बसोर समुदाय का पुश्तैनी धंधा

SHARE:

सस्ता सामान के नाम पर जहां हम अनजाने में अपने लिए बीमारी खरीद रहे हैं वहीं बसोर समुदाय को बेरोज़गारी के दहाने पर पहुंचा रहे हैं. यदि समय रहते सचेत नहीं

प्लास्टिक सामग्रियां छीन रही हैं बसोर समुदाय का पुश्तैनी धंधा


ध्यप्रदेश में बसोर समुदाय के लोग अपना पुश्तैनी काम बांस से डलिया, छबड़ी, सूपा, पंखा, टपरी, टपरा, कुर्सी, झूला, झटकेड़ा, फर्नीचर,फूलदान और टोपली आदि बनाना छोड़कर मजदूरी करने लगे हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इनके बनाये बांस की ईको फ्रेंडली सामग्रियों की जगह तेजी से प्लास्टिक की बनी सामग्रियों ने ले लिया है. क्या शहर और क्या गांव, इस चलन को इतना बढ़ावा मिल चुका है कि यह प्लास्टिक लोगों के जीवन का हिस्सा बन गई है. जी हां, वही प्लास्टिक जो पर्यावरण व प्रकृति ही नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के लिए खतरा है, उसका उपयोग लगातार बढ़ रहा है. चिंता इसलिए भी है कि प्लास्टिक अब तेजी से गांवों को कब्जे में ले रहा है. इसकी वजह से दोहरा संकट खड़ा हो गया है. एक तरफ इसके चलन ने बसोर समुदाय से उनका पुश्तैनी कामकाज छीनकर उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया है, तो दूसरी ओर प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण का नुकसान भी बढ़ता जा रहा है.

बसोर समुदाय का पुश्तैनी धंधा
पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण को लेकर तो कई स्तर पर प्रयास चल रहे हैं और कई योजनाओं पर काम भी हो रहा है, लेकिन बसोर समुदाय के हाथ से जाते स्वरोजगार पर किसी का कोई ध्यान नहीं है. तभी तो 55 वर्षीय गणेशी बाई बंशकार कहती हैं, "इंसानों को नुकसान पहुंचाने वाली प्लास्टिक की सामग्री बनाने वालों को सस्ते दामों पर जमीनें उपलब्ध कराई जा रही हैं, कारखाना लगाने में मदद दी जाती है, अनुदान दिये जा रहे हैं, कम ब्याज पर कर्ज मिल जाता है, न जाने कई तरह की रियायतें दी जा रही हैं और हम बसोर समुदाय के जीवन का हिस्सा बन चुके बांस की कीमतें बढ़ती जा रही हैं. रुपये लेने के बाद भी जो बांस दिया जाता है, वह पहले की तुलना में कम मोटा व लंबाई में कम दिया जा रहा है. यहां तक कि जरुरत का बांस तक नहीं देते हैं. समाज के अधिकतर लोग तो यह काम छोड़ ही चुके हैं, हमें भी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा". वह कहती हैं, अब तो हमें मदद की उम्मीद भी नहीं है, क्योंकि हमें कब का अकेले छोड़ दिया गया है.

मप्र की राजधानी भोपाल के बांसखेड़ी क्षेत्र में राज्य प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय परिसर के सामने सड़क के किनारे बैठी गणेशी बाई बंशकार प्रतिदिन यहां अपनी अस्थाई दुकान लगाती है. सूरज धीरे धीरे ढल रहा है मगर उसके सामान इक्के दुक्के ही बिके हैं. इसी के साथ उसकी उम्मीदें भी टूट रही हैं. गणेशी बाई बंशकार भोपाल के डीआईजी बंगला क्षेत्र की ही रहने वाली हैं. उनका विवाह टीकमगढ़ के देवदा गांव में छक्कीलाल बंशकार से हुआ था, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. गणेशी बाई की 6 संतानों में 5 बेटियां और 1 बेटा रहा, लेकिन बेटा भी 36 वर्ष की उम्र में लिवर की बीमारी के कारण दुनिया से चल बसा. गणेशी बाई, अपनी बहू और अपने तीन पोते-पोतियों के साथ बांस से बने सामानों को बनाने का काम करती हैं. वह रोज़ सुबह से शाम तक बांसखेड़ी में रोड के किनारे पुश्तैनी काम करती है और यहीं पर बांस से बनी घरेलू उपयोग में काम आने वाली सामग्री की दुकान भी लगाती हैं.

वह बताती है कि 40 वर्ष पहले 4 इंच मोटा व 18 फुट लंबा बांस डेढ़ रुपये में आता था, उससे छोटी बड़ी करके 4 डलिया बना लेते थे. अब उससे पतला और कम लंबाई वाला बांस 30 से 35 रुपये में खरीदना पड़ रहा है. उससे डलिया भी दो ही बन पाती हैं. अच्छा बांस असम से मंगवानी पड़ती है, जो 150 रुपये का एक मिलता है. गणेशी बाई कहती हैं कि पहले प्लास्टिक से बनी डलिया, सूपा, टोकरी, छबड़ी, तस्ला, मघ, बाल्टी, गिलास, डोआ, पंखा, टपरी जैसी सामग्री दूर दूर तक नहीं थी इसलिए बांस से बनी सामग्री खूब बिकती थी. एक महीने में 50 से 100 डलिया बेच देती थीं. 40 वर्ष पूर्व एक डलिया के 3 से 4 रुपये मिलते थे. इस तरह उस दौर में न्यूनतम 200 से अधिकतम 500 रुपये का कारोबार एक दिन में होता था. कहती हैं, आज से दस वर्ष पहले तक 700 से 1000 रुपये एक दिन में कमा लेती थीं, लेकिन वर्तमान में प्लास्टिक के सामानों की मांग के कारण कभी 150 तो कभी 500 रुपये तक की ही बिक्री हो रही है. इससे खर्च भी नहीं निकल रहा है.

गणेशी के नजदीक ही सावित्री बाई भी बांस से बनी सामग्री की दुकान लगाती हैं. वह कहती हैं, "पहले की बात ही कुछ और थी, अब तो दिन भर में एक ग्राहक भी आ जाए तो बहुत है." पुराने समय को याद करते हुए वह कहती हैं, "प्लास्टिक ने हमारे हाथों का काम छीन लिया है. हमारे बच्चों को मजदूरी करने जाना पड़ रहा है, तब घर का राशन पानी खरीद पाते हैं और दो वक़्त का भोजन मिल पाता है. एक समय था, जब परिवार के सभी सदस्य बांस से ही अनेक सामग्री बनाते थे और दूसरे सदस्य उन्हें बेचते थे. कई बार तो सामग्री कम पड़ जाती थी और रात के तीन तीन बजे तक काम करना पड़ता था. सुबह भी जल्दी उठकर काम में लग जाते थे." वह कहती हैं "पहले बांस की टोकरी, डलिया, छबड़ी, टपरी, बड़ा झटकेड़ा खरीदने के लिए गांव से लोग शहर आते थे. यहां तक कि लोगों के घर शादियां होती थी तो एक वर्ष पहले पुड़ी,चावल रखने के लिए बड़ी डलिया बनाने के थोक में आर्डर मिल जाते थे, यहां तक कि ग्राहक नगद राशि देकर चले जाते थे. कई बार तो दुकान लगाने तक की जरुरत नहीं पड़ती थी, क्योंकि घर से ही सामग्री बिक जाती थी. अब तो गांवों में घूम घूमकर बेचने पर भी बांस से बनी टोकरी, डलिया, सूपा के कोई खरीदार नहीं मिलते, क्योंकि प्लास्टिक की सामग्री गांव गांव तक पहुंच चुकी है."

