भारत का अमृत महोत्सव और नई प्रौद्योगिकी व हिंदी हिंदी में ई - प्रौद्योगिकी के अमूल्य योगदान ने इनकी सार्थकता बढ़ा दी है । विज्ञान से जुड़ता हिंदी
भारत का अमृत महोत्सव और नई प्रौद्योगिकी व हिंदी
भारत का अमृत महोत्सव का उद्देश्य India@2047 के लिए विज़न बनाना है जिसका आधार तकनीकी और वैज्ञानिक उपलब्धियों के साथ विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक सामंजस्य को भी स्थापित करना है । यह बड़े आश्चर्य की बात है कि देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गए अर्थात इस वर्ष भारत की आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है लेकिन अब भी इसकी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है । हमने एक राष्ट्र-चिहन्, एक राष्ट्र – ध्वज, एक राष्ट्र गान और एक राष्ट्रीय प्रतीक को तो अपनाया, लेकिन हम हिंदी को राष्ट्रभाषा गौरव प्रदान नहीं कर सके । राष्ट्रभाषा वस्तुतः राष्ट्रीय जीवन का आदर्श होती है । हिंदी – राष्ट्रभाषा एवं संयुक्त एवं संयुक्त राष्ट्रसंघ की अधिकृत भाषा बनने के योग्य है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए हिंदी में विज्ञान – चिंतन आवश्यक है । हिंदी के विज्ञान – लेखन में सबसे बड़ी बाधा भाषिक स्वाभिमान की कमी है ।
किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के लिए तीन वस्तुएं विशेष सम्मानीय व विशिष्ट होती हैं –
राष्ट्र-ध्वज, जिसमें देश का मान छिपा होता है ।
राष्ट्र संविधान, जो देश की शान का प्रतीक होता है ।
राष्ट्रभाषा, जो राष्ट्र की आन और वाणी का अभिमान होती है ।
वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में डिजीटल मीडिया द्वारा हिंदी को अफ्रीका, मध्य-पूर्व, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में एक चित्ताकर्षक ढ़ंग से लगातार पुहंचाया जा रहा है। धरती से 35000 फीट से भी अधिक ऊँचाई पर हिंदी की कमी का अनुभव होने लगा है । आस्ट्रियन एयरलाइन्स, स्विस एयरलाइन्स, एयर फ्रांस ने कहा है कि भारतीय यात्रियों की लगातार हो रही वृद्दि को दृष्टिगत रखते हुए, वे भारत की अपनी प्रत्येक उड़ान में कम से कम ऐसे दो क्रू को रखेंगे जो हिंदी बोलना जानते हों । भूमंडल पर हिंदी दौड़ रही है, तथा वायुमंडल में उड़ रही है, तथा राष्ट्रीय अस्मिता और आस्तित्व को पारदर्शी तौर पर विश्व के समक्ष सफलतापूर्वक रख रही हैं । आज हिंदी सूचना प्रौद्योगिकी की भाषा बन गई है । समाचार, पत्र-पत्रिकाएं आकाशवाणी, दूरदर्शन, फिल्म कंप्यूटर, इंटरनेट और सोशल मीडिया ने हिंदी का बहुत ही प्रचार – प्रसार किया है । वैश्विक ग्राम में अपना आस्तित्व बनाये रखने हेतु प्रतिस्पर्धा भी बढ़ी । इस संबंध में प्रसाद जी की पंक्तियां उपर्युक्त प्रतीत होती है ।
‘’ यह नीड़ मनोहर कृतियों का
यह विश्व एक रंगस्थल है
है परम्परा लग रही यहां
ठहरा जिसमें जितना बल है । ‘’
सन् 1965 में देवनागरी संबंधित एक आवश्यक साफ्टवेयर निर्मित किया गया । इसके बाद अनेक पैकेज आए । समर्पित साफ्टवेयर प्रोग्राम के अन्तर्गत हित में अत्युपयोगी, हिंदी में डाटा संसाधन का एक साफ्टवेयर आया जो द्विभाषी डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली के नाम से जाना जाता है । डीम्बेस, लोटस साफ्टबेस क्लिपर फॉक्सप्रो तथा ओरेकल आदि रोमन लिपि के सभी साफ्टवेयर पैकेज में हिंदी कार्य किया जा सकता है । लिप्स प्रौद्योगिकी सी-डैक जिष्ठ ग्रुप पुणे के दूसरे चरण में हिंदी में विडियों प्रदर्शनार्थ एक साफ्टवेयर विकसित किया गया है । यूनिकोड तकनीक ने तो इस काम को और आसान किया है । टाइप करो रोमन अंग्रेजी में और प्राप्त करो देवनागरी हिंदी में, सचमुच नई प्रौद्योगिकी के नित नये आविष्कारों ने लोगों को आत्मनिर्भर बनाया है । आज इंटरनेट के साथ अन्य अनेक तकनीकी सूचना संजाल सोशल नेटवर्किंग साइट्स के रूप में बेजोड़ है । इन अत्याधुनिक साइट्स में हिंदी में अभिव्यक्ति की सारी सुविधा उपलब्ध है - ऑरकूट, फेसबुक, ट्वीटर, माई स्पेस, वाट्सअप, इंस्टाग्राम, ब्लॉग स्पॉट इत्यादि ।
