सूरज का इंतजार नाटक का सारांश प्रश्न उत्तर बलराम अग्रवाल class 6 suraj ka intezar hindi gunjan chapter 10 explanation class 6 गाँधी जी अंग्रेज़
सूरज का इंतजार नाटक बलराम अग्रवाल
सूरज का इंतजार नाटक का सारांश class 6 suraj ka intezar suraj ka intezar class 6 explanation class 6 chapter 10 hindi gunjan class 6 chapter 10 hindi gunjan explanation class 6 hindi gunjan hindi gunjan class 6 chapter 10 सूरज का इंतजार नाटक के प्रश्न उत्तर
सूरज का इंतजार नाटक का सारांश
प्रस्तुत पाठ या नाटक सूरज का इंतज़ार , नाटककार बलराम अग्रवाल जी के द्वारा लिखित है । इस नाटक के माध्यम से गाँधी जी बताते हैं कि शरीर की आवश्यकताओं पर नियंत्रण रखकर अन्याय और अधर्म से लड़ने की ताक़त उन्हें अपनी माँ से बचपन में ही मिल गई थी । वास्तव में देखा जाए तो उपवास का अर्थ सिर्फ भोजन न करना नहीं है, बल्कि अपनी इच्छाओं अर्थात् इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना भी है ।
उक्त नाटक के मुख्य पात्रों में महात्मा गाँधी, मोहनदास (महात्मा गाँधी के बचपन की भूमिका में), बालक-1 (मोहनदास के बालसखा के रूप में), बालक-2 (मोहनदास के बालसखा के रूप में), बालिका (सुहासिनी), पुतलीबाई (मोहनदास की माँ) तथा प्रार्थना-सभा में श्रद्धालुओं के रूप में बैठने के लिए कुछ अन्य बालक-बालिकाएँ शामिल हैं । नाटक की शुरूआत इस प्रकार होती है - मंच पर गोलाकार चबूतरे पर महात्मा गाँधी आँखें मूंदे बैठे हैं । खादी के कपड़े पहने कुछ बालक उनकी ओर मुँह करके बैठे हैं और भजन गा रहे हैं ।
“वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीर पराई जाने रे !”
इसी बीच गाँधी जी अपने हाथ को सांकेतिक मुद्रा में उठाकर सबको शांत होने का इशारा
करते हैं । तत्पश्चात् गाँधी जी अपने मनोभावों को प्रकट करते हुए कहते हैं कि सामने बैठे लोगों में आज कुछ बैचैनी महसूस कर रहा हूँ । मुझे लगता है कि आपलोग मुझसे कुछ पूछना चाहते हैं ।गाँधी जी के इतना कहने पर श्रद्धालुओं के मध्य से सुहासिनी उठकर खड़ी हो जाती है और गाँधी जी को संबोधित करते हुए कहती है – सचमुच आपने मेरे मन की बात कह दी बापू जी ! अंग्रेज़ सरकार के नए क़ानून के खिलाफ़ आमरण उपवास का आपका आज तीसरा दिन है । मैं जानना चाहती हूँ कि कई-कई दिनों तक कुछ भी खाए-पिए बिना रहने की ताक़त आपने कहाँ से और कैसे पाया ? सुहासिनी के जवाब की तारीफ़ करते हुए गाँधी जी बोलते हैं – अन्याय और अधर्म से लड़ने की यह पूरी ताक़त मेरी माता जी ने बचपन में ही मुझे दे दी थी । अब तो मैं उसका अभ्यास करता हूँ, बस । इसके बाद धीरे-धीरे गाँधी जी अपने बचपन की कहानी की तरफ बढ़ते हैं । उनका वाक्य शुरू होते ही मंच पर अंधकार छा जाता है । इसी बीच मंच व्यवस्था बदल दी जाती है । अब मंच पर प्रकाश फैलने के साथ ही आठ-दस साल की उम्र के दो-तीन बालक एक स्थान पर बैठकर खेलते हुए दिखाई देते हैं और पुतलीबाई मोहन (गाँधी जी) को पुकारती हुई उनके नजदीक आती है ।पुतलीबाई मोहन को खाना खाने के लिए बोलती है तो मोहन माँ से पूछता है कि क्या आपने खा लिया ? तभी जवाब में पुतलीबाई बोलती है कि आज मेरा व्रत (उपवास) है बेटा !
व्रत का नाम सुनते ही मोहन अपनी माँ के माथे पर हाथ रखकर बोलता है – आपको तो बुखार है ! रोज़ाना मंदिर जाना; वर्षा के चारों महीनों में पूरे व्रत रखना; दिन में केवल एक भोजन करना; बीमार होने पर भी व्रत को नहीं छोड़ना, यह सब....
मोहन इतना बोल ही रहा था कि उनकी माँ बोलती है – यह सब मेरे लिए मामूली बात है बेटा ! माँ की बात सुनते ही मोहन पुनः जिज्ञासा प्रकट करता है – लेकिन कई-कई दिनों तक भूख को आप सह कैसे लेती हैं माता जी ? तभी जवाब में उनकी माँ बोलती है – भूख का संबंध पेट से नहीं, मन से है बेटा ! मन को खाने की चीज़ों से हटाकर अगर अपने ज़रूरी कामों में लगा दो तो वह भूख की तरफ़ भागना बंद कर देता है । यह बात तुम बड़े होकर ख़ुद समझ जाओगे । जब अपने एक संवाद में पुतलीबाई ने मोहनदास से कहा कि मैंने सूर्य के दर्शनों का व्रत लिया है, इसलिए सूर्य के दर्शन करके ही मुझे भोजन करना है । तो इस पर मोहनदास ने कहा – तो ठीक है, आज मैं भी सूर्य के दर्शन करके आपके साथ ही भोजन करूँगा । इतना कहने के बाद माँ के समझाने पर मोहनदास मान जाता है और माँ के साथ चला जाता है खाना खाने । इसके बाद कुछ ही देर में मोहन भागा हुआ अपने साथियों के पास लौट जाता है । लेकिन इस बार वह अपना खाना छिपाकर ले आता है । जब उसके दोस्तों ने वजह पूछी तो वह माँ के तीन दिन से खाना न खाने की बात बताकर एक योजना बनाता है । वह दोस्तों से कहता है कि हमलोग अपना खेल छोड़कर बादलों के पीछे छिपे सूरज पर नज़र रखते हैं । जैसे ही सूरज बादलों के पीछे से झाँकेगा, हमलोग माता जी को आवाज़ लगा देंगे । इस तरह वह आवाज़ सुनते ही बाहर निकलेगी और सूरज के दर्शन करके उपवास खोल लेंगी । फिर मैं भी अपने भोजन को लेकर उनके पास जा बैठूँगा, तब वो मुझपर गुस्सा नहीं करेंगी । निर्धारित योजना पर सभी बालक नज़र गड़ाए तैनात हो जाते हैं ।
बालक-1 बोलता है– उधर देखो, उस बादल के पीछे उजाला-सा नज़र आने लगा ।
बालक-2 बोलता है- हाँ, उस काले बादल का पेट फाड़कर सूरज प्रकट होने ही वाला है ।
बालक-1 बोलता है- मोनिया (मोहनदास), तू माता जी को आवाज़ लगा.., घर से निकलकर यहाँ पहुँचने तक सूरज पूरी तरह बहार आ चूका होगा ।
इतने में यकायक सभी ख़ुशी से उछल पड़ते हैं, क्योंकि सूरज वाकई अल्प समय के लिए निकल आया था । मोहन दौड़कर अंदर जाता है और अपनी माता जी के हाथ पकड़कर उन्हें बाहर लाता है । पर अफ़सोस इस बार भी सूरज का दर्शन पुतलीबाई को नहीं हो पाती, क्योंकि उनके बाहर आने तक सूरज को फिर से बादलों ने घेर लिया था । पुतलीबाई मोहनदास को संबोधित करते हुए कहती हैं कि – कहाँ है सूरज मोनिया ? मुझे तो हल्का-सा उजाला भी नज़र नहीं आ रहा । तभी मोहनदास माँ को संबोधित करता – गलती मेरी ही है, मुझे पहले ही जाकर आपको बुला लाना था ।
अंत में पुतलीबाई बाई ने मोहन को अपने गले से लगाकर कहती है – मुझे पता है बेटा, मुझे भूखा देखकर तुमने भी खाना नहीं खाया है । यह उपवास नहीं है है बेटे ! काले बादलों और मेरे बीच एक लड़ाई है, जिसे जीतूंगी मैं ही । गुलामी की घटाएँ कितना भी घेर लें, आज नहीं तो कल आज़ादी का सूरज ज़रूर चमकेगा।
यहीं पर मानो दृश्य ठहर जाती है और नेपथ्य से गाँधी जी की आवाज़ उभरती है । पुनः शुरूआत वाला दृश्य मंच पर सामने दिखाई देने लगता है । तत्पश्चात् गाँधी जी सुहासिनी को संबोधित करते हुए कहते हैं कि जब भी अन्याय के खिलाफ़ मैं उपवास पर बैठता हूँ, मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरी माता जी ने मुझे गले से लगा रखा है । मेरी माता जी हमेशा विजयी रही हैं सुहासिनी । माता जी का विश्वास ही मेरी ताक़त है । देख लेना, जीतूँगा मैं ही.... ।।
सूरज का इंतजार नाटक के प्रश्न उत्तर
प्रश्नोत्तर
प्रश्न-1- प्रार्थना सभा के बीच में गाँधी जी ने सबको शांत होने का संकेत क्यों किया ?
उत्तर- गाँधी जी को ऐसा आभास हुआ कि सामने बैठे लोगों में कुछ बेचैनी है, उसी बेचैनी का कारण जानने के लिए प्रार्थना सभा के बीच में गाँधी जी ने सबको शांत होने का संकेत दिया ।
प्रश्न-2- पुतलीबाई ने भूख के विषय में मोहनदास को क्या बताया ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पुतलीबाई ने भूख के विषय में मोहनदास को बताया कि भूख का संबंध पेट से नहीं मन से होता है । मन को खाने की चीज़ों से हटाकर दूसरे कामों में लगा दिया जाए तो भूख की तरफ़ हमारा ध्यान नहीं जाता है ।
प्रश्न-3- पुतलीबाई ने तीन दिन से कुछ क्यों नहीं खाया था ?
उत्तर- वास्तव में पुतलीबाई ने सूरज के दर्शन का व्रत लिया था अर्थात् वह हर रोज़ सूरज के दर्शन करने के बाद ही भोजन ग्रहण करती थी । लेकिन आसमान पर बादलों के छाने की वजह से पिछले तीन दिन से सूरज दिखाई नहीं दे रहा था, जिसके कारण उन्हें सूरज का दर्शन नहीं हो पा रहा था । इसलिए पुतलीबाई ने तीन दिन से कुछ नहीं खाया था ।
प्रश्न-4- सुहासिनी गाँधी जी से क्या जानना चाहती थी ?
उत्तर- जब गाँधी जी उपवास पर रहते थे तो कई दिनों तक बिना खाए-पिए वे रह जाते थे, गाँधी जी को इतना बल कहाँ से मिलता था, यही सब सुहासिनी गाँधी जी से जानना चाहती थी ।
प्रश्न-5- गाँधी जी ने अपनी माँ के विषय में सबको क्या बताया ?
उत्तर- गाँधी जी ने अपनी माँ के विषय में सबको बताते हुए कहा कि अन्याय और अधर्म को धर्म से लड़ने की यह समूची ताक़त मेरी माता जी ने बचपन में ही मुझे दी थी, मैं तो सिर्फ उस ताक़त का अभ्यास करता हूँ ।
प्रश्न-6- मोहनदास ने अपनी माँ का उपवास खुलवाने के लिए क्या योजना बनाई ?
उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, मोहनदास अपने दोस्त के साथ मिलकर बादलों के पीछे छिपे सूरज पर नज़र रखने लगे । उनकी सोच यह थी कि जैसे ही सूरज बादलों के पीछे से निकलेगा, वे लोग फ़ौरन माँ को ख़बर कर देंगे, इस तरह माँ उपवास खोल लेगी । उक्त योजना मोहनदास ने अपनी माँ का उपवास खुलवाने के लिए बनाई ।
भाषा से...
प्रश्न-7- इन शब्दों के हिन्दी पर्याय लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
खिलाफ़ – विरुद्ध
बेचैनी – व्याकुलता,
सवाल – प्रश्न
बुखार – ज्वर
रोज़ाना – प्रतिदिन
ज़रूरी – आवश्यक
आवाज़ – ध्वनि
आज़ादी – स्वतंत्रता
प्रश्न-8- नीचे लिखे शब्दों को पहचानकर लिखिए कि ये शब्द पुल्लिंग हैं या स्त्रीलिंग -
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
मंच – पुल्लिंग
सरकार – स्त्रीलिंग
माता – स्त्रीलिंग
सूर्य – पुल्लिंग
बालक – पुल्लिंग
वर्षा – स्त्रीलिंग
लड़ाई – स्त्रीलिंग
समंदर – पुल्लिंग
प्रश्न-9- दिए गए शब्दों के साथ सही उपसर्ग जोड़कर अन्य शब्द बनाइए -
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
प्र, आ, उप, बे, अन्, अ
...बे... + रहम – बेरहम
...आ... + मरण – आमरण
...उप... + स्थित – उपस्थित
...अन्... + अंत – अनंत
...प्र... + देश – प्रदेश
...अ... + धर्म – अधर्म
प्रश्न-10- इनमें कहाँ अनुनासिक चिह्न (चंद्र बिंदु) लगेगा और कहाँ अनुनासिक की जगह अनुस्वार (बिंदु) लगेगा -
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
नही – नहीं
जीतूगी – जीतूँगी
मे – में
आखे – आँखें
घटाए – घटाएँ
मै – मैं
मुह – मुँह
मूद – मूँद
प्रश्न-11- दिए गए गुणवाचक विशेषण शब्दों के लिए उपयुक्त विशेष्य (संज्ञा) लिखिए –
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -
तेज़ – आवाज़
कच्ची – कच्ची सड़क
पूर्व – दिशा
सुगंधित – सुगंधित फूल
सस्ता – सस्ता घर
कमज़ोर – कमज़ोर आदमी
सूरज का इंतजार नाटक से संबंधित शब्दार्थ
बालसखा – बचपन का मित्र
मूँदे – बंद किए
संकेत – इशारा
खिलाफ़ – विरुद्ध
आमरण उपवास – मृत्यु तक कुछ भी न खाना-पीना
समूची – सारी
चौमासे – वर्षा के चार महीने
मौनपूर्वक – बिना बोले , चुपचाप
किलककर – प्रसन्नता से भरकर
निवाला – कौर , रोटी का टुकड़ा
नेपथ्य से – परदे के पीछे से ।
COMMENTS