बैतूल के नसीराबाद के रहने वाले मधु बासोर कहते हैं "हमने तो बहुत काम किया और अभी भी जैसे तैसे कर रहे हैं, लेकिन अब नई पीढ़ी इसमें बिल्कुल भी हाथ नहीं डाल रही है, क्योंकि इसमें फायदा ही नहीं है तो मेहनत करने का क्या मतलब?" वह कहते हैं कि खुद उनके बच्चे यह काम नहीं करते, केवल वह और उनकी पत्नी ही इस काम को कर लेते हैं. मप्र के छिंदवाड़ा जिले के नवेगांव के देवी सिंह बताते हैं, एक समय था जब गांव में बांस की सामग्री को लेकर बासोर समुदाय के लोग साल में 8 से 10 चक्कर लगा देते थे. बिक्री भी खूब होती थी लेकिन अब ये नहीं आते हैं. इनकी जगह प्लास्टिक की सामग्री बेचने वाले बाइक पर आते हैं और बेचकर चले जाते हैं. दरअसल, बंसोर समुदाय की संख्या उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सबसे अधिक पाई जाती है. इस जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है. बसोर परंपरागत रूप से बांस के फर्नीचर,बांस हस्तकला आदि के निर्माण में शामिल थे. उनके काम के कारण ही उन्हें बंसोर नाम से जाना जाता है. मप्र में बसोर मुख्य रूप से जबलपुर, भोपाल और सागर जिले में आबाद हैं. यहां वे बुंदेलखंडी बोली बोलते हैं. ये उत्तर प्रदेश के जालौन, हमीरपुर, महोबा,झांसी, कानपुर और बांदा जिलों में भी आबाद हैं.

बहरहाल, विशेषज्ञों की मानें तो प्लास्टिक के लगातार उपयोग करने से सीसा, कैडमियम और पारा जैसे रसायन मानव शरीर के संपर्क में आते हैं. ये जहरीले पदार्थ कैंसर, जन्मजात विकलांगता, इम्यून सिस्टम और बचपन में बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकते है. माना जाता है कि लगातार इसका उपयोग करने से पल्मोनरी कैंसर हो सकता है वहीं तंत्रिका और मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंच सकता है. लेकिन सस्ता सामान के नाम पर जहां हम अनजाने में अपने लिए बीमारी खरीद रहे हैं वहीं बसोर समुदाय को बेरोज़गारी के दहाने पर पहुंचा रहे हैं. यदि समय रहते सचेत नहीं हुए तो तबाही दोनों ओर है. (चरखा फीचर)



- पूजा यादव
भोपाल

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1474,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,38,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,6,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,10,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,47,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,8,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,15,यशपाल,15,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,2,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,33,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,269,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,431,हिंदी लेख,531,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,182,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,423,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,679,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,67,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,7,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,4,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,51,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: बसोर समुदाय का पुश्तैनी धंधा
बसोर समुदाय का पुश्तैनी धंधा
सस्ता सामान के नाम पर जहां हम अनजाने में अपने लिए बीमारी खरीद रहे हैं वहीं बसोर समुदाय को बेरोज़गारी के दहाने पर पहुंचा रहे हैं. यदि समय रहते सचेत नहीं
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiS0d2dbFdUSmV5tgBe2WIJmeJLVTZYtccHC1NuTM9YfHlPlAQC6Iy793PmPBA_WCE_BcWvDjSxT6ZQwYSWCxVlKR1Q14cOujb-fyCsjiwRhOeOm2oq6IgXItdMcpF4XVZmCne4uidf0ql_gQFWc5O-KmlvNwiVPqWaebwCvP4GVfzJwgIulh5uGSgguw/w320-h240/basor-samuday.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiS0d2dbFdUSmV5tgBe2WIJmeJLVTZYtccHC1NuTM9YfHlPlAQC6Iy793PmPBA_WCE_BcWvDjSxT6ZQwYSWCxVlKR1Q14cOujb-fyCsjiwRhOeOm2oq6IgXItdMcpF4XVZmCne4uidf0ql_gQFWc5O-KmlvNwiVPqWaebwCvP4GVfzJwgIulh5uGSgguw/s72-w320-c-h240/basor-samuday.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2023/04/basor-samuday-pushtaini-dhandha.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2023/04/basor-samuday-pushtaini-dhandha.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका