सिनेमा का युवा पीढ़ी पर प्रभाव निबंध Impact of Cinema in Life Essay impact of cinema in life advantages and disadvantages of cinema impact of cinema
सिनेमा का युवा पीढ़ी पर प्रभाव पर निबंध
सिनेमा का युवा पीढ़ी पर प्रभाव निबंध Impact of Cinema in Life Essay impact of cinema in life advantages and disadvantages of cinema impact of cinema in life सिनेमा का युवा पीढ़ी पर प्रभाव निबंध - वर्तमान भौतिकवादी युग में विज्ञान की सर्वागीण प्रगति अपना एक विशेष महत्व रखती है। प्रकृति के गूढतम चित्रालय में ही हमें वास्तविक साम्यवाद के दर्शन होते हैं। पिता - पुत्र ,मित्र शत्रु ,राजा रंक सभी एक साथ बैठकर चल चित्र का आनंद लेते हैं। प्रायः छोटे बड़े सभी नगरों में सिनेमा घर पाए जाते हैं क्योंकि आज का युग ही ऐसा है।
भारतीय सिनेमा का इतिहास
भारतीय जनता विशेषकर युवा वर्ग के लिए नवीन बात नहीं है। सहस्त्रो वर्ष पूर्व से देश में नाटकों का प्रचार था। उस समय नाटकों के मंचन द्वारा जनता का मनोरंजन सामान्य बात थी। चल चित्र के अविष्कार ने नाटक और अभिनय की सभी न्यूनताओं को समाप्त कर दिया है। १८९० में अमेरिका में आरम्भ हो बाईस स्कोप का प्रचार सन १९३१ तक सवाक फिल्म के रूप में भारत में हो चुका था। इस सफलता से नए निर्देशक ,नए अभिनेता ,गायक ,लेखक तथा सहज दूसरे लोगों का अध्ययन भी इस ओर आकृष्ट हुआ। उस समय रणजीत थियेटर ,पृथ्वी थिएटर तथा इम्पीरियल थियेटर आदि विख्यात थे।
सिनेमा से समाज को लाभ
तब से आज तक चल चित्र की स्थिति ,दृश्य आदि में क्रांतिकारी परिवर्तन हो चुका है। आज रंगीन तथा डाल्वी जैसी पिक्चरों का आविष्कार हो चुका है। आज मानव जीवन का कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं बचा है। ज्ञान के क्षेत्र में सिनेमा ने असीमित मात्रा में योगदान दिया है। शिक्षा विज्ञान ,मनोविज्ञान ,जीवन विज्ञान ,वनस्पति ,ज्योतिष एवं अतल जल की गहराई से लेकर हिमालय के सर्वोत्तम शिखर एवं ध्रूव प्रदेश के खतरनाक दृश्यों का आनंद मानव घर अथवा सिनेमा घर में बैठे ही ले सकता है। सिनेमा ने हमारे आचार - विचार ,धर्म ,संस्कृति ,सभ्यता ,नैतिकता ,मानवता आदि सभी क्षेत्रों में क्रांति पैदा कर दी है। वर्तमान सिनेमा का कल्पना एक शताब्दी पूर्व तक भी नहीं की जा सकती है। ऐसे दृश्य में सिनेमा का सबसे गहरा प्रभाव समाज के युवा वर्ग पर स्पष्ट रूप में देखने को मिल जाता है। क्या शिक्षा ,साहित्य ,ज्ञान विज्ञान ,मनोविज्ञान ,राजनीति ,धर्म सभी कुछ तो इस सिनेमा की प्रगति से प्रभावित हैं।
सिनेमा से हानि
आज जहाँ सिनेमा ने समाज के अनेक समस्याओं अथवा बुराइयों को दूर करके समाज सुधार किया है। वहीँ पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव से अनेक नैतिक मान्यताओं को नष्ट करके अनैतिकता को जन्म दिया है। बाल - विवाह ,विधवा - विवाह ,दहेज़ प्रथा ,ऊँच नीच ,धनी - निर्धन आदि जैसी गंभीर भेद भावों को बढ़ाने वाली सभ्यताओं को खत्म किया और सामाजिक न्याय की स्थापना का प्रयास किया है वहीँ आज पश्चिमी फैशन ,अनैतिक आचरण ,अनुशासनहीनता ,मुक्त प्रेम ,विलासिता की भावना के प्रचार एवं प्रसार में भी अभिवृद्धि हुई है। पश्चिमी सभ्यता एवं वैज्ञानिक देन से इस सिनेमा ने आज हमारी युवा पीढ़ी को अनेक प्रकार से अनैतिक आचरण ,नशे ,नए फैशन ,नए नए तथा विभिन्न प्रकार के कपड़े ,कपड़ों की न्यूनता ने प्रेम शब्द को कलंकित कर दिया है। सिनेमा के प्रभाव से आज नए नए होटल ,क्लब और रेस्तरा में ही नहीं सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम की आड़ में गलत कार्य लोग करते हैं। फैशन ,खुला प्रेम प्रदर्शन आज शहरों से बड़ी तीव्रता से कस्बों और गाँवों तक में जा पहुँचा। सिनेमा के मोहक माया जाल में फँसकर हम अपने अतीत और वर्तमान को नष्ट कर ही चुके हैं। परन्तु आज भी ध्यान नहीं दिया जाए तो इसके दुष्प्रभाव को रोक सकते हैं।
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