गिद्धराज संपाति और उनके पुत्र सुपार्श्व गंधमादन पर्वत के वासी शत्रुता बस लंका नहीं बसे, वर्णा सीता गिद्ध के द्वारा बचाई जाती, हिन्दू बौद्ध सिख और उनके
आदमी से अधिक अहिंसक जीव कौआ और गिद्ध होता
सच है कि आदमी से अधिक अहिंसक जीव कौआ और गिद्ध होता,
कौआ कौआ का मांस नहीं खाता, किसी चिड़ा चिड़ी को नहीं मारता,
भोला ऐसा कि कोयल द्वारा रखे गए अंडे को अपना समझकर सेता,
भूख लगे, अन्न नहीं मिले, तो मल मूत्र थूक खंखार बिष्टा खा लेता,
मगर किसी जीवित जीव जन्तुओं की हत्या कर भक्षण नहीं करता!
हिन्दू मान्यता है कि मृतात्मा तत्क्षण काक शरीर धारण करती,
काग के माध्यम से मृत पितृ गण श्राद्ध अन्न पिंड ग्रहण करता,
भगवान राम व सीता ने गया में पिता दशरथ को पिंडदान किया,
तब से काक को श्राद्ध का अन्न पिंड खिलाने की चल पड़ी रीति!
गिद्ध से बड़ा अहिंसक अनुयाई कौन बुद्ध का?
मरी खाता या भूखे विलुप्त होना स्वीकार करता,
महीनों निराहार रहता पर पेटभर भोजन के लिए
जीवित जीव पखेरू का कभी नहीं शिकार करता!
भगवान बुद्ध नालंदा बिहार के गिद्धकूट पर्वत गुफा से
अपने अनुयाई बौद्ध जनों को प्रवचन देते हुए कहते थे,
बनो अहिंसक श्रमण, मत करो पशुबलि और मांस भक्षण,
जबतक मांस सेवन की लत से जिह्वा पर न हो नियंत्रण,
तबतक प्राकृतिक रुप से मृत जीव जन्तु मांस करो ग्रहण,
आज भी कौआ और गिद्ध करते बुद्ध वाणी का अनुसरण!
टूटे फूटे खंडहर और ऊंचे टीले पर धुनि रमाए बैठा रहता,
गिद्ध की दृष्टि बड़ी दूर की, मगर होती बहुत कारुणिक,
जहां तक जाती वहां तक पर्यावरण की हो जाती शुद्धि!
गिद्ध से बड़ा तपस्वी कौन?
पहाड़ों के उत्तुंग शिखर पर ध्यान लगाए बैठा रहता मौन
सड़ी गली मरी गंदगी खाकर पर्यावरण को स्वच्छ करता
चाहे सफाई कर्मी भंगी कह लो अहंकार रहित रहता गौण!
गिद्ध लंबी उम्र का अति संयमित पक्षी,पांच वर्ष तक ब्रह्मचारी रहता,
एकबार में एक-दो अंडा देता, भोजन अभाव में एक चूजे को खिलाता,
परभक्षी द्वारा अंडा खा जाने पर गिद्ध वर्ष भर सहवास नहीं करता!
उत्तर पश्चिम में हिमाचल प्रदेश गंगा तट से भारतीय गिद्ध आबादी
दक्षिण में कलिंग, पूर्व में अंग बंग असम बर्मा कम्बोडिया तक फैली,
दण्डकारण्य विंध्याचल मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ भूमि गिद्ध आच्छादित,
पशु पीड़ाहारी दवा से मृत पशु मांस भक्षण से हुई गिद्ध की विलुप्ति!
गिद्ध का प्राकृतिक निवास हिमाचल से उतराखंड यूपी बिहार अंग बंग
सुरसरि गंगा तटवर्ती होने के पीछे कारण ये है कि सनातन संस्कृति में
हिन्दू गंगा लाभ पाते, बहाई गई लाश होती गिद्ध की खाद्य सामग्री,
गंगा किनारे अड़ी सड़ी गली लाश खाकर गिद्ध करते गंगा की शुद्धि!
गिद्ध और मानव की रिश्तेदारी आदि काल से चली आ रही,
कश्यप-विनता पुत्र अरुण व गरुड़ वंशज सारे गिद्ध बाज पक्षी,
अरुण विवस्वान मनु के पिता सूर्य और गरुड़ विष्णु के सारथी,
अरुणपुत्र जटायु व संपाति दो भाई ने दशरथ से मित्रता निभाई,
रावण द्वारा अपहृत सीता की रक्षा में जटायु ने जान गंवा दी!
राम ने पितृ सम आदर से रावण संहारित जटायु की चिता सजाई,
जटायु का अंतिम संस्कार किया, आर्य रीति-रिवाज से मुखाग्नि दी,
संपाति ने लंका तक गिद्ध दृष्टि दौड़ाई, सीता की स्थिति बतलाई!
गिद्धराज संपाति और उनके पुत्र सुपार्श्व गंधमादन पर्वत के वासी
शत्रुता बस लंका नहीं बसे, वर्णा सीता गिद्ध के द्वारा बचाई जाती,
हिन्दू बौद्ध सिख और उनके आराध्य अवतार गुरु के पूर्वज सूर्य से
गिद्ध गरुड़ बाज की मैत्री थी,राम से बाजांवाले गुरु गोविंद सिंह के!
हिन्दू से बड़ा धर्मनिरपेक्ष पाखण्डी राजनेता कौन हो सकता?
सुबह सबेरे अक्षय तृतीया,अनंत चतुर्दशी, नवरात्र व्रत पालता,
भाई बंधु से घृणा करता, भगवान का प्रसाद तक नहीं बांटता,
शाम को अपने आवास में चिकन बिरियानी का इफ्तार देता,
मुर्गी चूजा अंडा फल दान कर महादानी कर्ण का दर्जा पाता!
ये महादानी कर्ण पापियों का शागिर्द अति महत्वाकांक्षी होता,
दुष्ट दुरात्मा दुर्योधन जैसों का एहसान लेकर राजा बन जाता,
राज खजाने का मन भर सोना खैराती व दिखावे में दान देता,
ये कर्ण अपने पापी दुराचारी आका का ऐसा एहसानमंद होता,
कि सगे स्वधर्मी प्रतिस्पर्धी भाईयों की नाश हेतु प्रतिज्ञा लेता!
ऐसे स्वधर्मी भाई से भला भगवान बुद्ध का अनुयाई
ये मरी खाने वाला अहिंसक गिद्ध और कौआ खगराई,
बचो ऐसे राजहंस से, मत पालो ऐसे राजहंस नेता को,
जो रोज-रोज सरकारी खजाने से करते मोती की चुगाई,
कौआ गिद्ध विलुप्त ना हो जो करते सृष्टि की भलाई!
- विनय कुमार विनायक
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