इंसानी चलाकी ने उस असीम सत्ता के प्रति कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा कर दी है जबकि सच्चाई यह है कि कन्फ्यूजन कुछ है ही नहीं सब कुछ साफ है क्लियर है कि कोई
परम सत्ता
कभी सोचा है ईश्वरीय सत्ता पर यकीन करना इतना मुश्किल क्यों है? पुख्ता प्रमाणों के होने के बावजूद भी हम इसी उहापोह की स्थिति में रहते हैं कि कोई अनजान सत्ता हमारा मार्गदर्शन कर भी रही है कि नहीं। आखिर क्यों है यह इतना कठिन कि हमें उस अनजान शक्ति को जानते समझते हुए भी स्वयं को हर क्षण समझाते रहना पड़ता है, यह याद दिलाते रहना पड़ता है कि कुछ तो है जो सभी संभावनाओं से परे हैं, कुछ है जो सृष्टि के बनाए नियमों पर नहीं चलता, कुछ है जो वहां से शुरू होता है जहां से हमारी सोच खत्म होती है। यह इंसानी आदत है कि जो भी वह खुद के काबू में नहीं कर पाता उसे ईश्वर की संज्ञा देकर अपना पल्ला झाड़ लेता है। और इसी इंसानी चलाकी ने उस असीम सत्ता के प्रति कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा कर दी है जबकि सच्चाई यह है कि कन्फ्यूजन कुछ है ही नहीं सब कुछ साफ है क्लियर है कि कोई परम सत्ता तो है जो संचालित कर रही है हमें बिल्कुल कठपुतलियों की भांति!!
वह सत्ता हम हैं! हम में है! हमसे है! और हमारे लिए है!!! धर्म, रीति रिवाज , और परंपराओं से परे है उस सत्ता का कार्यान्वयन!
उस सत्ता का प्रेम तो निर्बाध है, निर्मल है ! जो सबका है, सबके लिए है; जो भेदभाव नहीं करती, जो हमें वह सब प्रचुरता से देने को आतुर है जो हम चाहते हैं! और वह सत्ता पूर्ण है, तत्पर है, तैयार है!
तो फिर देरी क्यों? है ना! यही सोच रहे होंगे?
देरी इसलिए कि हम तैयार नहीं है!!! जी हां हम तैयार नहीं हैं वह सब लेने के लिए जो हमने मांगा है हम झोली तो फैला देते हैं पर हमारी झोली इस काबिल ही नहीं है कि वह सब उसमें समा पाए...! वह सब जो हमारा है..जो हमें वह देना चाहता है; और जो निश्चित तौर पर बेशकीमती है !
तो फिर क्या होता है कि वह परम सत्ता हमें वक्त देती है अपनी झोली बड़ी और मजबूत करने के लिए ! स्वयं को उस लायक बनाने के लिए हमें वक्त मिलता है जिसे हम देरी समझ हार मान लेते हैं! हमें वक्त मिलता उन तोहफों के काबिल बनने के लिए जो वह परम सत्ता हमें देने को आतुर बैठी है। बस देरी लगा रहे हैं तो हम...;
कन्फ्यूजन की स्थिति कुछ भी नहीं है सब कुछ क्लियर है खुद को तैयार कीजिए और पा जाइए वह सब कुछ जो आप ने मांगा है।विचार एक ऊर्जा है! जब भी कुछ चाहने का विचार हमारे मन मस्तिष्क में आता है ना तभी से वह हमारा है! यह मान कर चलिए और लग जाइए उस दिशा में दृढ़ता के साथ जो आपको पूरी तरह से अपनी चाहत के प्रति काबिल बनाती है! फिर आप पाएंगे कि कुछ भी ऐसा नहीं है जो आप की पहुंच से दूर है क्योंकि आप हर क्षण उस असीम की कृपा को महसूस कर रहे होंगे! और इस सब प्रक्रिया के साथ आप एक चीज मुफ्त में पाएंगे जानते हैं वह क्या है? वह है "सुकून" जो जीवन की सबसे अनमोल और महंगी वस्तु है। और वह सुकून आपको इसलिए मिलेगा क्योंकि आपने उस रहस्य को जान लिया है जो आपको शांति के करीब ले जाता है। वह रहस्य जो आप का साक्षात्कार कराता है स्वयं से। वह रहस्य और कुछ नहीं यही है कि वह परम सत्ता हर क्षण हमारे हितों के लिए कार्य कर रही है और हमारे लिए हर असंभव को संभव बना रही है।
अब समझ गए ना अगर देरी कोई कर रहा है तो वह हैं "हम"!!अगर हम जो चाहा रहे हैं और हमें नहीं मिल रहा है तो वजह हैं "हम"!! क्योंकि जो हमारा है वह हमें मिलकर रहेगा लेकिन सही वक्त आने पर जब हम सच में उसके लायक होंगे तो यदि आप अपनी स्थिति को लेकर स्पष्ट नहीं है तो समझ जाइए कि आप भ्रमित हैं और गलत दिशा में अपनी ऊर्जा बर्बाद कर रहे हैं एवं सही दिशा को पहचान नहीं पा रहे हैं ।
देरी हो रही है तो बस आप की ओर से क्योंकि वह परम सत्ता तो हमारे इंतजार में हैं बिना किसी लाग लपेट के...बिल्कुल क्लियर... अपने असीम प्रेम और शांति के साथ! हमारे तोहफों को लेकर जिसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम उसे "ईश्वर" कहें, "अल्लाह" कहें "निरंकार" कहें या कुछ और...!!!
- काम्या भारद्वाज
हुसैनी गली बदायूं उत्तर प्रदेश
अद्वैतवाद पर सुन्दर प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएं