नैतिक शिक्षा का अर्थ परिभाषा नैतिक शिक्षा की आवश्यकता नैतिक शिक्षा के उद्देश्य महत्व Importance of Moral Education नैतिक शिक्षा एक राष्ट्रीय आवश्यकता
नैतिक शिक्षा का अर्थ, उद्देश्य एवं महत्व
नैतिक शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा नैतिक शिक्षा की आवश्यकता नैतिक शिक्षा के उद्देश्य महत्व Importance of Moral Education नैतिक शिक्षा एक राष्ट्रीय आवश्यकता - चरित्र निर्माण के लिए नैतिक शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है। नैतिकता विहीन मनुष्य और पशु में कोई भेद नहीं होता है। नैतिकता ही मनुष्य को पशुत्व से अलग करती है। नैतिक शिक्षा चरित्र का निर्माण करती है। कहा ही जाता है कि धन जाने से कुछ नहीं जाता है ,स्वास्थ्य बिगड़ने से कुछ कुछ चला जाता है ,किन्तु चरित्र पतन से मनुष्य का सब कुछ चला जाता है।
नैतिक शिक्षा की आवश्यकता
आजकल चारो तरफ नैतिकता का पतन दिखाई पड़ रहा है। हर जगह लूट - खसोट ,हत्या बलात्कार ,असत्य ,बेईमानी का साम्राज्य व्याप्त है। इसका कारण हमारे चरित्र का पतन है। दुर्भाग्य की बात है कि हमारे जीवन में जिस चरित्र का इतना महत्व है उसी की इतनी उपेक्षा की जा रही है। हमारी शिक्षण संस्थाओं में अनेक विषयों में शिक्षा दी जाती है ,किन्तु नैतिक शिक्षा की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। प्राचीन काल में विद्यार्थी गुरुकुलों में गुरुओं के संरक्षण में रहकर विविध विषयों के साथ नैतिक शिक्षा प्राप्त करते थे। इसीलिए उनका चरित्र आदर्शवादी होता था। आजकल विद्यार्थी भौतिक पदार्थों के प्रति हद से ज्यादा आकर्षित है। परिणाम स्वरुप अराजकता ,भ्रष्टाचार ,लूट - पाट ,अपराध ,बलात्कार ,हिंसा आदि कुवृत्तियों का बोलबाला है। इससे समाज में अव्यवस्था व्याप्त हो गयी है। नयी पीढ़ी को यदि समुचित नैतिक शिक्षा नहीं दी गयी है तो उनका चरित्र निर्माण नहीं हो सकता है और देश का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। नैतिक शिक्षा न देना एक बहुत बड़ा सामाजिक अपराध है।
नैतिक शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा
प्रश्न उठता है कि नैतिक शिक्षा का स्वरुप क्या हो ? नैतिक शिक्षा का उद्देश्य मानवीय मूल्यों का विकास करना होना चाहिए। हमारे समाज शास्त्रियों ने इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए नयी शिक्षा नीति में नैतिक शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। प्रायः हर शिक्षण संस्था में नैतिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है। किन्तु इसका समुचित लाभ तभी हो सकता है जब नैतिक शिक्षा को अनिवार्य विषय बनाया जाए और इसे परीक्षा से सम्बद्ध किया जाए। किसी परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए नैतिक शिक्षा में उत्तीर्ण होना अनिवार्य बनाया जाए।
नैतिक शिक्षा में महापुरुषों ,मनीषियों ,देश भक्तों ,साहित्यकारों के जीवन से जुड़े ऐसे प्रसंगों को पढाया जाए जो विद्यार्थी के चरित्र निर्माण के लिए प्रेरणा और प्रोत्साहन देने वाले हो। संतों ,भक्तों के वचनामृत पढ़ाना अनिवार्य बना दिया जाए। इसके अतिरिक्त व्यायाम और योगासन पर भी पाठ्य सामग्री तैयार की जाए।
नैतिक शिक्षा के उद्देश्य महत्व
चरित्र न केवल किसी एक व्यक्ति के लिए आवश्यक है ,बल्कि इसकी उपयोगिता ,समाज ,जाति ,देश ही नहीं वरण पूरी मानवता के उत्थान के लिए भी अनिवार्य है। अनैतिक समाज और देश कदापि नहीं कर सकते हैं। किसी देश की नयी पीढ़ी के लिए सत्य ,सदाचार ,परोपकार ,सहिष्णुता ,अहिंसा ,कर्तव्य निष्ठां समाज सेवा जैसे गुण बहुत आवश्यक है। ये गुण नैतिक शिक्षा के माध्यम से प्राप्त हो सकते हैं। नई पौध के मन - मस्तिष्क में हम जिन गुणों का बीजारोपण करेंगे वे ही उसके जीवन में स्थायी रूप ग्रहण कर सकते हैं। अतः शिक्षा के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को आवाश्यक स्थान देना अनिवार्य है।
नैतिक शिक्षा एक राष्ट्रीय आवश्यकता
नयी पीढ़ी ही किसी देश का भविष्य है। इसे हर प्रकार से सुयोग्य बनाना हमारा राष्ट्रीय और सामाजिक दायित्व है। आज चतुर्दिक हमारे जीवन में अनैतिकता का बोलबाला हो रहा है। इस खतरे से बचाव के लिए नैतिक शिक्षा की अनिवार्य व्यवस्था करनी पड़ेगी। तभी हमारा देश और समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकेगा। यह ध्यान देने की बात है कि नैतिक शिक्षा मात्र पुस्तकीय नहीं होनी चाहिए। उसका व्यवहार जीवन में प्रतिफलन ही सच्ची नैतिक शिक्षा होनी चाहिए। नैतिक शिक्षा से हमें उत्तम संस्कार प्राप्त होते हैं। ऐसे संस्कारी और चरित्रवान व्यक्ति ही किसी राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। भारत अतीत काल में इसीलिए महान था कि यहाँ अनेक महान व्यक्ति ,मनीषी , महात्मा और संत भक्त पैदा हुए जिन्होंने अपने महान चरित्र के माध्यम से मानव जाति का परम कल्याण किया। आज हमें अपने देश के विद्यार्थियों को उन्ही के महान आदर्श पर चलने की प्रेरणा देनी है। तभी हमारा देश पुनः महान बनेगा और हम विश्व में गौरवपूर्ण पद के अधिकारी बन सकेंगे।
Hi
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