कभी महफिल तो कभी खुद तनहाई, कभी दर्द तो कभी खुशी की शहनाई, कभी जवानी कभी बिते दिनों की कहानी, कभी सहेली तो अपने आप में एक पहेली, कभी आरजू तो कभी कर दे
कभी महफिल तो कभी खुद तनहाई
कभी महफिल तो कभी खुद तनहाई,
कभी दर्द तो कभी खुशी की शहनाई,
कभी जवानी कभी बिते दिनों की कहानी,
कभी सहेली तो अपने आप में एक पहेली,
कभी आरजू तो कभी कर दे मुझे अकेली,
कभी साथ तो कभी खुद ही बेबस बेचारी,
सच बता जिंदगी तु मेरी क्या लगती है !
साथ तो पुरा देती पर मन में आधा अधूरा हौसला,
कभी आझाद परिंदे सी तू कभी पसंद है घौसला,
कहीं कैद है तू भावनाओं में कहीं ठुकरा दे हर रिश्ता,
कहीं गुमसूम सी बैठी मुंह मोडके कभी औरों से वास्ता,
गम को लगाये कभी गले कभी बेबजह ही खुश हो ले,
तपती धूप में छांव कभी अंगार सी तपन बाकी तुझमें,
सच बता जिंदगी आखिर में तू मेरी क्या लगती है!
लौटके देखु मैं पिछे तो दर्द ही दर्द तुझमें समाया,
आज से आगे देखना चाहु तो जन्नत का तू साया,
कल थे जो अजनबी आज बना दे तू जाने पहचाने,
आज के जाने पहचाने किसी मोड पे फिर अनजाने,
कदम कदम पर जाल बिखडा पहचान तेरी क्या हो,
शक्कर में घुलकर भी रहेगी हमेशा मीठी सी कटारी,
सच बता जिंदगी वाकई तू मेरी कुछ लगती भी है !
तुझे पाने की ख्वाहिश में
तुझे पाने की ख्वाहिश में
कितनी अधूरी जिई हुँ ,
तुझे तक पहुँचते-पहुँचते ,
कितने मगर मैं बिखडी हुँ ।।
तेरी हो जाओ इक दिन ,
ये सोच खुद पे इतराएे हैं ,
तेरी ही इक चाह में देखो ,
ख्वाबों के महल सजाए है ।।
तू है मेरा दूर आसमां ,
पंख मजबूती से फैलाये ,
बिन पंखों के भी हमने ,
हौसलों की उड़ान भर आये ।।
इक तेरे ही खातिर ही तो ,
तुझ संग ना बह जाऊँ ,
तो लहरों से हाथ मिलाये है ।।
तू उम्मीद से बढ़कर ,
मासूम सा मेरा साया ,
मेरा दिल तुझ पर ही ,
क्यु ना जाने आया ।।
सारा जहाँ है मेरा ,
बस तुझ में ही समाया ,
कोई ले जाए मुझे वहाँ,
होगा तुझे पाना जहाँ ।।
तू मेरे कलम की बस ,
इकलौती है पहचान ,
तुझसे ही है तो ,
ख्वाबों में मेरी जान ।।
ना जुदा हो दिल से ,
वह तू मेरी धड़कन ,
तुझ में ही हो जाए ,
अब मेरा समर्पण ।।
जिंदगी से ना हारे हम
मुश्किलें जो हारे नहीं ,
हिम्मत कैसे हार गई ,
मौत ने बुलाया नहीं,
जिंदगी कैसे चली गई ।।
तकलीफें तो कल भी थी ,
फिर वो हमेशा रहेंगी ,
क्या अपनों की कोई डोर ,
तुझसे अबतक बंधी नहीं ।।
गम तो बस एक पल का था ,
आकर अपने आप चला जाता ,
क्या कुछ पल ठहर जाता तू ,
क्या इतना तेरे पास वक्त नहीं ।।
कई चेहरे की मुस्कान तू ,
जिंदगी की पहचान तू ,
देख दूर हो जाये अँधेरे ,
रोशनी की सहारे तू ।।
किसी का हमसफर तू ,
किसी का जिगर तू ,
मुश्किल भरी राहों में ,
गुम है तू चाँद -सितारों में ।।
इक बार आवाज तो देते ,
जमीं पर ही सूरज को लाते ,
पा जाये तू सारी खुशियाँ ,
उस खुदा से भी लढ जाते ।।
आज तो बस आँखें है नम ,
बस इस बात का है गम ,
जिंदगी से ना हारे हम ,
राह पर गुम हो तुम ।।
दहेज का खजाना
कितना मंहगा दिया है किसीने आज दहेज ,
बचपन से जवानी तक का साथ दिया सहेज ,
पेट काँट काँट कर किया गुजारा दिया सारा ,
हँसता गुँजता दिल का खिलौना दिया प्यारा ।।
नन्ही नन्ही चाही चाही सी उम्मीदें ,
चाशनी से भी मिठी छोटी सी फर्माईशें,
स्कूल बँग , नोटबुक और मनचाहे सफर ,
एक झटके में पैक करके स्टीकर लगाया उपर ।।
छम छम बजती वो तेरी पायल की झनकार ,
रोता देख तूझे मन को जीवन लगे बेकार ,
गिरने पर चोट लगने का वो अनजाना मेरा डर ,
देखु मैं तुझे बेबजाह यूंही आँखें भर भर ।।
तितलियों सा तेरा बचपन दिया मैंने बाँध ,
जवानी संग तुने गुजारी तेरी वो साँझ ,
दिल निकाल के दिया मेरा अरमानों से भरा ,
तेरे संग ससुराल चला जहाँ मेरा पूरा ।।
वो मुस्कुराते सपने, तेरी नाराज नाराज रातें ,
भरी दोपहरे में प्यार से भरी तेरी सुबहें ,
छोटी छोटी बातों पर मठ्ठे उठती रेखाएँ ,
तुने बचपने में अपने कितनी बातें मुझे सिखाई ।।
बडा भारी भारी है ये जो दिया दहेज का खजाना ,
सोच समझकर ही इसे धीमे धीमे इस्तेमाल करना ,
देखना ना कभी भी ना छुटे इसका एक भी सिरा ,
आँखो के अनमोल मोती को तू ना देना गिरा ।।
थोडा थोडा संभल जाना सिख कुछ मुझसे ,
दहेज का अगला खजाना बना लेना खुद से ,
मुझसे जूदा कुछ अपने लिए ढूँढ लेना ,
खाली खाली ना रहे तेरे दहेज का खजाना ।।
- जयश्री कुलकर्णी
अहमदनगर
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