निर्मला उपन्यास के पात्रों का चरित्र चित्रण निर्मला उपन्यास मुंशी प्रेमचंद जी का प्रसिद्ध सामाजिक उपन्यास पात्र चित्रण की दृष्टि से निर्मला प्रेमचन्द
निर्मला उपन्यास के पात्रों का चरित्रांकन
निर्मला उपन्यास के पात्रों का चरित्र चित्रण निर्मला उपन्यास - मुंशी प्रेमचंद जी का प्रसिद्ध सामाजिक उपन्यास है।पात्र चित्रण की दृष्टि से निर्मला प्रेमचन्द का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है। सेवा सदन के बाद यह दूसरा उपन्यास है जिसमें नारी को कथानक की प्रधान नायिका बनाया गया है।अधिकांश आलोचकों ने किसी न किसी रूप में 'निर्मला' के कथाशिल्प की प्रशंसा की है।
उपन्यास में सात प्रमुख पुरुष पात्र हैं-
1. उदयभानु लाल,
2. भालचन्द्र सिन्हा,
3. मुंशी तोताराम,
4. भुवन मोहन,
5, मंसाराम,
6. जियाराम,
7. सियाराम ।
उपन्यास में पाँच प्रमुख स्त्री पात्र हैं-
1. निर्मला,
2. कल्याणी,
3. रुक्मिणी,
4. सुधा और
5. कृष्णा ।
प्रेमचन्द ने वर्णन, संवाद ओर मनोविश्लेषण द्वारा पात्रों का चरित्र-चित्रण किया है। इन पात्रों के माध्यम से वे अपने सिद्धान्तों, आदर्शों, उद्देश्यों ओर संदेशों को व्यक्त कर पाए हैं।
मुंशी तोताराम
प्रौढ़ावस्था में विवाह करने वाले मुंशी तोताराम का चरित्र पत्नी को प्रभावित करने वाला बनकर रह जाता है। उसमें उनकी व्यक्तिगत विशेषताएँ नहीं दिखाई पड़तीं। अंत में उनका व्यक्तित्व जोरू के गुलाम का प्रतिनिधित्व बनकर रह जाता है। निर्मला और मंसाराम के चरित्र को संदेह की दृष्टि से देखना उनकी शंकालु प्रवृत्ति को दर्शाता है। जियाराम को भी वे अपने विश्वास में नहीं ले पाते तथा बुरी संगति में पड़कर चोरी करना उसकी मृत्यु का कारण बनता है। बाद में सियाराम के प्रति जब उनकी ममता लौटती है तब उस आवेश में वे पत्नी से कर्त्तव्यविमुख हो जाते हैं।
निर्मला
निर्मला उपन्यास की प्रमुख पात्र है। वह उदयभानुलाल की बड़ी पुत्री है जिसका विवाह भुवनमोहन सिन्हा के साथ होना निश्चित हुआ था। निर्मला के पिता की मृत्यु हो जाने पर जब भुवनमोहन धन के लोभ के कारण उस शादी से इन्कार कर देता है तो निर्मला का विवाह एक अधेड़ विधुर मुंशी तोताराम से कर दिया जाता है। यहीं से निर्मला के जीवन की करुण गाथा शुरू होती है। वह अपने पिता की उम्र वाले व्यक्ति को केवल सम्मान ही दे पाती है। वह अपने जीवन से समझौता करना चाहती है। मंसाराम के साथ उसके वार्तालाप को कलुषित नजरों से देखा जाता है। परिस्थितियों से समझौता करते-करते वह कठोर बन जाती है।
भुवनमोहन
भुवनमोहन का चरित्र एक साधारण नवयुवक का सा है। वह दहेज के लालच में निर्मला से विवाह करने से इन्कार कर देता है। बाद में प्रायश्चित करने के लिए वह अपने छोटे भाई का विवाह निर्मला की बहन कृष्णा से करवा देता है, परन्तु अन्त में वासना के वशीभूत होने के कारण लज्जित होने पर आत्महत्या कर लेता है।
कल्याणी
