भीड़ में खोया आदमी कहानी का सारांश भीड़ में खोया आदमी पाठ का उद्देश्य भीड़ में खोया आदमी शीर्षक की सार्थकता भीड़ में खोया आदमी के प्रश्न उत्तर अर्थ
भीड़ में खोया आदमी - लीलाधर शर्मा पर्वतीय
Bhid me khoya aadmi भीड़ में खोया आदमी Man lost in crowd bheed mein khoya aadmi class 9 icse bheed mein khoya aadmi sahitya sagar ICSE Board भीड़ में खोया आदमी भीड़ में खोया आदमी के प्रश्न उत्तर भीड़ में खोया आदमी पाठ का उद्देश्य भीड़ में खोया आदमी सारांश भीड़ में खोया आदमी शीर्षक की सार्थकता भीड़ में खोया आदमी question answer भीड़ में खोया आदमी के प्रश्न उत्तर sahitya sagar bheed mein khoya aadmi explanation bheed mein khoya aadmi class 10
भीड़ में खोया आदमी कहानी का सारांश
लेखक को बाबू श्यामलाकान्त की लड़की के विवाह का निमंत्रण मिला। श्यामलाकान्त हरिद्वार में रहते थे। लेखक रेल के आरक्षण के कार्यालय में गया। भीड़ इतनी थी कि आरक्षण न हो सका। उन्होंने बिना आरक्षण के ही हरिद्वार जाने की सोची ,परन्तु जिस गाड़ी पर वे चढ़ना चाहते थे ,उसमें तिल - भर भी जगह नहीं थी। कुली की सहायता से खिड़की में जैसे तैसे अन्दर घुसे। लक्सर में जो गाड़ी बदलनी थी ,वह गाड़ी अन्दर तो भरी ही थी ,छत भी सवारियों से लदी पड़ी थी। जैसे तैसे लेखक हरिद्वार पहुंचा।
हरिद्वार में बाबू श्यामलाकांत का बड़ा पुत्र दीनानाथ लेखक को लेने आया था। वह अपनी पढ़ाई पूरी कर चुका था। रोजगार के कार्यालय में नाम लिखवा चुका था ,परन्तु उसे कहा गया था कि वह नौकरी की शीघ्र आशा न करे ,पहले ही बहुत भीड़ है।
घर पहुँचने पर लेखक ने देखा कि १० -१२ व्यक्तियों का पूरा परिवार केवल दो कमरों में ही गुजारा कर रहा था क्योंकि बहुत छानबीन करने पर भी उन्हें कोई बड़ा मकान नहीं मिल पाया था।
श्यामला जी की पत्नी तीन छोटी लड़कियों और दो छोटे लड़कों के साथ जलपान लेकर उपस्थित हुई। उसके उतरे हुए चेहरे को देखकर लेखक ने जानना चाहा कि उनका स्वस्थ्य ठीक क्यों नहीं है ? पता चला कि जिस अस्पताल में वे अपनी चिकित्सा करवाने गयी थी ,वहीँ रोगियों की इतनी भीड़ थी कि डॉक्टर उनका ठीक इलाज नहीं कर सके। इतनी भीड़ में वह किस किस को ठीक प्रकार से देखता ?
श्यामला की पत्नी शादी के लिए कपड़े सिलाने गयी थी परन्तु दर्जी ने पहले आये ढेर कपड़ों को दिखाकर कपड़ा देर से सीने की विवशता प्रकट की। पहले ग्राहक की चिरौरी होती थी परन्तु अब दर्जियों की चिरौरी भीड़ के कारण करनी पड़ती है। दूसरा लड़का सुमंत राशन की दुकान से भीड़ अधिक होने के कारण अधूरा सामान ही लेकर आया था और प्रतीक्षा में खड़े रहने के कारण थक गया था। उसने माँ से शीघ्र ही चाय की माँग की।
यातायात के साधनों की कमी ,नौकरी चाकरी की समस्या ,आवासों की कमी ,चिकित्सा का अभाव ,कारीगरों की कमी ,खाद्य पदार्थों की न्यूनता - इन सबका मूल कारण जनसँख्या की वृद्धि है। अतः जनसँख्या पर नियंत्रण करना आवश्यक है।
भीड़ में खोया आदमी पाठ का उद्देश्य
भीड़ में खोया आदमी लीलाधर शर्मा पर्वतीय जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध रचना है। आपने इसके माध्यम से बढ़ती हुई जनसँख्या से उत्पन्न समस्याओं की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है। अधिक जनसँख्या के कारण न सिर्फ पारिवारिक बल्कि देश को भी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। लेखक ने यह सन्देश दिया है कि हमें अपना परिवार सीमित रखना चाहिए। छोटे परिवार से ही सुख तथा शान्ति मिलेगी और देश समृद्ध होगा। अगर ऐसा नहीं होगा तो इंसान इस भीड़ में और इससे पैदा होने वाली समस्याओं में घिर कर रह जाएगा।
भीड़ में खोया आदमी शीर्षक की सार्थकता
भीड़ में खोया आदमी के माध्यम से लेखक बताना चाहते हैं कि आज के युग मने जनसँख्या में वृद्धि के परिणामस्वरुप भीड़ बढ़ती ही जा रही है। भीड़ के निरंतर बढ़ते के कारण समाज में गन्दगी फ़ैल रही है। अनुशासन पर कुप्रभाव पड़ रहा है ,नियम और व्यवस्था भंग हो रहे हैं। लोगों के पास समय ,शक्ति और धन होने के बाद भी कार्य सिद्ध नहीं हो रहे हैं। अतः यह देखकर लगता है कि इन समस्याओं को तलाशता आदमी इसी भीड़ में कहीं खो गया है। वह पूरा जीवन इसी भीड़ में उलझ कर निकाल देता है।
भीड़ में खोया आदमी के प्रश्न उत्तर
प्र. लेखक कहाँ जा रहा है और क्यों ?
उ. लेखक अपने मित्र श्यामलाकांत के द्वारा पत्र मिलने पर उनकी पुत्री के विवाह में सम्मिलित होने के लिए हरिद्वार जा रहा था। श्यामलाकांत ने बड़े उत्साह के साथ लेखक को हर विवाह में शामिल होने का निमंत्रण भेजा था।
प्र. लेखक ने अपने मित्र का क्या आरंभिक परिचय दिया है ?
उ. लेखक के अनुसार बाबू श्यामलाकांत उनके अभिन्न मित्र हैं। वे अत्यंत ही सीधे - सादे ,परिश्रमी ,ईमानदार किन्तु निजी जिंदगी में बड़े लापरवाह व्यक्ति हैं। वे उम्र में लेखक से छोटे हैं लेकिन अपने घर में बच्चों की फ़ौज खड़ी कर रखी हैं।
प्र. यात्रा के दिन लेखक को कैसे अनुभव प्राप्त हुए ?
उ. लेखक बिना आरक्षण के ही हरिद्वार जाने का मन बनाता है। वे स्टेशन पर पहुँच जैसे गाडी को आता देखते हैं तभी भीड़ बढ़ जाने के कारण उन्हें तिल भर भी जगह न मिल पायी और प्लेटफार्म पर चढ़ने वालों की भीड़ से जबरदस्त धक्कम - धक्का होने लगता है। लेखक के पास सामान कम था फिर भी वे कुली की सहायता से खिड़की के रास्ते गाड़ी में प्रवेश करता है। लेखक को लक्सर से गाड़ी बदलनी थी। वह जैसे ही लक्सर के स्टेसन से उतरते हैं तो देखते हैं कि गाड़ी की छत पर भी लोग बैठे हुए थे। अंत वे कई दिक्कतों का सामना करते हुए हरिद्वार पहुँच ही जाते हैं।
प्र. लेखक ने नौकरी के प्रसंग में दीनानाथ को क्या परामर्श दिया है ?
उ. दीनानाथ को अपनी पढ़ाई समाप्त किये दो वर्ष हो गए थे लेकिन उसे अब तक कोई बढ़िया सी नौकरी नहीं मिल गयी थी। इसी कारण वह निराश था। दीनानाथ को निराश देख लेखक ने उसे परामर्श दिया कि जगह - जगह इतने रोजगार कार्यालय खुल गए हैं तो उनकी सहायता लेकर नौकरी करने की कोशिश करनी चाहिए।
प्र. मित्र ने जनसँख्या के बारे में क्या टिपण्णी की और क्यों ?
उ. लेखक के मित्र श्यामलाकांत ने जनसँख्या के सम्बन्ध में विचार प्रकट करते हुए कहा कि आज देश की आबादी निरंतर तीव्र गति से बढ़ती जा रही है जिसका परिणाम यह है कि शहरों का तो निरंतर विकास हो रहा लेकिन जनसँख्या के निरंतर बढ़ते के कारण मकान और खाद्यान एक समस्या बनते जा रहे हैं। श्यामलाकांत जनसँख्या के सम्बन्ध में टिपण्णी इसीलिए दे रहे हैं क्योंकि वे जनसँख्या वृद्धि के कारण ही मकान की समस्या से पिछले दो साल से जूझ रहे हैं।
प्र. मकान न मिलने का मुख्य कारण क्या बताया गया है ?
उ. लेखक के मित्र बाबू श्यामलाकांत ने मकान न मिलने का कारण बढ़ती जनसँख्या को बताया। उन्होंने बताया कि पहले की तुलना में शहर का क्षेत्रफल बढ़ गया है। दूर - दूर तक लोगों के रहने के लिए नयी नयी कॉलोनी बन गयी है। फिर भी बहुत सारे लोग मकान की खोज में भटक रहे हैं। आबादी बढ़ रही है। लेकिन उसके अनुपात में मकान कम पड़ रहे हैं।
प्र. जनसँख्या की वृद्धि हो जाने के कारण देश पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है ?
उ. जनसँख्या की वृद्धि का प्रभाव पूरे देश पर पड़ता है। देश के प्राकृतिक साधन या दूसरे साधन सीमित होते हैं। अधिक जनसँख्या का प्रभाव इन साधनों पर पड़ता है। रहने के लिए मकानों की कमी पड़ जाती है। लोगों को खाने के लिए अनाज की कमी पड़ जाती है। देश में बेरोजगारी बढ़ती जाती है। देश का उत्पादन जनता के भरण पोषण में ही समाप्त हो जाता है। इसका प्रभाव देश की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। देश की अर्थव्यवस्था में समस्याएँ खड़ी हो जाती है। अस्वस्थ वातावरण ,रेल और सड़क पर भीड़ के कारण दुर्घटनाएँ ,जनता में अनुशासन की कमी ,सार्वजनिक स्थानों पर नियम और व्यवस्था का पालन न होना आदि का प्रभाव देश पर पड़ता है।
प्र. विवाह के कपड़े सिलवाने कौन दरजी के पास गया था ? दरजी ने उससे क्या कहकर कपड़े सिलने से इनकार कर दिया ?
उ. लेखक के मित्र श्यामलाकांत की लड़की का विवाह होने जा रहा था। इस अवसर पर बाबू श्यामलाकांत की पत्नी कपडे सिलवाना चाहती थी। उन्होंने बड़े बेटे दीनानाथ को दरजी के यहाँ भेजा था। वह कई दुकानों पर गया। सब जगह दरजी ने पहले से ही आये कपड़ों का ढेर दिखा दिया। इस तरह दरजी ने कपड़े न सिलने की अपनी मजबूरी को बता दिया।
प्र. श्यामलाकांत जी के परिवार में कितने सदस्य हैं ? उन्होंने क्या लापरवाही की है ?
उ. श्यामलाकांत जी के परिवार में उन्हें लेकर कुल नौ सदस्य हैं। उनकी पत्नी ,बड़ा बेटा दीनानाथ ,दूसरा बेटा सुमंत ,तीन छोटी लडकियाँ और दो छोटे लड़के। श्यामलाकांत जी आज अपनी गलती महसूस कर रहे हैं। वे सोच रहे हैं कि उन्होंने परिवार नियोजन पर ध्यान क्यों नहीं दिया ? अगर वे अपने परिवार को नियोजित ढंग से आगे बढ़ाते तो उन्हें आज इन सब परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। इस दिशा में उन्होंने बहुत लापरवाही की है ,जिसकी वजह से वे स्वयं इस विपदा को झेल रहे हैं।
भीड़ में खोया आदमी पाठ के शब्द अर्थ
अभिन्न - प्यारा
संकट - मुसीबत
व्यवस्था - इंतजाम
स्वेच्छा - स्वयं से
संकीर्ण - सीमित
वातावरण - वायुमंडल
दुष्प्रभाव - बुरा असर
विपदा - दुःख
भटकना - घूमना
दुष्परिणाम - बुरा नतीजा
खाद्यान - खाने योग्य
काया - शरीर
स्तब्ध - शांत
पालन पोषण - देखभाल
सुहाती - अच्छा लगना
कुपोषण - भूख से उत्पन्न स्थिति
दूषित - गन्दा
COMMENTS