भारत की वास्तुकला

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भारत की वास्तुकला

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भारत की वास्तुकला पाठ का सारांश


प्रस्तुत पाठ या लेख से हमारे देश की पुरातन धरोहर व वास्तुकला के बारे में रोचक जानकारी हासिल होती है। इस पाठ में सिन्धु घाटी की सभ्यता, साँची के स्तूप, ताजमहल और दक्षिण भारत के मंदिरों के बारे में उल्लेख किया गया है। वास्तुकला के साथ-साथ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य भी दिए गए हैं। आदिकाल में भारत की समृद्धि अपनी चरम सीमा पर थी तथा कलाओं के दृष्टिकोण से भारत की उत्कृष्टता सर्वमान है। वास्तव में भारत अनेक कलाओं का देश है और इसी आधार पर भारत विश्व में अद्वितीय स्थान भी रखता है। अभिव्यक्ति ही कला है और जब एक कलाकार किसी भी माध्यम से अपनी कल्पना को सुंदर रूप में अभिव्यक्त करे, वह कलाकृति कहलाती है। इन कलाओं को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है – एक उपयोगी कला और दूसरा ललित कला। उपयोगी कलाओं में बढ़ई, कुम्हार, सुनार, राज-मिस्त्री, जुलाहे आदि के व्यसाय आते हैं। जबकि ललित कलाओं के अंतर्गत वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला, संगीत-नृत्यकला और काव्यकला आते हैं। 


भारत की वास्तुकला
वास्तुकला भवन-निर्माण की कला है। भवन के लिए उपयुक्त स्थान, उसकी स्थिति, दिशा, सामग्री आदि बारीकियों को ध्यान में रखकर बने भवन ही वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण होते हैं। यदि ऐतिहासिक दृष्टि से बात करें तो आज से लगभग पाँच हज़ार वर्ष पूर्व सिंधु घाटी की सभ्यता में वास्तुकला के चिह्न मिलते हैं। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा नाम के दो नगरों में वास्तुकला के श्रेष्ठ नमूने मिलते हैं। इन नगरों में मकान दोमंज़िलें और पक्की ईंटों से बनाए गए थे। मकान का प्रत्येक कक्ष विशेष स्थिति को ध्यान में रखकर निर्मित किया गया था। स्नानागार का अपना महत्वपूर्ण स्थान था। सिन्धु घाटी सभ्यता के पश्चात् मौर्यकाल के दौरान भारतीय वास्तुकला अपनी चरम सीमा पर थी। चन्द्रगुप्त मौर्य के काल में देश अत्यंत संपन्न हो गया था, जिसका यूनान के राजपूत मैगस्थनीज ने अपनी पुस्तक में चन्द्रगुप्त मौर्य के महल का विस्तार से वर्णन किया है। इस महल के खंभों पर सोने और चाँदी के बेल-बूटे बने थे तथा उनपर अनेक रंग-बिरंगे पक्षी अंकित थे। बल्कि उस दौरान आम लोगों के घर भी बड़े-बड़े, खुले आँगनवाले और कलात्मक होते थे। मध्यप्रदेश के भोपाल में स्थित
साँची का स्तूप विशेष उल्लेखनीय है। यह नारंगी की तरह गोल है। बौद्धकाल में अनेक स्तंभ भी बनवाए गए थे। सारनाथ का स्तंभ मौर्यकाल की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसमें ऊपर पीठ से पीठ लगाए चार सिंह खड़े हैं पर दिखाई तीन ही देते हैं। नीचे बीच में चक्र है और इधर-उधर हंस, दौड़ते घोड़े, हाथी तथा सांड हैं। यही चक्र हमारे राष्ट्र-ध्वज में भी अंकित है और चारों सिंहों की आकृति हमारे देश के राजकीय कागज़ों की मुहर है। वस्तुतः गुप्तकाल को भारतीय कला का स्वर्णयुग माना जाता है। इस काल में अनोखे कलात्मक मंदिर भी बने। गुप्तकाल का सबसे सुंदर मंदिर उत्तर प्रदेश के ललितपुर ज़िले में देवगढ़ का दशावतार मंदिर है। इसमें बारह मीटर ऊँचा एक शिखर है, चार मंडप हैं तथा खंभों पर अत्यंत सुंदर मूर्तियाँ बनी हैं। दिल्ली में कुतुबमीनार के पास बना लौह-स्तंभ धातु-विज्ञान का अद्भुत नमूना है। 


महाराष्ट्र में एलोरा और एलिफेंटा की गुफाओं में प्रत्येक दृष्टि से वास्तुकला का अध्ययन किया जा सकता है। इनमें मूर्तिकला और चित्रकला के अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं। इन गुफाओं की चित्रकला के नमूने बेहद अद्वितीय हैं। ऐसा लगता है कि गौतम बुद्ध के शिष्यों ने पर्वतीय प्रदेशों में साधना के लिए एकांत स्थान खोजे और वहाँ बुद्ध-कथाओं को गुफाओं में खोद-खोदकर चित्रित किया।

