जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक जीवन परिचय । Jaishankar Prasad

SHARE:

Jai Shankar Prasad Ka Sahityik Parichay जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक जीवन परिचय जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय साहित्यिक परिचय Jai shankar prasad ka sahity

जयशंकर प्रसाद 

सुधि विद्वजन क्या आपको नहीं लगता है कि यह रचना किसी सिद्धस्त ब्रज-भाषी कवि की है। सही में इस सवैये में किसी भी कोण से कोई भी कवित्व की कमी प्रतीत नहीं होती है। पर आपको यह जानकर अचरज होगा कि यह सवैया एक नौ वर्षीय बालक ‘झारखंडी’ की एक प्रारम्भिक रचना है, जो आगे चलकर सुललित, सुमधुर, सांस्कृतिक और दार्शनिक धरातल पर प्रेम और यौवन के गीत गाने वाले छायावाद के प्रवर्तक कविरत्न ‘जयशंकर प्रसाद’ जी बना। जिन्होंने ने हिंदी काव्य क्षेत्र में समृद्ध ‘छायावाद’ काव्य-युग की स्थापना में अपनी अहम भूमिका निभाई, जिसके द्वारा खड़ी बोली जीवन के सूक्ष्म एवं व्यापक आयामों को चित्रित करती हुई काव्य शिखर ‘कामायनी’ तक पहुँचकर काव्य प्रेरक शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित हो गयी ।

“हारे सुरेश, रमेस, धंस, गनेसहु, सेस न पावत पारे।
जारे हैं कोटिक पातकी पुंज, ‘कलाधर’ ताहि छीनो बिच तारे।
तारन की गिनती सम नाहिं, सुबेने तेरे प्रभु पायी बिचारे।
चारे चले न बिरंचहि के, जो दयालु ह्वे संकर नेक निहारे।
 
जयशंकर प्रसाद के लिए साहित्य रचना का उद्देश्य कदापि कवित्व अर्जन नहीं, बल्कि साहित्य सृजन उनकी आजीवन साधना रही है। ऐसी बहुआयामी प्रतिभा सम्पन्न भारती पुत्र जयशंकर प्रसाद जी ने साहित्य की सभी विधाओं को अपनी कृतियों से न केवल समृद्ध किया हो, बल्कि उन्हें साहित्यिक उच्चासन पर स्थापित भी किया है। 

जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक जीवन परिचय
कविरत्न जयशंकर प्रसाद जी का जन्म माघ शुक्ल 10, संवत्‌ 1946 वि० (तदनुसार 30 जनवरी 1889 ई० दिन-गुरुवार) को काशी के सरायगोवर्धन मुहल्ले में हुआ था। इनके पूर्वज सुगन्धित नसवार और तम्बाकू के प्रतिष्ठित वैभवशाली व्यापारी ‘सुंघनी साहू’ के नाम से प्रसिद्द थे। इनके पितामह बाबू शिवरतन साहू धार्मिक व दान प्रवृति के व्यक्ति थे। प्रातःकाल गंगा स्नान से लौटते समय उनके पास जो कुछ भी रहता, वे सब दान कर दिया करते थे। यह पैत्रिक गुण परम्परागत रूप से जयशंकर के पिता बाबू देवीप्रसाद जी को भी प्राप्त हुआ था। वे भी विद्वानों, कलाकारों का आदर करने के लिए विख्यात थे। इनका काशी में बड़ा ही सम्मान था और काशी की जनता काशी नरेश के बाद 'हर हर महादेव' से बाबू देवीप्रसाद का ही स्वागत करती थी। जयशंकर प्रसाद जी का कुटुम्ब शिव का उपासक था। माता पिता ने उनके जन्म के लिए अपने इष्टदेव काशी विश्वनाथ से बड़ी प्रार्थना की थी। देवघर वैद्यनाथ धाम से लेकर उज्जयिनी के महाकाल की आराधना के फलस्वरूप उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति के कारण शैशव में सभी जयशंकर प्रसाद को 'झारखण्डी' कहकर पुकारते थे। वैद्यनाथधाम में ही जयशंकर प्रसाद का नामकरण संस्कार हुआ था। 

किशोरावस्था में ही माता और बड़े भाई का देहावसान हो जाने के कारण 17 वर्ष की अल्पायु में ही प्रसाद जी पर घरेलू और पारिवारिक व्यापारिक आपदाओं का पहाड़ ही टूट पड़ा। कच्ची गृहस्थी, घर में सहारे के रूप में केवल विधवा भाभी, जबकि कुटुबिंयों और परिवार से संबद्ध अन्य लोगों का संपत्ति हड़पने का षड्यंत्र, इन सबका सामना उन्होंने धीरता और गंभीरता के साथ किया। घर पर इनकी शिक्षा का व्यापक प्रबंध हुआ, जहाँ संस्कृत, हिंदी, उर्दू तथा फारसी का इन्होंने अध्ययन किया। घर के साहित्यिक तथा कला-प्रेमी वातावरण इनमें किशोरावस्था में ही साहित्य और कला के प्रति रुचि पैदा कर दिया। नौ वर्ष की उम्र में ही उन्होंने 'कलाधर' नाम से ब्रजभाषा में एक सवैया लिखकर अपने गुरु 'रसमय सिद्ध' को दिखाया था, जिन्होंने बालक को महाकवि होने का आशीर्वाद प्रदान किया, जिसे आगे चलकर प्रतिभशाली बालक ने सिद्ध कर भी दिखाया। 

तरूण तपस्वी-सा वह बैठा, साधन करता सुर-श्मशान, 
नीचे प्रलय सिंधु लहरों का, होता था सकरूण अवसान।

पारिवारिक व व्यापारिक क्षेत्र में एक ओर कानूनी संघर्ष तो दूसरी ओर काव्य-साधना में जयशंकर प्रसाद की लेखनी भी गतिमान रही। उन्होंने अपनी काव्यरचना ब्रजभाषा में आरंभ की और धीर-धीरे खड़ी बोली की ओर बढ़ते हुए खड़ी बोली के मूर्धन्य कवियों की पंक्ति में अग्रणीय और फिर युगवर्तक कवि के रूप में प्रतिष्ठित हो गए।
 
जिस गम्भीर मधुर छाया में, विश्व चित्र-पट चल माया में,
विभुता विभु-सी पड़े दिखाई,दुख-सुख बाली सत्य बनी रे ।

उन्होंने 1906 ई० में मात्र 17 वर्ष की आयु में “इन्दु” नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया। इसी पत्रिका में प्रसाद जी की सर्वप्रथम छायावादी रचना 'खोलो द्वार' प्रकाशित हुई। रचनाक्रम के अनुसार 'चित्राधार' प्रसाद का प्रथम काव्य संग्रह है। इसका प्रथम संस्करण 1918 ई. में प्रकाशित हुआ था। फिर तो काव्य की एक अजस्र मधुर धारा ही कलकल करती हुई बह चली। जो फिर उर्वशी, कानन-कुसुम, करूणालय, महाराणा का महत्व, प्रेम-पथिक, झरना, आँसू, लहर से होती हुई काव्य का अथाह सागर कामायनी तक जा पहुँची। 


काव्यक्षेत्र में प्रसाद की कीर्ति का मूलाधार 'कामायनी' ही है। खड़ी बोली का यह अद्वितीय महाकव्य मनु और श्रद्धा को आधार बनाकर मानवता को विजयिनी बनाने का संदेश देता है। इसमें मनु, श्रद्धा और इड़ा (बुद्धि) के अद्भुत संयोग से अखंड आनंद की उपलब्धि को संयोजित किया गया है। उनकी यह कृति छायावाद और खड़ी बोली की काव्यगरिमा का ज्वलंत उदाहरण है।  शिल्पविधि, भाषासौष्ठव एवं भावाभिव्यक्ति की दृष्टि से इसकी तुलना में खड़ी बोली के कोई भी काव्य ग्रन्थ खड़ा नहीं हो पाता है। सुमित्रानंदन ‘पंत’ इसे 'हिंदी के ताज’ सदृश मानते हैं। 

‘हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर, बैठ शिला की शीतल छाँह 
एक पुरुष, भीगे नयनों से, देख रहा था प्रलय प्रवाह।
नीचे जल था ऊपर हिम था, एक तरल था एक सघन, 
एक तत्व की ही प्रधानता, कहो उसे जड़ या चेतन।‘

कथा के क्षेत्र में प्रसाद जी आधुनिक ढंग की कहानियों के आरंभकर्ता ही माने जाते हैं। सन्‌ 1912 ई. में 'इंदु' में उनकी पहली कहानी 'ग्राम' प्रकाशित हुई। प्राय: तभी से कथा साहित्य में भी इनकी गति प्रबल हो गई। इन्होने ऐतिहासिक, प्रागैतिहासिक, पौराणिक, भावना-प्रधान प्रेमकथाएँ, समस्यामूलक, रहस्यवादी, प्रतीकात्मक और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी उत्तमोत्तम कोई 72 कहानियाँ लिखी हैं। उनकी कुछ श्रेष्ठ कहानियों के नाम हैं : आकाशदीप, गुंडा, पुरस्कार, सालवती, स्वर्ग के खंडहर में आँधी, इंद्रजाल, छोटा जादूगर, बिसाती, मधुआ, विरामचिह्न, समुद्रसंतरण आदि है। उनके पात्र पाठक मन-मस्तिष्क पर अपने अमिट प्रभाव छोड़ जाते हैं।

प्रसाद ने तीन उपन्यास कंकाल, तितली और इरावती लिखे हैं। 'कंकाल' में जहाँ नागरिक सभ्यता के यथार्थ का उद्घाटन हुआ है, वहीं 'तितली' में ग्रामीण जीवन में सुधार के तत्व समाहित हैं। जबकि इरावती ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर रचित इनका अधूरा उपन्यास है।

प्रसाद ने आठ ऐतिहासिक, तीन पौराणिक और दो भावात्मक, कुल 13 नाटकों की सर्जना की। इनमें महाभारत से लेकर हर्षवर्द्धन के समय तक के ऐतिहासिक तथ्यों में सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना का ताना-बाना बना हुआ है, जिनमें प्रसाद जी एक इतिहासकार के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं। उनके नाटकों में देशप्रेम का स्वर ही अति मुखरित हुआ है।

हिमाद्री तुंग श्रृंग से, प्रबुद्ध शुद्ध भारती,
स्वयं प्रभा सम्मुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती।

कवि सम्राट माँ भारती पुत्र जयशंकर प्रसाद जी को आजीवन अन्तः और वाह्य स्तर पर अनेक कठिन संघर्षों से होकर गुजरना पड़ा। इन चहुमुखी संघर्षों ने केवल 48 वर्ष की आयु में ही उनके शरीर को भीतर ही भीतर जर्जर कर दिया। पहले तो जाड़ा लगने के कारण वे बीमार पड़ गए, पर इलाज करने वाले डाक्टरों ने परीक्षण के बाद राजक्ष्मा अर्थात राज-रोग बताया। डाक्टरों और मित्रों ने जलवायु परिवर्तन की सलाह दी, पर वे काशी छोड़कर कहीं और जाने के लिए राजी ही न हुए। दिन-प्रतिदिन उनकी दशा बिगड़ती ही गई। अंत में कार्तिक शुक्ल एकादशी, संवत 1994 विक्रम (तदनुसार 15 नवम्बर 1937) सोमवार के दिन एक महाकवि का – नहीं, - एक युग प्रवर्तक महान व्यक्तित्व जयशंकर प्रसाद इस नश्वर धराधाम को त्याग कर सर्वदा के लिए काशी स्वामी विश्वनाथमय हो गए। 

ले चल वहाँ भुलावा देकर, मेरे नाविक ! धीरे-धीरे ।
जिस निर्जन में सागर लहरी,अम्बर के कानों में गहरी,
निश्छल प्रेम-कथा कहती हो,तज कोलाहल की अवनी रे ।

कवि सम्राट जयशंकर प्रसाद के परम साहित्यिक बंधू कवि महाप्राण ‘निराला’ जी ने श्रद्धांजलि अर्पण करते हुए जो कहा, उसे समूचे युग की श्रद्धांजलि कहा जा सकता है। मैं भी महान कवि को ‘निराला’ जी के उन्हीं शब्दों में नमन करते हुए वन्दना करता हूँ –

किया मूक को मुखर, लिया कुछ, दिया अधिकतर,
पिया गरल पर किया जाति, साहित्य को अमर।
सहज सृजन से भरे लता-द्रुम किसलय-कलि-वल,
जगे जगत के जड़ जल से वासन्तिक उत्पल ।


(जयशंकर प्रसाद जयंती, 30 जनवरी, 2022)



- श्रीराम पुकार शर्मा,
24, बन बिहारी बोस रोड,
हावड़ा – 711101 (पश्चिम बंगाल)
सम्पर्क सूत्र - 9062366788
ई-मेल सम्पर्क सूत्र – rampukar17@gmail।com

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,87,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,437,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,429,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक जीवन परिचय । Jaishankar Prasad
जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक जीवन परिचय । Jaishankar Prasad
Jai Shankar Prasad Ka Sahityik Parichay जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक जीवन परिचय जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय साहित्यिक परिचय Jai shankar prasad ka sahity
https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjRzPB0b2lGylXJez3bsqgr_JR3ne6K305mM4kwFjqbrVzdlyn7OnPNBxkvfx0vt1aFE3GpzIi4yvw_8hQhL2cW0Dx0Yu0smJRD-j-3jj0HStVmw_qylvk-V8AFfhtYgJ9llJq2Jdr08CPHCGKnFx9q7UZ6dUgXO6LsOrnIke9U8wAwm8BpWlr_1j8EtQ=s320
https://blogger.googleusercontent.com/img/a/AVvXsEjRzPB0b2lGylXJez3bsqgr_JR3ne6K305mM4kwFjqbrVzdlyn7OnPNBxkvfx0vt1aFE3GpzIi4yvw_8hQhL2cW0Dx0Yu0smJRD-j-3jj0HStVmw_qylvk-V8AFfhtYgJ9llJq2Jdr08CPHCGKnFx9q7UZ6dUgXO6LsOrnIke9U8wAwm8BpWlr_1j8EtQ=s72-c
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2022/01/jaishankar-prasad-sahityik-parichay-hindi.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2022/01/jaishankar-prasad-sahityik-parichay-hindi.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका