किसी जादू के तमाशे का आँखों देखा वर्णन Essay On Magic Show in Hindi जादूगर के खेल ताश के खेल व योगासन A Visit to a Magic Show नगर में आयोजित tamash
किसी जादू के तमाशे का आँखों देखा वर्णन Essay On Magic Show in Hindi
किसी जादू के तमाशे का आँखों देखा वर्णन Essay On Magic Show in Hindi A Visit to a Magic Show - जादू तमाशे का नाम सुनते ही मेरे मन में एक तरह की सिरहन उत्पन्न हो जाती है क्योंकि बचपन में जादू तमाशा देखने का हर एक बच्चे का स्वपन होता है। मुझे ऐसा अवसर शीघ्र ही प्राप्त हो गया। मेरे नगर में एक जादू तमाशे दिखाने का दल आया और उन्होंने एक शो आयोजित किया। उस शो में जाने के लिए टिकट भी लेना पड़ा। बच्चों ने अपने माता - पिता को परेशान कर शो दिखाने के लिए ले जाने पर उन्हें मजबूर कर दिया।
जादूगर के खेल
जल्द ही शो के सारे टिकट भी बिक गए। शो वालों ने विद्यालय का हाल ही बुक करा लिया ताकि ज्यादा से ज्यादा स्कूली बच्चे उस शो को देख सकें।संयोगवश शो हमारे विद्यालय के हाल में ही दिखाया गया। विद्यालय में एक जादूगर आया। वह अपने काम में बड़ा कुशल था , स्टेज पर उसके आते ही सारा हाल तालियों की गडगडाहट से गूँज उठी। जादूगर एक काला गाउन पहने हुए था और उसमें अनेक तमगे लगे हुए थे। उसके पास एक बक्सा था जिसमें सामान भरा हुआ था। खेल प्रारंभ करने से पहले उसने कहा - मैं पहले हवन करूँगा। मेहरबान - साहेबान जरा ध्यान से देखिये। एक लोहे की सलाई पर कपड़ा लिपटा हुआ था। उसी पर उसने आग लगायी और उसको अपने मुंह में रख लिया। इसके बाद उसने नए ब्लेड लिए और उनको दाँतों से काट काटकर पानी के साथ निगलता चला गया। इसके बाद रुपये बनाने शुरू किये। इस खेल को देखकर हमारी तो अकल चकरा गयी।
कुछ लोग कहने लगे हाथ की सफाई है तो कुछ कहने लगे सम्मोहन शक्ति है। कुछ लोग कहने लगे हाथ की सफाई है तो कुछ कहने लगे सम्मोहन शक्ति है। अगर इसी तरह कोई रूपया बनाने लगे ,तो वह यह काम क्यों करें। फिर जादूगर ने घड़ी का खेल दिखाया। एक व्यक्ति से उसने घड़ी मांग ली। फिर उसने व्यक्ति से पूछा कि आप तो दिलवाले हैं ,यह घड़ी टूट जाए या खो जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता है। ये कहते हुए उसने सबके सामने घड़ी तोड़ दी। तपाक से जादूगर ने उस व्यक्ति से कहा - भाई साहब ,आपकी घड़ी तो टूट गयी। आपकी मर्ज़ी से ही टूट गयी। चलो आपको दूसरी घड़ी दे देते हैं। तभी उसके सहायक ने तालियाँ बजायी। सभी आश्चर्य भरी नज़रों से जादूगर को देखने लगे। उसने कहीं मेज़ पर रखी एक डिबिया उठाई। तमाशे का आँखों देखा वर्णन किया जा सके .उसमें से एक के बाद एक डिबियां निकलती गयी। अंत में सबसे छोटी डिबिया में उस व्यक्ति की घड़ी रखी हुई थी। व्यक्ति को घड़ी देते हुए उसने कहा - 'यही आपकी घड़ी है। " व्यक्ति ने घड़ी पहचान ली। वही उसकी घड़ी थी।
ताश के खेल व योगासन
इसके बाद उसने ताश के खेल दिखाए। किसी भी पत्ते को देखें बिना यह बता देता है कि यह कौन सा पत्ता है। पत्ते के टुकड़े को काटकर उसें एक बच्चे को दिया और कहीं भी रखने को कहा। फिर उस ताश को जोड़कर दिखा दिया। इसी प्रकार उसने ताश व अनेक मनोरंजन खेल दिखाए। फिर उस जादूगर ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। एक मोटी साँकल को उठाकर अपने शरीर पर लपेट दिया। उसके नीचे कम्बल रख लिया और दोनों कुंदों में ताला लगवा दिया। फिर उसने प्राणायाम किया और अंगडाई लेकर उस साँकल को तोड़ दिया। सभी लोग हतप्रभ रह गए। उसके खेल तमाशे तथा योग की क्रियाओं से हम लोग बहुत प्रभावित हुए। उसने यह भी बताया कि योग की क्रियाओं से रोगों को दूर किया जा सकता है। यह जादू का तमाशा सबको बहुत अच्छा लगा। हम सब वापस अपने घर आ गए। दो तीन दिन तक हमारे वार्तालाप का विषय ही जादू का तमाशा रहा।
COMMENTS