार्य शैली ,कार्य में विलम्ब के कारण पर तीखा कटाक्ष किया कि भोलाराम जैसे साधारण कर्मचारी की कोई सुनवाई नहीं होती है क्योंकी वह सम्बंधित अधिकारी को रिश्वत नहीं दे पाता है। यदि वह रिश्वत दे देता तो उसे अपनी पेंशन मिल जाती। भोलाराम की दरख्वास्त फाइलों में बंद हो गयी। उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो पायी तथा अंत में निर्धनता के कारण उसने प्राण त्याग दिए।

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि परसाई जी व्यंगात्मक ढंग से भोलाराम नामक पात्र के द्वारा सामाजिक व्यवस्था व सरकारी तंत्र के बारे में बहुत कुछ कह गए हैं। उनका यह पात्र बहुत भोले व निर्धन वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जो धन के अभाव में अपनी जिंदगी ढोए चले जाते हैं और अंत में कुव्यवस्था का शिकार होकर दम तोड़ देते हैं और उनकी आत्मा इन्ही चिंताओं में भटकती रहती है।




भोलाराम का जीव प्रश्न उत्तर



बहुवैकल्पिक प्रश्न 


प्रश्न-1 – स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान कौन अलोट करते हैं ? 

उत्तर- धर्मराज 


प्रश्न-2 – किसके साथ भोलाराम का जीव रवाना हुआ था ? 

उत्तर- यमदूत 


प्रश्न-3 – भोलाराम का जीव किसे चकमा दे गया ? 

उत्तर- यमदूत 


प्रश्न-4 – किसने सारा ब्रह्माण्ड छान मारा ? 

उत्तर- यमदूत 


प्रश्न-5 – किसके रिटायर होने की उम्र आ गई ? 

उत्तर- चित्रगुप्त 


    

प्रश्नोत्तर  


प्रश्न-1 – धर्मराज लाखों वर्षों से क्या काम करते आ रहे थे ? 

उत्तर- धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश के आधार पर स्वर्ग या नरक में निवास-स्थान अलोट करते आ रहे थे। 


प्रश्न-2 – चित्रगुप्त कौन है ? वह क्या काम करता है ? 

उत्तर- चित्रगुप्त लोगों के मौत का हिसाब रखने वाला देवता है, जो लोगों की मृत्यु के पश्चात हिसाब-किताब रखता है । 


प्रश्न-3 – नारद जी को भोलाराम की केस फाइल निकलवाने के लिए क्या रिश्वत देनी पड़ी ? 

उत्तर- नारद जी को भोलाराम की केस फाइल निकलवाने के लिए अपनी वीणा के रूप में रिश्वत देनी पड़ी। 


प्रश्न-4 – चित्रगुप्त ने धर्मराज के सम्मुख क्या समस्या रखी ? 

उत्तर- चित्रगुप्त ने धर्मराज के सम्मुख यह समस्या रखी कि आजकल पृथ्वी पर रिश्वत का व्यापार बहुत चल रहा है ⃒ लोग दोस्तों को कुछ वास्तु भेजते हैं और उसे रास्ते में ही रेलवे वाले उड़ा लेते हैं ।राजनीतिक दलों के नेता विरोधी नेता को उड़ाकर बंद कर देते हैं। 


प्रश्न-5 – यमदूत ने भोलाराम के जीव के बारे में क्या सूचना दी ? 

उत्तर- यमदूत ने भोलाराम के जीव के बारे में यह सूचना दी कि भोलाराम का जीव मुझे चकमा देकर भाग गया । मैंने सारा ब्रह्माण्ड छान डाला, पर उसका कहीं पता नहीं चला। 


प्रश्न-6 – चित्रगुप्त ने भोलाराम के जीव के गायब हो जाने के संबंध में क्या आशंका जताई ? 

उत्तर- चित्रगुप्त ने आशंका जताते हुए कहा कि कहीं भोलाराम के जीव को भी किसी विरोधी ने मरने के बाद दुर्गति करने के लिए तो नहीं उड़ा दिया। 


प्रश्न-7 – इस पाठ में सरकारी दफ्तरों की कार्य-प्रणाली पर क्या व्यंग्य किया गया है ? 

