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इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर कहानी - हरिशंकर परसाई
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इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर कहानी का सारांश
इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर कहानी हरिशंकर परसाई जी द्वारा लिखी गयी एक प्रसिद्ध व्यंग कहानी है।इंस्पेक्टर मातादीन भारत में पुलिस विभाग एक सीनीयर इंसपेक्टर हैं। वे वैज्ञानिकों के इस कथन को झूठा मानते हैं कि चंद्रलोक में मनुष्यों की आबादी नहीं है। फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ के विरोध करने पर कि पाए गए निशान मुलजिम के नहीं है ,मातादीन स्वीकार नहीं करते हैं और उसे सजा दिलाकर के ही छोड़ते हैं। विज्ञान हमेशा मातादीन से मात खा जाता है।
भारत की तरफ से सांस्कृतिक आदान प्रदान के अंतर्गत चाँद सरकार ने भारत सरकार से एक पुलिस अफसर की माँग की जो कि चाँद पर जाकर वहाँ की कमजोर पुलिस विभाग को चुस्त दुरस्त कर दें। इस प्रकार आदान - प्रदान योजना के अंतर्गत पुलिस विभाग के सीनियर इंसपेक्टर मातादीन को चाँद पर भेजा गया।
चाँद सरकार का एक यान पृथ्वी पर आया और मातादीन अपने सहायकों से विदा लेकर उन्हें तरह -तरह के हिदायत देकर ऍफ़.आई.आर. तथा रोजनामचे का नमूना रखकर यात्रा प्रारम्भ कर देते हैं। वे उड़ान के समय अपने स्वभावानुसार यान चालक के लाइसेंस की जानकारी प्राप्त करते हैं और उसे हॉर्न बजाते हुए उड़ान की यात्रा का निर्देश देते हैं। चाँद पर पहुँचते ही उनका भव्य स्वागत किया जाता है और उन्हें एक बंगले में टिका दिया जाता है।
सर्वप्रथम वे पुलिस बैरक का मुआइना प्रारम्भ करते हैं और प्रत्येक बैरक में हनुमान मंदिर की स्थापना करवाते हैं। वे हनुमान को श्री राम के एक कर्तव्य परायण अफसर के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे तुरंत आई.जी. को प्रभावित कर लेते हैं और उन्हें समझाते हैं कि उनके यहाँ पुलिस विभाग के काहिल होने का मुख्य कारण अधिक वेतन है। उनके कथनानुसार चाँद सरकार अपने पुलिस विभाग का वेतन कम कर देती है। वेतन कम होते ही पाया गया कि पुलिस विभाग में मुस्तैदी बढ़ गयी।अपराधियों की धर - पकड़ में तेज़ी आ गयी। चाँद सरकार पर इंसपेक्टर मातादीन के कौशल की धूम मच गयी।
पुलिस की काहिली दूर करने के बाद मातादीन पुलिस विभाग की जांच विधि में सुधार करना चाहते थे। इसी बीच आपस की मारपीट में एक आदमी मारा गया। मातादीन ने इसे कत्ल का केस कहकर एविडेंस की खोज प्रारम्भ कर दी। इसमें उन्होंने उस व्यक्ति को मुलजिम बनाया जिसने घायल की सहायता किया क्योंकि खून के धब्बे उसी के कपड़े पर पाए गए। उन्होंने शहर के कई अपराधियों को बुलाकर उन्हें सजा की धमकी दी तथा पकडे गए व्यक्ति के खिलाफ जुर्म का बयान दिलवा दिया। जैसे ही उन्हें पता चला कि पकड़ा गया आदमी पुलिस के अन्याय का विरोध करता है तथा सरकार के विपक्ष का आदमी है तो वे और प्रसन्न हुए और तुरंत उसके खिलाफ ऍफ़.आई.आर. भरवा दी। चाँद पर सभी पुलिस अधिकारी सकते में आ गए। उनके ऊपर निपराध को दंड देने का अभियोग लगा परन्तु मातादीन ने यह कहकर सबको शांत कर दिया कि पुलिस की नज़र में सब मनुष्य बराबर है। सब उसी परमात्मा के अंश हैं। उन्होंने अधिकारियों को शांत करने के लिए एक गुर बताया कि जब कोई पूछे तो साफ़ कह दिया जाए कि ' यह ऊपर की बात है। "
मातादीन की शिक्षा से चाँद की पुलिस भी सारे हथकंडों में माहिर हो गयी। कत्ल के केस में पकड़े गए भले मनुष्य को सजा हो गयी। अब वहां धढ़ाधड केस बनने लगे। मातादीन को सम्मानित किया गया। उनका अभिनन्दन भी हुआ किन्तु वे अभिनन्दन के समय अपनी धोती ,कुर्ता और टोपी साथ में न लाने के लिए पछताने लगे। थोड़े ही दिनों में चाँद पर अव्यवस्था का आलम हो गया। अब वहां यह अवस्था हो गयी कि डर के मारे बूढ़े बाप का इलाज ,मरते हुए की सहायता ,डूबते हुए की रक्षा तथा जलते हुए घर को बुझाने के लिए जाने से लोग कतराने लगे। लोगों में यह आतंक छा गया कि इस प्रकार सहायता करने वाले जुर्म में फँस जायेंगे। चाँद सरकार के संसद का एक गुप्त अधिवेशन हुआ। उसमें यह प्रस्ताव पास किया कि चाँद पर से मानवता समाप्त हो गयी है। अतः सरकार इस्तीफा दें। सरकार के कान खड़े हो गए। उसने मातादीन को पुनः भारत लौटने के लिए भारत के प्रधानमंत्री से गुप्त पत्र लिखकर निवेदन किया। आखिर मातादीन जी को वापस लौटने के लिए आई.जी. का आर्डर मिल गया। उन्होंने एस.पी. साहब के घर के लिए एड़ी चमकाने का पत्थर यान में रखकर चाँद से विदा हो गए। बाद में गुप्त पत्र का रहस्योघाटन हुआ। चाँद सरकार ने भारत के प्रधानमंत्री को लिखा था कि मातादीन ने अब तक यहाँ की आधी संस्कृति नष्ट कर दी गयी। अगर वे यहाँ रहे तो पूरी संस्कृति नष्ट कर देंगे।
इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर कहानी के प्रश्न उत्तर
प्र. चाँद के स्वरुप पर मातादीन का क्या विचार था ?
