देश प्रेम देश भक्ति पर निबंध desh prem essay in hindi essay on desh prem in hindi desh prem par nibandh hindi mein Essay on Desh bhakti Essayदेश प्रेम
देश प्रेम देश भक्ति पर निबंध
देश प्रेम की निबंध desh prem essay in hindi essay on desh prem in hindi desh prem par nibandh hindi mein Essay on Desh bhakti Essay on Patriotism in Hind essay on patriotism in Hindi देशप्रेम पर हिंदी में निबंध essay on patriotism in english hindi speech on desh bhakti देश प्रेम पर लेख - जननी और जन्मभूमि दोनों स्वर्ग से बढ़कर है। यह कथन वास्तव में बड़ा ही सारगर्भित है। प्रत्येक व्यक्ति के ह्रदय में अपनी जननी और जन्मभूमि के प्रति स्वाभाविक प्रेम है। सचमुच सच्चा सुख उसी मनुष्य को प्राप्त होता है जिसका ह्रदय स्वदेश से परिपूर्ण है। देश हित त्याग करने में जो परम आनंद है ,उसे शहीद की अंतरात्मा ही जानती है।
स्वदेश का गौरव
स्वदेश का गौरव महान है ,जिस भूमि पर हम पैदा होते हैं ,जिसकी मिट्टी में लोट कर हम बड़े होते हैं ,जिस भूमि से उत्पन्न अन्न जल ग्रहण कर हम अपनी रक्षा करते हैं ,जिसके शीतल जल और वायु का हम सेवन करते और प्राकृतिक दृश्य को देखकर आनंद विभोर होते हैं ,उस जन्म भूमि के ऋण से हम कभी मुक्त नहीं हो सकते हैं। उसकी जितनी सेवा करें ,कम है। सचमुच इसी से हमारी उन्नति का द्वार खुलता है -
जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं,
वह हृदय नहीं है, पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
देश से प्रेम करने वाला व्यक्ति देश की उन्नति में अपनी उन्नति समझता है और अवनति में अपनी अवनति समझता है। सच्चा देश भक्त अपना बलिदान देशहित में कर देना चाहता है। श्री राम नरेश त्रिपाठी ने लिखा है -
सच्चा प्रेम वही है जिसकी तृप्ति आत्म-बलि पर हो निर्भर।
त्याग बिना निष्प्राण प्रेम है,करो प्रेम पर प्राण निछावर।
देश-प्रेम वह पुण्य क्षेत्र है,अमल असीम त्याग से विलसित।
आत्मा के विकास से जिसमें,मनुष्यता होती है विकसित।
देश प्रेम इतिहास में अमर
हमारे देश का इतिहास देश प्रेमिओं की गाथाओं से भरा पड़ा है। भारत के मध्य काल में महाराणा प्रताप ,शिवाजी का देशप्रेम बेजोड़ था। बाद में झाँसी की रानी ,सुभाष चन्द्र बोस ,चंद्रशेखर आजाद ,भगत सिंह ,महात्मा गांधी आदि के नाम आज भी इतिहास में अमर है। भारत पाकिस्तान के युद्ध में अब्दुल हमीद का देश प्रेम जीवित रहेगा। लोगों के देश प्रेम की गाथा में अंतर पाया जाता है। कुछ लोग देश प्रेम का नाटक करते हैं और जब त्याग सेवा का अवसर आता है तो पलायन कर जाते हैं। किन्तु जो सच्चे देशभक्त में मशीन की तरह लगे रहते हैं। वे न तो बंदूक की गोली से डरते हैं और न ही कारा की अंध कोठरियों से।
देश प्रेम दिखाने के अनेक क्षेत्र हैं।आवश्यक नहीं कि सभी लोग एक ही प्रकार से देश सेवा करें। राजनितिक द्वारा ,धन द्वारा ,कला द्वारा सामाजिक सुधार द्वारा या पेशे द्वारा (डॉक्टर ,वकील शिक्षक ,इंजीनियरिंग ,वैज्ञानिक आदि ) देश सेवा का व्रत लिया जा सकता है।
देश सेवा का व्रत
हमारा पवित्र कर्तव्य है कि हम अपने पूर्वजों और महापुरषों का अनुशरण करते हुए सच्चे देश प्रेमी बने। व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर हम देश सेवा का व्रत ग्रहण करें। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो हमारा जन्म लेना व्यर्थ है। कहा भी गया है कि
जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है।
वह नर नहीं, नर पशु निरा है और मृतक समान है।
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