nirmal verma ka jeevan parichay nirmal verma ki rachnaye hindi sahitya nirmal verma निर्मल वर्मा का जीवन परिचय जीवनी व रचनाएँ nayi kahani andolan
निर्मल वर्मा का साहित्यिक जीवन परिचय
निर्मल वर्मा आधुनिक हिंदी साहित्य में प्रमुख कहानीकार व उपन्यासकार के रूप में माने जाते हैं।आपका जन्म सन १९२९ ई. में शिमला में हुआ था। बाल्यावस्था पर्वतीयस्थली में व्यतीत होने के कारण आपका प्रकृति के प्रति सदैव अनुराग रहा ,जो उनके यात्रा संस्मरणों में अभिव्यक्त हुआ है। 'वे दिन' उपन्यास में वे दिसंबर में चेकोस्लोवाकिया में बर्फ के गिरने का अत्यंत विस्तार से रोचक वर्णन प्रायः सम्पूर्ण कथानक में करते हैं।
निर्मल वर्मा ने सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली से इतिहास में एम.ए. उत्तीर्ण कर कुछ वर्ष तक अध्ययन किया। १९५६ ई. में प्राग - चेकोस्लोवाकिया के प्राच्य विद्या संसथान और चेकोस्लोवाकिया लेखक संघ द्वारा आपको आमंत्रित किया गया। यहाँ आप सात वर्ष की लम्बी अवधि तक रहे और अनेकानेक उपन्यासों और कहानियों का अनुवाद किया। इसके पश्चात आप कुछ वर्षों तक लन्दन में भी रहे। अपने दीर्घकालीन यूरोप के प्रवास के दौरान आपने टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए यूरोप की सांस्कृतिक राजनितिक समस्याओं पर लेख और रिपोतार्ज लिखे ,जिनका संग्रह चीड़ों पर चाँदनी और हर वारिश में हैं।
सन १९७२ में यूरोप से लौटने के उपरान्त वर्मा जी इन्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडीस में कार्य करते रहे। यहाँ आपने मिथक चेतना पर कार्य किया। वर्मा जी सन १९७७ में इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम आयोग अमरीका में सम्मिलित हुए। वर्मा जी की प्रसिद्ध कहानी माया दर्पण पर फिल्म का निर्माण किया है। इस फिल्म को सन १९७३ ई. सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का पुरस्कार प्राप्त हुआ। आपको मूर्तिदेवी पुरस्कार (१९९५), कव्वे और काला पानी (कहानी–संग्रह) पर साहित्य अकादमी पुरस्कार (१९८५) ,उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार आदि से सम्मानित किया जा चुका है। निर्मल जी को २००२ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
निर्मल वर्मा जी का निधन सन २००५ में दिल्ली में हुआ।
निर्मल वर्मा की साहित्यिक विशेषताएँ
निर्मल वर्मा ने सामान्य जीवन का वर्णन किया है। उन्होंने पर्याप्त चित्रण की पराकाष्ठा की है। उनके पात्र कहीं कहीं अति कामुक एवं उच्च्लिश्ल हो गए हैं। उनकी विषय वस्तु विदेशी धरातल की समर्थक है। अतः खाओ ,पियो और मौज करो वाला वातावरण है। जिसमे मदिरा ,माँस की खुली छूट तथा कथित अधुनातन सामाजिक चित्रण उन्होंने अधिक किया है। उनके पात्र स्त्री पुरुष अधिकतर उन्मत्त हैं। वे सीमित संबंधों वाले हैं। उनके चरित्र का विकास घटनाक्रम के अनुसार होता रहता है।
निर्मल वर्मा के संवाद संक्षिप्त ,सुगठित ,पैने और सटीक हैं। उनके संवाद नाटकीय है। निर्मल वर्मा की भाषा व्यंजक है ,भावनाओं से ओतप्रोत हैं ,उसमें आधुनिकता की भावना व्यक्त होती है। शब्द साहित्यिक भाषा का प्रयोग है तथा चित्रात्मक ,भावनात्मक एवं वर्णनात्मक शैली का प्रयोग है। उन्होंने देश काल वातावरण का समुचित निर्वाह किया है।
निर्मल वर्मा की भाषा शैली
निर्मल वर्मा जी के गद्य साहित्य की भाषा पर उनके उद्देश्य पक्ष की स्पष्ट छाप पड़ी है। भाषा का स्वरुप मानव के अहं के उद्घाटन एवं पात्रों की मनोवृत्तियों के सूक्ष्म विश्लेषण के आधार पर निर्धारित हुआ है। पात्रों के मन की द्वंदात्मक स्थिति अथवा मानसिक विकृति का चित्र खींचने के लिए उपमानों का प्रयोग अधिक हुआ है। मनोवैज्ञानिक प्रणाली से पात्रों के भाव प्रकाशन तथा उनके मानसिक द्वंदों के उद्घाटन में वैज्ञानिक उपमानों के प्रयोग से वर्मा जी ने भाषा में अलंकारिता के गुण का समावेश कर दिया है। निम्नलिखित उदाहरण से देखा जा सकता है -
"क्या कला हमारी जिंदगी पर सचमुच कोई असर डालती हैं ? इस सवाल में एक धोखा यह सरलता छिपी हुई है ,उसी तरह जैसे सारे गहरे प्रश्नों के साथ हमेशा होता है। यही नहीं इस सवाल में धूल और उम्र की हल्की सी गंध भी है - एक ऐसी गंध जो बहुत सारे विवादों और लड़ाईयों ,बेलिंसकी और गोगोल और उस समय की याद दिलाती हैं जब कला सचमुच एक सम्मान या दहशत पैदा करने वाला कर्म था - एक हद तक पवित्र और अभिजात कर्म। आधुनिक समय में यह बात अविश्वसनीय लगती हैं कि कोई मरता हुआ लेखक अपने समकालीन लेखक बंधु से यह मिन्नत करे कि उपन्यास लिखना बंद नहीं होना चाहिए।"
निर्मल वर्मा की प्रमुख रचनाएं
निर्मल वर्मा जी द्वारा सृजित प्रमुख रचनाएँ जिनमें कहानी संग्रह निबंध संग्रह ,नाटक संकलन ,उपन्यास तथा अनुवाद आदि हैं ,प्रकाशित हो चुके हैं। इनका वर्णन निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है -
उपन्यास - वे दिन ,लालटीन की छत ,एक चिथड़ा सुख।
निबंध तथा संस्मरण - चीड़ों पर चाँदनी ,हर वारिश में ,शब्द और स्मृति कला का झोखिम आदि।
कहानी संग्रह - परिंदे ,जलती झाड़ी ,पिघली गर्मियों में ,बीच बहस में कव्वे और काला पानी, सूखा तथा अन्य कहानियाँ आदि।
नाटक - तीन एकांत
संकलन - दूसरी दुनिया ,मेरी प्रिय कहानियाँ।
अंग्रेजी में अनुवादित - डेज ऑफ़ लैगिक (उपन्यास ) ,हिल स्टेशन (कहानियां )
विडियो के रूप में देखें -
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