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हम प्रभात की नई किरण कविता - रामधारी सिंह दिनकर
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हम प्रभात की नई किरण कविता की व्याख्या भावार्थ अर्थ
हम प्रभात की नई किरण हैं, हम दिन के आलोक नवल,
हम नवीन भारत के सैनिक, धीर,वीर,गंभीर, अचल ।
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि रामधारी सिंह दिनकर जी वीर बालकों की विशेषताओं का वर्णन किया है और उनके गुणों की प्रशंसा की है। कविता में भारत माँ के सपूत वीर बालक अपनी प्रतिज्ञा का वर्णन करने के लिए उन गुणों का वर्णन कर रहे हैं जिनके कारण वे भारतमाता के पुत्र होने पर गर्व कर सकते हैं। सुबह की सूर्य की किरणों में जो ताजगी होती है वह हमारे अन्दर भी है। इसी के बल पर हम सूर्य की किरणों द्वारा अँधेरा दूर करने की भाँती भारत में फैले अज्ञान ,अन्धविश्वास आदि के अँधेरे को मिटाते हैं। जैसे दिन में रोज नया प्रकाश फैलता है ,इसी तरह हम भी ज्ञान का नया प्रकाश फ़ैलाने वाले हैं। भाव यह है कि हमारे कार्यों से भारत का भविष्य उज्जवल होगा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जो नया भारत बन रहा है। हम उसके सैनिक हैं जो धैर्यवान हैं ,बहादुर और समुन्द्र की तरह गहरे व स्थिर हैं। हम अपने प्रण से कभी डगमगा नहीं सकते हैं।
हम हैं शान्तिदूत धरणी के, छाँह सभी को देते हैं।
व्याख्या - भारत माँ के सपूत होने पर जिन गुणों पर गर्व किया जा सकता है ,उनका वर्णन करते हुए वीर बालक कहते हैं ,भारत का मुकुट जो ऊँचा हिमालय है ,उसकी रक्षा करने वाले पहरेदार हमीं हैं। हमारे होते हुए कोई शत्रु हिमालय पर नहीं आ सकता है। ऊँचा हिमालय हर तरह से स्वर्ग के समान है। स्वर्ग में जो सुगंध फैली होती है ,वैसी शुद्ध वातावरण हिमालय पर भी है। हिमालय पर गहरा पहरा देते हुए मानों हम स्वर्ग की सुगंधी को प्राप्त कर लेते हैं। हम इस पृथ्वी पर शांतिदूत है अर्थात विश्व शान्ति का प्रचार - प्रसार करते हैं। पूरे विश्व में शान्ति का सन्देश देने वाले भारत के सपूत हैं। विश्व का कोई भी देश हमारे लिए मित्र या शत्रु नहीं है। जहाँ भी शान्ति की आवश्यकता है ,वहीँ हमारे प्रेरक सन्देश काम आते हैं। दुनिया भर को शान्ति की छाया हमसे मिलती है और हम विश्वशांति की छाया में सारी दुनिया को जीने की प्रेरणा देने वाले हैं।
वीर-प्रसू माँ की आँखों के हम नवीन उजियाले हैं
गंगा, यमुना, हिन्द महासागर के हम रखवाले हैं।
व्याख्या - भारत माँ की प्रशंसा करते हुए बहादुर बच्चे कहते हैं कि हमारी भारत माता ऐसी महान माँ है जिसने सदा एक से बढ़कर एक वीर पुत्रों को जन्म दिया है। हमारा इतिहास पराक्रमी पुरुषों की गाथाओं से भरा पड़ा है। हम भी उसी परम्परा में पले हैं। इसी कारण हम वीरों की वह पीढ़ी हैं जो भारत माँ की आँखों में सदा नयी ज्योति भरेगी। माँ की आँखों में वीरपुत्रों की माँ कहलाने के गौरव की चमक हम कभी कम नहीं होने देंगे। हमारे देश के गले का हार जो गंगा और यमुना जैसी नदियाँ हैं ,हम उनके रक्षक हैं। हिन्द - महासागर भारतमाता के चरण पखारता है। उसकी भी हम रक्षा करते हैं। अर्थात समुंद्री सीमाओं से भी कोई शत्रु हमारे देश पर आक्रमण करने का साहस नहीं कर सकता है।
हम हैं शिवा-प्रताप रोटियाँ भले घास की खाएंगे,
मगर, किसी ज़ुल्मी के आगे मस्तक नहीं झुकायेंगे।
