ये ज़िन्दगी ये कैसा समां है ,चारों तरफ़ मेरे ये कैसा धुआं है , इक पल खुशी और दूजे पल उदासी ये छाया मौसम पे कैसा नशा है .
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में ,
खोकर इस पल बस तेरे ख्यालों में ,
यूं तो तू मुझसे जुदा नहीं पर
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
तूने ही तो सिखाया है मुझे खुद पर यकीन करना ,
तूने ही सिखाया है मुश्किलों से लड़ना ,
आज खोना है तेरे ख्यालों में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
मेरे जीने का सहारा है तू ,
मेरे मुस्कुराने की वजह है तू ,
अब तो बस रहना है तेरे साए में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
मेरे सफर का हमराही है तू ,
सबसे प्यारा साथी है तू ,
मेरा हर सपना सजा है तेरी आंखो में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
मुझे पार लगाने वाली नौका भी तू है ,
मेरी तो सारी दुनिया ही बसी है तेरी निगाहों में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
सुबह की खिलती हुई धूप तू है ,
शाम की सुहानी छांव तू है ,
हर खुशी मिलती है मुझे तेरी बातों में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
मेरे दिन की रोशनी तुमसे है ,
मेरी रातों की चांदनी तुमसे है ,
हर दिन हर पल खोया है मेरा तेरे ख्यालों में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
तेरे प्यार की खुशबू से मेरी दुनिया महकी है ,
तेरी मुस्कान मेरी फिजाहो में बिखरी है ,
जी चाहता है बस खोना तेरे ख्यालों में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
मैं जो लिखूं वो तुझे भा जाता है,
मगर जब तू लिखे तो मेरा चेहरा खिल जाता है ,
हां मेरा खिला हुआ चेहरा बसा है तेरी आंखो में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
तुझे लिखूं तो मेरे ख्याल बढ़ते ही जाते हैं ,
इस दिल से तेरे लिए बहुत से पैगाम आते हैं ,
अब तो बस तू ही तू है मेरे इस आशियाने में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
मेरी खुशी है तू , मेरी मुस्कान भी तू ,
मेरी सांसे है तू , मेरी जान भी तू ,
तेरी मेरी कहानी न पूरी होगी दो लफ़्ज़ों में
आज लिखना है कुछ तेरे बारे में .
तुझे लिखूं तो मेरे ख्याल बढ़ते ही जाते है ,
किसी भी राह पर चलूं कदम तेरी ओर ही आते हैं ,
अब फिर कभी बात करेंगे तेरे बारे में
अब फिर कभी लिखेंगे तेरे बारे में ...
ये ज़िन्दगी
ये ज़िन्दगी ये कैसा समां है ,
चारों तरफ़ मेरे ये कैसा धुआं है ,
इक पल खुशी और दूजे पल उदासी
ये छाया मौसम पे कैसा नशा है .
क्यों किसी की ख़ुशी , किसी का गम बन जाती है ,
क्यों किसी की मुस्कान किसी का आंसू बन जाती है ,
क्या गुनाह किया मैंने ये समझ नहीं आता
क्यों कभी ज़िन्दगी उलझा हुआ सवाल बन जाती है .
या खुदा ! आज तो अपनी रहमत बरसा दे ,
मेरी खुशी से सबके चेहरे पर मुस्कान बिखरा दे ,
मैंने तो अपनी खुशी मांगी किसी के गम नहीं
जिन आंखों को मैंने रुलाया उन्हें फिर से हंसा दे .
क्यों किसी की मुस्कान होंठो पे सिल जाती है ,
क्यों समाज की बेड़ी पंखों को बांध देती है ,
क्या गुनाह किया जो एक ख्वाब देखा है
क्यों किसी की मोहब्बत किसी की नफ़रत बन जाती है
हम समाज से नहीं समाज हमसे बनता है ,
फिर क्यों इंसां समाज में रिश्ता ढूंढता है ,
जोड़ियां तो बनती हैं दूर आसमानों में
फिर क्यों कोई रिश्तों को पैसों से तोलता है .
ना मांगा है कुछ , ना चाहा है कुछ ,
बिन मांगे ही दे दिया है तूने मुझे सब कुछ ,
या खुदा ! सलामत रखना मोहब्बत को जहां में
ना ये झूठी बेड़ियां चला सकें उस पर ज़ोर कुछ .
मेरे हमसफर
इस बेरंग सफर में कुछ बात हो गई ,
एक रोज़ जो तुमसे मुलाकात हो गई ,
न तुम कुछ कह सके न हमने कुछ कहा
और आंखों ही आंखों में बात हो गई .
न गायक का गीत न शायर का शेर है ,
ये ज़िंदगी तो खुदा की देन है ,
यूं तो हर लम्हे में है एक अलग ही एहसास
मगर तेरे होने से ज़िंदगी में सुकून और चैन है .
तुमसे मिले तो ज़िंदगी में खुशी आ गई ,
इन सहमे हुए लवों पे फिर हंसी आ गई ,
गम के अंधेरों में जो खुशी खो गई थी
तेरे आने से उस खुशी की लहर छा गई .
शुक्रगुजार हैं उस खुदा के , जिसने तुमसे मिलाया ,
तुमने ही तो ज़िंदगी को जीना सिखाया ,
गुमराह हो गए थे जो गुमनाम राहों पे हम
तुमने ही तो हमको मंजिल का रास्ता दिखाया .
देखा है एक ख्वाब , जो ख्वाब हमारा है ,
अब खुशी मिले या गम थामा हाथ तुम्हारा है ,
सारी कायनात को करके अलग , उस खुदा से
बस मांगा साथ तुम्हारा है .
❤️ A S ❤️
- अनुकृति नामदेव
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