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प्रायश्चित कहानी - भगवतीचरण वर्मा
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प्रायश्चित कहानी का सारांश
प्रायश्चित कहानी भगवतीचरण वर्मा जी द्वारा लिखी गयी एक प्रसिद्ध कहानी है। प्रस्तुत कहानी में रामू की बहू अभी चौदह वर्ष की बालिका थी जिसे घर बार संभालना पड़ा। लेकिन कम उम्र की होने कारण वह घर सँभालने में असमर्थ थी। घर में कबरी बिल्ली अक्सर उसकी रखी हुई हुई दूध ,खीर ,दही आदि खा जाती थी। रामू की बहु के लिए खाना पीना मुश्किल हो गया था। रामू की बहु ने बिल्ली फ़साने के लिए एक कटघरा मंगवाया तथा बिल्ली को स्वादिष्ट लगने वाले व्यंजन रख दिया। लेकिन कुछ न बना।
एक दिन रामू की बहु ने रामू के लिय पिस्ता ,बादाम ,मखाने वाली खीर बनायीं। खीर बिल्ली ने गिरा दी। रामू की बहु बहुत क्रोधित हुई और उसने कबरी बिल्ली को मारने का निर्णय कर लिया। एक बार रामू की बहु जान बूझकर देहरी पर दूध का बर्तन रखकर पटक दिया। बिल्ली वही उल्ट गयी। बिल्ली मरने की खबर पास - पड़ोस में फ़ैल गयी। लोग शोक मनाने लगे। पंडित परमसुख को यह खबर मिली। पंडित ने आकर प्रायश्चित बताया कि बिल्ली के भार जितना सोने की बिल्ली बनवा कर दान कर दो।
रामू की माँ ग्यारह तोले की सोने की बिल्ली बनाकर दान देने को तैयार हो गयी। पूजा की सामग्री के लिए दस मन गेहूं ,एक मन चावल ,एक मन दाल ,मन भर तिल ,पांच मन जौ और पांच मन चना ,चार पसेरी घी और मन भर नमक पंडित जी ने माँगा। पंडित जी ने कहा कि इक्कीस दिन पाठ करना पड़ेगा और उसके इक्कीस रुपये लगेंगे। इक्कीस दिनों तक दोनों वक्त पांच पांच ब्राह्मणों को भोजन कराना पड़ेगा। लेकिन मैं अकेला ही दो समय का भोजन कर लिया करूँगा और इसी से पांच ब्राह्मणों के भोजन का फल मिल जाएगा।
अभी बिल्ली बनवाने व पूजा पाठ का समान लाने की बारे में बात हो ही रही थी ताकि बिल्ली के मारने का प्रायश्चित हो सके तभी मिसरानी हाँफती हुई अन्दर आई और कहने लगी कि बिल्ली तो उठकर भाग गयी।
प्रायश्चित कहानी के प्रश्न उत्तर
प्र. रामू की मां ने पूजा पाठ में मन क्यों लगाया ?
उ. रामू की माँ ने पूजा पाठ में मन इसीलिए लगाया क्योंकि भण्डार घर की चाभी रामू की बहु के पास थी। नौकरों पर उसका हुक्म चलने लगा और रामू की बहु ही घर में सब कुछ थी।
प्र. कबरी बिल्ली ने किस प्रकार बहु के नाक में दम कर रखा था ?
उ. कबरी बिल्ली ने रामू की बहु को बहुत ही तंग कर रखा था क्योंकि कबरी बिल्ली बिल्ली घर का दूध घी तथा अन्य चीज़ें चट कर जाती थी। इस प्रकार कबरी बिल्ली ने रामू की बहु के नाम में दम कर रखा था।
प्र. रामू की बहु ने क्या तय किया और उसने बिल्ली को फ़साने के लिए क्या किया ?
उ. बहु ने यह तय किया कि या तो वह घर में रहेगी या फिर कबरी बिल्ली। उसने बिल्ली को फ़साने के लिए कटघरा मंगवाया। उसमें दूध ,चूहे ,मलाई और बिल्ली को स्वादिष्ट लगने वाले विविध व्यंजन रखे गए।
उ. रामू की बहु पर उस समय खून सवार हो गया जब खीर फर्श पर पड़ी थी और बिल्ली डटकर उसे खा रही थी और फूल का कटोरा टुकड़े - टुकड़े होकर जमीन पर दिखाई दे रहा था।
प्र. घर की नौकरानीयों ने काम करना बंद क्यों कर दिया था ?
उ. घर की नौकरानीयों ने इसीलिए काम करना बंद कर दिया था क्योंकि वे समझती थी कि घर में हत्या हो गयी है और जब तक हत्या का पाप बहु के सर पर रहेगा तब तक हम काम नहीं करेंगी।
प्र. पंडित परमसुख को क्यों बुलाया गया और उन्होंने पूजा पाठ का क्या विधान बताया ?
उ. पंडित परमसुख को प्रायश्चित का उपाय पूछने के लिए बुलाया गया और उसने बिल्ली की हत्या के लिए बिल्ली के बराबर तोल की सोने की बिल्ली दान करने तथा इक्कीस दिन का पाठ करने ,ब्राह्मणों को भोजन खिलाने आदि तथा पूजा पाठ का विधान बताया।
प्र. सोने का मोल तोल कहाँ से शुरू होकर कहाँ समाप्त हुआ ?
उ. सोने का मोल बिल्ली के भार के बराबर से शुरू होकर ग्यारह तोले पर आकर समाप्त हुआ।
प्र. पंडित परमसुख को खाली हाथ घर क्यों लौटना पड़ा ?
उ. पंडित परमसुख को खाली हाथ इसीलिए लौटना पड़ा क्यों अंत में बिल्ली उठकर भाग गयी थी।
प्रायश्चित कहानी भगवतीचरण वर्मा के शब्द अर्थ
जिन्स - कच्चा राशन
दुश्वार - कठिन ,मुश्किल
पंसेरी - पांच सेर
तोंद - बड़ा पेट
अखरना - बुरा लगना
परच - परिचित
चम्पत - गायब
सहानुभूति - हमदर्दी
Is natak ke piche pandit ji kya udessaya tha
जवाब देंहटाएंबिल्ली ने क्या सुवांग रचा
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