‘बिलगेट्स’ ने स्वीकारा है - ‘’नागरी की संगणकीय आवश्यकता हिंदी के विकास में परिणत होगी यह लगभग तय है ।‘’
नई प्रौद्योगिकी व हिंदी नवीनतम ई-टूल्स
हिंदी टाइपिंग विकल्प
मशीन अनुवाद
कंठस्थ ( ट्रांसलेशन मेमोरी सिस्टम)
हिंदी ई - लर्निंग
अनुवाद ई - लर्निंग
ऑनलाइन ई – महाशब्दकोश
हिंदी स्कैनर
विंडोज 10 में नया फोनेटिक की - बोर्ड
ई - सरल हिंदी वाक्यकोश
ई - पत्रिका पुस्तकालय
ईकाई परिवर्तक
गूगल सीट में एक साथ कई भाषाओं में अनुवाद
कंप्यूटर पर ऑफलाइन वॉइस टाइपिंग – बिना क्रोम ब्राउसर के
संख्या से शब्दों में परिवर्तक
हिंदी में बोलकर टाइप करें
कृतिदेव से यूनिकोड में परिवर्तक
एंड्रोएड फोन पर हिंदी में वॉइस टाइपिंग
हिंदी में ई-मेल आईडी (डाटामेल के द्वारा हिंदी में भी ई-मेल तैयारी की जा रही है जैसे – अमितकुमारदीक्षित@डाटामेल.भारत)
भारतीय भाषाओं में बातचीत का मुख्य प्लेटफॉर्म है कू
भारत का माइक्रोब्लॉगिंग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Koo (कू) भारतीय भाषाओं में बातचीत का प्रमुख मंच बन गया है । Koo (कू) के 1 करोड़ यूजर में से करीब 50 % (50 लाख) यूजर हिंदी में बातचीत करते हैं । Koo पर हिदीं पोस्ट की संख्या औसतन किसी भी माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर हिंदी पोस्ट की संख्या से लगभग दोगुनी है । इसके अलावा पिछले चार महीनों में Koo पर हिंदी उपयोगकर्ता की संख्या में 80 % वृद्दि हुई है । अनुमान है कि अगले 5-6 वर्षों में भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या अरबों तक पहुंच सकती है ।
‘राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी’ के अनुसार – ‘’ हिंदी का प्रश्न मेरे लिए देश की आजादी का प्रश्न है । हिंदी भाषा केवल एक राजभाषा नहीं है, वह संपूर्ण देश की संस्कृति के रूप में पल्लवित और पुष्पित भाषा है ।‘’
हिंदी में ई - प्रौद्योगिकी के अमूल्य योगदान ने इनकी सार्थकता बढ़ा दी है । विज्ञान से जुड़ता हिंदी ज्ञान, पाठकों का अनवरत् अनुष्ठान ने हिंदी को अन्तर्राष्ट्रीय गौरव प्रदान किया है । विश्व के कई प्रमुख देशों में अब स्कूलों में भी हिंदी पढ़ाई जाने लगी है । इसकी सूची है – येल, पैन, लोयोला, शिकागो, वाशिंगटन, ड्यूक, आयोवा, ओरेगांन, कोरनेल इत्यादि । राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रय - विक्रय में विज्ञापन की प्रधान भूमिका होती है । विज्ञापन को देखकर उत्पादन को खरीदने के लिए उपभोक्ता उत्सुक हो जाता है । रेडियों दूरदर्शन टेलिविजन पर प्रसारित कार्यक्रम जन-जन तक पहुंचते है । तुर्की, अरब, मारिशस, मिश्र, लिबिया आदि देशों में हिंदी फिल्मों के प्रति लगाव उल्लेखनीय है । हम गर्व के साथ कह सकते है कि इस वर्ष सिर्फ भारत का अमृत महोत्सव नहीं बल्कि हिंदी का भी अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है इन 75 वर्षों में हिंदी ने तकनीकी और डिजीटल के क्षेत्र में जो स्थान प्राप्त किया है सचमुच वह सराहनीय है । हिंदी भाषा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित विषयों की प्रसांगिकता आज अनिवार्य हो गयी है ।
‘’ घर में मातृभाषा, दफ़्तर में राजभाषा
हिन्द शब्द से बनी हिन्दी ही है हमारी राष्ट्रभाषा’’ ।।
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