व्याख्या - वीर बालक भारत माँ की स्तुति में कहते हैं कि हमारा इतिहास इस सत्य का गवाह है कि भारत माता ने सदा वीर पुत्रों को जन्म दिया है। महाराष्ट्र के छत्रपति शिवाजी और मेवाड़ के महाराणा प्रताप भी ऐसे ही वीर पुत्र थे। राजस्थान के महान भारतीय सपूत महाराणा प्रताप के स्वाभिमान की बराबरी कौन कर सकता है ? हम उसी परंपरा की संतान है। हमारे अन्दर शिवाजी और महाराणा प्रताप की वीरता और अडिग प्रतिज्ञा हैं। मुगलों की सत्ता के आगे घुटने टेकने से इनकार करके महाराणा प्रताप ने स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष किया और बड़े से बड़ा संकट सहा। इसी परंपरा में हमें भला घास की रोटियाँ खानी पड़ी किन्तु किसी अत्याचारी के आगे सिर झुकाकर उसकी दासता स्वीकार करना हमें भी मंजूर नहीं है। राष्ट्रीय अभिमान और स्वतंत्रता की रक्षा हमें हर कीमत पर करनी है।
हम प्रभात की नई किरण कविता का सारांश मूल भाव
हम प्रभात की नई किरण है कविता श्री रामधारी सिंह दिनकर जी की प्रसिद्ध कविता है। आपने प्रस्तुत कविता में वीर बालकों को नए भारत का सैनिक बताते हुए उनके गुण बताये हैं। कवि का कहना है कि जैसे सुबह की नयी किरण ताजगी से भरी होती है और रात का अँधेरा दूर करती हैं ,वैसे ही भारत माता के वीर सुपुत्र नए उत्साह से नए भारत से अज्ञान और अन्धविश्वास आदि का अन्धकार दूर करने वाले हैं।
सन १९४७ ई. में अंग्रेजों की गुलामी से जो भारत स्वतंत्र हुआ ,उसे नए सिरे से आगे बढ़ना आवश्यक है। वीर बालक प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने वाले इस नए भारत के हितों की रक्षा करने वाले सैनिक हैं। धरती पर सब ओर अशांति व्याप्त है और बड़े - बड़े अमीर देश एक दूसरे से लड़ने को तैयार बैठे हैं। किन्तु भारत ने दुनिया को सदा शान्ति का सन्देश दिया है। वीर बालक भारत की सभी परम्पराओं को पालन करते हुए धरती के हर देश को शान्ति का सन्देश देने वाले दूत हैं।
भारत माता का इतिहास बताता है कि उसने सदा एक से एक शूरवीरों को जन्म दिया है। अकेले भारत में ही वीर पुरुषों की बड़ी संख्या है। वीरता की इस परंपरा को निभाने वाले आज के भारत के वीर बालक भी है ताकि भारत माँ का गौरव कभी कम न हो।
हम प्रभात की नई किरण कविता के प्रश्न उत्तर
प्र. नवीन भारत का क्या अर्थ है ?
उ. नवीन भारत का अर्थ है ,१९४७ ई. में अंग्रेजों की गुलामी के बाद आजाद हुआ भारत। अंग्रेजों ने जब तक भारत को गुलाम बनाये रखा ,उन्होंने हमारे देश की सारी धन - संपत्ति इंग्लैंड में पहुँचा दी। इससे सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला हमारा देश एकदम निर्धन हो गया। आजाद होने के बाद हमें नए सिरे से देश का पुनरवलोकन करना पड़ा। नवीन भारत ,प्रगति के पथ पर बढ़ता हुआ स्वतंत्र भारत है।
प्र. भारतवासियों में कौन से महान गुण हैं ?
उ. भारतवासी सुबह की किरणों की तरह ताजगी से भरे और अन्धकार मिटाने वाले हैं। वे दिन में हर दिन नए प्रकाश जैसे हैं ,वे धैर्यवान हैं ,शूरवीर हैं ,सागर की तरह गहरे और स्थिर है ,प्रण पर अडिग रहने वाले हैं। उनमें ऐसा गुण हैं जो स्वर्ग में बिखरी सुगंध को भी मानों अपने पास खिंच लेता है। वे पूरे विश्व को शान्ति का पाठ पढ़ाते हैं और सबसे समानता का व्यवहार करते हैं। वे सब कष्ट उठा सकते हैं ,किन्तु किसी अत्याचारी की दासता स्वीकार नहीं कर सकते हैं।
उ. दूत वह होता है जो कोई सन्देश लेकर जाता है। जो शान्ति का सन्देश सब तक पहुंचाए वह शांतिदूत कहलाता है। भारतवासी इस दुनिया में सच्चे शांतिदूत है।
प्र. शिवा और प्रताप कौन है ? वे हमारे लिए आदरणीय क्यों है ?