उत्तर- इस पाठ में सरकारी दफ्तरों की कार्य-प्रणाली पर व्यंग्य करते हुए सीधे-सीधे रिश्वतखोरी की तरफ इशारा किया गया है, जिससे आम आदमी कहीं न कहीं पूरी ज़िंदगी परेशान रहता है तथा मौत के बाद भी उसकी आत्मा को चैन नहीं मिलता। 

 


भाषा संरचना 


प्रश्न-8 – भाववाचक संज्ञा बनाओ – 


उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -

  • बीमार – बिमारी 

  • सच्चा – सच्चाई 

  • ईमानदार – ईमानदारी 

  • बूढ़ा – बुढ़ापा 


प्रश्न-9 – बहुवचन रूप लिखिए – 


उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -

  • दफ्तर – दफ्तरों 

  • इमारत – इमारतों, इमारतें 

  • बाबू – बाबुओं 

  • आदमी – आदमियों 

  • दरख्वास्त – दरख्वास्तों 

  • ठेकेदार – ठेकेदारों 


प्रश्न-10 – नए शब्द बनाओ – 


उत्तर- निम्नलिखित उत्तर हैं -

  • द्ध – सिद्ध , गिद्ध , युद्ध 

  • थ्वी – पृथ्वी , 

  • ब्ब – डिब्बा , धब्बा , मुरब्बा 

  • ह्म – ब्रह्माण्ड , 




भोलाराम का जीव पाठ के शब्दार्थ

 

  •  व्यंग्य – कटाक्ष 

  • कुरूप – बुरा रूप 

  • फ़ाके – भूखे रहना 

  • विकृत – बिगड़ा हुआ 

  • वज़न – भार 

  • चकमा देना – धोखा देना 

  • रिटायर – सेवानिवृत्त 

  • देह – शरीर 

  • असंख्य – जिसकी गिनती न की जा सके । 



COMMENTS

Leave a Reply: 5
  1. आपके द्वारा दिए गए इस रोचक कहानी का समीक्षाकरण मुझे अच्छा लगा और यह बहुत ही लाभप्रद साबित हुआ। आपको सहृदय धन्यवाद। एक याचना है यदि समीक्षकरण के सभी बिंदुओं पर उल्लेखनीय तरीके से जवाब दिए जाएं तो हम पाठकों को रचना को समझने में बहुत ही मदद मिल जाएगी। धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामीमई 26, 2023 5:47 pm

    KAM SAMAY MEN PURI KAHANI SAMJH MEN AA GAYI.

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,87,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,437,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,429,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: भोलाराम का जीव कहानी का सारांश उद्देश्य प्रश्न उत्तर
भोलाराम का जीव कहानी का सारांश उद्देश्य प्रश्न उत्तर
भोलाराम का जीव Bholaram Ka Jeev bholaram ka jeev harishankar parsai भोलाराम का जीव कहानी सारांश उद्देश्य प्रश्न उत्तर समीक्षा सामाजिक समस्या व्यंग्य
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMoYf3fojy6IV49kXQJOpqnyZfEnJZQfMpU4zlo_rIFe82cKeAclyiuiC6iOlaUZ3P_nalSNeWGsdCtXon8a0zW3fR-D8ymvS3qDUs83gvlMTXq2AC3-_6wYMPAnS-pfbJTBtGFELwKWY1/s320/bholaram-ka-jeev-harishankar-parsai.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMoYf3fojy6IV49kXQJOpqnyZfEnJZQfMpU4zlo_rIFe82cKeAclyiuiC6iOlaUZ3P_nalSNeWGsdCtXon8a0zW3fR-D8ymvS3qDUs83gvlMTXq2AC3-_6wYMPAnS-pfbJTBtGFELwKWY1/s72-c/bholaram-ka-jeev-harishankar-parsai.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/10/bholaram-ka-jeev-harishankar-parsai.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/10/bholaram-ka-jeev-harishankar-parsai.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका