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जग जीवन में जो चिर महान कविता - सुमित्रानंदन पंत
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जग जीवन में जो चिर महान कविता की व्याख्या अर्थ भावार्थ
जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्य-पूर्ण औ सत्य-प्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ!
जिसमें मानव-हित हो समान!
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सुमित्रानंदन पन्त जी ईश्वर से प्रार्थना करते है। वे कहते हैं कि हे प्रभु ! मैं केवल उन गुणों से प्रेम करूँ जो इस संसार के जीवन में सदा से महान कहलाते आये हैं तथा जो सुन्दरता से भरे हुए है और जिनके प्राणों तक में केवल सत्य का निवास है। जिन गुणों से मनुष्य मात्र का हित भला होता हो ,मेरा उन्ही के प्रति प्रेम बने। भाव यह है कि दुर्गुणों और मनुष्यों का अहित करने वाली सभी चीज़ें से मैं बचा रहूँ।
जिससे जीवन में मिले शक्ति,
छूटे भय, संशय, अंध-भक्ति;
मैं वह प्रकाश बन सकूँ, नाथ!
मिट जावें जिसमें अखिल व्यक्ति!
व्याख्या - इस पद्यांश में कवि ईश्वर से प्रार्थना करते हुए उससे वह उन सबके प्रति प्रेम का वरदान मांग रहा है ,जो जीवन में आत्मिक शक्ति देने वाला है। कवि की प्रेम प्रार्थना है कि उसका प्रेम उन गुणों में बढे जो जीवन के विविध भय दूर करते हो ,जिनसे सभी शंकाएं और संदेह समाप्त होकर ज्ञान प्राप्त होता हो और अन्धविश्वास जैसी बुराइयाँ मिट जाती हो। कवि सारे संसार में समानता का प्रकाश फैलाना चाहता है ,इसीलिए वह स्वयं ऐसा प्रकाश बन सकने की प्रार्थना करता है ,जिसमें सब व्यक्ति शामिल हो सकते हो। भाव यह है कि मानव कल्याण का लाभ सभी छोटे - बड़े अमीर - गरीब आदि उठा सकें।
दिशि-दिशि में प्रेम-प्रभा प्रसार,
हर भेद-भाव का अंधकार,
मैं खोल सकूँ चिर मुँदे, नाथ!
मानव के उर के स्वर्ग-द्वार!
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहते हैं कि सभी दिशाओं में प्रेम का प्रचार - प्रसार करने के लिए आगे आना होगा। हर प्रकार का भेद -भाव जो की अन्धकार की तरह है। उन्हें दूर करने के लिए ज्ञान का प्रकाश फैलाना होगा। मनुष्य की आँखें स्वार्थवश अभी भी बंद हैं ,उन्हें आगे बढ़ने के लिए खोलना होगा। जब ज्ञान का प्रकाश आएगा तो मनुष्य के ह्रदय के द्वार सभी के लिए खुल जायेंगे। इस प्रकार समानता आएगी।
पाकर, प्रभु! तुमसे अमर दान
करने मानव का परित्राण,
ला सकूँ विश्व में एक बार
फिर से नव जीवन का विहान!
व्याख्या - कवि ईश्वर से ऐसा वरदान पाने के लिए प्रार्थना करता है जो अक्षय हो अर्थात जो कभी समाप्त न हो। भाव यह है कि वह ईश्वर से केवल सद्गुणों ,सद्भाव और भाई चारे व समानता का वरदान मांगता है ,जिसका लाभ हर मनुष्य को मिले। वह अत्याचार और शोषण का शिकार बने। मनुष्य मात्र का उद्धार करने के लिए यह वरदान मांग रहा है। उसकी प्रार्थना है कि यदि ईश्वर की उस पर कृपा हो जाए तो वह संसार में एक बार फिर से नए जीवन का प्रभाव ला सकता है। नव - जीवन का सवेरा वह होगा जिसमें सभी मनुष्य सुखी और समान होंगे।
जग जीवन में जो चिर महान कविता का सारांश / मूल भाव
जग जीवन में चिर महान कविता सुमित्रानंदन पन्त जी द्वारा लिखी गयी एक प्रसिद्ध कविता है। प्रस्तुत कविता में आपने ईश्वर से प्रार्थना की है। कवि उन गुणों से प्रेम करना चाहता है जो संसार में महान हो और सुन्दरता से भरे हुए है। संसार में सभी शंकाएं और संदेह समाप्त हो जाए और अन्धविश्वास जैसी बुराइयाँ मिट जाए। इससे सारे संसार में समानता का प्रकाश फ़ैल जाए। कवि स्वयं ऐसा प्रकाश बनने के लिए ईश्वर की कृपा प्राप्त करना चाहता है जिससे सब मनुष्यों में समानता का व्यवहार होने लगे। समाज में मानव कल्याण हो और विभिन्न प्रकार के भेद भाव मिट जाए। असमानता मिटने पर ही नया सवेरा होगा जिसमें सभी मनुष्य सुखी व समान होंगे।
जग जीवन में जो चिर महान कविता के प्रश्न उत्तर
प्र. कवि किसका प्रेमी बनना चाहता है और क्यों ?
उ. कवि उन सद्गुणों का प्रेमी बनना चाहता है जो मनुष्य की भलाई की बराबरी करते हो ,जो मानव कल्याण के समान हों और जो संसार के जीवन में सदा से महान कहलाते आये हैं ,सुन्दरता से भरपूर हैं तथा जिनके प्राणों में केवल सत्य की बसता है। कवि इसीलिए इन सद्गुणों का प्रेमी बनना चाहता है ताकि वह दुर्गुणों और मनुष्यों का अहित करने वाली सभी चीज़ों से बचा रहे।
उ. कवि ईश्वर से सद्गुणों ,सद्भाव और भाईचारे व समानता का वरदान पाना चाहता है जिसका लाभ हर मनुष्य को मिले सके। वह अत्याचार और शोषण का शिकार बने मनुष्य मात्र का उद्धार करने के लिए यह अमर दान पाना चाहता है।
प्र. कवि कौन सा विहान ,कहाँ और कब लाना चाहता है ?
उ. कवि ईश्वर से ऐसा वाहन लाना चाहता है जो अक्षय हो अर्थात जो सभी समाप्त न हो। वह संसार में एक बार फिर से नए जीवन का प्रभात सवेरा लाना चाहता है। जिससे हर मनुष्य का उद्धार हो सके।
प्र. नव - जीवन का अर्थ समझा कर लिखिए ?
उ. नवजीवन का अर्थ है ऐसा नया जीवन जो ईश्वर की कृपा प्राप्त करके संसार में लाया जा सके। इसमें शोषण , असमानता नहीं होगा ,बल्कि मानव मात्र का उद्धार करने की शक्ति होगी।
प्र. मनुष्य के लिए समानता क्यों आवश्यक है ?
उ. मनुष्य के लिए समानता इसीलिए आवश्यक है क्योंकि इससे मानव कल्याण का लाभ सभी छोटे - बड़े ,अमीर - गरीब उठा सकते हैं। इससे सभी सुखी और समान होंगे।
प्र. भावार्थ लिखिए -
मैं वह प्रकाश बन सकूँ नाथ ,
मिल जाए जिसमें अखिल विश्व
उ. कवि की प्रार्थना है कि वह ऐसा प्रकाश बन्ने के लिए ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सके जिसका लाभ सब उठा सकें अर्थात सब मनुष्यों के साथ समानता का व्यवहार होने लगे।
जग जीवन में जो चिर महान कविता के शब्द अर्थ
जग जीवन - संसार के जीवन में
चिर - महान - जो सदा बड़ा बना रहे।
सौन्दर्य - सुन्दरता
औ - और
सत्य प्राण - जिसके प्राणों में सत्य का निवास हो।
नाथ - स्वामी
हित समान - भला करने जैसा
संशय - संदेह
अंधभक्ति - अन्धविश्वास
अखिल - सभी
अमर - कभी समाप्त न होने वाला
परित्राण - कल्याण
विहान - सवेरा
thank a lot
जवाब देंहटाएंKishan Kumar
हटाएंThanks
जवाब देंहटाएंVritha purva pashchim..... Antardrishti gyan yojit
जवाब देंहटाएंyhh
हटाएंVritha purva pashchim..... Antardrishti gyan yojit
जवाब देंहटाएंWhy
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