उ. शिवा महाराष्ट्र के मराठा सरदार वीर छत्रपति शिवा जी हैं और प्रताप मेवाड़ के वीर राजपूत महाराणा प्रताप है। वे दोनों परम वीर और महान देशभक्त थे। इसीलिए वह हमारे लिए आदरणीय हैं।
प्र. शिवा और प्रताप में से किस वीर को घास की रोटियां खानी पड़ी थी और क्यों ?
उ. महाराणा प्रताप को घास की रोटियां खानी पड़ी थी। उन्हें घास की रोटियां इसीलिए खानी पड़ी थी क्यों हल्दीघाटी के मैदान में मुगलों से लड़ते हुए उन्हें अपना महल छोड़ कर जंगलों में भटकना पड़ा था।
प्र. कवि ने वीर बालकों की तुलना किन किनसे की है ? तुम्हे इनमें से कौन सी तुलना सबसे अच्छी लगी और क्यों ?
उ. कवि ने भारत के वीर बालकों की नवीन भारत का सैनिक बताते हुए उनके गुण बताएं हैं। जिनसे इनकी तुलना इन गुणों के कारण की गयी है। वे हैं - प्रभात की नयी किरण ,दिन का नया आलोक ,ऊँचे हिमालय के रक्षक ,धरती पर विश्वशांति के दूत ,वीर पुत्रों को जन्म देने वाली भारत माँ की आँखों का नया प्रकाश ,गंगा - यमुना और हिन्द महासागर के रक्षक ,शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप।
इनमें से सबसे अच्छी तुलना वीर बालकों को उस भारत माता की आँखों का नया प्रकाश बताने वाली है जो सदा वीर पुत्रों को जन्म देती है। इसका कारण यह है कि वीरों की जननी कहकर कवि ने भारत की महान परम्परों की ओर संकेत किया है। नया प्रकाश कहकर आजादी के बाद प्रगति पथ पर बढ़ते भारत के बच्चों से जो आशाएं हैं। उनकी ओर संकेत किया है। बच्चे ही आशा का वह प्रकाश है जो परम्पराओं को जीवित रखेंगे। इस प्रकार इस तुलना में अधिक पूर्णता है ,केवल कोई एक पक्ष नहीं है।
प्र. कवि ने मातृभूमि के सैनिकों के कुछ गुण बताएं हैं। तुम्हारे विचार में उनमें और कौन से गुण होने चाहिए।
उ. कवि के अनुसार मातृभूमि के सैनिक वीर बालक हैं। धीर गंभीर भी दृढ निश्चय वाले थे। वे हिमालय से लेकर हिन्द महासागर तक मातृभूमि के रक्षक हैं। वे स्वाभिमानी हैं और उसकी रक्षा के लिए राणाप्रताप की तरह घास की रोटियां खाकर भी युद्ध करने को तैयार हैं ,फिर भी अपने सहज गुण के कारण दुनिया भर को शान्ति का पाठ पढ़ाते हैं। इन गुणों के अतिरिक्त उनमें निम्नलिखित गुण और होने चाहिए -
- वे कभी आपस में न लड़ें।
- दूसरे उन्हें अपनी ओर मिलाना चाहें तो वे उनकी बातों में न आये।
- वे अपने देश की पिछड़ी जातियों से भी प्रेम करें और उन्हें अपने बराबर ले आने में सहयोग दे.
- वे धर्मं ,जाति ,भाषा और प्रान्त का झगड़ा मिटा दें।
- वे आदिवासियों का शोषण समाप्त करें और शोषण की परंपरा को रोक दें.
- वे भ्रष्ट्राचार की समाप्ति के लिए प्रयत्न करें और देश से भाई - भतीजावाद की जड़े उखाड़ दें।
- वे देश की आबादी और न बढ़ने दें और स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करें।
हम प्रभात की नई किरण कविता के शब्द अर्थ
प्रभात - सवेरा
किरण - रश्मि
आलोक - प्रकाश
नवल - नवीन
धीर - धैर्यवान
गंभीर - स्थिर और गहरा
अचल - निश्चय ,अडिग
प्रहरी - पहरेदार ,रक्षक
हिमाद्री - हिमालय पर्वत
सुरभि - सुगंध
शान्ति दूत - शान्ति के प्रचारक
धरणी - पृथ्वी
छांह - छाया
वीर प्रसू - वीर पुत्रों को जन्म देने वाली
माँ - भारत माता
उजियाले - प्रकाश
शिवा - छत्रपति शिवाजी
जुल्मी - अत्याचारी
मस्तक - माथा ,सर
हमारी पहचान तो सिर्फ ये है कि हम भारतीय हैं – जय भारत, वन्दे मातरम
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