पिता और भाई की हत्या करके गद्दी पाने वाले हिंदू सम्राट और राजा किन हिन्दू राजाओं ने अपने ही पिता को मार डाला पिता को बंदी तो भाइयों की हत्या बाल्मिकी
पिता और भाई की हत्या करके गद्दी पाने वाले हिंदू सम्राट और राजा !
अक्सर मुगलों और मुसलमानों को पिता या भाइयों की हत्या करके सत्ता पाने वाले संस्कार का बताया जाता है! लेकिन उन हिंदू शासकों की कोई चर्चा नहीं करता जिन्होंने अपने पिता को कैद किया। कारागार में डाला और हत्या करवा दी। कुछ एक ने तो अपने हाथों मारा!
राज्य और सत्ता : पारिवारिक द्वंद्व
मैं एक शृंखला का आरंभ कर रहा हूं, जिसमें पिता और परिवार खासकर भाइयों की हत्या करके सत्ता पाने वाले सम्राटों राजाओं का वृतांत लिखूंगा!
इस विवरण को काल क्रम में लिखने की जगह मैं अपनी रुचि से लिखना चाहूंगा। पहना नाम है मगध के सम्राट अजात शत्रु का! उन्होंने अपने पिता महाराज बिम्बिसार को पहले कैद किया और अंत में कारागार में डाल कर हत्या करवा दी।
भोजन के अन्न के लिए बिम्बिसार कारागार में तड़पता रहा लेकिन अजात शत्रु ने उस पर कोई दया न की। बिम्बिसार की मुख्य रानी अपनी चोटियों में रोटी जैसा कुछ छुपा कर ले जाती थी। जब वह मिलने जाती थी। कई बार वह मन चाहा लेप या अवलेह अपने शरीर पर चुपड़ कर जाती थी। जिसे सम्राट चाट कर जीवित रहने का यत्न करता रहा!
पिता पुत्र विवाद
बिम्बिसार ने बुद्ध के प्रभाव में बौद्ध मत स्वीकार कर लिया था। अजात शत्रु उससे सहमत नहीं था और वह देवदत्त के बहकावे में आकर बौद्ध मत अनुयाई पिता को सत्ता से बेदखल करने के लिए उग्र रास्ता लेता है और उसे कैद कर के अपना राजतिलक करवा लेता है।
बिम्बिसार ने उसे मुक्ति देने की बात की यह कहते हुए की वह संन्यास ले लेगा। वन चला जायेगा। किंतु अजात शत्रु ने यह शर्त स्वीकार ना किया।
इसका एक और पक्ष भी मिलता है। गणिका अंबपाली से कुमार अभय नाम का एक पुत्र हुआ बिम्बिसार को। वही अंबपाली जिसका नाम आम्रपाली और वैशाली की नगर वधू आदि विरुद मिलता है। जिसमें कई लोग उसे अजात शत्रु की प्रेमिका बताते हैं। बौद्ध संदर्भों में वह बिम्बिसार की प्रेमिका पत्नी या रक्षिता बताया जाता है!
खैर उस आम्रपाली के पुत्र को अधिकार देने के लिए कुछ पारिवारिक संघर्ष भी हुआ। जिसमें अजात ने अपनी आदरणीय पूज्य पिता को कारागार दिया और स्वयं सत्ता पाई।
आगे कारागार में भी उसने पिता का खूब ध्यान रखा। उसकी पितृ भक्ति का एक उदाहरण ही बहुत होगा। उसने अपने पिता के प्रिय नाई या नापित को यह आदेश दिया की जब वह बिम्बिसार के नाखून और बाल काटते जाए तो उसकी अंगुलियों के पोरों पर नाखून काटने की चूक के बहाने घाव कर दे। और उन घावों के उपचार की औषधि में नमक का घोल मिला दे। जिससे घाव सड़ते रहें।
नाई ने यही किया। वह और आगे निकला औषधि की जगह सीधे नमक लगाता रहा!
राजा को बुद्ध समेत अनेक समकालीन मुक्त ना करा पाए। अंत तक राजा बिम्बिसार इस दिन परलोक गए जिस दिन अजात शत्रु का पहला पुत्र पैदा हुआ।पिता बनने की शुभ सूचना पा कर अजात शत्रु को पिता के मन का भाव समझ में आया। वह "पिता को मुक्त करो" चिल्लाता हुआ कारागार की तरफ दौड़ा। किंतु तब तक बिम्बिसार इस संसार और नश्वर देह से मुक्त हो गया था।
आगे पिता के प्रति श्रद्धा में या किसी और प्रभाव में अजात शत्रु स्वयं बौद्ध हो गया। किंतु पिता का हत्यारा तो वह हो ही गया था। पिता की हत्या केवल औरंगजेब ने नहीं की। हमारे पुरखों में एक से एक नाम भरे हैं। बाल्मिकी रामायण को गवाह माने तो लक्ष्मण ने वन जाने की जगह पिता महाराज दशरथ को कैद करके राज तिलक करवाने को बेहतर उपाय बताया था। अब यह राम का बड़प्पन रहा की वे वन गए। पिता को कैद करते तो राम और रावण में और राम और अजातशत्रु में क्या अंतर रह जाता?
रावण ने सत्ता कुबेर से छीनी और उसे उसके राज्य से बेदखल कर दिया। उसके विमान का हरण किया और उसकी बहू के साथ दुराचार किया। राम ने अवसर होते हुए भी नया रास्ता लिया।
- बोधिसत्व, मुंबई
8 अप्रैल 2023
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