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हिमालय और हम कविता - गोपाल सिंह नेपाली
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हिमालय और हम कविता का भावार्थ
इतनी ऊँची इसकी चोटी कि सकल धरती का ताज यही ⃒
पर्वत-पहाड़ से भरी धरा पर केवल पर्वतराज यही ⃒⃒
अंबर में सिर, पाताल चरण
मन इसका गंगा का बचपन
तन वरण-वरण मुख निरावरण
इसकी छाया में जो भी है, वह मस्तक नहीं झुकाता है ⃒
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है ⃒⃒
भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ गोपाल सिंह नेपाली जी द्वारा रचित कविता हिमालय और हम से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से पर्वतराज हिमालय और भारतवासियों के बीच अटूट संबंधों का वर्णन करने का प्रयास किया है ⃒ कवि गोपाल सिंह जी कहते हैं कि हिमालय की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट पृथ्वी की सबसे ऊँची चोटी है ⃒ जिस प्रकार व्यक्ति के सर पर ताज या मुकुट सुशोभित होता है ⃒ ठीक उसी प्रकार, धरती पर हिमालय की ऊँची चोटी ताज की तरह शोभा बिखेर रही है ⃒ हिमालय की अत्यधिक ऊँचाई होने के कारण ऐसा आभाष होता है मानो उसका सर आसमान को छू रहा हो और उसके चरण पाताल की गहराई को स्पर्श कर रहे हों ⃒ कवि कहते हैं कि हिमालय पर्वत का मन गंगा के बचपन की भांति पवित्र और निर्मल है ⃒ अर्थात् कहने का आशय यह है कि पवित्र गंगा का उद्गम स्रोत ही हिमालय है ⃒ हिमालय का तन विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों से आच्छादित है और मुख बेहद ऊँचाई पर होने के कारण वनस्पतियों से रहित है ⃒ कवि कहते हैं कि जो भी हिमालय के आश्रय में आता है, उसमें भी हिमालय के जैसे ही दृढ़ता और आत्मविश्वास समाहित हो जाता है ⃒ यही वजह है कि वह अपना मस्तक किसी के सामने नहीं झुकाता है ⃒ गिरिराज हिमालय से हम भारतीयों का नाता (रिश्ता) भी कुछ ऐसे ही है ⃒
अरुणोदय की पहली लाली इसको ही चूम निखर जाती ⃒
फिर संध्या की अंतिम लाली इसपर ही झूम बिखर जाती ⃒⃒
इन शिखरों की माया ऐसी
जैसे प्रभात, संध्या वैसी
अमरों को फिर चिंता कैसी ?
इस धरती का हर लाल ख़ुशी से उदय-अस्त अपनाता है ⃒
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है ⃒⃒
भावार्थ -
प्रस्तुत पंक्तियाँ गोपाल सिंह नेपाली जी द्वारा रचित कविता हिमालय और हम से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि हिमालय पर जिस तरह उदय और अस्त सामान रूप से दिखाई देती है, ठीक उसी तरह हम भारतीय भी सुख और दुःख को समान भाव से ग्रहण करते हैं ⃒ कवी गोपाल सिंह जी कहते हैं, प्रातःकाल में जब सूर्य की रौशनी हिमालय पर्वत की हिम-सतह पर पड़ती हैं तो वह मानो हिमालय को चूमकर और भी निखर जाती है ⃒ ठीक उसी तरह सूर्यास्त के वक़्त की अंतिम रौशनी की लालिमा भी हिमालय की सतह पर झोंका खाते हुए बिखर जाती है ⃒ कवि कहते हैं कि हिमालय की शिखरों में ऐसी माया है कि यहाँ पर जैसा सुबह का दृश्य दिखाई देता है, वैसा ही संध्या का दृश्य होता है ⃒ अर्थात् यहाँ कहने का प्रयास कर रहे हैं कि जिस तरह हिमालय पर्वत का प्राकृतिक सौन्दर्य सुबह और शाम एक समान है, ठीक उसी तरह भारतवर्ष की धरती का हर जवान भी जीवन-मृत्यु को समान भाव से अपनाता है ⃒ गिरिराज हिमालय से हम भारतीयों का नाता (रिश्ता) भी कुछ ऐसे ही है ⃒
हर संध्या को इसकी छाया सागर-सी लंबी होती है ⃒
हर सुबह वही फिर गंगा की चादर-सी लंबी होती है ⃒⃒
इसकी छाया में रंग गहरा
है देश हरा, प्रदेश हरा
हर मौसम है, संदेश भरा
इसका पद-तल छूने वाला वेदों की गाथा गाता है ⃒
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है ⃒⃒
भावार्थ -
प्रस्तुत पंक्तियाँ गोपाल सिंह नेपाली जी द्वारा रचित कविता हिमालय और हम से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से पर्वतराज हिमालय और भारतवासियों के बीच अटूट संबंधों का वर्णन करने का प्रयास किया है ⃒ कवि गोपाल सिंह जी कहते हैं कि हिमालय पर्वत की संध्या के समय छाया सागर के समान लंबी होती है और वह हर सुबह गंगा की चादर के समान लंबी होती है ⃒ हिमालय पर्वत के मैदान अत्यंत विशाल और विस्तृत हैं, जिनमें से गंगा नदी प्रवाहित होती है ⃒ गंगा के मैदान अत्यंत उपजाऊ हैं ⃒ इन मैदानों के खेत हरे-भरे हैं और फसलें लहलहाती हैं ⃒ देश का प्रत्येक मौसम संदेश से भरा होता है, अर्थात् हर मौसम में भारतीयों को कोई न कोई संदेश मिलता है ⃒ कवि कहते हैं कि वेदों की रचना भी हिमालय के चरणों में ही बैठकर हुई थी ⃒ गिरिराज हिमालय से हम भारतीयों का नाता (रिश्ता) भी कुछ ऐसे ही है ⃒
जैसा यह अटल, अडिग-अविचल, वैसे ही हैं भारतवासी ⃒
है अमर हिमालय धरती पर, तो भारतवासी अविनाशी ⃒⃒
कोई क्या हमको ललकारे
हम कभी न हिंसा से हारे
दुःख देकर हमको क्या मारे
गंगा का जल जो भी पी ले, वह दुःख में भी मुसकाता है ⃒
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है ⃒⃒
भावार्थ -
प्रस्तुत पंक्तियाँ गोपाल सिंह नेपाली जी द्वारा रचित कविता हिमालय और हम से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि हिमालय के जैसे ही हम भी अमर और अविचल हैं ⃒ जिस तरह हिमालय पर्वत अटल, अडिग और निश्चल है, ठीक उसी तरह भारतवासी भी अपने अडिग रहते हैं ⃒ भारतियों की यह खूबी है कि जो काम एक बार करने की ठान ले तो उसे करके ही दम लेते हैं ⃒ जिस प्रकार धरती पर हिमालय अमर है, ठीक उसी प्रकार भारत में रहने वाले भारतीय भी अमर हैं, शाश्वत हैं ⃒ गोपाल जी कहते हैं कि अनेक हिंसक आक्रमणकारियों ने हम पर हमले किये, किन्तु हमें यातनाएं देकर भी हमारे मन को मार न सके अर्थात् भारतीय कभी भी हिंसा के दम पर पराजित नहीं हुए ⃒ तन पर अत्याचार सहने के बावजूद कभी मन से नहीं हारे ⃒ कवि इन सबका मुख्य कारण पवित्र नदी गंगा को मानता है ⃒ जिसके पवित्र जल को पीकर भारतीय हर दुःख-दर्द को हँसकर झेल लेते हैं ⃒ कवि कहते हैं कि गंगा जल को जो भी पी लेता है वह दुःख में भी मुसकाता है ⃒ गिरिराज हिमालय से हम भारतीयों का नाता (रिश्ता) भी कुछ ऐसे ही है ⃒
टकराते हैं इससे बादल, तो खुद पानी हो जाते हैं ⃒
तूफ़ान चले आते हैं, तो ठोकरें खाकर सो जाते हैं ⃒⃒
जब-जब जनता को विपदा दी
तब-तब निकले लाखों गाँधी
तलवारों-सी टूटी आँधी
इसकी छाया में तूफ़ान, चिरागों से शरमाता है ⃒
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है ⃒⃒
भावार्थ -
प्रस्तुत पंक्तियाँ गोपाल सिंह नेपाली जी द्वारा रचित कविता हिमालय और हम से उद्धृत हैं ⃒ कवि इन पंक्तियों के माध्यम से हिमालय और भारतीयों के रिश्तों पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि हिमालय की चोटियों से जब बादल टकराते हैं तो वे खुद वर्षा के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं ⃒ हिमालय से टकराकर तूफ़ान भी नतमस्तक हो जाता है, शिथिल हो जाता है ⃒ इसके बाद वे तूफान शक्तिहीन हो जाते हैं ⃒ अर्थात् कहने का आशय यह है कि हिमालय सदा आक्रमणकारियों से हमारी हिफाजत करता है ⃒ कवि कहते हैं कि जब-जब भी शासन जनता को विपत्ति में डालने की कोशिश किया, जनता को दुःख दिया तो उनके दुखों को संकटमोचक बनकर लाखों गांधी (सत्याग्राही) घर-बार की चिंता छोड़कर निकल पड़े ⃒ हिमालय की छाया में आकर बड़े से बड़े तूफ़ान, चिराग (दीपक) भी शिथिल पड़ जाता है ⃒ गिरिराज हिमालय से हम भारतीयों का नाता (रिश्ता) भी कुछ ऐसे ही है ⃒
हिमालय और हम कविता का सारांश मूल भाव केंद्रीय भाव
प्रस्तुत पाठ या कविता हिमालय और हम , कवि गोपाल सिंह नेपाली जी के द्वारा रचित है ⃒ इस कविता के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि हिमालय के साथ भारत अर्थात् भारतवासियों का रिश्ता कितना गहरा है ⃒ भारतवासियों के जीवन पर हिमालय का स्पष्ट प्रभाव है, क्योंकि वे भी हिमालय की तरह आत्माभिमानी और दृढ़निश्चयी हैं ⃒वास्तव में देखा जाए तो भारत की रक्षा में प्रतिपल अडिग खड़ा हिमालय जल संसाधन, वन संसाधन, खनिजों, पर्यटन, उद्योग आदि की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है... ⃒ ⃒
हिमालय और हम कविता का प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 – हिमालय को सकल धरती का ताज क्यों कहा गया है ?
उत्तर- धरती पर स्थित समस्त पर्वतों में हिमालय पर्वत सबसे ऊँचा है ⃒ हिमालय को देखकर ऐसा लगता है मानो यह पृथ्वी के सर का ताज है ⃒ इसलिए हिमालय को सकल धरती का ताज कहा गया है ⃒
प्रश्न-2 – ‘गंगा का बचपन’ से क्या आशय है ?
उत्तर- वास्तव में गंगा नदी का उद्गम स्रोत हिमालय पर्वत ही है तथा गंगा हिमालय की गोद में खेलती हुई आगे बढ़ती है ⃒ इसलिए प्रस्तुत कविता में कहा गया है कि गंगा का बचपन हिमालय की गोद में गुजरता है ⃒
प्रश्न-3 – हिमालय और भारतवासियों में क्या समानता बताई गई है ?
उत्तर- प्रस्तुत कविता के अनुसार, हिमालय और भारतवासियों में यह समानताएँ बताई गई है कि जिस प्रकार हिमालय अपने स्थान पर अटल, अडिग, अविचल खड़ा है और किसी के सामने वह अपना सर नहीं झुकाता है ⃒ ठीक उसी प्रकार भारतवासी भी अपना सर किसी के सामने नहीं झुकाते ⃒ आने वाली समस्त मुश्किलों का डटकर सामना करते हैं ⃒
प्रश्न-4 – हिमालय के प्रभात और संध्या की क्या विशेषता है ?
उत्तर- प्रस्तुत कविता के अनुसार, हिमालय के प्रभात और संध्या की यह विशेषता है कि सुबह और शाम का सौन्दर्य एक समान दिखाई देता है ⃒ सुबह के समय हिमालय के ऊपर सूर्य की पहली किरण पड़ती है और चारों ओर रौशनी पसर जाती है तथा संध्या की अंतिम किरण भी हिमालय पर्वत पर ही पड़ती है और सुंदरता बिखेरती है ⃒
प्रश्न-5 – हिमालय बादल और तूफानों का क्या हश्र करता है ?
उत्तर- हिमालय से टकराकर बादल बारिश में परिवर्तित हो जाते हैं, जबकि तूफ़ान टकराकर सो जाते हैं अर्थात् शिथिल पड़ जाते हैं ⃒
प्रश्न-6 – हिमालय हमें क्या संदेश देता है ?
उत्तर- हिमालय हमें यह संदेश देता है कि चाहे जितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ आ जाए, हमें उनका डटकर सामना करना चाहिए और हमेशा सर उठाकर चलना चाहिए ⃒
प्रश्न-7 – सही उत्तर चुनकर √ लगाइए –
उत्तर-
‘गिरिराज’ किसे कहा गया है ?
हिमालय को
जो हिमालय की छाया में हैं उनमें क्या ख़ास बात होती है ?
वे दुःख में भी मुस्कुराते हैं
बादलों के टकराकर पानी बनने का क्या आशय है ?
वर्षा होना
भाषा से...
प्रश्न-8 – विलोम शब्द लिखिए –
उत्तर-
हिंसा – अहिंसा
छाया – धूप
अपनाना – ठुकराना
उदय – अस्त
बचपन – बुढ़ापा
देश – विदेश
प्रश्न-9 – पर्यायवाची शब्द लिखिए –
उत्तर-
गंगा – देवनदी , भागीरथी , सरसरि
धरती – पृथ्वी , धरा , धरणी
सागर – समुद्र , सिन्धु , जलधि
प्रश्न-10 – दिए गए शब्दों को संज्ञा-भेद के अनुसार चुनकर लिखिए –
उत्तर-
व्यक्तिवाचक – हिमालय , गंगा , भारत
जातिवाचक – पर्वत , ताज , बादल
भाववाचक – ख़ुशी , बचपन , लाली
हिमालय और हम कविता से संबंधित शब्दार्थ
सकल – संपूर्ण
धरा – धरती
वरण – ग्रहण करने योग्य
निरावरण – खुला हुआ
अरुणोदय – सूर्य का उगना
नाता – रिश्ता
पद-तल – पैर
गाथा – कहानी
अडिग-अविचल – एक जगह स्थिर रहने वाला
अविनाशी – जिसका विनाश न हो
विपदा – विपत्ति ⃒
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपके इस अनुपम कार्य की सफलता से आज हम शिक्षक को ये सुविधा प्राप्त हुई की आज हमारे समय की बचत तथा विद्यार्थियों को सही ज्ञान हम दें पा रहें है आपके अथक प्रयास से आपको मेरा विनम्र धन्यवाद जो हमे ये सुविधा प्रदान की ।
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