फागुन में सावन शिवमंगल सिंह सुमन फागुन में सावन कविता का भावार्थ फागुन में सावन कविता का सारांश मूल भाव फागुन में सावन कविता के प्रश्न उत्तर Fagun Mai
फागुन में सावन - शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
फागुन में सावन कविता का भावार्थ
आज कहाँ से फिर आ पहुँचा फागुन में सावन !
सुबह उड़ी थी धूल
शाम को घिर आए बादल
बासंती रातों में बरसा
किन आँखों का जल
पतझर की नंगी डालों में पुलक उठा यौवन ⃒
आज कहाँ से फिर आ पहुँचा फागुन में सावन !
भावार्थ
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी द्वारा रचित कविता फागुन में सावन से उद्धृत हैं ⃒ इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने फागुन के महीने में बादलों के घिर आने पर मन में विभिन्न प्रकार के उमड़ते भावों का वर्णन किया है ⃒ धरती पर सावन के आगमन को संबोधित करते हुए कवि कहते हैं कि आज न जाने कहाँ से फागुन के महीने में पानी बरस रहा है ⃒ ऐसा लग रहा है मानो फिर सावन आ गया हो ⃒ कवि कहते हैं कि सुबह तो धूल भरी हवाएँ चल रही थीं और साँझ आते ही बादल छा गए ⃒ लगता है बसंत की सुहावनी रातों में किसी दुखी की आँखों से बहा पानी बारिश के रूप में धरती पर बरस रहा है ⃒ पानी की बूँदों के पड़ने से पत्र-विहीन डालियों पर फिर से नई पत्तियाँ निकलने लगी हैं ⃒ वृक्षों पर फिर से यौवन आ गया है ⃒
सौंधी-सौंधी मिट्टी महकी
गमक उठा उपवन
बिजली कौंधी आसमान में
धरती में सिहरन
होली में कजली गाने को फिर ललचाया मन ⃒
आज कहाँ से फिर आ पहुँचा फागुन में सावन !
भावार्थ
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी द्वारा रचित कविता फागुन में सावन से उद्धृत हैं ⃒ इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने फागुन के महीने में धरती पर बादलों के बरसने पर सावन के गीत अर्थात् कजली गाने का वर्णन किया है ⃒ कवि कहते हैं कि धरती पर बारिश की बूँदें पड़ने से मिट्टी गीली हो गई है और उससे सौंधी-सौंधी ख़ुशबू आ रही है ⃒ उपवन भी उत्साह से भर उठे हैं, महकने लगे हैं ⃒ आकाश में बिजली चमक रही है और धरती का मन खुशियों से झूम उठा है ⃒ देखा जाए तो फागुन का महिना है और होली का दिन है, लेकिन फिर भी फागुन में सावन का एहसास होने से कवि का मन फाग (होली का गीत) गाने के बजाय कजली (सावन का गीत) गाने को मचल उठा है ⃒
हरियाली का स्वप्न
थिरकने लगा पुतलियों में
अलियों का उन्माद
कि शोखी आई कलियों में
तपन बिना क्या मूल्य तुम्हारा, जीवन-धन रस-घन ⃒
आज कहाँ से फिर आ पहुँचा फागुन में सावन !
भावार्थ
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी द्वारा रचित कविता फागुन में सावन से उद्धृत हैं ⃒ इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने फागुन के महीने में धरती पर बादलों के बरसने पर जो परिवर्तन आया है, उसका चित्रण करने का प्रयास किया है ⃒ इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं कि सावन के आगमन से चारों तरफ़ हरियाली इस तरह छा गई है कि आँखों की पुतलियों में हरियाली का स्वप्न नाचने लगे हैं ⃒ कलियाँ चटक उठी हैं, उनपर भँवरे गुंजन कर रहे हैं ⃒ कवि कहते हैं कि रस के रूप में बरसने वाले बादल, जीवन रुपी धन को देने वाला है ⃒ अतः आज न जाने कहाँ से फागुन में, सावन असमय आकर धरती का रूप ही बदल दिया है ⃒
फागुन में सावन कविता का सारांश मूल भाव
प्रस्तुत पाठ या कविता फागुन में सावन , कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ जी के द्वारा रचित है ⃒ इस कविता के माध्यम से कवि उस वर्षा का बड़े ही उत्साह से अभिनन्दन करते हैं, जो वर्षा असमय होती है ⃒ कवि की मनोदशा कुछ इस प्रकार है कि फागुन के महीने में जो वर्षा होती है, जिसके कारण धरती सुगन्धित हो उठती है, उपवन महकने लगता है और पत्र-विहीन डालियों पर पुनः कोंपलों का आगमन हो जाता है, जो कवि के लिए अत्यंत हर्षोल्लास का केंद्र बन जाता है ⃒ जिसके पश्चात् कवि का मन ख़ुशी से होली के गीत (फाग) न गाकर, सावन के गीत (कजली) गाने को मचल व झूम उठता है... ⃒ ⃒
फागुन में सावन कविता के प्रश्न उत्तर
प्रश्नोत्तर
प्रश्न-1 – बादलों के आने पर क्या हुआ ?
उत्तर- बादलों के आने पर अत्यधिक वर्षा हुई और धरती हर्षोल्लास से भर उठी ⃒
प्रश्न-2 – होली में क्या गाने का मन करता है ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, होली में कजली गाने का मन करता है ⃒
प्रश्न-3 – ‘जीवन-धन’ और ‘रस-घन’ शब्दों द्वारा किसकी ओर संकेत किया जा रहा है और क्यों ?
उत्तर- ‘जीवन-धन’ और ‘रस-धन’ शब्दों द्वारा बादलों की ओर इशारा क्या जा रहा है ⃒ क्योंकि बादलों के जल से ही पृथ्वी हरी-भरी होती है तथा चारों तरफ़ खुशियों की चमक फैल जाती है ⃒
प्रश्न-4 – ‘कष्ट के बिना सुख का भी कोई अर्थ नहीं होता’ – ऐसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर- वास्तव में देखा जाए तो जब धरती गर्मी से तपती है, तभी बारिश के पानी से वह ठंड होती है अर्थात् ठंडक का एहसास प्राप्त कर पाती है ⃒ ठीक उसी प्रकार, जीवन में भी दुःख के बाद ही सुख का एहसास व महत्त्व का पता चलता है ⃒ इसलिए ऐसा कहा गया है कि ‘कष्ट के बिना सुख का भी कोई अर्थ नहीं होता’ ⃒
प्रश्न-5 – सही उत्तर चुनकर √ लगाइए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
पतझड़ की डालें असमय वर्षा होने से कैसी हो गईं ?
(उनमें यौवन पुलक उठा)
होली में कवि का मन किसके लिए ललचाया ?
(कजली गाने के लिए)
पुतलियों में किसका स्वप्न थिरकने लगा ?
(हरियाली का)
भाषा से...
प्रश्न-6 – इन शब्दों के लिए समानार्थक शब्द लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
पुलक – प्रसन्नता
अलि – भँवरा
सौंधी – सुगंधित
गमक – महक
थिरकना – नाचना
घन – बादल
प्रश्न-7 – दिए गए शब्दों की सहायता से वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
(सावन, पतझड़, वसंत, उपवन, कजली)
बरसात में गाया जानेवाला गीत – कजली
जहाँ तरह-तरह के फूलों की क्यारियाँ हों – उपवन
जिस मौसम में पत्ते झड़ जाते हैं – पतझड़
जब पेड़ों पर नए पत्ते आते हैं – वसंत
बरसात का महीना – सावन
प्रश्न-8 – वचन बदलकर वाक्यों को पुनः लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
बच्चा खेल रहा है ⃒
(बच्चे खेल रहे हैं ⃒)
बंदर पेड़ से नीचे कूद पड़ा ⃒
(बंदर पेड़ से नीचे कूद पड़े ⃒)
वह कल मेरे साथ था ⃒
(वे कल मेरे साथ थे ⃒)
बादल आने पर क्या हुआ ?
(बादलों के आने पर क्या हुआ ?)
प्रश्न-9 – दिए गए तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
फागुन – फाल्गुन
रात – रात्रि
सपना – स्वप्न
मोल – मूल्य
मिट्टी – मृत्तिका
आँख – चक्षु
सावन – श्रावन
कान – कर्ण
फागुन में सावन कविता से संबंधित शब्दार्थ
फागुन – हिन्दी महीने का एक नाम
बासंती – वसंत की
पतझर – पतझड़
पुलक – प्रसन्, प्रफुल
सौंधी-सौंधी – भीनी-भीनी
गमक – महक
कौंधी – चमकी
सिहरन – कंपन, काँपना
कजली – बरसात में गाया जाने वाला गीत
थिरकने – नाचने
अलियों – भँवरों
उन्माद – पागलपन
शोखी – चंचलता
तपन – गर्मी या साधना ⃒
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