असफलता ही सफलता का आधार है पर निबंध Failure is the Basis of Success असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी है way of success best way to get success रहस्य क्या
असफलता ही सफलता का आधार है
असफलता ही सफलता की कुंजी है असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी है असफलता ही सफलता का आधार है पर निबंध असफलता ही सफलता का स्तंभ है सफलता का रहस्य क्या है how to become successful in life Failure is not the opposite of success it's part of success way of success best way to get success - संसार कर्मप्रधान है। हर प्राणी बंधन में बंधा है। जो व्यक्ति किसी भी कार्य को करता है और उसे कम या अधिक प्रयास के बाद पूरा कर लेता है वह सफल है और जो व्यक्ति कार्य को पूरा नहीं कर पाता है वह असफल है। असफल होने का अर्थ यह नहीं कि वर जीवन में कभी सफल ही न हो सकेगा। यदि प्रयास एक बार विफल हो जाता तो दुबारा प्रत्यत्न करने पर आशा से अधिक सफलता भी प्राप्त हो सकती है क्योंकि असफलताएँ भी सफलता के स्तम्भ है। इस प्रकार के उदाहरणों से भारतीय इतिहास भरा पड़ा है। बच्चा गिर गिर कर ही चलना और दौड़ना सीखता है। किसी भी कार्य के संपादन के लिए अनेकानेक कष्टों या असफलताओं का सामना करना पड़ता है। कार्य जितना बड़ा होगा ,मार्ग में उतनी ही बाधाएँ आएगी ,किन्तु बाधाओं को देखकर मनुष्य को अपना मार्ग नहीं बदलना चाहिए। यदि मनुष्य तन ,मन धन से कार्य करता है और फिर भी असफल हो जाता है तो वह असफलता कोई न कोई शिक्षा देकर प्रगति का नया मार्ग प्रशस्त करती है। अतः कहा जा है कि असफलताएँ मनुष्य की गुरु होती है। हमारी छोटी से छोटी भूल हमें कोई न कोई शिक्षा अवश्य देती है।
असफलता से सफलता के उदाहरण
उदाहरण के लिए रावण अपनी तपस्या में कई बार असफल हुआ किन्तु उसने हिम्मत नहीं हारी और अंत में सफल होकर जो चाहा ,सो पाया।
बालक ध्रुव पिता का प्यार पाने में असमर्थ रहे ,किन्तु उन्होंने धैर्य से काम लिया। पिता का प्रेम पाने के लिए प्रयत्न करते रहे और अंत में पिता के प्रेम के साथ ही परमपिता तक का प्रेम पाने में समर्थ रहे। यदि उन्हें आसानी से पिता का प्रेम मिल जाता तो उनका प्रयास रुक जाता और उन्होंने सफलता की जो मंजिल पायी ,वहां तक नहीं पहुँच पाते। मुहम्मद गजनवी ने १७ बार भारत पर आक्रमण किया। जिसमें १६ बार वह असफल रहा ,किन्तु अंत में सत्रहवीं बार सोमनाथ का मंदिर लूटने में समर्थ हुआ।
महाकवि सूरदास और तुलसीदास लौकिक प्रेम पाने में असमर्थ रहे ,किन्तु अंत में ईश्वर का असीम प्रेम पाने में समर्थ रहे। महात्मा गाँधी अंग्रेजों से अपमानित हुए। कई बार उनके बने हुए कार्य बिगड़े ,किन्तु उन्होंने उन विपरीत परिस्थितियों से शिक्षा ग्रहण कर एक के बाद एक आन्दोलन किये और अंत में देश को स्वतंत्र कराने में समर्थ हुए।
महाकवि कालिदास उष्ट्र शब्द का भी शुद्ध उच्चारण न कर सके। फलत : पत्नी द्वारा घोर अपमानित हुए। गृहस्थ जीवन में असफल हुए किन्तु उन्होंने निराश न होकर कठिन परिश्रम किया और अंत में सफल होकर संस्कृत साहित्य के विद्वान बने। उनकी बराबरी का साहित्य लिखने वाला आज तक उत्पन्न नहीं हुआ। अभिज्ञानशाकुन्तल ,मेघदूत आदि श्रेष्ठ काव्यों की उन्होंने रचना की।
संत मोरारी बापू जी ने आगरा के आश्रम से निकलकर अत्यंत लगन से कार्य किया और अपनी अध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाया। आज वह भारतवर्ष के प्रसिद्ध संतों में गिने जाते हैं।
भगीरथ की की पीढ़ियों गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने में असफलता रही ,किन्तु भी उन्होंने हिम्मत न छोड़ी और अंत में भागीरथ ,भागीरथी को पृथ्वी पर लाने में समर्थ हुए ,जो राजा सागर के ६० हज़ार पुत्रों के उद्धार का कारण बनी। अगर एक पीढ़ी समाप्त होते ही ,वे प्रयास छोड़ देते तो गंगा नदी का पृथ्वी पर आना संभव न हो पाता।
असफलता के मुख्य कारण
असफलता का मुख्य कारण कहीं न कहीं हमारे परिश्रम में कमी रह जाना ही होता है। असफल होने से मन में दृढ इच्छा शक्ति उत्पन्न होती है ,फिर भी हम उसी कार्य को या उससे भी ऊँचे या श्रेष्ठ कार्य को और अधिक मनोयोग से करते हैं तथा पहले की असफलता के कारणों को ध्यान में रखते हुए परिश्रम करते हैं तो सफलता अवश्य मिलती है। हर कार्य अपने समय पर सम्पादित होता है ,किन्तु कभी कभी धैर्य के अभाव के कारण ,हम सफलता के पास पहुँचते -पहुँचते पीछे लौट आते हैं ,तो बनता हुआ कार्य भी बिगड़ जाता है। जरुरत से अधिक शीघ्रता या आलस्य भी असफलता का या कार्य में रुकावट का एक कारण है। निष्ठापूर्वक धैर्य के साथ किया गया कोई भी कार्य असफल नहीं होता है। यदि हो भी जाता है तो बहुत ऊँची सफलता देकर जाता है। ज्ञान के तंतु खोलकर नयी नयी दिशाओं का ज्ञान करा देता है। अतः कहा जाता है कि असफलताएँ ही सफलता की कुँजी है।"
This is a best essay
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