उ. मातादीन का कहना था कि चाँद के दो पक्ष हैं एक उजला पक्ष और दूसरा अँधेरा पक्ष। उजला पक्ष में आबादी नहीं है जबकि अँधेरे पक्ष में मनुष्य जाति निवास करती है। वे दावे के साथ कहते थे कि मैं चाँद का अँधेरा पक्ष देखकर आया हूँ।
प्र. इंसपेक्टर मातादीन को चाँद पर जाने का मौका कैसे मिला ?
उ. मातादीन सांस्कृतिक आदान प्रदान के अंतर्गत चाँद सरकार की पुलिस को दक्ष एवं कामयाब बनाने के लिए एक प्रशिक्षक के रूप में चाँद सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार द्वारा भेजे गए थे।
प्र. अन्तरिक्ष में मातादीन के स्वागत के लिए कौन आये थे ? उन्होंने उनके साथ कैसा व्यवहार किया ?
उ. अन्तरिक्ष अड्डे पर मातादीन का स्वागत करने के लिए चाँद सरकार के अनेक पुलिस अधिकारी खड़े थे। मातादीन रोब से उतरे और उन अफसरों के कन्धों पर नज़र डाली। वहां उनकी वर्दी में न तो फीते थे न स्टार लगे थे। अतः उन्होंने न तो किसी सलामी दी और न एड़ी मिलायी।
उ. मातादीन ने कहा कि हनुमान जी हर पुलिस वाले के लिए आदर्श हैं ,वे सुग्रीव के यहाँ स्पेशल ब्रांच में थे। उन्होंने सीता - माता के पता लगाया था। एब्दाक्सन का मामला था दफा ३६२। हनुमान जी ने रावण को सजा वहीँ दे दी। उसकी प्रॉपर्टी में आग लगा दी। हनुमान जी के काम से भगवान् रामचंद्र जी बहुत खुश हुए। वे उन्हें अयोध्या ले आये और आन ड्यूटी में तैनात कर दिया।
प्र. मातादीन ने भले मनुष्य पर जुर्म साबित करने के लिए क्या क्या आधार बताएं ?
उ. मातादीन के अनुसार किसी पर जुर्म साबित करने के दो आधार हैं - प्रथम यह है कि क्या वह आदमी पुलिस के रास्ते में आता है ? द्वितीय यह है कि उसे सजा दिलाने पर ऊपर के लोग खुश होंगे कि नहीं ? उस भले मनुष्य के बारे में यह सूचना मिली कि अन्याय होने पर वह पुलिस का प्रतिकार करता है और सत्तारूढ़ पक्ष का विरोधी है। इन्ही दो आधारों पर मातादीन ने उसे अपराधी सिद्ध कर दिया।
प्र. चाँद के प्रधानमंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री के लिखे गए पत्र में क्या कहा था ?
उ. चाँद के प्रधानमंत्री ने लिखा था कि इंसपेक्टर मातादीन की सेवाएँ हमें प्रदान करने के लिए अनेक धन्यवाद। पर अब आप उन्हें फ़ौरन बुला लें। आपके मातादीन जी ने हमारी पुलिस को भ्रष्टाचार और निकम्मा बना दिया है ,जिसका नतीजा यह हुआ है कि आज चाँद पर से मानवता समाप्त हो गयी है। अपराधी आनंद से हैं और बेक़सूर कष्ट पा रहे हैं। मातादीन जी ने चाँद पर की आधी संस्कृति ही नष्ट कर दी है।
इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर कहानी का उद्देश्य
इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर कहानी हरिशंकर परसाई जी द्वारा लिखी गयी एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने भारतीय शासनतंत्र के प्रतिनिधिओं के चरित्र का पर्दाफाश किया है। आज देश में उनके कारनामों से मानवतावादी संस्कृति नष्ट हो गयी है। समाज एवं राष्ट्र में नैतिक मूल्यों का पतन हो गया है। कहानीकार ने यह बताना चाहा है कि किस प्रकार इंसपेक्टर मातादीन जैसे लोगों द्वारा वर्तमान भारतीय शासन व्यवस्था कलंकित हो रही है।
सदगति कहानी में व्यक्त आधुनिक यथार्थ
जवाब देंहटाएंमातादीन को चंदद पर क्यों भेजा गया
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