कल्याणी उदयभानुलाल की पत्नी है। वह अपने पति के खर्चीले स्वभाव से नाराज रहती है। निर्मला के विवाह पर होने वाले खर्च के कारण पति से बहस भी करती है। कल्याणी पुत्रों को बेटियों से विशेष मानती है। कंजूसी में तथा रुपयों के लालच में पड़कर वह निर्मला का विवाह मुंशी तोताराम से कर देती है।
उदयभानुलाल
उदयभानुलाल वकील हैं। वह समाज में प्रतिष्ठा चाहते हैं अतः अपनी पुत्री के विवाह में दिल खोलकर खर्च करने के लिए तैयार हैं। वे निर्मला के विवाह की तैयारियाँ करते हैं लेकिन उनकी हत्या हो जाती है।
मंसाराम
तोताराम का बड़ा बेटा मंसाराम स्वाभिमानी तथा चरित्रवान है। वह मातृस्नेह की तड़प में जलता रहता है। वह अपनी विमाता की भी इज्जत करता है। पिता उसके विमाता के साथ बातचीत करने को संदेह की दृष्टि से देखते हैं। शंका इतनी बढ़ जाती है कि उसे बोर्डिंग हाउस भेज दिया जाता है। वह अपने आप को उपेक्षित समझता है जिसके कारण वह बीमार हो जाता है। वह अपने प्राण देकर निर्मला के सम्मान की रक्षा करता है।
रुक्मिणी
रुक्मिणी मुंशी तोताराम की बहन है। वह पुराने विचारों वाली है। वह समय-समय पर निर्मला को कड़वी बातें कहना तथा ताने कसना अपना अधिकार समझती है। प्रेमचन्द ने उसका हृदय परिवर्तन बड़े सुन्दर ढंग से किया है। अन्त में वह अपना कर्कश व्यवहार छोड़कर निर्मला के दुःख से द्रवित होकर उससे स्नेह करने लगती है। यह परिवर्तन मानवता की रचनात्मक विकासशीलता में विश्वास उत्पन्न करता है।
जियाराम
मंसाराम की मुत्यु के बाद समाज को निर्मला पर आवाजें कसने का बहाना मिल जाता है। समाज की टिप्पणियों के कारण जियाराम में विद्रोह की भावना आ जाती है। वह बुरी संगति में पड़ जाता है तथा एक रात को विमाता के कमरे से गहनों का बक्स चुरा लेता है। चोरी का भेद खुलने पर वह आत्महत्या कर लेता है।
सियाराम सियाराम तोताराम का सबसे छोटा बेटा है। निर्मला उसके साथ कठोरता से पेश आती है। मातृस्नेह से वंचित सियाराम एक पाखंडी साधु द्वारा सहानुभूति प्रदर्शित करने पर उसी के साथ चला जाता है।
भालचन्द्र
पहले निर्मला का विवाह भालचन्द्र सिन्हा के पुत्र भुवनमोहन से होना निश्चित हुआ था। भालचन्द्र आबकारी विभाग में बड़े अफसर थे। वे भी धन के लोभी थे। लड़की के पिता उदयभानु लाल की मृत्यु के बाद वे उस परिवार से सम्बन्ध तोड़ लेना चाहते थे। बेटे द्वारा भी विवाह से इन्कार कर देने पर वे खुश हाते हैं। वे पत्नी रंगीली की बातों से सहमत नहीं होते।
सुधा-सुधा का विवाह भुवनमोहन से हुआ था। सुधा में ओज और आत्मबल है। उसके चरित्र में आदर्श अधिक है। उसके इन गुणों से प्रभावित होकर निर्मला उसकी ओर खिंची तथा उसे सहेली बना लिया। पत्नी की अनुपस्थिति में डॉ. सिन्हा निर्मला के प्रति प्रेम प्रकट करते हैं जिसका सुधा को पता चलता है तो वह पति को अपशब्द कहती है। वह एक चरित्रवान स्त्री है।
कृष्णा
कृष्णा निर्मला की छोटी बहन है। अंत में भुवनमोहन के भाई से उसका विवाह होता है।
इस प्रकार प्रेमचन्द ने सभी पात्रों का विकास उपन्यास की आवश्यकतानुसार किया है।
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