 

दक्षिण भारत में तंजावूर, चिदंबरम, मदुरई, रामेश्वरम आदि स्थानों बने अनेक मंदिर वास्तुकला के बेहतर उदाहरण हैं। तंजावूर का बृहदेश्वर मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसका शिखर दो सौ फुट ऊँचा है। जिस पत्थर का स्वर्ण-कलश है उसका वज़न लगभग 900 क्विंटल है। मदुरई का मीनाक्षी मंदिर, चिदंबरम में नटराज की मूर्ति और चतुर्भुज मूर्ति अपनी सुंदरता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। 


ओडिशा राज्य में बने कोणार्क के सूर्य मंदिर की वास्तुकला भी वैश्विक रूप से अद्वितीय है। लगभग एक हजार वर्ष पूर्व चंदेल राजाओं द्वारा बनवाए गए खजुराहो के मंदिर भी ख़ुद में अद्वितीय हैं। वास्तव में देखा जाए तो भारत में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के बाद वास्तुकला के विकास में मुग़ल बादशाहों का विशेष योगदान रहा। ताजमहल वास्तुकला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, जो संसार के सात आश्चर्यों या अजूबों में से एक है। फतेहपुर सीकरी स्थित बुलंद दरवाज़ा संसार का सबसे ऊँचा दरवाज़ा है। हकीकत में देखा जाए तो इन्हें सब कारणों से मुग़लकाल को वास्तुकला का स्वर्णयुग माना जाता है। दिल्ली का लाल कीला भी इसी युग की देन है। दिल्ली स्थित लोटस टेम्पल, अनेक गिरजाघर और जैन मंदिर इत्यादि वास्तुकला के उदाहरणों में शामिल हैं। अतः इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत के वास्तुकला का कोई मुकाबला नहीं है... ।।                                



भारत की वास्तुकला पाठ के प्रश्न उत्तर 

प्रश्नोत्तर 

प्रश्न-1- कला किसे कहते हैं ? कला के दो भेद कौन से हैं ? 

उत्तर- वास्तव में, बाहरी जगत की भिन्न-भिन्न वस्तुओं का जो प्रतिबिंब मनुष्य के मन पर पड़ता है, उसकी सौन्दर्यपूर्ण अभिव्यक्ति ही कला है। कला के दो भेद इस प्रकार हैं – ललित कला और उपयोगी कला ।    


प्रश्न-2- बौद्ध धर्म के प्रभावस्वरुप वास्तुकला ने किस प्रकार उन्नति की ? 

उत्तर- बौद्ध धर्म के प्रभावस्वरूप वास्तुकला ने विभिन्न प्रकार से उन्नति की। जिसमें नारंगी की तरह गोल साँची का स्तूप सर्वविदित है। इस काल के दौरान अनेक स्तंभ भी बनवाए गए, जिसका एक उदाहरण सारनाथ का स्तंभ है, जो वास्तुकला का उत्कृष्ट व अद्भुत नमूना है।      


प्रश्न-3- धातु-विज्ञान का अद्भुत नमूना किसे कहा गया है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, दिल्ली में कुतुबमीनार के समीप बना ‘लोहा-स्तंभ’ को धातु-विज्ञान का अद्भुत नमूना कहा गया है।      


प्रश्न-4- चिदंबरम स्थित नटराज की मूर्ति कैसी है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, चिदंबरम स्थित नटराज की मूर्ति दर्शनीय है। तांडव नृत्य करते हुए शिव जी की इस चतुर्भुज मूर्ति के एक हाथ में डमरू और दूसरे हाथ में अंधकार और बुराई का नाश करनेवाली ज्वाला है।        


प्रश्न-5- ‘कोणार्क का सूर्य’ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है ? 

उत्तर- कोणार्क के सूर्य मंदिर में सूर्य के सात घोड़े बने हुए हैं तथा सभी घोड़े ऐसे सजीव मालूम पड़ते हैं जैसे वे बोल उठेंगे। इसलिए कोणार्क का सूर्य मंदिर प्रसिद्ध है।     


प्रश्न-6- गुप्तकाल को भारतीय कला का ‘स्वर्णयुग’ क्यों माना जाता है ?   

उत्तर- गुप्तकाल को भारतीय कला का स्वर्णयुग इसलिए माना जाता है, क्योंकि इस काल में ललित कलाओं, स्थापत्य कला और उपयोगी कलाओं में अद्भुत उन्नति देखने को मिली। विभिन्न प्रकार के कलात्मक व अद्वितीय मंदिर बनाए गए। जैसे उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में देवगढ़ का दशावतार मंदिर सबसे सुंदर मंदिर की श्रेणी में आता है।      


प्रश्न-7- मुग़ल बादशाहों ने भारत की वास्तुकला के विकास में क्या योगदान दिया ? उनके द्वारा बनवाए गए कुछ भवनों का वर्णन कीजिए।   

उत्तर- मुग़ल बादशाहों ने भारत की वास्तुकला के विकास में विशेष योगदान दिया है। ‘ताजमहल’ जो दुनिया के सात अजूबों में शामिल है और वास्तुकला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, वो मुग़ल बादशाहों की ही देन है। दिल्ली का लाल कीला और बुलंद दरवाज़ा जैसे श्रेष्ठ वास्तुकला के उदाहरण भी मुग़लों की ही देन है।      


प्रश्न-8- ‘भारतीय वास्तुकला की परंपरा अत्यंत प्राचीन है’ – इस कथन को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर- भारतीय वास्तुकला की परंपरा अत्यंत प्राचीन है, जो निम्न बिन्दुओं के माध्यम से ज्ञात होती है – 

  • लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता में मोहनजोदड़ो और हड़प्पा नामक दो नगरों में वास्तुकला के श्रेष्ठ नमूने मिलते हैं।  

  • मौर्य काल के दौरान भी भारतीय वास्तुकला का बहुत विकास हुआ है, जिसमें बौद्ध धर्म के स्तूप का निर्माण महत्वपूर्ण है। 

  • महाराष्ट्र में एलोरा और एलिफेंटा की गुफाएँ भी वास्तुकला के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।  

  • यदि दक्षिण भारत की बात करें तो यहाँ तंजौर, चितंबरम, मदुरई, रामेश्वरम इत्यादि विश्व प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो वास्तुकला का बेहतर उदाहरण भी हैं।  



भाषा से... 


प्रश्न-9- मूल शब्दों से नए शब्द बनते हैं। ये सभी शब्द-मिलकर शब्द-परिवार बनाते हैं। उदाहरण के अनुसार शब्द-परिवार बनाइए -   

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -

  • योग – योगसान योगाभ्यास योगी 

  • कला – कलाकार कलाकृति कलात्मक 

  • सुंदर – सुंदरता सौन्दर्य सुंदरी

  • विद्या – विद्यार्थी विद्यालय विद्याधन 

 

प्रश्न-10- दिए गए शब्दों से भाववाचक संज्ञाएँ बनाइए - 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -

  • सुदर – सुंदरता 

  • समृद्ध – समृद्धता, समृद्धि  

  • भव्य – भव्यता 

  • मानवीय – मानवीयता 

  • सभ्य – सभ्यता  

  • दर्शनीय – दर्शनीयता, दर्शन  

  • उन्नत – उन्नति 

  • उत्कृष्ट – उत्कृष्टता 


प्रश्न-11- कारक-चिह्नों द्वारा वाक्य पूरे कीजिए - 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -

  • प्राचीनकाल में भारत ...की... समृद्धि अपनी चरम सीमा ...पर... थी। 

  • भारतीय वास्तुकला ...की... परंपरा अत्यंत प्राचीनकाल ...से... चली आ रही है। 

  • इतिहास ...की... बात करें तो आज ...से... लगभग पाँच हज़ार वर्ष पूर्व सिंधु घाटी ...की... सभ्यता ...में... इसके चिह्न मिलते हैं। 

  • यहाँ ...के... मकान दोमंज़िलें होते थे और पक्की ईंटों ...से... बनाए गए थे। 

  • गुप्तकाल ...का... सबसे सुंदर मंदिर ललितपुर ज़िले ...के... देवगढ़ ...का... दशावतार मंदिर है।      

 

 

प्रश्न-12- ‘ने’ के प्रयोग की दृष्टि से वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए - 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -

  • राजा ने खाना खाएगा। 

(राजा ने खाना खाया।) 

  • राकेश अच्छा गाना गाया।

(राकेश ने अच्छा गाना गाया।) 

  • लक्ष्मीबाई अंग्रेज़ों का वीरता से सामना किया। 

(लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों का वीरता से सामना किया।)

  • सचिन तेंदुलकर ने रिकॉर्ड बनाएगा। 

(सचिन तेंदुलकर ने रिकॉर्ड बनाया।) 

  • माता जी ने गुलाबजामुन बना रही हैं। 

(माता जी ने गुलाबजामुन बनाया।)       




भारत की वास्तुकला पाठ से संबंधित शब्दार्थ  


  • उत्कृष्टता – श्रेष्ठता 

  • अभिव्यक्ति – कार्य-रूप में प्रकट होना 

  • प्रतिबिंब – परछाईं 

  • वास्तुकला – भवन-निर्माण कला 

  • अंकित – चित्रित , बना हुआ 

  • उल्लेखनीय – कहने योग्य 

  • स्तंभ – खंभे 

  • उत्कृष्ट – बहुत अच्छा या श्रेष्ठ 

  • स्वर्णयुग – सुनहरा युग या समृद्धि का युग 

  • दर्शनीय – देखने योग्य 

  • भव्यता – सौन्दर्य 

  • विधिवत – सही तरीके से, ढंग से 

  • योगदान – सहयोग 

  • सर्वश्रेष्ठ – सबसे बढ़िया 

  • सानी – समता या बराबरी करने वाला।


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