आ रही रवि की सवारी कविता का भावार्थ व्याख्या आ रही रवि की सवारी कविता का सारांश आ रही रवि की सवारी कविता का प्रश्न उत्तर Aa Rahi Ravi Ki Sawari Kavita
आ रही रवि की सवारी - हरिवंश राय ‘बच्चन’
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आ रही रवि की सवारी कविता का भावार्थ व्याख्या
आ रही रवि की सवारी।
नव-किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों-से अनुचरों ने
स्वर्ण की पोशाक धारी।
आ रही रवि की सवारी।
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा रचित कविता आ रही रवि की सवारी से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि सूर्य उदय का समय हो गया है ⃒ सूर्य अब निकलने ही वाला है ⃒ सूर्य की रथ नई किरणों से सजी हुई है ⃒ फूलों की कलियों से रास्ते सजे हुए हैं ⃒ बादल जो सूर्य के सेवक हैं, वे सोने के कपड़े पहन कर खड़े हैं ⃒ ये सभी सूर्य के स्वागत के लिए खड़े हैं ⃒ सूर्य की सवारी आ रही है ⃒
विहग, बंदी और चारण,
गा रही है कीर्ति-गायन,
छोड़कर मैदान भागी,
तारकों की फ़ौज सारी।
आ रही रवि की सवारी।
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा रचित कविता आ रही रवि की सवारी से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि सूर्य की सवारी आ रही है, इस खुशी में पक्षी, प्रशंसा के गीत गाने वाले लोग सूर्य का वन्दना करते हुए उसके यश और कीर्ति का गीत गा रहे हैं ⃒ तारों की सारी फौज भी मैदान छोड़कर जा चुकी है ⃒ अब सूर्य अपनी सवारी के साथ आ रहें हैं ⃒
चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह-
रात का राजा खड़ा है,
राह में बनकर भिखारी।
आ रही रवि की सवारी।
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा रचित कविता आ रही रवि की सवारी से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से कहते हैं कि सूर्य की सवारी आ रही है ⃒ उसे खुशी से उछल कर जीतना चाहता हूँ, लेकिन रात के राजा चाँद और तारों को रास्ते में भिखारी की तरह लाचार देखकर रुक जाता हूँ ⃒
आ रही रवि की सवारी कविता का सारांश
प्रस्तुत पाठ या कविता आ रही रवि की सवारी , कवि हरिवंश राय बच्चन जी के द्वारा रचित है ⃒ इस कविता के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय प्रकृति में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैं, कवि ने इन्हीं बदलावों को इस कविता के माध्यम से सचित्र वर्णन किया है। प्रकृति प्रेम सौंदर्य और भावना का विकास करने वाली है ⃒ कवि ने विजय और पराजय दोनों ही परिस्थितियों में समता बनाए रखने का संदेश दिया है... ⃒ ⃒
आ रही रवि की सवारी कविता का प्रश्न उत्तर
मौखिक
प्रश्न-1 – बादलों को किसकी उपमा दी गई है ?
उत्तर - बादलों को अनुचरों की उपमा दी गई है ⃒
प्रश्न-2 - रात का राजा किसे कहा गया है ?
उत्तर - रात का राजा चाँद को कहा गया है ⃒
उत्तर- कवि सूर्य की विजय से भी प्रसन्न इसलिए नहीं हो पाता, क्योंकि कवि विजय कर उछलना चाहता है ⃒
लिखित
प्रश्न-1 - तुम्हें पक्षीयों का चहचहाना कैसा लगता है? कवि ने पक्षियों की किसके समान बताया है ?
उत्तर - हमें पक्षियों का चहचहाना अच्छा लगता है ⃒ कवि ने पक्षियों को भाट या वीरों की प्रशंसा के गीत गानेवाले बताया है ⃒
प्रश्न-2 – नव-किरण, बादल-दल, और पक्षी ' रवि की सवारी' का स्वागत किस प्रकार करते हैं ?
उत्तर - नव-किरण, बादल-दल, और पक्षी 'रवि की सवारी' का स्वागत अलग-अलग तरह से करते हैं ⃒ नव-किरण रथ को सजाती है, बादल सोने के वस्त्र पहनकर खड़े होते हैं और पक्षी सूर्य के कीर्तिं एवं यश का गायन कर के स्वागत करते हैं ⃒
प्रश्न-3सूर्य उदय होने पर इनमें क्या-क्या परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं ? चाँद में,तारों में
उत्तर - सूर्य उदय होने पर इनमें निम्नलिखित परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं –
चाँद - चाँद लाचार होकर रास्ते में भिखारी की तरह खड़ा होता है ⃒
तारें - सारे तारे मैदान छोड़कर भाग जाते हैं ⃒
भाषा से
प्रश्न-1 – स्तम्भ 'क' तथा स्तम्भ 'ख' में दिए गए शब्दों को मिलाइए –
उत्तर - निम्नलिखित उत्तर है -
नव किरण – रथ
बादल – अनुचर
विहग – चारण
तारे – सैनिक
चाँद – रात का राजा
प्रश्न-2 – दिए गए शब्द समूह से पर्यायवाची शब्द छाँटकर लिखिए –
उत्तर - निम्नलिखित उत्तर है -
तारक – सितारा, नक्षत्र, तारा
सूर्य – प्रभाकर, दिनकर, रवि
सेवक – नौकर, सेवादार, अनुचर
बादल – मेघ, जलधर, घन
आ रही रवि की सवारी कविता से संबंधित शब्दार्थ
कलि - कली
अनुचरों - सेवक या नौकर
धारी - धारन करना या पहनना
बंदी - वन्दना करने वाले
चारण - भाट या वीरों की प्रशंसा के गीत गानेवाले
कीर्ति - यश या प्रशंसा
तारकों - तारे या नक्षत्र
ठिठकता - सहसा रुक जाना ⃒
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