शादी पर निबंध हिंदी में Essay on Marriage Ceremony in Hindi घर में विवाह का उत्सव a wedding in the family short essay wedding dress भारतीय विवाह वधु
शादी पर निबंध हिंदी में
शादी पर निबंध हिंदी में essay on an indian wedding a wedding in the family short essay wedding dress essay on wedding ceremony भारतीय विवाह Essay on an indian wedding - भारत विभिन्न प्रकार के संस्कारों एवं उत्सवों का देश है। मानव की उत्सवप्रियता इसका एकमात्र कारण हैं। ऋषि मुनियों ने जीवन में वैज्ञानिकता लाने तथा उसे सुखी बनाने के जिन १६ संस्कारों की कल्पना की थी उनमें विवाह संस्कार का बहुत अधिक महत्व है। हर संस्कार के समान ही विवाह -संस्कार का जीवन ,समाज एवं धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्व है। पश्चिमी विचारधारा में जहाँ विवाह को एक समझौता माना जाता है वहां भारत में यह एक पवित्र बंधन ,दो आत्माओं का अभिन्न मिलन है। भारत में विवाह एक ऐसा बंधन माना जाता है जिसके द्वारा दो अपरचित ,परिचित तथा शरीर और आत्मा एक हो जाते हैं।
वैवाहिक उत्सव की तैयारियां
ऐसे ही एक वैवाहिक उत्सव में मैंने भाग लिया। वह मेरे चचेरे भाई का विवाह था। वह हमारा पारिवारिक उत्सव था। हम विवाह में शामिल होने के लिए कानपुर गए। यह उत्सव २२ मई हो था। उन दिनों विद्यालय के अवकाश होने के कारण एक सप्ताह पूर्व ही हम कानपुर चले गए। चाचाजी ने काफी समय पूर्व ही विवाह की तैयारियाँ आरम्भ कर दी थी। विवाह से पूर्व भवन को एक नया रूप दिया गया। घर में पूर्ण सफाई एवं सजावट की गयी। सुख सुविधाओं के साधन भी एकत्र किये गए। निश्चित दिन और समय पर कन्या पक्ष की ओर से लग्न लेकर लोग आये। बड़े उत्साहपूर्ण वातावरण में तथा मित्र तथा परिजनों की उपस्थिति में उन्होंने अपने साथ लाये सामान एवं उपहारों को भाई साहब को भेंट किया। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद सभी उपस्थित मेहमानों को चार -चार लड्डुओं का पैकेट दिया गया। इसके साथ दूध -दही की लस्सी सभी को दी गयी। दूसरे दिन से विवाह की तैयारियाँ आरम्भ हुई। आवश्यक सामान एकत्रित किया गया ,मिठाइयाँ तैयार की गयी। विवाह से पूर्व ही प्रीतिभोज का आयोजन किया गया था। इसके लिए पर्याप्त शामियाने ,कुर्सियों और मेजों आदि का प्रबंध किया गया था। हँसी - ख़ुशी प्रीतिभोज संपन्न हुआ।
बारात का स्वागत
बारात का दिन आया। २२ मई को बारात को कानपुर से बाराबंकी जाना था। सभी में उत्साह और उल्लास था। समय से पूर्व ही दो बसों द्वारा बारात गंतव्य के लिए चल दी। इससे पूर्व भाईसाहब को विशेष वस्त्रादि से अलंकृत करके घोड़ी पर बिठाकर कॉलोनी का चक्कर लगवाया गया। उनके आगे -आगे बैंड चल रहा था। घर की महिलाएँ ,मित्र और भाई लोग नृत्य करते चल रहे थे। सभी मस्ती में थे। मार्ग में एक स्थान पर रूककर सभी ने शीतल पेय का आनंद लिया। बाराबंकी बस स्टैंड पर कन्या पक्ष द्वारा ठंडाई तथा पेप्सी द्वारा बारातियों का स्वागत किया गया। हमें एक आरामदायक जनवासे में स्थान दिया गया। कुछ समय के विश्राम के साथ ही निकासी की तैयारी होने लगी। शाम के आठ बजे बारात जनवासे से आरम्भ हुई।
नगर के निकट के बाजारों में घूम फिर कर संगीत की मधुर ध्वनि ,नृत्य एवं आनंद में झूमती हुई बारात लग्भग १० बजे कन्या पक्ष के घर के सामने पहुँची। वहाँ पर दूध की लस्सी से हमारा स्वागत किया गया। बाद में स्वादिष्ट भोजन और मिठाइयों का आनंद लिया गया। इसके बाद सभी ने रात -भर हँसी - मज़ाक एवं उत्साह से झूमते हुए जागकर रात व्यतीत की।
विवाह के रीति रिवाज और वधु की विदाई
मंडप में सुन्दर एवं आकर्षक वस्त्रों से अलंकृत कन्या के आगमन के साथ ही मंडप के नीचे मंत्रोच्चार के साथ ही विवाह की विभिन्न रीतियाँ संपन्न हुई। अपने मित्रों के साथ मुझे सभी रीतियों में उपस्थित होने का अवसर मिला। यह कार्यक्रम रातभर चला। बारात की विदाई प्रातः काल हुई। विदाई का दृश्य करुणाजनक था। वधु के साथ उसके परिजन वधु के साथ साथ उसके परिजन ,विशेषकर स्त्रियाँ तो फूट - फूटकर रो रही थी। इस प्रकार लड़की के कार में सवार होते ही बस के साथ कार भी चल दी। इस प्रकार सभी बाराती हँसी - ख़ुशी घर वापस लौटे। इस प्रकार पारिवारिक उत्सव संपन्न हुआ। ऐसे उत्सव हमारे जहाँ नया उत्सव और उमंग प्रदान करते हैं वहीँ पारस्परिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाते हैं।
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