भारत एक गणतंत्र देश है कैसे Is India truly a republic समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य संविधान प्रस्तावना प्रतिनिधि धर्मनिरपेक्ष प्रजातांत्र
भारत एक गणतंत्र देश है
भारत एक गणतंत्र देश है कैसे Is India truly a republic - अखिल भारतीय कांग्रेस ने 26 जनवरी 1929 ई. को लाहौर कांग्रेस में भारत की पूर्ण आजादी के लिए संघर्ष की प्रतिज्ञा की थी और हमारे नेताओं ने इसे पूर्ण गणतंत्र बनाने का व्रत लिया था।अतः हमारी राष्ट्रीय भूमिका और प्रतिज्ञा इसका आधार है। 1930 ई. में उसी दिन 26 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर पर यह उत्सव मनाया गया।
भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 ई. को 2 वर्ष 11 माह 18 दिनों में बनकर तैयार किया और भारत के संविधान की प्रस्तावना में इसे एक गणतंत्र घोषित किया गया। 26 जनवरी 1950 ई. को हमारा संविधान लागू हुआ और भारतवर्ष एक गणतंत्र घोषित किया है। हमारे संविधान की प्रस्तावना बहुत ही महत्वपूर्ण है। संविधान की प्रस्तावना निम्नलिखित है -
हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष,लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को :सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई0 (मिति मार्ग शीर्ष शुक्ल सप्तमी, सम्वत् दो हजार छह विक्रमी) को एतदद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
हमारे देश में वंश परंपरा से पद प्राप्त कोई शासक ,राजा या बादशाह नहीं हैं। यह पद अब वंश परंपरागत नहीं रहा। राष्ट्रपति देश की सार्वभौम सत्ता के सभी पदाधिकारियों का प्रमुख है। उसका चुनाव अप्रत्यक्ष ढंग से जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा एकल संस्क्रमानीय पद्धति के चुनाव मंडल द्वारा किया जाता है। वह ५ वर्षों तक अपने पद पर बना रह सकता है अगर उसकी तदनुकूल पात्रता बनी रहे। इस पद पर कोई भी व्यक्ति दो बार से अधिक आसीन नहीं हो सकता है।
डॉ. राजेन्द्र बाबू ही दो बार और एक बार ढाई वर्षों तक पदेन इस गौरवशाली पद पर बने रहे। उसके बाद अब तक एक ही बार ५ वर्षों के लिए बनने की परंपरा आ रही है। अब तक इस पद पर डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ,राधाकृष्णन ,जाकिर हुसैन ,फक्रुद्दीन अली अहमद ,नीलम संजीव रेड्डी ,ज्ञानी जैल सिंह ,वेंकट रमण ,अब्दुल कलाम ,प्रतिभा पाटिल आदि रह चुके हैं। वर्तमान समय में श्री रामनाथ कोविंद जी 25 जुलाई 2017 से पदासीन हैं। इस प्रकार यह पद वंश परंपरागत न होकर जनता द्वारा निर्वाचित होने की स्थिति में एक निश्चित समय के लिए है। इस प्रकार हमारा देश समाजवादी धर्मनिरपेक्ष प्रजातांत्रिक गणतंत्र है। यही नहीं इसे इस बात से बल मिलता है कि निति निर्देशक तत्व गणतंत्र के आधार को और मजबूत करते हैं।
प्रौढ़ सशक्त गणतंत्र
कहना नहीं होगा कि गणतंत्र की हमारी अद्वितीय परंपरा में केन्द्रीय स्तर पर संसद राज्यीय स्तर पर विधानमंडल (एक सदनीय या दो सदनीय ) ,जिला स्तर पर स्थ्यानीय संस्थाएं - निगम ,पौर संस्थाएं ,बोर्ड ,पंचायत आदि - जनता द्वारा चुन कर निर्मित किये जाते हैं। जो जन गण मन के बोध स्वरुप शासन करते हैं। इस प्रकार गाँव की छोटी इकाई से लेकर बड़ी इकाई तक हमारे देश की सार्वभौम सत्ता जनता के हाथों में है। वह देश के समग्र शासन को अपने मतों से प्रभावित करती हैं। अब तक प्रान्तों में अनेक बार और केंद्र में दो तीन बार अलग - अलग दलों का शासन स्थापित हुआ है। विश्व के लोगों को संशय था कि भारत की अनपढ़ और गरीब जनता अपने देश की आजादी की रक्षा नहीं कर पाएगी पर उनकी यह शंका निर्मूल सिद्ध हुई। इसमें कोई शक नहीं है कि हमें अभी इस दृष्टि से और प्रौढ़ सशक्त गणतंत्र बनाने की जरुरत है।
हमारे यहाँ लगभग 70 वर्षों से देश के चुने हुए प्रतिनिधि शासन कर रहे हैं और देश के स्वशासन की अपनी परम्परा बनी रही है। विश्व की साम्राज्यवादी शक्तियाँ इसे कमजोर करने की चेष्टा कर रही हैं पर हमें दृढ़ता से उनका मुकाबला करना है और आत्म विशलेषण द्वारा अपने दोषों को समझकर उन्हें दूर करना है जिससे भारतवर्ष विश्व का सर्वश्रेष्ठ गणतंत्र बन सके।
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